< लूक 19 >

1 येशूने यरीहोत प्रवेश केला आणि त्यामधून जात होता.
ଯଦା ଯୀଶୁ ର୍ୟିରୀହୋପୁରଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ତନ୍ମଧ୍ୟେନ ଗଚ୍ଛଂସ୍ତଦା
2 तेव्हा पाहा, जक्कय नावाचा कोणीएक मनुष्य होता, तो मुख्य जकातदार असून खूप श्रीमंत होता.
ସକ୍କେଯନାମା କରସଞ୍ଚାଯିନାଂ ପ୍ରଧାନୋ ଧନୱାନେକୋ
3 येशू कोण आहे हे पाहण्याचा तो प्रयत्न करीत होता पण गर्दीमुळे त्याचे काही चालेना, कारण तो ठेंगणा होता.
ଯୀଶୁଃ କୀଦୃଗିତି ଦ୍ରଷ୍ଟୁଂ ଚେଷ୍ଟିତୱାନ୍ କିନ୍ତୁ ଖର୍ୱ୍ୱତ୍ୱାଲ୍ଲୋକସଂଘମଧ୍ୟେ ତଦ୍ଦର୍ଶନମପ୍ରାପ୍ୟ
4 तेव्हा तो सर्वांच्या पुढे पळत गेला आणि येशूला पाहण्यासाठी एका उंबराच्या झाडावर चढला कारण तो त्याच रस्त्याने पुढे जाणार होता.
ଯେନ ପଥା ସ ଯାସ୍ୟତି ତତ୍ପଥେଽଗ୍ରେ ଧାୱିତ୍ୱା ତଂ ଦ୍ରଷ୍ଟୁମ୍ ଉଡୁମ୍ବରତରୁମାରୁରୋହ|
5 मग येशू त्याठिकाणी येताच दृष्टी वर करून त्यास म्हणाला, “जक्कया, त्वरा करून खाली ये, कारण आज मला तुझ्या घरी उतरायचे आहे.”
ପଶ୍ଚାଦ୍ ଯୀଶୁସ୍ତତ୍ସ୍ଥାନମ୍ ଇତ୍ୱା ଊର୍ଦ୍ଧ୍ୱଂ ୱିଲୋକ୍ୟ ତଂ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱାୱାଦୀତ୍, ହେ ସକ୍କେଯ ତ୍ୱଂ ଶୀଘ୍ରମୱରୋହ ମଯାଦ୍ୟ ତ୍ୱଦ୍ଗେହେ ୱସ୍ତୱ୍ୟଂ|
6 तेव्हा त्याने त्वरेने खाली उतरून आनंदाने त्याचे आगत-स्वागत केले.
ତତଃ ସ ଶୀଘ୍ରମୱରୁହ୍ୟ ସାହ୍ଲାଦଂ ତଂ ଜଗ୍ରାହ|
7 हे पाहून सर्व लोक कुरकुर करू लागले की, “पापी मनुष्याच्या घरी हा उतरायला गेला आहे.”
ତଦ୍ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ସର୍ୱ୍ୱେ ୱିୱଦମାନା ୱକ୍ତୁମାରେଭିରେ, ସୋତିଥିତ୍ୱେନ ଦୁଷ୍ଟଲୋକଗୃହଂ ଗଚ୍ଛତି|
8 तेव्हा जक्कय उभा राहून प्रभूला म्हणाला, “प्रभूजी, पाहा, मी आपले अर्धे धन गरिबांस देतो आणि मी अन्यायाने कोणाचे काही घेतले असले तर ते चौपट परत करतो.”
କିନ୍ତୁ ସକ୍କେଯୋ ଦଣ୍ଡାଯମାନୋ ୱକ୍ତୁମାରେଭେ, ହେ ପ୍ରଭୋ ପଶ୍ୟ ମମ ଯା ସମ୍ପତ୍ତିରସ୍ତି ତଦର୍ଦ୍ଧଂ ଦରିଦ୍ରେଭ୍ୟୋ ଦଦେ, ଅପରମ୍ ଅନ୍ୟାଯଂ କୃତ୍ୱା କସ୍ମାଦପି ଯଦି କଦାପି କିଞ୍ଚିତ୍ ମଯା ଗୃହୀତଂ ତର୍ହି ତଚ୍ଚତୁର୍ଗୁଣଂ ଦଦାମି|
9 येशू त्यास म्हणाला, “आज या घराचे तारण झाले आहे कारण हा मनुष्यसुद्धा अब्राहामाचा मुलगा आहे.
ତଦା ଯୀଶୁସ୍ତମୁକ୍ତୱାନ୍ ଅଯମପି ଇବ୍ରାହୀମଃ ସନ୍ତାନୋଽତଃ କାରଣାଦ୍ ଅଦ୍ୟାସ୍ୟ ଗୃହେ ତ୍ରାଣମୁପସ୍ଥିତଂ|
10 १० कारण मनुष्याचा पुत्र जे हरवलेले ते शोधण्यास आणि तारण्यास आला आहे.”
ଯଦ୍ ହାରିତଂ ତତ୍ ମୃଗଯିତୁଂ ରକ୍ଷିତୁଞ୍ଚ ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ର ଆଗତୱାନ୍|
11 ११ ते या गोष्टी ऐकत असता त्याने त्यास एक दाखलाही सांगितला कारण तो यरूशलेम शहराजवळ होता आणि देवाचे राज्य आताच प्रकट होणार आहे असे त्यांना वाटत होते.
ଅଥ ସ ଯିରୂଶାଲମଃ ସମୀପ ଉପାତିଷ୍ଠଦ୍ ଈଶ୍ୱରରାଜତ୍ୱସ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନଂ ତଦୈୱ ଭୱିଷ୍ୟତୀତି ଲୋକୈରନ୍ୱଭୂଯତ, ତସ୍ମାତ୍ ସ ଶ୍ରୋତୃଭ୍ୟଃ ପୁନର୍ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତକଥାମ୍ ଉତ୍ଥାପ୍ୟ କଥଯାମାସ|
12 १२ तो म्हणाला, “कोणीएक उमराव, आपण राज्य मिळवून परत यावे या उद्देशाने दूरदेशी गेला.
କୋପି ମହାଲ୍ଲୋକୋ ନିଜାର୍ଥଂ ରାଜତ୍ୱପଦଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ପୁନରାଗନ୍ତୁଂ ଦୂରଦେଶଂ ଜଗାମ|
13 १३ त्याने आपल्या दहा दासांना बोलावले व त्यांना दहा नाणी देऊन सांगितले, ‘मी येईपर्यंत त्यावर व्यापार करा.’
ଯାତ୍ରାକାଲେ ନିଜାନ୍ ଦଶଦାସାନ୍ ଆହୂଯ ଦଶସ୍ୱର୍ଣମୁଦ୍ରା ଦତ୍ତ୍ୱା ମମାଗମନପର୍ୟ୍ୟନ୍ତଂ ୱାଣିଜ୍ୟଂ କୁରୁତେତ୍ୟାଦିଦେଶ|
14 १४ त्याच्या नगरचे लोक त्याचा द्वेष करत म्हणून त्यांनी त्याच्या मागोमाग वकील पाठवून सांगितले, ‘ह्याने आमच्यावर राज्य करावे अशी आमची इच्छा नाही.’
କିନ୍ତୁ ତସ୍ୟ ପ୍ରଜାସ୍ତମୱଜ୍ଞାଯ ମନୁଷ୍ୟମେନମ୍ ଅସ୍ମାକମୁପରି ରାଜତ୍ୱଂ ନ କାରଯିୱ୍ୟାମ ଇମାଂ ୱାର୍ତ୍ତାଂ ତନ୍ନିକଟେ ପ୍ରେରଯାମାସୁଃ|
15 १५ मग असे झाले कि, तो राज्य मिळवून पुन्हा परत आल्यावर ज्यांना त्याने व्यापाराकरिता पैसा दिला होता, त्यावर किती नफा झाला हे समजावे म्हणून दासांना आज्ञा देऊन त्यांना बोलावीले.
ଅଥ ସ ରାଜତ୍ୱପଦଂ ପ୍ରାପ୍ୟାଗତୱାନ୍ ଏକୈକୋ ଜନୋ ବାଣିଜ୍ୟେନ କିଂ ଲବ୍ଧୱାନ୍ ଇତି ଜ୍ଞାତୁଂ ଯେଷୁ ଦାସେଷୁ ମୁଦ୍ରା ଅର୍ପଯତ୍ ତାନ୍ ଆହୂଯାନେତୁମ୍ ଆଦିଦେଶ|
16 १६ पहिला पुढे आला आणि म्हणाला, ‘धनी तुम्ही दिलेल्या नाण्यावर मी आणखी दहा नाणी मिळवली आहेत.’
ତଦା ପ୍ରଥମ ଆଗତ୍ୟ କଥିତୱାନ୍, ହେ ପ୍ରଭୋ ତୱ ତଯୈକଯା ମୁଦ୍ରଯା ଦଶମୁଦ୍ରା ଲବ୍ଧାଃ|
17 १७ तेव्हा तो त्यास म्हणाला, ‘चांगल्या दासा, छान केलेस, तू थोडक्यांविषयी विश्वासू झालास, म्हणून तू दहा नगरांवर अधिकारी होशील.’
ତତଃ ସ ଉୱାଚ ତ୍ୱମୁତ୍ତମୋ ଦାସଃ ସ୍ୱଲ୍ପେନ ୱିଶ୍ୱାସ୍ୟୋ ଜାତ ଇତଃ କାରଣାତ୍ ତ୍ୱଂ ଦଶନଗରାଣାମ୍ ଅଧିପୋ ଭୱ|
18 १८ मग दुसरा आला व म्हणाला, ‘धनी, तुमच्या पाच नाण्यांवर मी पाच नाणी आणखी मिळवली.’
ଦ୍ୱିତୀଯ ଆଗତ୍ୟ କଥିତୱାନ୍, ହେ ପ୍ରଭୋ ତୱୈକଯା ମୁଦ୍ରଯା ପଞ୍ଚମୁଦ୍ରା ଲବ୍ଧାଃ|
19 १९ आणि तो त्यास म्हणाला, ‘तू पाच नगरांवर अधिकारी असशील.’
ତତଃ ସ ଉୱାଚ, ତ୍ୱଂ ପଞ୍ଚାନାଂ ନଗରାଣାମଧିପତି ର୍ଭୱ|
20 २० मग आणखी एक दास आला आणि म्हणाला, ‘धनी, आपण दिलेले नाणे मी हातरुमालात बांधून ठेवले होते.
ତତୋନ୍ୟ ଆଗତ୍ୟ କଥଯାମାସ, ହେ ପ୍ରଭୋ ପଶ୍ୟ ତୱ ଯା ମୁଦ୍ରା ଅହଂ ୱସ୍ତ୍ରେ ବଦ୍ଧ୍ୱାସ୍ଥାପଯଂ ସେଯଂ|
21 २१ आपण कठोर आहात, जे आपण ठेवले नाही, ते आपण काढता आणि जे पेरले नाही, ते कापता. म्हणून मला तुमची भीती वाटत होती,’
ତ୍ୱଂ କୃପଣୋ ଯନ୍ନାସ୍ଥାପଯସ୍ତଦପି ଗୃହ୍ଲାସି, ଯନ୍ନାୱପସ୍ତଦେୱ ଚ ଛିନତ୍ସି ତତୋହଂ ତ୍ୱତ୍ତୋ ଭୀତଃ|
22 २२ धनी त्यास म्हणाला, ‘दुष्ट दासा, तुझ्याच शब्दांनी मी तुझा न्याय करतो. तुला ठाऊक होते की मी कडक शिस्तीचा मनुष्य आहे. मी जे दिले नाही ते घेतो आणि जे पेरले नाही त्याची कापणी करतो,
ତଦା ସ ଜଗାଦ, ରେ ଦୁଷ୍ଟଦାସ ତୱ ୱାକ୍ୟେନ ତ୍ୱାଂ ଦୋଷିଣଂ କରିଷ୍ୟାମି, ଯଦହଂ ନାସ୍ଥାପଯଂ ତଦେୱ ଗୃହ୍ଲାମି, ଯଦହଂ ନାୱପଞ୍ଚ ତଦେୱ ଛିନଦ୍ମି, ଏତାଦୃଶଃ କୃପଣୋହମିତି ଯଦି ତ୍ୱଂ ଜାନାସି,
23 २३ तर तू माझा पैसा पेढीवर का ठेवला नाहीस? मग जेव्हा मी परत आलो असतो तेव्हा ते मला व्याजासह मिळाले असते.’
ତର୍ହି ମମ ମୁଦ୍ରା ବଣିଜାଂ ନିକଟେ କୁତୋ ନାସ୍ଥାପଯଃ? ତଯା କୃତେଽହମ୍ ଆଗତ୍ୟ କୁସୀଦେନ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ନିଜମୁଦ୍ରା ଅପ୍ରାପ୍ସ୍ୟମ୍|
24 २४ त्याच्याजवळ उभे राहणाऱ्यांना तो म्हणाला, ‘त्याच्यापासून ते नाणे घ्या आणि ज्याच्याजवळ दहा नाणी आहेत, त्यास द्या.’
ପଶ୍ଚାତ୍ ସ ସମୀପସ୍ଥାନ୍ ଜନାନ୍ ଆଜ୍ଞାପଯତ୍ ଅସ୍ମାତ୍ ମୁଦ୍ରା ଆନୀଯ ଯସ୍ୟ ଦଶମୁଦ୍ରାଃ ସନ୍ତି ତସ୍ମୈ ଦତ୍ତ|
25 २५ ते त्यास म्हणाले, ‘धनी, त्याच्याजवळ दहा नाणी आहेत.’
ତେ ପ୍ରୋଚୁଃ ପ୍ରଭୋଽସ୍ୟ ଦଶମୁଦ୍ରାଃ ସନ୍ତି|
26 २६ धन्याने उत्तर दिले, ‘मी तुम्हास सांगतो, ज्याच्याजवळ आहे, त्यास अधिक दिले जाईल आणि ज्याच्याजवळ नाही, त्याच्याकडे जे काही असेल तेसुध्दा काढून घेतले जाईल.
ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି ଯସ୍ୟାଶ୍ରଯେ ୱଦ୍ଧତେ ଽଧିକଂ ତସ୍ମୈ ଦାଯିଷ୍ୟତେ, କିନ୍ତୁ ଯସ୍ୟାଶ୍ରଯେ ନ ୱର୍ଦ୍ଧତେ ତସ୍ୟ ଯଦ୍ୟଦସ୍ତି ତଦପି ତସ୍ମାନ୍ ନାଯିଷ୍ୟତେ|
27 २७ परंतु मी राज्य करू नये अशी इच्छा करणाऱ्यांचा माझ्या शत्रूंना येथे आणा आणि माझ्यासमोर ठार मारा.’”
କିନ୍ତୁ ମମାଧିପତିତ୍ୱସ୍ୟ ୱଶତ୍ୱେ ସ୍ଥାତୁମ୍ ଅସମ୍ମନ୍ୟମାନା ଯେ ମମ ରିପୱସ୍ତାନାନୀଯ ମମ ସମକ୍ଷଂ ସଂହରତ|
28 २८ येशूने या गोष्टी सांगितल्यावर तो वर यरूशलेम शहरापर्यंत गेला.
ଇତ୍ୟୁପଦେଶକଥାଂ କଥଯିତ୍ୱା ସୋଗ୍ରଗଃ ସନ୍ ଯିରୂଶାଲମପୁରଂ ଯଯୌ|
29 २९ तो वर जातांना, जेव्हा तो जैतून डोंगर म्हटलेल्या टेकडीनजीक असलेल्या बेथफगे आणि बेथानीजवळ आला तेव्हा त्याने आपल्या दोन शिष्यांना असे सांगून पाठवले,
ତତୋ ବୈତ୍ଫଗୀବୈଥନୀଯାଗ୍ରାମଯୋଃ ସମୀପେ ଜୈତୁନାଦ୍ରେରନ୍ତିକମ୍ ଇତ୍ୱା ଶିଷ୍ୟଦ୍ୱଯମ୍ ଇତ୍ୟୁକ୍ତ୍ୱା ପ୍ରେଷଯାମାସ,
30 ३० व म्हटले, “तुमच्यासमोर असलेल्या खेड्यात जा. तुम्ही प्रवेश करताच, ज्यावर कोणी बसले नाही असे शिंगरु तुम्हास बांधलेले आढळेल. ते सोडून येथे आणा.
ଯୁୱାମମୁଂ ସମ୍ମୁଖସ୍ଥଗ୍ରାମଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟୈୱ ଯଂ କୋପି ମାନୁଷଃ କଦାପି ନାରୋହତ୍ ତଂ ଗର୍ଦ୍ଦଭଶାୱକଂ ବଦ୍ଧଂ ଦ୍ରକ୍ଷ୍ୟଥସ୍ତଂ ମୋଚଯିତ୍ୱାନଯତଂ|
31 ३१ जर तुम्हास कोणी विचारले की, ‘तुम्ही ते का सोडता? तर म्हणा की, प्रभूला याची गरज आहे.’”
ତତ୍ର କୁତୋ ମୋଚଯଥଃ? ଇତି ଚେତ୍ କୋପି ୱକ୍ଷ୍ୟତି ତର୍ହି ୱକ୍ଷ୍ୟଥଃ ପ୍ରଭେରତ୍ର ପ୍ରଯୋଜନମ୍ ଆସ୍ତେ|
32 ३२ ज्यांना पाठवले होते, ते गेले आणि त्याने सांगितल्याप्रमाणे त्यास आढळले.
ତଦା ତୌ ପ୍ରରିତୌ ଗତ୍ୱା ତତ୍କଥାନୁସାରେଣ ସର୍ୱ୍ୱଂ ପ୍ରାପ୍ତୌ|
33 ३३ ते शिंगरु सोडीत असता त्याचा मालक त्यांना म्हणाला, “तुम्ही शिंगरु का सोडता?”
ଗର୍ଦଭଶାୱକମୋଚନକାଲେ ତତ୍ୱାମିନ ଊଚୁଃ, ଗର୍ଦଭଶାୱକଂ କୁତୋ ମୋଚଯଥଃ?
34 ३४ ते म्हणाले, “प्रभूला याची गरज आहे.”
ତାୱୂଚତୁଃ ପ୍ରଭୋରତ୍ର ପ୍ରଯୋଜନମ୍ ଆସ୍ତେ|
35 ३५ त्यांनी ते येशूकडे आणले. त्यांनी आपले झगे शिंगरावर घातले आणि येशूला त्याच्यावर बसविले.
ପଶ୍ଚାତ୍ ତୌ ତଂ ଗର୍ଦଭଶାୱକଂ ଯୀଶୋରନ୍ତିକମାନୀଯ ତତ୍ପୃଷ୍ଠେ ନିଜୱସନାନି ପାତଯିତ୍ୱା ତଦୁପରି ଯୀଶୁମାରୋହଯାମାସତୁଃ|
36 ३६ येशू रस्त्यावरुन जात असता लोक आपली वस्त्रे रस्त्यावर पसरीत होते.
ଅଥ ଯାତ୍ରାକାଲେ ଲୋକାଃ ପଥି ସ୍ୱୱସ୍ତ୍ରାଣି ପାତଯିତୁମ୍ ଆରେଭିରେ|
37 ३७ तो जेव्हा जैतून डोंगराच्या उतरावर आला तेव्हा सर्व शिष्यसमुदाय, त्यांनी जे चमत्कार पाहिले होते त्याबद्दल मोठ्या आनंदाने देवाची स्तुती करू लागला.
ଅପରଂ ଜୈତୁନାଦ୍ରେରୁପତ୍ୟକାମ୍ ଇତ୍ୱା ଶିଷ୍ୟସଂଘଃ ପୂର୍ୱ୍ୱଦୃଷ୍ଟାନି ମହାକର୍ମ୍ମାଣି ସ୍ମୃତ୍ୱା,
38 ३८ ते म्हणाले, “प्रभूच्या नावाने येणारा राजा धन्यवादित असो! स्वर्गात शांती आणि ऊर्ध्वलोकी गौरव.”
ଯୋ ରାଜା ପ୍ରଭୋ ର୍ନାମ୍ନାଯାତି ସ ଧନ୍ୟଃ ସ୍ୱର୍ଗେ କୁଶଲଂ ସର୍ୱ୍ୱୋଚ୍ଚେ ଜଯଧ୍ୱନି ର୍ଭୱତୁ, କଥାମେତାଂ କଥଯିତ୍ୱା ସାନନ୍ଦମ୍ ଉଚୈରୀଶ୍ୱରଂ ଧନ୍ୟଂ ୱକ୍ତୁମାରେଭେ|
39 ३९ जमावातील काही परूशी येशूला म्हणाले, “गुरुजी, आपल्या शिष्यांना गप्प राहण्यास सांगा.”
ତଦା ଲୋକାରଣ୍ୟମଧ୍ୟସ୍ଥାଃ କିଯନ୍ତଃ ଫିରୂଶିନସ୍ତତ୍ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଯୀଶୁଂ ପ୍ରୋଚୁଃ, ହେ ଉପଦେଶକ ସ୍ୱଶିଷ୍ୟାନ୍ ତର୍ଜଯ|
40 ४० त्याने उत्तर दिले, “मी तुम्हास सांगतो, जर ते शांत बसतील तर हे धोंडे ओरडतील.”
ସ ଉୱାଚ, ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି ଯଦ୍ୟମୀ ନୀରୱାସ୍ତିଷ୍ଠନ୍ତି ତର୍ହି ପାଷାଣା ଉଚୈଃ କଥାଃ କଥଯିଷ୍ୟନ୍ତି|
41 ४१ तो जेव्हा जवळ आला व त्याने शहर पाहिले, तेव्हा तो त्यासाठी रडला आणि म्हणाला,
ପଶ୍ଚାତ୍ ତତ୍ପୁରାନ୍ତିକମେତ୍ୟ ତଦୱଲୋକ୍ୟ ସାଶ୍ରୁପାତଂ ଜଗାଦ,
42 ४२ “कोणत्या गोष्टी तुला शांती देतील ते जर आज तू जाणून घेतले असते तर! परंतु आता त्या तुझ्या नजरेपासून लपवून ठेवण्यात आल्या आहेत.
ହା ହା ଚେତ୍ ତ୍ୱମଗ୍ରେଽଜ୍ଞାସ୍ୟଥାଃ, ତୱାସ୍ମିନ୍ନେୱ ଦିନେ ୱା ଯଦି ସ୍ୱମଙ୍ଗଲମ୍ ଉପାଲପ୍ସ୍ୟଥାଃ, ତର୍ହ୍ୟୁତ୍ତମମ୍ ଅଭୱିଷ୍ୟତ୍, କିନ୍ତୁ କ୍ଷଣେସ୍ମିନ୍ ତତ୍ତୱ ଦୃଷ୍ଟେରଗୋଚରମ୍ ଭୱତି|
43 ४३ तुझ्यावर असे दिवस येतील की, तुझे शत्रू तुझ्याभोवती कोट उभारतील. तुला वेढतील आणि सर्व बाजूंनी तुला कोंडीत पकडतील.
ତ୍ୱଂ ସ୍ୱତ୍ରାଣକାଲେ ନ ମନୋ ନ୍ୟଧତ୍ଥା ଇତି ହେତୋ ର୍ୟତ୍କାଲେ ତୱ ରିପୱସ୍ତ୍ୱାଂ ଚତୁର୍ଦିକ୍ଷୁ ପ୍ରାଚୀରେଣ ୱେଷ୍ଟଯିତ୍ୱା ରୋତ୍ସ୍ୟନ୍ତି
44 ४४ ते तुला, तुझ्या मुलांना तुझ्या भिंतीच्या आत धुळीस मिळवतील व दगडावर दगड राहू देणार नाही कारण तू देवाचा तुझ्याकडे येण्याचा समय तू ओळखला नाही.”
ବାଲକୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ଭୂମିସାତ୍ କରିଷ୍ୟନ୍ତି ଚ ତ୍ୱନ୍ମଧ୍ୟେ ପାଷାଣୈକୋପି ପାଷାଣୋପରି ନ ସ୍ଥାସ୍ୟତି ଚ, କାଲ ଈଦୃଶ ଉପସ୍ଥାସ୍ୟତି|
45 ४५ येशूने परमेश्वराच्या भवनात प्रवेश केला व विक्री करीत होते त्यांना बाहेर घालवू लागला.
ଅଥ ମଧ୍ୟେମନ୍ଦିରଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ତତ୍ରତ୍ୟାନ୍ କ୍ରଯିୱିକ୍ରଯିଣୋ ବହିଷ୍କୁର୍ୱ୍ୱନ୍
46 ४६ आणि त्यांना म्हणाला, “पवित्र शास्त्रात असे लिहिले आहे की, माझे घर प्रार्थनेचे घर होईल, पण तुम्ही ते लुटारुची गुहा केली आहे.”
ଅୱଦତ୍ ମଦ୍ଗୃହଂ ପ୍ରାର୍ଥନାଗୃହମିତି ଲିପିରାସ୍ତେ କିନ୍ତୁ ଯୂଯଂ ତଦେୱ ଚୈରାଣାଂ ଗହ୍ୱରଂ କୁରୁଥ|
47 ४७ तो दररोज परमेश्वराच्या भवनात शिकवीत असे. मुख्य याजक लोक, नियमशास्त्राचे शिक्षक, लोकांचे पुढारी त्यास ठार मारण्याचा प्रयत्न करीत होते.
ପଶ୍ଚାତ୍ ସ ପ୍ରତ୍ୟହଂ ମଧ୍ୟେମନ୍ଦିରମ୍ ଉପଦିଦେଶ; ତତଃ ପ୍ରଧାନଯାଜକା ଅଧ୍ୟାପକାଃ ପ୍ରାଚୀନାଶ୍ଚ ତଂ ନାଶଯିତୁଂ ଚିଚେଷ୍ଟିରେ;
48 ४८ पण तसे करण्यासाठी त्यांना काही मार्ग सापडत नव्हता कारण सर्व लोक त्याचे मन लावून ऐकत असत.
କିନ୍ତୁ ତଦୁପଦେଶେ ସର୍ୱ୍ୱେ ଲୋକା ନିୱିଷ୍ଟଚିତ୍ତାଃ ସ୍ଥିତାସ୍ତସ୍ମାତ୍ ତେ ତତ୍କର୍ତ୍ତୁଂ ନାୱକାଶଂ ପ୍ରାପୁଃ|

< लूक 19 >