< लूक 20 >

1 एके दिवशी येशू परमेश्वराच्या भवनात लोकांस शिक्षण देत असता व सुवार्ता सांगत असता, मुख्य याजक लोक, नियमशास्त्राचे शिक्षक आणि वडीलजन एकत्र वर त्याच्याकडे आले.
ଏଥିମଧ୍ୟରେ ଦିନେ ଯୀଶୁ ଯେତେବେଳେ ମନ୍ଦିରରେ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଶିକ୍ଷା ଦେଉଥିଲେ ଓ ସୁସମାଚାର ପ୍ରଚାର କରୁଥିଲେ, ସେତେବେଳେ ପ୍ରଧାନ ଯାଜକ ଓ ଶାସ୍ତ୍ରୀମାନେ ପ୍ରାଚୀନମାନଙ୍କ ସହିତ ଆସି ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ,
2 ते त्यास म्हणाले, “कोणत्या अधिकाराने तू या गोष्टी करत आहेस हे आम्हास सांग, तुला हा अधिकार कोणी दिला?”
ତୁମ୍ଭେ କେଉଁ ଅଧିକାରରେ ଏସମସ୍ତ କରୁଅଛ, ଅବା, ଯେ ତୁମ୍ଭକୁ ଏ ଅଧିକାର ଦେଲା, ସେ କିଏ, ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କୁହ?
3 तेव्हा त्याने त्यांना उत्तर दिले, “मीसुद्धा तुम्हास एक प्रश्न विचारतो, तुम्ही मला सांगा.
କିନ୍ତୁ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ଉତ୍ତର ଦେଲେ, “ମୁଁ ମଧ୍ୟ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ଗୋଟିଏ କଥା ପଚାରିବି, ମୋତେ କୁହ,
4 योहानाचा बाप्तिस्मा स्वर्गापासून होता की मनुष्यापासून होता?”
ଯୋହନଙ୍କର ବାପ୍ତିସ୍ମ ସ୍ୱର୍ଗରୁ ନା ମନୁଷ୍ୟଠାରୁ ଥିଲା?”
5 त्यांनी आपसात चर्चा केली आणि एकमेकांना म्हणाले, “जर आपण स्वर्गापासून म्हणावे, तर तो म्हणेल, ‘तर मग तुम्ही त्याच्यावर विश्वास का ठेवला नाही?’
ସେଥିରେ ସେମାନେ ପରସ୍ପର ତର୍କବିତର୍କ କରି କହିଲେ, ଯଦି ସ୍ୱର୍ଗରୁ ବୋଲି କହିବୁ, ତାହାହେଲେ ସେ କହିବେ, ତୁମ୍ଭେମାନେ କାହିଁକି ତାହାଙ୍କୁ ବିଶ୍ୱାସ କଲ ନାହିଁ?
6 पण जर आपण मनुष्यांकडून म्हणावे, तर सर्व लोक आपणास दगडमार करतील कारण त्यांची खात्री आहे की, योहान हा एक संदेष्टा होता.”
କିନ୍ତୁ ଯଦି ମନୁଷ୍ୟଠାରୁ ବୋଲି କହିବୁ, ତେବେ ଲୋକ ସମସ୍ତେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ପଥର ଫୋପାଡ଼ି ମାରିପକାଇବେ, କାରଣ ଯୋହନ ଯେ ଜଣେ ଭାବବାଦୀ, ଏହା ସେମାନଙ୍କର ଦୃଢ଼ ବିଶ୍ୱାସ।
7 म्हणून, “तो कोणापासून होता हे आम्हास माहीत नाही.” असे त्यांनी त्यास उत्तर दिले.
ଏଣୁ ତାହା କେଉଁଠାରୁ ହେଲା, ଏହା ଜାଣି ନାହୁଁ ବୋଲି ସେମାନେ ଉତ୍ତର ଦେଲେ।
8 मग येशू त्यास म्हणाला, “मग मीही या गोष्टी कोणत्या अधिकाराने करतो हे मीसुद्धा तुम्हास सांगणार नाही.”
ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତେବେ ମୁଁ କେଉଁ ଅଧିକାରରେ ଏସମସ୍ତ କରୁଅଛି, ତାହା ମୁଁ ମଧ୍ୟ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କହିବି ନାହିଁ।”
9 मग तो लोकांस हा दाखला सांगू लागला, “एका मनुष्याने द्राक्षमळा लावला व तो काही शेतकऱ्यांना मोलाने देऊन बऱ्याच दिवसांसाठी दूरदेशी गेला.
ଏହାପରେ ସେ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଏହି ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ କହିବାକୁ ଲାଗିଲେ। “ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ଗୋଟିଏ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ର କରି ତାହା କୃଷକମାନଙ୍କୁ ଭାଗରେ ଦେଇ ବହୁକାଳ ନିମନ୍ତେ ବିଦେଶକୁ ଗଲେ।
10 १० हंगामाच्या वेळी त्याने नोकराला शेतकऱ्यांकडे पाठवले. यासाठी की, त्यांनी द्राक्षमळ्यातील काही फळे द्यावित. पण शेतकऱ्यांनी त्या नोकराला मारले व रिकाम्या हाताने परत पाठवले.
ଆଉ କୃଷକମାନେ ଯେପରି ତାହାଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରର ଫଳରୁ ଭାଗ ଦିଅନ୍ତି, ଏଥିନିମନ୍ତେ ସେ ଜଣେ ଦାସକୁ ଉପଯୁକ୍ତ ସମୟରେ ସେମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ପଠାଇଲେ, କିନ୍ତୁ ସେହି କୃଷକମାନେ ତାହାକୁ ପ୍ରହାର କରି ଶୂନ୍ୟ ହସ୍ତରେ ଫେରାଇଦେଲେ।
11 ११ नंतर त्याने दुसऱ्या नोकराला पाठवले, पण त्यालासुद्धा त्यांनी मारले. त्या नोकराला त्यांनी लज्जास्पद वागणूक दिली आणि रिकाम्या हाताने परत पाठवले.
ସେ ପୁଣି, ଆଉ ଜଣେ ଦାସକୁ ପଠାଇଲେ; ସେମାନେ ତାହାକୁ ମଧ୍ୟ ପ୍ରହାର ଓ ଅପମାନ କରି ଶୂନ୍ୟ ହସ୍ତରେ ଫେରାଇଦେଲେ;
12 १२ तेव्हा त्याने तिसऱ्या नोकराला पाठवले. पण त्यालाही त्यांनी जखमी करून बाहेर फेकून दिले.
ପରେ ସେ ତୃତୀୟ ଜଣକୁ ମଧ୍ୟ ପଠାଇଲେ; କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ତାହାକୁ ସୁଦ୍ଧା କ୍ଷତବିକ୍ଷତ କରି ବାହାରେ ଫୋପାଡ଼ିଦେଲେ।
13 १३ द्राक्षमळ्याचा मालक म्हणाला, ‘मी काय करू? मी माझा स्वतःचा प्रिय पुत्र पाठवतो. कदाचित ते त्यास मान देतील.’
ସେଥିରେ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରର ମାଲିକ କହିଲେ, ମୁଁ କଅଣ କରିବି? ମୋହର ପ୍ରିୟ ପୁତ୍ରକୁ ପଠାଇବି, କେଜାଣି ସେମାନେ ତାହାକୁ ମାନ୍ୟ କରିବେ।
14 १४ पण जेव्हा शेतकऱ्यांनी मुलाला पाहिले, तेव्हा त्यांनी आपसात चर्चा केली आणि म्हणाले, ‘हा तर वारस आहे, आपण त्यास ठार मारू, म्हणजे वतन आपले होईल.’
ମାତ୍ର କୃଷକମାନେ ତାହାଙ୍କୁ ଦେଖି ପରସ୍ପର ତର୍କବିତର୍କ କରି କହିବାକୁ ଲାଗିଲେ, ଏ ତ ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ, ଏହାକୁ ବଧ କରିବା, ଯେପରି ଅଧିକାର ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ହେବ।
15 १५ त्यांनी त्यास द्राक्षमळ्याच्या बाहेर फेकले व ठार मारले. तर मग द्राक्षमळ्याचा मालक काय करील?
ଆଉ ସେମାନେ ତାହାଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରର ବାହାରେ ପକାଇ ବଧ କଲେ। ଅତଏବ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ରର ମାଲିକ ସେମାନଙ୍କ ପ୍ରତି କଅଣ କରିବେ?
16 १६ तो येईल आणि त्या शेतकऱ्यांना ठार मारील व तो द्राक्षमळा दुसऱ्यांना सोपवून देईल.” त्यांनी हे ऐकले तेव्हा ते म्हणाले, “असे कधीही न होवो.”
ସେ ଆସି ଏହି କୃଷକମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିବେ ଓ ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାକ୍ଷେତ୍ର ଦେବେ। ଏହା ଶୁଣି ସେମାନେ କହିଲେ, ତାହା ନ ହେଉ।”
17 १७ येशूने त्यांच्याकडे पाहिले व म्हटले, “तर मग जो दगड बांधणाऱ्यांनी नाकारला तोच कोनशिला झाला.
କିନ୍ତୁ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ଏକଦୃଷ୍ଟିରେ ଚାହିଁ କହିଲେ, “ତେବେ ଏହି ଯେଉଁ ବାକ୍ୟ ଲେଖାଅଛି, ତାହାର ଅର୍ଥ କଅଣ, ‘ଗୃହନିର୍ମାଣକାରୀମାନେ ଯେଉଁ ପଥରକୁ ଅଗ୍ରାହ୍ୟ କଲେ, ତାହା କୋଣର ପ୍ରଧାନ ପଥର ହେଲା?’
18 १८ जो कोणी त्याच्यावर पडेल त्याचे तुकडे होतील परंतु ज्या कोणावर तो पडेल त्याचा चुराडा होईल.”
ଯେ କେହି ସେହି ପଥର ଉପରେ ପଡ଼ିବ, ସେ ଖଣ୍ଡବିଖଣ୍ଡ ହେବ, ପୁଣି, ସେହି ପଥର ଯାହା ଉପରେ ପଡ଼ିବ, ତାହାକୁ ତାହା ଚୁର୍ଣ୍ଣବିଚୂର୍ଣ୍ଣ କରିବ।”
19 १९ नियमशास्त्राचे शिक्षक आणि मुख्य याजक लोक यांनी त्याचवेळी त्यास अटक करण्याचा प्रयत्न केला, पण त्यांना लोकांची भीती वाटत होती. त्यांना त्यास अटक करायचे होते, कारण त्यांना माहीत होते की, हा दाखला त्याने त्यांनाच उद्देशून सांगितला होता.
ଏଥିରେ ଶାସ୍ତ୍ରୀ ଓ ପ୍ରଧାନ ଯାଜକମାନେ ସେହି ମୁହୂର୍ତ୍ତରେ ତାହାଙ୍କୁ ଧରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କଲେ, କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଭୟ କଲେ, କାରଣ ସେ ସେହି ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ ସେମାନଙ୍କୁ ଲକ୍ଷ୍ୟ କରି କହିଥିଲେ ବୋଲି ସେମାନେ ବୁଝିଲେ।
20 २० तेव्हा त्यांनी त्याच्यावर पाळत ठेवली आणि त्यास बोलण्यांत धरून राज्यपालाच्या आणि अधिकाराच्या अधीन करावे म्हणून आपण प्रामाणिक धार्मिक आहोत असे भासविणारे हेर पाठवले.
ସେଥିରେ ସେମାନେ ଯୀଶୁଙ୍କୁ ରାଜ୍ୟପାଳଙ୍କ ହାତରେ ଓ ଶାସନକର୍ତ୍ତାଙ୍କ ଶାସନର ଅଧୀନରେ ସମର୍ପଣ କରିବା ନିମନ୍ତେ ସୁଯୋଗ ଖୋଜି ଯୀଶୁଙ୍କ କଥାର ଭୁଲ୍ ଧରିବା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଯେଉଁମାନେ କପଟରେ ନିଜ ନିଜକୁ ଧାର୍ମିକ ବୋଲି ଦେଖାଉଥିବା ଚୋରମାନଙ୍କୁ ପଠାଇଲେ।
21 २१ म्हणून त्या हेरांनी त्यास प्रश्न विचारला. ते म्हणाले, “गुरुजी, आम्हास माहीत आहे की, जे योग्य ते तुम्ही बोलता व शिकविता आणि तुम्ही पक्षपात करीत नाही. तर सत्याने देवाचा मार्ग शिकविता.
ସେମାନେ ତାହାଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ, ହେ ଗୁରୁ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଜାଣୁ, ଆପଣ ଠିକ୍ କଥା କହନ୍ତି ଓ ଶିକ୍ଷା ଦିଅନ୍ତି, ପୁଣି, କାହାରି ମୁଖାପେକ୍ଷା କରନ୍ତି ନାହିଁ, ମାତ୍ର ସତ୍ୟ ରୂପେ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ପଥ ବିଷୟରେ ଶିକ୍ଷା ଦିଅନ୍ତି।
22 २२ आम्ही कैसराला कर द्यावा हे योग्य आहे किंवा नाही?”
କାଇସରଙ୍କୁ କର ଦେବା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ବିଧିସଙ୍ଗତ କି ନୁହେଁ?
23 २३ ते धूर्तपणे आपल्याला फसवू पाहत आहेत याची येशूला कल्पना होती. म्हणून तो त्यांना म्हणाला, “मला एक नाणे दाखवा.
କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କ ଚତୁରତା ବୁଝି ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୋତେ ଗୋଟିଏ ମୁଦ୍ରା ଦେଖାଅ।
24 २४ यावर कोणाची प्रतिमा व लेख आहे?” ते म्हणाले, “कैसराचा.”
ଏଥିରେ କାହାର ମୂର୍ତ୍ତି ଓ ନାମ ଅଛି?” ସେମାନେ କହିଲେ, କାଇସରଙ୍କର।
25 २५ तेव्हा तो त्यांना म्हणाला, “कैसराचे ते कैसराला आणि देवाचे ते देवाला द्या.”
ସେଥିରେ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, ତେବେ ଯାହା କାଇସରଙ୍କର, ତାହା କାଇସରଙ୍କୁ ଦିଅ; ପୁଣି, ଯାହା ଈଶ୍ବରଙ୍କର, ତାହା ଈଶ୍ବରଙ୍କୁ ଦିଅ।
26 २६ तेव्हा लोकांसमोर तो जे काही बोलला त्यामध्ये त्यास धरणे त्यांना शक्य झाले नाही. त्याच्या उत्तराने ते आश्चर्यचकित झाले आणि निरुत्तर झाले.
ଏଥିରେ ସେମାନେ ଲୋକମାନଙ୍କ ସାକ୍ଷାତରେ ତାହାଙ୍କ କଥାର ଭୁଲ୍ ଧରି ପାରିଲେ ନାହିଁ, ଆଉ ସେମାନେ ତାହାଙ୍କ ଉତ୍ତରରେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇ ନୀରବ ରହିଲେ।
27 २७ मग पुनरुत्थान नाही असे म्हणणारे काही सदूकी त्याच्याकडे आले. त्यांनी त्यास प्रश्न विचारला. ते म्हणाले,
ଏହାପରେ ପୁନରୁତ୍ଥାନକୁ ବିଶ୍ୱାସ କରୁ ନ ଥିବା କେତେକ ସାଦ୍ଦୂକୀ ଯୀଶୁଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସି ପଚାରିଲେ,
28 २८ “गुरुजी मोशेने आमच्यासाठी लिहून ठेवले आहे की जर एखाद्याचा भाऊ मरण पावला व त्या भावाला पत्नी आहे पण मूल नाही, तर त्याच्या भावाने त्या विधवेशी लग्न करावे आणि भावासाठी त्यास मुले व्हावीत.
ହେ ଗୁରୁ, ମୋଶା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ନିମନ୍ତେ ଲେଖିଅଛନ୍ତି ଯେ, ଯଦି କୌଣସି ଲୋକର ଭାଇ, ସ୍ତ୍ରୀ ଥାଉ ଥାଉ ନିଃସନ୍ତାନ ହୋଇ ମରେ, ତାହାହେଲେ ତାହାର ଭାଇ ତାହାର ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଗ୍ରହଣ କରି ଆପଣା ଭାଇ ନିମନ୍ତେ ବଂଶ ଉତ୍ପନ୍ନ କରିବ।
29 २९ सात भाऊ होते. पहिल्या भावाने लग्न केले व तो मूल न होता मरण पावला.
ଆଚ୍ଛା, ସାତ ଭାଇ ଥିଲେ; ପ୍ରଥମଟି ଗୋଟିଏ ସ୍ତ୍ରୀକୁ ବିବାହ କଲା ଓ ନିଃସନ୍ତାନ ହୋଇ ମଲା;
30 ३० नंतर दुसऱ्या भावाने तिच्याशी लग्न केले.
ପରେ ଦ୍ୱିତୀୟଟି ଓ ତୃତୀୟଟି ତାହାକୁ ଗ୍ରହଣ କଲେ;
31 ३१ नंतर तिसऱ्याने तिच्याशी लग्न केले. सातही भावांबरोबर तीच गोष्ट घडली. कोणालाही मुले न होता ते मरण पावले.
ସେହି ପ୍ରକାର ସାତ ଜଣଯାକ ନିଃସନ୍ତାନ ହୋଇ ମଲେ।
32 ३२ नंतर ती स्त्रीही मरण पावली.
ଶେଷରେ ସ୍ତ୍ରୀଟି ମଧ୍ୟ ମଲା।
33 ३३ तर मग पुनरुत्थानाच्या वेळी ती कोणाची पत्नी होईल? कारण त्या सातांनीही तिच्याबरोबर लग्न केले होते.”
ତେବେ ପୁନରୁତ୍ଥାନରେ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ସେ କାହାର ସ୍ତ୍ରୀ ହେବ? ସାତ ଜଣଯାକ ତ ତାହାକୁ ବିବାହ କରିଥିଲେ।
34 ३४ तेव्हा येशू त्यांना म्हणाला, “या युगातले लोक लग्न करून घेतात व लग्न करून देतात. (aiōn g165)
ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଏହି ଜଗତର ସନ୍ତାନମାନେ ବିବାହ କରନ୍ତି ଓ ବିବାହିତା ହୁଅନ୍ତି, (aiōn g165)
35 ३५ परंतु जे लोक त्या येणाऱ्या युगामध्ये व मृतांच्या पुनरुत्थानामध्ये भाग घेण्यासाठी पात्र ठरतील, ते लग्न करून घेणार नाहीत आणि लग्न करून देणार नाहीत (aiōn g165)
କିନ୍ତୁ ଯେଉଁମାନେ ସେହି ଜଗତ ଓ ମୃତମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ପୁନରୁତ୍ଥାନ ପ୍ରାପ୍ତ ହେବା ନିମନ୍ତେ ଯୋଗ୍ୟ ଗଣିତ ହୁଅନ୍ତି, ସେମାନେ ବିବାହ କରନ୍ତି ନାହିଁ କିମ୍ବା ବିବାହିତା ହୁଅନ୍ତି ନାହିଁ; (aiōn g165)
36 ३६ आणि ते मरणार नाहीत, कारण ते देवदूतासारखे आहेत. ते पुनरुत्थानाचे पुत्र असल्यामुळे ते देवाचे पुत्रही आहेत.
ପୁଣି, ସେମାନେ ଆଉ ମରି ପାରନ୍ତି ନାହିଁ, କାରଣ ସେମାନେ ଦୂତମାନଙ୍କ ପରି ରୁହନ୍ତି ଏବଂ ପୁନରୁତ୍ଥାନର ସନ୍ତାନ ହେବାରୁ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ସନ୍ତାନ ଅଟନ୍ତି।
37 ३७ जळत्या झुडुपाविषयी मोशेने लिहिले, तेव्हा त्याने परमेश्वरास ‘अब्राहामाचा देव, इसहाकाचा देव आणि याकोबाचा देव’ असे म्हणले व मरण पावलेलेसुद्धा उठवले जातात हे दाखवून दिले.
ମାତ୍ର ମୃତମାନେ ଯେ ଉଠିବେ, ଏହା ମୋଶା ମଧ୍ୟ ବୁଦାର ଘଟଣାରେ ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ‘ଅବ୍ରହାମଙ୍କ ଈଶ୍ବର, ଇସ୍‌ହାକଙ୍କ ଈଶ୍ବର ଓ ଯାକୁବଙ୍କ ଈଶ୍ବର’ ବୋଲି କହି ସୂଚନା ଦେଇଅଛନ୍ତି।
38 ३८ देव मरण पावलेल्यांचा नाही तर जिवंतांचा देव आहे. सर्व लोक जे त्याचे आहेत ते जिवंत आहेत.”
ସେ ତ ମୃତମାନଙ୍କ ଈଶ୍ବର ନୁହଁନ୍ତି, ମାତ୍ର ଜୀବିତମାନଙ୍କର; କାରଣ ସମସ୍ତେ ତାହାଙ୍କ ସାକ୍ଷାତରେ ଜୀବିତ ଅଟନ୍ତି।”
39 ३९ तेव्हा काही नियमशास्त्राचे शिक्षक म्हणाले, “गुरुजी, उत्तम बोललात.”
ସେଥିରେ ଶାସ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ କେତେ ଜଣ ଉତ୍ତର ଦେଲେ, ହେ ଗୁରୁ, ଆପଣ ଠିକ୍ କହିଲେ।
40 ४० मग त्यास आणखी प्रश्न विचारण्याचे धाडस कोणी केले नाही.
କାରଣ ସେମାନେ ତାହାଙ୍କୁ କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ପଚାରିବାକୁ ଆଉ ସାହସ କଲେ ନାହିଁ।
41 ४१ परंतु तो त्यांना म्हणाला, “ख्रिस्त दावीदाचा पुत्र आहे असे ते कसे म्हणतात?
କିନ୍ତୁ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ, “ଖ୍ରୀଷ୍ଟ ଯେ ଦାଉଦଙ୍କ ସନ୍ତାନ, ଏହା ଲୋକେ କିପରି କହନ୍ତି?
42 ४२ कारण दावीद स्वतः स्तोत्राच्या पुस्तकात म्हणतो, ‘परमेश्वराने माझ्या प्रभूला सांगितले,
କାରଣ ଦାଉଦ ନିଜେ ଗୀତସଂହିତା ପୁସ୍ତକରେ କହନ୍ତି, ‘ପ୍ରଭୁ ମୋହର ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ କହିଲେ,
43 ४३ मी तुझ्या शत्रूला तुझ्या पादासन करीत नाही तोपर्यंत तू माझ्या उजवीकडे बस,’
ଆମ୍ଭେ ଯେପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତୁମ୍ଭର ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କୁ ତୁମ୍ଭର ପାଦପୀଠ କରି ନାହୁଁ, ସେପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଆମ୍ଭର ଦକ୍ଷିଣରେ ବସିଥାଅ।’
44 ४४ अशा रीतिने दावीद त्यास प्रभू म्हणतो, तर मग ख्रिस्त दावीदाचा पुत्र कसा?”
ଅତଏବ ଦାଉଦ ତାହାଙ୍କୁ ପ୍ରଭୁ ବୋଲି କହନ୍ତି; ତେବେ ସେ କିପ୍ରକାରେ ଦାଉଦର ସନ୍ତାନ?”
45 ४५ सर्व लोक हे ऐकत असतांना तो शिष्यांना म्हणाला,
ପରେ ସେ ସମସ୍ତ ଲୋକଙ୍କ ଆଗରେ ଶିଷ୍ୟମାନଙ୍କୁ କହିଲେ,
46 ४६ “नियमशास्त्राच्या शिक्षकांविषयी सावध असा, त्यांना लांब झगे घालून फिरणे आवडते, त्यांना बाजारात नमस्कार घेण्यास, सभास्थानात महत्त्वाच्या आसनावर व मेजवानीच्या वेळी मानाच्या जागी बसणे आवडते.
“ଶାସ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କଠାରୁ ସାବଧାନ! ସେମାନେ ଲମ୍ବା ବସ୍ତ୍ର ପିନ୍ଧି ବୁଲିବାକୁ, ପୁଣି, ହାଟବଜାରରେ ନମସ୍କାର, ସମାଜଗୃହରେ ପ୍ରଧାନ ଆସନ ଓ ଭୋଜିରେ ପ୍ରଧାନ ସ୍ଥାନ ପାଇବାକୁ ଭଲ ପାଆନ୍ତି;
47 ४७ ते विधवांची घरे खाऊन फस्त करतात आणि देखाव्यासाठी लांब लांब प्रार्थना करतात. या मनुष्यांना अत्यंत वाईट शिक्षा होईल.”
ସେମାନେ ବିଧବାମାନଙ୍କ ଗୃହସବୁ ଗ୍ରାସ କରନ୍ତି ଓ ଛଳନାରେ ବହୁତ ସମୟ ଧରି ପ୍ରାର୍ଥନା କରନ୍ତି; ସେମାନେ ଗୁରୁତର ଦଣ୍ଡ ପାଇବେ।”

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