< लूक 6 >

1 नंतर असे झाले की, एका शब्बाथ दिवशी येशू शेतामधून जात होता आणि त्याचे शिष्य कणसे मोडून हातावर चोळून खात होते.
অচৰঞ্চ পৰ্ৱ্ৱণো দ্ৱিতীযদিনাৎ পৰং প্ৰথমৱিশ্ৰামৱাৰে শস্যক্ষেত্ৰেণ যীশোৰ্গমনকালে তস্য শিষ্যাঃ কণিশং ছিত্ত্ৱা কৰেষু মৰ্দ্দযিৎৱা খাদিতুমাৰেভিৰে|
2 मग परूश्यांपैकी काही म्हणाले, “शब्बाथ दिवशी जे करण्यास योग्य नाही, ते तुम्ही का करता?”
তস্মাৎ কিযন্তঃ ফিৰূশিনস্তানৱদন্ ৱিশ্ৰামৱাৰে যৎ কৰ্ম্ম ন কৰ্ত্তৱ্যং তৎ কুতঃ কুৰুথ?
3 येशूने त्यांना म्हटले, “जेव्हा दावीद व त्याच्याबरोबरच्या मनुष्यांना भूक लागली तेव्हा त्यांनी काय केले हे तुम्ही कधी वाचले नाही काय?
যীশুঃ প্ৰত্যুৱাচ দাযূদ্ তস্য সঙ্গিনশ্চ ক্ষুধাৰ্ত্তাঃ কিং চক্ৰুঃ স কথম্ ঈশ্ৱৰস্য মন্দিৰং প্ৰৱিশ্য
4 तो देवाच्या घरात गेला आणि ज्या समर्पित भाकरी याजकांशिवाय कोणीच खाणे योग्य नाही त्या त्याने कशा घेऊन खाल्ल्या व आपल्याबरोबर जे होते त्यांनाही दिल्या.”
যে দৰ্শনীযাঃ পূপা যাজকান্ ৱিনান্যস্য কস্যাপ্যভোজনীযাস্তানানীয স্ৱযং বুভজে সঙ্গিভ্যোপি দদৌ তৎ কিং যুষ্মাভিঃ কদাপি নাপাঠি?
5 आणखी येशू त्यांना म्हणाला, “मनुष्याचा पुत्र शब्बाथाचा प्रभू आहे.”
পশ্চাৎ স তানৱদৎ মনুজসুতো ৱিশ্ৰামৱাৰস্যাপি প্ৰভু ৰ্ভৱতি|
6 असे झाले की, दुसऱ्या एका शब्बाथ दिवशी येशू सभास्थानात गेला आणि शिकवू लागला. ज्याचा उजवा हात वाळलेला होता असा एक मनुष्य तेथे होता.
অনন্তৰম্ অন্যৱিশ্ৰামৱাৰে স ভজনগেহং প্ৰৱিশ্য সমুপদিশতি| তদা তৎস্থানে শুষ্কদক্ষিণকৰ একঃ পুমান্ উপতস্থিৱান্|
7 येशू शब्बाथ दिवशी कोणाला बरे करतो की काय हे पाहण्यासाठी नियमशास्त्राचे शिक्षक व परूशी त्याच्यावर लक्ष ठेवून होते. यासाठी की त्यांना आरोप ठेवण्यासाठी काहीतरी कारण मिळावे.
তস্মাদ্ অধ্যাপকাঃ ফিৰূশিনশ্চ তস্মিন্ দোষমাৰোপযিতুং স ৱিশ্ৰামৱাৰে তস্য স্ৱাস্থ্যং কৰোতি নৱেতি প্ৰতীক্ষিতুমাৰেভিৰে|
8 परंतु तो त्यांचे विचार जाणून वाळलेल्या हाताच्या मनुष्यास म्हणाला, “ऊठ आणि सर्वांसमोर उभा राहा,” आणि तो मनुष्य उठून तेथे उभा राहिला.
তদা যীশুস্তেষাং চিন্তাং ৱিদিৎৱা তং শুষ্ককৰং পুমাংসং প্ৰোৱাচ, ৎৱমুত্থায মধ্যস্থানে তিষ্ঠ|
9 येशू त्यांना म्हणाला, “मी तुम्हास विचारतो, शब्बाथ दिवशी कोणत्या गोष्टी करायला परवानगी आहे? चांगले करणे की वाईट करणे? कोणते कायदेशीर आहे, एखाद्याचा जीव वाचवणे का त्याचा नाश करणे?”
তস্মাৎ তস্মিন্ উত্থিতৱতি যীশুস্তান্ ৱ্যাজহাৰ, যুষ্মান্ ইমাং কথাং পৃচ্ছামি, ৱিশ্ৰামৱাৰে হিতম্ অহিতং ৱা, প্ৰাণৰক্ষণং প্ৰাণনাশনং ৱা, এতেষাং কিং কৰ্ম্মকৰণীযম্?
10 १० मग त्याने सभोवती त्या सर्वांकडे पाहीले आणि म्हणाला, “तू आपला हात लांब कर.” तेव्हा त्याने तसे केले आणि त्याचा हात बरा झाला.
১০পশ্চাৎ চতুৰ্দিক্ষু সৰ্ৱ্ৱান্ ৱিলোক্য তং মানৱং বভাষে, নিজকৰং প্ৰসাৰয; ততস্তেন তথা কৃত ইতৰকৰৱৎ তস্য হস্তঃ স্ৱস্থোভৱৎ|
11 ११ पण परूशी व नियमशास्त्राचे शिक्षक खूप रागावले व येशूविषयी काय करता येईल याविषयी आपसात चर्चा करू लागले.
১১তস্মাৎ তে প্ৰচণ্ডকোপান্ৱিতা যীশুং কিং কৰিষ্যন্তীতি পৰস্পৰং প্ৰমন্ত্ৰিতাঃ|
12 १२ त्या दिवसात असे झाले की, येशू प्रार्थना करण्यासाठी डोंगरावर गेला. त्याने ती रात्र देवाची प्रार्थना करण्यात घालवली.
১২ততঃ পৰং স পৰ্ৱ্ৱতমাৰুহ্যেশ্ৱৰমুদ্দিশ্য প্ৰাৰ্থযমানঃ কৃৎস্নাং ৰাত্ৰিং যাপিতৱান্|
13 १३ जेव्हा दिवस उगवला, तेव्हा त्याने शिष्यांना आपणाकडे बोलावले. त्याने त्यांच्यातील बाराजणांना निवडले व त्यांना ‘प्रेषित’ असे नाव दिले.
১৩অথ দিনে সতি স সৰ্ৱ্ৱান্ শিষ্যান্ আহূতৱান্ তেষাং মধ্যে
14 १४ शिमोन ज्याला पेत्र हे सुद्धा नाव दिले तो अंद्रिया (पेत्राचा भाऊ), याकोब आणि योहान, फिलिप्प, बर्थलमय,
১৪পিতৰনাম্না খ্যাতঃ শিমোন্ তস্য ভ্ৰাতা আন্দ্ৰিযশ্চ যাকূব্ যোহন্ চ ফিলিপ্ বৰ্থলমযশ্চ
15 १५ मत्तय, थोमा, अल्फीचा पुत्र याकोब, शिमोन ज्याला जिलोत म्हणत,
১৫মথিঃ থোমা আল্ফীযস্য পুত্ৰো যাকূব্ জ্ৱলন্তনাম্না খ্যাতঃ শিমোন্
16 १६ याकोबचा पुत्र यहूदा व यहूदा इस्कर्योत, जो पुढे विश्वासघात करणारा निघाला.
১৬চ যাকূবো ভ্ৰাতা যিহূদাশ্চ তং যঃ পৰকৰেষু সমৰ্পযিষ্যতি স ঈষ্কৰীযোতীযযিহূদাশ্চৈতান্ দ্ৱাদশ জনান্ মনোনীতান্ কৃৎৱা স জগ্ৰাহ তথা প্ৰেৰিত ইতি তেষাং নাম চকাৰ|
17 १७ तो त्यांच्याबरोबर डोंगरावरून खाली उतरला व सपाट जागेवर उभा राहिला आणि त्याच्या अनुयायांचा मोठा समुदाय तेथे आला व यहूदीया प्रांत, यरूशलेम शहर, सोर आणि सिदोनच्या समुद्रकिनाऱ्याकडचे असे पुष्कळसे लोक तेथे आले होते.
১৭ততঃ পৰং স তৈঃ সহ পৰ্ৱ্ৱতাদৱৰুহ্য উপত্যকাযাং তস্থৌ ততস্তস্য শিষ্যসঙ্ঘো যিহূদাদেশাদ্ যিৰূশালমশ্চ সোৰঃ সীদোনশ্চ জলধে ৰোধসো জননিহাশ্চ এত্য তস্য কথাশ্ৰৱণাৰ্থং ৰোগমুক্ত্যৰ্থঞ্চ তস্য সমীপে তস্থুঃ|
18 १८ ते तेथे त्याचे ऐकण्यास व आपल्या रोगांपासून बरे होण्यास आले व ज्यांना अशुद्ध आत्म्यांची बाधा होती त्यांनाही त्यांच्या व्याधीपासून मुक्त करण्यात आले.
১৮অমেধ্যভূতগ্ৰস্তাশ্চ তন্নিকটমাগত্য স্ৱাস্থ্যং প্ৰাপুঃ|
19 १९ सगळा लोकसमुदाय त्यास स्पर्श करू पाहत होता, कारण त्याच्यामधून सामर्थ्य येत होते आणि सर्वांना ते बरे करत होते.
১৯সৰ্ৱ্ৱেষাং স্ৱাস্থ্যকৰণপ্ৰভাৱস্য প্ৰকাশিতৎৱাৎ সৰ্ৱ্ৱে লোকা এত্য তং স্প্ৰষ্টুং যেতিৰে|
20 २० मग येशूने आपल्या शिष्यांकडे पाहिले व म्हणाला, “अहो दिनांनो, तुम्ही धन्य आहात कारण देवाचे राज्य तुमचे आहे.
২০পশ্চাৎ স শিষ্যান্ প্ৰতি দৃষ্টিং কুৎৱা জগাদ, হে দৰিদ্ৰা যূযং ধন্যা যত ঈশ্ৱৰীযে ৰাজ্যে ৱোঽধিকাৰোস্তি|
21 २१ अहो जे तुम्ही आता भूकेले आहात, ते तुम्ही धन्य आहात, कारण तुम्ही तृप्त व्हाल. अहो जे तुम्ही आता रडता, ते तुम्ही आशीर्वादित आहात कारण तुम्ही हसाल.
২১হে অধুনা ক্ষুধিতলোকা যূযং ধন্যা যতো যূযং তৰ্প্স্যথ; হে ইহ ৰোদিনো জনা যূযং ধন্যা যতো যূযং হসিষ্যথ|
22 २२ जेव्हा मनुष्याच्या पुत्रामुळे लोक तुमचा द्वेष करतील आणि जेव्हा ते आपल्या समाजातून तुम्हास दूर करतील व तुमची निंदा करतील व तुमचे नाव ते वाईट म्हणून टाकून देतील आणि मनुष्याच्या पुत्रामुळे तुम्हास नाकारतील, तेव्हा तुम्ही धन्य आहात.
২২যদা লোকা মনুষ্যসূনো ৰ্নামহেতো ৰ্যুষ্মান্ ঋতীযিষ্যন্তে পৃথক্ কৃৎৱা নিন্দিষ্যন্তি, অধমানিৱ যুষ্মান্ স্ৱসমীপাদ্ দূৰীকৰিষ্যন্তি চ তদা যূযং ধন্যাঃ|
23 २३ त्यादिवशी आनंद करून उड्या मारा, कारण खरोखर स्वर्गात तुमचे प्रतिफळ मोठे आहे! कारण त्यांच्या पूर्वजांनी संदेष्ट्यांना सुद्धा तसेच केले.
২৩স্ৱৰ্গে যুষ্মাকং যথেষ্টং ফলং ভৱিষ্যতি, এতদৰ্থং তস্মিন্ দিনে প্ৰোল্লসত আনন্দেন নৃত্যত চ, তেষাং পূৰ্ৱ্ৱপুৰুষাশ্চ ভৱিষ্যদ্ৱাদিনঃ প্ৰতি তথৈৱ ৱ্যৱাহৰন্|
24 २४ पण श्रीमंतानो, तुम्हास दुःख होवो कारण तुम्हास अगोदरच सर्व सुख मिळाले आहे.
২৪কিন্তু হা হা ধনৱন্তো যূযং সুখং প্ৰাপ্নুত| হন্ত পৰিতৃপ্তা যূযং ক্ষুধিতা ভৱিষ্যথ;
25 २५ जे तुम्ही तृप्त आहात त्या तुम्हास दुःख होवो, कारण तुम्ही भूकेले व्हाल. जे आता हसतात त्यांना दुःख होवो कारण तुम्ही शोक कराल आणि रडाल.
২৫ইহ হসন্তো যূযং ৱত যুষ্মাভিঃ শোচিতৱ্যং ৰোদিতৱ্যঞ্চ|
26 २६ जेव्हा सर्व तुमच्याविषयी चांगले बोलतील तेव्हा तुम्हास दुःख होवो कारण त्यांच्या वाडवडिलांनी खोट्या संदेष्ट्यांना असेच केले.”
২৬সৰ্ৱ্ৱৈলাকৈ ৰ্যুষ্মাকং সুখ্যাতৌ কৃতাযাং যুষ্মাকং দুৰ্গতি ৰ্ভৱিষ্যতি যুষ্মাকং পূৰ্ৱ্ৱপুৰুষা মৃষাভৱিষ্যদ্ৱাদিনঃ প্ৰতি তদ্ৱৎ কৃতৱন্তঃ|
27 २७ “परंतु तुम्हा ऐकणाऱ्यांस मी सांगतो, तुमच्या शत्रूंवर प्रीती करा. जे तुमचा द्वेष करतात, त्यांचे चांगले करा.
২৭হে শ্ৰোতাৰো যুষ্মভ্যমহং কথযামি, যূযং শত্ৰুষু প্ৰীযধ্ৱং যে চ যুষ্মান্ দ্ৱিষন্তি তেষামপি হিতং কুৰুত|
28 २८ जे तुम्हास शाप देतात त्यांना आशीर्वाद द्या. जे तुमचा अपमान करतात त्यांच्यासाठी प्रार्थना करा.
২৮যে চ যুষ্মান্ শপন্তি তেভ্য আশিষং দত্ত যে চ যুষ্মান্ অৱমন্যন্তে তেষাং মঙ্গলং প্ৰাৰ্থযধ্ৱং|
29 २९ जर कोणी तुमच्या एका गालावर मारतो तर त्याच्यासमोर दुसराही गाल करा. जर कोणी तुमचा अंगरखा घेतो तर त्यास तुमची बंडी ही घेऊन जाण्यास मना करू नका.
২৯যদি কশ্চিৎ তৱ কপোলে চপেটাঘাতং কৰোতি তৰ্হি তং প্ৰতি কপোলম্ অন্যং পৰাৱৰ্ত্ত্য সম্মুখীকুৰু পুনশ্চ যদি কশ্চিৎ তৱ গাত্ৰীযৱস্ত্ৰং হৰতি তৰ্হি তং পৰিধেযৱস্ত্ৰম্ অপি গ্ৰহীতুং মা ৱাৰয|
30 ३० जे तुम्हास मागतात त्या प्रत्येकाला द्या आणि जो तुमची वस्तू हिरावून घेतो त्याच्यापाशी ते परत मागू नको.
৩০যস্ত্ৱাং যাচতে তস্মৈ দেহি, যশ্চ তৱ সম্পত্তিং হৰতি তং মা যাচস্ৱ|
31 ३१ आणि जसे मनुष्यांनी तुमच्याशी वागावे म्हणून तुमची इच्छा असेल तसेच तुम्हीही त्यांच्याशी वागा.
৩১পৰেভ্যঃ স্ৱান্ প্ৰতি যথাচৰণম্ অপেক্ষধ্ৱে পৰান্ প্ৰতি যূযমপি তথাচৰত|
32 ३२ तुमच्यावर जे प्रीती करतात त्यांच्यावर तुम्ही प्रीती करा, तर त्यामध्ये तुमचा उपकार तो काय? कारण पापी लोकही आपणावर प्रीती करणाऱ्यांवर प्रीती करतात.
৩২যে জনা যুষ্মাসু প্ৰীযন্তে কেৱলং তেষু প্ৰীযমাণেষু যুষ্মাকং কিং ফলং? পাপিলোকা অপি স্ৱেষু প্ৰীযমাণেষু প্ৰীযন্তে|
33 ३३ तुमचे जे चांगले करतात, त्यांचे जर तुम्ही चांगले करता तर तुम्हास काय लाभ? पापीसुद्धा असेच करतात.
৩৩যদি হিতকাৰিণ এৱ হিতং কুৰুথ তৰ্হি যুষ্মাকং কিং ফলং? পাপিলোকা অপি তথা কুৰ্ৱ্ৱন্তি|
34 ३४ ज्यांच्याकडून तुम्हास परत मिळेल अशी आशा असते, त्यांना जर उसने देता तर तुम्हास काय लाभ? पापीसुद्धा परत मिळावे या उद्देशाने दुसऱ्या पाप्याला उसने देतात.
৩৪যেভ্য ঋণপৰিশোধস্য প্ৰাপ্তিপ্ৰত্যাশাস্তে কেৱলং তেষু ঋণে সমৰ্পিতে যুষ্মাকং কিং ফলং? পুনঃ প্ৰাপ্ত্যাশযা পাপীলোকা অপি পাপিজনেষু ঋণম্ অৰ্পযন্তি|
35 ३५ परंतु तुम्ही आपल्या शत्रूंवर प्रीती करा व त्यांचे बरे करा आणि निराश न होता उसने द्या म्हणजे तुमचे प्रतिफळ मोठे होईल व तुम्ही परात्पराचे पुत्र व्हाल कारण तो अनुपकारी व वाईट यांच्यावर तो दया करणारा आहे.
৩৫অতো যূযং ৰিপুষ্ৱপি প্ৰীযধ্ৱং, পৰহিতং কুৰুত চ; পুনঃ প্ৰাপ্ত্যাশাং ত্যক্ত্ৱা ঋণমৰ্পযত, তথা কৃতে যুষ্মাকং মহাফলং ভৱিষ্যতি, যূযঞ্চ সৰ্ৱ্ৱপ্ৰধানস্য সন্তানা ইতি খ্যাতিং প্ৰাপ্স্যথ, যতো যুষ্মাকং পিতা কৃতঘ্নানাং দুৰ্ৱ্টত্তানাঞ্চ হিতমাচৰতি|
36 ३६ जसा तुमचा स्वर्गीय पिता दयाळू आहे तसे तुम्हीही दयाळू व्हा.”
৩৬অত এৱ স যথা দযালু ৰ্যূযমপি তাদৃশা দযালৱো ভৱত|
37 ३७ “दुसऱ्यांचा न्याय करू नका, म्हणजे तुमचाही न्याय होणार नाही. दुसऱ्यांना दोषी ठरवू नका म्हणजे तुम्हास दोषी ठरवले जाणार नाही. दुसऱ्यांची क्षमा करा म्हणजे तुमचीही क्षमा केली जाईल.
৩৭অপৰঞ্চ পৰান্ দোষিণো মা কুৰুত তস্মাদ্ যূযং দোষীকৃতা ন ভৱিষ্যথ; অদণ্ড্যান্ মা দণ্ডযত তস্মাদ্ যূযমপি দণ্ডং ন প্ৰাপ্স্যথ; পৰেষাং দোষান্ ক্ষমধ্ৱং তস্মাদ্ যুষ্মাকমপি দোষাঃ ক্ষমিষ্যন্তে|
38 ३८ द्या म्हणजे तुम्हास दिले जाईल. चांगले माप दाबून, हालवून व शीग भरून तुमच्या पदरी घालतील कारण ज्या मापाने तुम्ही मापून द्याल त्याच मापाने तुम्हास परत मापून देण्यात येईल.”
৩৮দানানিদত্ত তস্মাদ্ যূযং দানানি প্ৰাপ্স্যথ, ৱৰঞ্চ লোকাঃ পৰিমাণপাত্ৰং প্ৰদলয্য সঞ্চাল্য প্ৰোঞ্চাল্য পৰিপূৰ্য্য যুষ্মাকং ক্ৰোডেষু সমৰ্পযিষ্যন্তি; যূযং যেন পৰিমাণেন পৰিমাথ তেনৈৱ পৰিমাণেন যুষ্মৎকৃতে পৰিমাস্যতে|
39 ३९ त्याने त्यांना एक दाखला सांगितला, “एक आंधळा दुसऱ्या आंधळ्याला मार्ग दाखवू शकेल काय? ते दोघेही खड्डयात पडणार नाहीत काय?
৩৯অথ স তেভ্যো দৃষ্টান্তকথামকথযৎ, অন্ধো জনঃ কিমন্ধং পন্থানং দৰ্শযিতুং শক্নোতি? তস্মাদ্ উভাৱপি কিং গৰ্ত্তে ন পতিষ্যতঃ?
40 ४० कोणताही शिष्य त्याच्या गुरुपेक्षा थोर नाही. पण प्रत्येक शिष्य जेव्हा पूर्ण शिकतो तेव्हा तो गुरुसारखाच होतो.
৪০গুৰোঃ শিষ্যো ন শ্ৰেষ্ঠঃ কিন্তু শিষ্যে সিদ্ধে সতি স গুৰুতুল্যো ভৱিতুং শক্নোতি|
41 ४१ स्वतःच्या डोळ्यातील मुसळ ध्यानात न आणता तू आपल्या भावाच्या डोळ्यातील कुसळ का पाहतोस?
৪১অপৰঞ্চ ৎৱং স্ৱচক্ষুষি নাসাম্ অদৃষ্ট্ৱা তৱ ভ্ৰাতুশ্চক্ষুষি যত্তৃণমস্তি তদেৱ কুতঃ পশ্যমি?
42 ४२ अथवा तू आपल्या डोळ्यातले मुसळ न पाहता आपल्या भावाला कसे म्हणशील की, भाऊ, तुझ्या डोळ्यातले कुसळ मला काढू दे? अरे ढोंग्या, प्रथम तुझ्या डोळ्यातील मुसळ काढ मगच तुला तुझ्या भावाच्या डोळ्यातील कुसळ काढताना चांगले दिसेल.”
৪২স্ৱচক্ষুষি যা নাসা ৱিদ্যতে তাম্ অজ্ঞাৎৱা, ভ্ৰাতস্তৱ নেত্ৰাৎ তৃণং বহিঃ কৰোমীতি ৱাক্যং ভ্ৰাতৰং কথং ৱক্তুং শক্নোষি? হে কপটিন্ পূৰ্ৱ্ৱং স্ৱনযনাৎ নাসাং বহিঃ কুৰু ততো ভ্ৰাতুশ্চক্ষুষস্তৃণং বহিঃ কৰ্ত্তুং সুদৃষ্টিং প্ৰাপ্স্যসি|
43 ४३ कोणतेही चांगले झाड नाही की जे वाईट फळ देते किंवा कोणतेही वाईट झाड नाही की जे चांगले फळ देते.
৪৩অন্যঞ্চ উত্তমস্তৰুঃ কদাপি ফলমনুত্তমং ন ফলতি, অনুত্তমতৰুশ্চ ফলমুত্তমং ন ফলতি কাৰণাদতঃ ফলৈস্তৰৱো জ্ঞাযন্তে|
44 ४४ कारण प्रत्येक झाड हे त्याच्या फळावरुन ओळखले जाते. लोक काटेरी झुडुपातून अंजीरे गोळा करीत नाहीत तसेच काटेरी झुडुपातून ते द्राक्षे गोळा करीत नाहीत.
৪৪কণ্টকিপাদপাৎ কোপি উডুম্বৰফলানি ন পাতযতি তথা শৃগালকোলিৱৃক্ষাদপি কোপি দ্ৰাক্ষাফলং ন পাতযতি|
45 ४५ चांगला मनुष्य त्याच्या अंतःकरणात ज्या चांगल्या गोष्टी साठवलेल्या असतात त्याच काढतो आणि दुष्ट मनुष्य त्याच्या अंतःकरणात जे वाईट आहे तेच बाहेर काढतो कारण अंतःकरणात जे भरले आहे तेच मुखावाटे निघणार.
৪৫তদ্ৱৎ সাধুলোকোঽন্তঃকৰণৰূপাৎ সুভাণ্ডাগাৰাদ্ উত্তমানি দ্ৰৱ্যাণি বহিঃ কৰোতি, দুষ্টো লোকশ্চান্তঃকৰণৰূপাৎ কুভাণ্ডাগাৰাৎ কুৎসিতানি দ্ৰৱ্যাণি নিৰ্গমযতি যতোঽন্তঃকৰণানাং পূৰ্ণভাৱানুৰূপাণি ৱচাংসি মুখান্নিৰ্গচ্ছন্তি|
46 ४६ “तुम्ही मला ‘प्रभू, प्रभू,’ म्हणता, पण जे मी सांगतो ते तुम्ही का करीत नाही?
৪৬অপৰঞ্চ মমাজ্ঞানুৰূপং নাচৰিৎৱা কুতো মাং প্ৰভো প্ৰভো ইতি ৱদথ?
47 ४७ प्रत्येकजण जो माझ्याकडे येतो व माझी वचने ऐकून त्या आज्ञा पाळतो तो कसा आहे हे मी तुम्हास दाखवितो.
৪৭যঃ কশ্চিন্ মম নিকটম্ আগত্য মম কথা নিশম্য তদনুৰূপং কৰ্ম্ম কৰোতি স কস্য সদৃশো ভৱতি তদহং যুষ্মান্ জ্ঞাপযামি|
48 ४८ तो एका घर बांधणाऱ्या मनुष्यासारखा आहे. त्याने खोल खोदले आणि खडकावर पाया बांधला. मग पूर आला आणि पाण्याचा लोंढा घरावर आदळला, पण पाण्याने ते हलले नाही, कारण ते चांगले बांधले होते.
৪৮যো জনো গভীৰং খনিৎৱা পাষাণস্থলে ভিত্তিং নিৰ্ম্মায স্ৱগৃহং ৰচযতি তেন সহ তস্যোপমা ভৱতি; যত আপ্লাৱিজলমেত্য তস্য মূলে ৱেগেন ৱহদপি তদ্গেহং লাডযিতুং ন শক্নোতি যতস্তস্য ভিত্তিঃ পাষাণোপৰি তিষ্ঠতি|
49 ४९ पण जो कोणी माझी वचने ऐकतो पण ती पाळीत नाही तो ज्याने आपले घर पाया न घालता जमिनीवर बांधले त्या मनुष्यासारखा आहे, त्या घरावर पाण्याचा लोंढा आदळला आणि ते लागलेच पडले व त्या घराचा मोठा नाश झाला.”
৪৯কিন্তু যঃ কশ্চিন্ মম কথাঃ শ্ৰুৎৱা তদনুৰূপং নাচৰতি স ভিত্তিং ৱিনা মৃদুপৰি গৃহনিৰ্ম্মাত্ৰা সমানো ভৱতি; যত আপ্লাৱিজলমাগত্য ৱেগেন যদা ৱহতি তদা তদ্গৃহং পততি তস্য মহৎ পতনং জাযতে|

< लूक 6 >