< लूक 11 >

1 मग असे झाले की, तो एका ठिकाणी प्रार्थना करीत होता. ती संपल्यावर शिष्यांपैकी एकजण त्यास म्हणाला, “प्रभू, जसे योहानाने त्याच्या शिष्यांना शिकवले; त्याचप्रमाणे तुम्ही देखील आम्हास प्रार्थना करायला शिकवा.”
ଅନନ୍ତରଂ ସ କସ୍ମିଂଶ୍ଚିତ୍ ସ୍ଥାନେ ପ୍ରାର୍ଥଯତ ତତ୍ସମାପ୍ତୌ ସତ୍ୟାଂ ତସ୍ୟୈକଃ ଶିଷ୍ୟସ୍ତଂ ଜଗାଦ ହେ ପ୍ରଭୋ ଯୋହନ୍ ଯଥା ସ୍ୱଶିଷ୍ୟାନ୍ ପ୍ରାର୍ଥଯିତୁମ୍ ଉପଦିଷ୍ଟୱାନ୍ ତଥା ଭୱାନପ୍ୟସ୍ମାନ୍ ଉପଦିଶତୁ|
2 मग तो त्यांना म्हणाला, “जेव्हा तुम्ही प्रार्थना करता तेव्हा असे म्हणाः हे आमच्या स्वर्गातील पित्या, तुझे नाव पवित्र मानले जावो तुझे राज्य येवो,
ତସ୍ମାତ୍ ସ କଥଯାମାସ, ପ୍ରାର୍ଥନକାଲେ ଯୂଯମ୍ ଇତ୍ଥଂ କଥଯଧ୍ୱଂ, ହେ ଅସ୍ମାକଂ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥପିତସ୍ତୱ ନାମ ପୂଜ୍ୟଂ ଭୱତୁ; ତୱ ରାଜତ୍ୱଂ ଭୱତୁ; ସ୍ୱର୍ଗେ ଯଥା ତଥା ପୃଥିୱ୍ୟାମପି ତୱେଚ୍ଛଯା ସର୍ୱ୍ୱଂ ଭୱତୁ|
3 आमची दररोजची लागणारी भाकर आम्हास दे,
ପ୍ରତ୍ୟହମ୍ ଅସ୍ମାକଂ ପ୍ରଯୋଜନୀଯଂ ଭୋଜ୍ୟଂ ଦେହି|
4 आमच्या पापांची आम्हास क्षमा कर, कारण आम्हीही आमच्या प्रत्येक अपराध्याला त्यांच्या अपराधांची क्षमा करतो आणि आम्हास परीक्षेत आणू नकोस तर आम्हास वाईटापासून सोडव.”
ଯଥା ୱଯଂ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ଅପରାଧିନଃ କ୍ଷମାମହେ ତଥା ତ୍ୱମପି ପାପାନ୍ୟସ୍ମାକଂ କ୍ଷମସ୍ୱ| ଅସ୍ମାନ୍ ପରୀକ୍ଷାଂ ମାନଯ କିନ୍ତୁ ପାପାତ୍ମନୋ ରକ୍ଷ|
5 मग येशू त्यास म्हणाला, “समजा तुमच्यापैकी असा कोण आहे ज्याला मित्र आहे आणि तो त्याच्याकडे मध्यरात्री गेला व त्यास म्हणाला, ‘मित्रा, मला तीन भाकरी उसन्या दे,
ପଶ୍ଚାତ୍ ସୋପରମପି କଥିତୱାନ୍ ଯଦି ଯୁଷ୍ମାକଂ କସ୍ୟଚିଦ୍ ବନ୍ଧୁସ୍ତିଷ୍ଠତି ନିଶୀଥେ ଚ ତସ୍ୟ ସମୀପଂ ସ ଗତ୍ୱା ୱଦତି,
6 कारण माझा मित्र नुकताच प्रवास करून माझ्याकडे आला आहे आणि त्यास वाढायला माझ्याजवळ काहीही नाही.’
ହେ ବନ୍ଧୋ ପଥିକ ଏକୋ ବନ୍ଧୁ ର୍ମମ ନିୱେଶନମ୍ ଆଯାତଃ କିନ୍ତୁ ତସ୍ୟାତିଥ୍ୟଂ କର୍ତ୍ତୁଂ ମମାନ୍ତିକେ କିମପି ନାସ୍ତି, ଅତଏୱ ପୂପତ୍ରଯଂ ମହ୍ୟମ୍ ଋଣଂ ଦେହି;
7 आणि तो मनुष्य आतून म्हणाला, ‘मला त्रास देऊ नको! मी अगोदरच दरवाजा लावलेला आहे आणि माझी मुले माझ्याजवळ झोपलेली आहेत. मी तुला भाकर देण्यासाठी उठू शकत नाही.’
ତଦା ସ ଯଦି ଗୃହମଧ୍ୟାତ୍ ପ୍ରତିୱଦତି ମାଂ ମା କ୍ଲିଶାନ, ଇଦାନୀଂ ଦ୍ୱାରଂ ରୁଦ୍ଧଂ ଶଯନେ ମଯା ସହ ବାଲକାଶ୍ଚ ତିଷ୍ଠନ୍ତି ତୁଭ୍ୟଂ ଦାତୁମ୍ ଉତ୍ଥାତୁଂ ନ ଶକ୍ନୋମି,
8 मी तुम्हास सांगतो की, जरी तो उठून त्यास काही देण्यासाठी टाळाटाळ करीत असेल तरी त्याच्या मित्राच्या आग्रहामुळे तो खात्रीने उठून त्यास जितक्या भाकरींची गरज आहे तितक्या त्यास देईल.
ତର୍ହି ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି, ସ ଯଦି ମିତ୍ରତଯା ତସ୍ମୈ କିମପି ଦାତୁଂ ନୋତ୍ତିଷ୍ଠତି ତଥାପି ୱାରଂ ୱାରଂ ପ୍ରାର୍ଥନାତ ଉତ୍ଥାପିତଃ ସନ୍ ଯସ୍ମିନ୍ ତସ୍ୟ ପ୍ରଯୋଜନଂ ତଦେୱ ଦାସ୍ୟତି|
9 आणि म्हणून मी तुम्हास सांगतो, मागा म्हणजे तुम्हास दिले जाईल. शोधा म्हणजे तुम्हास सापडेल आणि ठोका म्हणजे तुम्हासाठी उघडले जाईल.
ଅତଃ କାରଣାତ୍ କଥଯାମି, ଯାଚଧ୍ୱଂ ତତୋ ଯୁଷ୍ମଭ୍ୟଂ ଦାସ୍ୟତେ, ମୃଗଯଧ୍ୱଂ ତତ ଉଦ୍ଦେଶଂ ପ୍ରାପ୍ସ୍ୟଥ, ଦ୍ୱାରମ୍ ଆହତ ତତୋ ଯୁଷ୍ମଭ୍ୟଂ ଦ୍ୱାରଂ ମୋକ୍ଷ୍ୟତେ|
10 १० कारण जो कोणी मागतो त्यास मिळेल. जो कोणी शोधतो त्यास सापडेल आणि जो कोणी ठोकतो त्याच्यासाठी दरवाजा उघडला जाईल.
ଯୋ ଯାଚତେ ସ ପ୍ରାପ୍ନୋତି, ଯୋ ମୃଗଯତେ ସ ଏୱୋଦ୍ଦେଶଂ ପ୍ରାପ୍ନୋତି, ଯୋ ଦ୍ୱାରମ୍ ଆହନ୍ତି ତଦର୍ଥଂ ଦ୍ୱାରଂ ମୋଚ୍ୟତେ|
11 ११ तुम्हामध्ये असा कोण पिता आहे की, त्याच्या मुलाने त्यास मासा मागितला असता त्यास माशाऐवजी साप देईल?
ପୁତ୍ରେଣ ପୂପେ ଯାଚିତେ ତସ୍ମୈ ପାଷାଣଂ ଦଦାତି ୱା ମତ୍ସ୍ୟେ ଯାଚିତେ ତସ୍ମୈ ସର୍ପଂ ଦଦାତି
12 १२ किंवा जर मुलाने अंडे मागितले तर कोणता पिता त्यास विंचू देईल?
ୱା ଅଣ୍ଡେ ଯାଚିତେ ତସ୍ମୈ ୱୃଶ୍ଚିକଂ ଦଦାତି ଯୁଷ୍ମାକଂ ମଧ୍ୟେ କ ଏତାଦୃଶଃ ପିତାସ୍ତେ?
13 १३ जर तुम्ही वाईट असतांनाही तुम्हास तुमच्या मुलांना चांगल्या देणग्या देण्याचे कळते, तर मग स्वर्गीय पित्याजवळ जे मागतात त्यांना तो किती विशेषकरून पवित्र आत्मा देईल?”
ତସ୍ମାଦେୱ ଯୂଯମଭଦ୍ରା ଅପି ଯଦି ସ୍ୱସ୍ୱବାଲକେଭ୍ୟ ଉତ୍ତମାନି ଦ୍ରୱ୍ୟାଣି ଦାତୁଂ ଜାନୀଥ ତର୍ହ୍ୟସ୍ମାକଂ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥଃ ପିତା ନିଜଯାଚକେଭ୍ୟଃ କିଂ ପୱିତ୍ରମ୍ ଆତ୍ମାନଂ ନ ଦାସ୍ୟତି?
14 १४ येशू एक भूत काढीत होता. ते मुके होते. मग असे झाले की, जो मनुष्य बोलू शकत नव्हता ते, भूत बाहेर आल्यावर, तो बोलू लागला व लोकांचा जमाव आश्चर्यचकित झाला.
ଅନନ୍ତରଂ ଯୀଶୁନା କସ୍ମାଚ୍ଚିଦ୍ ଏକସ୍ମିନ୍ ମୂକଭୂତେ ତ୍ୟାଜିତେ ସତି ସ ଭୂତତ୍ୟକ୍ତୋ ମାନୁଷୋ ୱାକ୍ୟଂ ୱକ୍ତୁମ୍ ଆରେଭେ; ତତୋ ଲୋକାଃ ସକଲା ଆଶ୍ଚର୍ୟ୍ୟଂ ମେନିରେ|
15 १५ परंतु त्या जमावातील काही लोक म्हणाले की, भूतांचा अधिपती जो बालजबूल याच्या साहाय्याने तो भूते काढतो.
କିନ୍ତୁ ତେଷାଂ କେଚିଦୂଚୁ ର୍ଜନୋଯଂ ବାଲସିବୂବା ଅର୍ଥାଦ୍ ଭୂତରାଜେନ ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯତି|
16 १६ आणि काहींनी त्याची परीक्षा पाहण्यासाठी स्वर्गातून चिन्ह मागितले.
ତଂ ପରୀକ୍ଷିତୁଂ କେଚିଦ୍ ଆକାଶୀଯମ୍ ଏକଂ ଚିହ୍ନଂ ଦର୍ଶଯିତୁଂ ତଂ ପ୍ରାର୍ଥଯାଞ୍ଚକ୍ରିରେ|
17 १७ पण त्यांच्या मनात काय होते हे तो जाणून होता म्हणून तो त्यांना म्हणाला, “आपसात फूट पडलेले प्रत्येक राज्य ओसाड पडते आणि एखाद्या घरातील लोक एकमेकांविरुद्ध भांडतात तेव्हा त्या घराचे तुकडे होतात.
ତଦା ସ ତେଷାଂ ମନଃକଲ୍ପନାଂ ଜ୍ଞାତ୍ୱା କଥଯାମାସ, କସ୍ୟଚିଦ୍ ରାଜ୍ୟସ୍ୟ ଲୋକା ଯଦି ପରସ୍ପରଂ ୱିରୁନ୍ଧନ୍ତି ତର୍ହି ତଦ୍ ରାଜ୍ୟମ୍ ନଶ୍ୟତି; କେଚିଦ୍ ଗୃହସ୍ଥା ଯଦି ପରସ୍ପରଂ ୱିରୁନ୍ଧନ୍ତି ତର୍ହି ତେପି ନଶ୍ୟନ୍ତି|
18 १८ आणि तुम्ही म्हणता तशी जर भूतांमध्येही फूट पडली तर त्याचे राज्य कसे टिकेल? मी तुम्हास हे विचारतो, कारण तुम्ही म्हणता ‘मी बालजबूलच्या साहाय्याने भूते काढतो’
ତଥୈୱ ଶୈତାନପି ସ୍ୱଲୋକାନ୍ ଯଦି ୱିରୁଣଦ୍ଧି ତଦା ତସ୍ୟ ରାଜ୍ୟଂ କଥଂ ସ୍ଥାସ୍ୟତି? ବାଲସିବୂବାହଂ ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯାମି ଯୂଯମିତି ୱଦଥ|
19 १९ पण जर मी बालजबूलच्या साहाय्याने भूते काढतो, तर तुमचे शिष्य कोणाच्या साहाय्याने भूते काढतात? म्हणून तेच तुमचा न्याय करतील.
ଯଦ୍ୟହଂ ବାଲସିବୂବା ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯାମି ତର୍ହି ଯୁଷ୍ମାକଂ ସନ୍ତାନାଃ କେନ ତ୍ୟାଜଯନ୍ତି? ତସ୍ମାତ୍ ତଏୱ କଥାଯା ଏତସ୍ୟା ୱିଚାରଯିତାରୋ ଭୱିଷ୍ୟନ୍ତି|
20 २० परंतु जर मी देवाच्या साहाय्याने भूते काढतो, तर मग यावरुन हे स्पष्टच आहे की, देवाचे राज्य तुमच्याकडे आले आहे.
କିନ୍ତୁ ଯଦ୍ୟହମ୍ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ପରାକ୍ରମେଣ ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯାମି ତର୍ହି ଯୁଷ୍ମାକଂ ନିକଟମ୍ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ରାଜ୍ୟମୱଶ୍ୟମ୍ ଉପତିଷ୍ଠତି|
21 २१ जेव्हा एखादा बलवान मनुष्य आपल्या घराच्या सुरक्षिततेसाठी पूर्ण शस्त्रसामग्री बाळगतो तेव्हा त्याची मालमत्ता सुरक्षित राहते.
ବଲୱାନ୍ ପୁମାନ୍ ସୁସଜ୍ଜମାନୋ ଯତିକାଲଂ ନିଜାଟ୍ଟାଲିକାଂ ରକ୍ଷତି ତତିକାଲଂ ତସ୍ୟ ଦ୍ରୱ୍ୟଂ ନିରୁପଦ୍ରୱଂ ତିଷ୍ଠତି|
22 २२ परंतु कोणी त्याच्याहीपेक्षा अधिक बलवान त्याच्यावर हल्ला करून त्याचा पराभव करतो, तेव्हा ज्या शस्त्रसामग्रीवर त्याने विश्वास ठेवला होता, ती तो घेऊन जातो व त्यास मिळालेली लूट आपल्या मित्रांना वाटतो.
କିନ୍ତୁ ତସ୍ମାଦ୍ ଅଧିକବଲଃ କଶ୍ଚିଦାଗତ୍ୟ ଯଦି ତଂ ଜଯତି ତର୍ହି ଯେଷୁ ଶସ୍ତ୍ରାସ୍ତ୍ରେଷୁ ତସ୍ୟ ୱିଶ୍ୱାସ ଆସୀତ୍ ତାନି ସର୍ୱ୍ୱାଣି ହୃତ୍ୱା ତସ୍ୟ ଦ୍ରୱ୍ୟାଣି ଗୃହ୍ଲାତି|
23 २३ जो माझ्या पक्षाचा नाही, तो माझ्याविरुद्ध आहे आणि जो माझ्याबरोबरीने गोळा करीत नाही, तर तो उधळून टाकतो.
ଅତଃ କାରଣାଦ୍ ଯୋ ମମ ସପକ୍ଷୋ ନ ସ ୱିପକ୍ଷଃ, ଯୋ ମଯା ସହ ନ ସଂଗୃହ୍ଲାତି ସ ୱିକିରତି|
24 २४ जेव्हा अशुद्ध आत्मा मनुष्याबाहेर येतो व ते विसावा घेण्यासाठी निर्जल प्रदेशात जागा शोधते. पण त्यास ती विश्रांती मिळत नाही. तेव्हा तो म्हणतो, ‘मी ज्या घरातून बाहेर आलो त्या घरात परत जाईन.’
ଅପରଞ୍ଚ ଅମେଧ୍ୟଭୂତୋ ମାନୁଷସ୍ୟାନ୍ତର୍ନିର୍ଗତ୍ୟ ଶୁଷ୍କସ୍ଥାନେ ଭ୍ରାନ୍ତ୍ୱା ୱିଶ୍ରାମଂ ମୃଗଯତେ କିନ୍ତୁ ନ ପ୍ରାପ୍ୟ ୱଦତି ମମ ଯସ୍ମାଦ୍ ଗୃହାଦ୍ ଆଗତୋହଂ ପୁନସ୍ତଦ୍ ଗୃହଂ ପରାୱୃତ୍ୟ ଯାମି|
25 २५ तो त्या घराकडे परत जातो आणि तेव्हा त्यास ते घर झाडून नीटनेटके केलेले आढळते.
ତତୋ ଗତ୍ୱା ତଦ୍ ଗୃହଂ ମାର୍ଜିତଂ ଶୋଭିତଞ୍ଚ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା
26 २६ नंतर तो जातो आणि आपणापेक्षा अधिक बळकट व दुष्ट असे सात आत्मे घेतो आणि ते त्या घरात जातात आणि तेथेच राहतात. तेव्हा त्या मनुष्याची शेवटची अवस्था पहिल्यापेक्षा वाईट होते.”
ତତ୍କ୍ଷଣମ୍ ଅପଗତ୍ୟ ସ୍ୱସ୍ମାଦପି ଦୁର୍ମ୍ମତୀନ୍ ଅପରାନ୍ ସପ୍ତଭୂତାନ୍ ସହାନଯତି ତେ ଚ ତଦ୍ଗୃହଂ ପୱିଶ୍ୟ ନିୱସନ୍ତି| ତସ୍ମାତ୍ ତସ୍ୟ ମନୁଷ୍ୟସ୍ୟ ପ୍ରଥମଦଶାତଃ ଶେଷଦଶା ଦୁଃଖତରା ଭୱତି|
27 २७ तो या गोष्टी बोलला तेव्हा असे घडले की, गर्दीतील एक स्त्री मोठ्याने ओरडून त्यास म्हणाली, “धन्य ते गर्भाशय, ज्याने तुझा भार वाहिला व धन्य ती स्तने जी तू चोखलीस.”
ଅସ୍ୟାଃ କଥାଯାଃ କଥନକାଲେ ଜନତାମଧ୍ୟସ୍ଥା କାଚିନ୍ନାରୀ ତମୁଚ୍ଚୈଃସ୍ୱରଂ ପ୍ରୋୱାଚ, ଯା ଯୋଷିତ୍ ତ୍ୱାଂ ଗର୍ବ୍ଭେଽଧାରଯତ୍ ସ୍ତନ୍ୟମପାଯଯଚ୍ଚ ସୈୱ ଧନ୍ୟା|
28 २८ परंतु तो म्हणाला, “जे देवाचे वचन ऐकतात आणि पाळतात तेच खरे धन्य आहेत!”
କିନ୍ତୁ ସୋକଥଯତ୍ ଯେ ପରମେଶ୍ୱରସ୍ୟ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ତଦନୁରୂପମ୍ ଆଚରନ୍ତି ତଏୱ ଧନ୍ୟାଃ|
29 २९ जसजसा लोकसमुदाय वाढू लागला, तेव्हा तो बोलू लागला, “ही पिढी दुष्ट पिढी आहे. ती चिन्ह मागत आहे आणि योनाच्या चिन्हाशिवाय कोणतेही चिन्ह तिला दिले जाणार नाही.
ତତଃ ପରଂ ତସ୍ୟାନ୍ତିକେ ବହୁଲୋକାନାଂ ସମାଗମେ ଜାତେ ସ ୱକ୍ତୁମାରେଭେ, ଆଧୁନିକା ଦୁଷ୍ଟଲୋକାଶ୍ଚିହ୍ନଂ ଦ୍ରଷ୍ଟୁମିଚ୍ଛନ୍ତି କିନ୍ତୁ ଯୂନସ୍ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନଶ୍ଚିହ୍ନଂ ୱିନାନ୍ୟତ୍ କିଞ୍ଚିଚ୍ଚିହ୍ନଂ ତାନ୍ ନ ଦର୍ଶଯିଷ୍ୟତେ|
30 ३० कारण जसा योना निनवेच्या लोकांकरिता चिन्ह होता तसा मनुष्याचा पुत्रही या पिढीसाठी चिन्ह होईल.
ଯୂନସ୍ ତୁ ଯଥା ନୀନିୱୀଯଲୋକାନାଂ ସମୀପେ ଚିହ୍ନରୂପୋଭୱତ୍ ତଥା ୱିଦ୍ୟମାନଲୋକାନାମ୍ ଏଷାଂ ସମୀପେ ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ରୋପି ଚିହ୍ନରୂପୋ ଭୱିଷ୍ୟତି|
31 ३१ दक्षिणेकडची राणी न्यायाच्या दिवशी या पिढीबरोबर उठून त्यांना दोषी ठरवील कारण ती पृथ्वीच्या टोकाकडून शलमोनाचे शहाणपण ऐकण्यासाठी आली आणि पाहा, शलमोनापेक्षाही थोर असा एक येथे आहे.
ୱିଚାରସମଯେ ଇଦାନୀନ୍ତନଲୋକାନାଂ ପ୍ରାତିକୂଲ୍ୟେନ ଦକ୍ଷିଣଦେଶୀଯା ରାଜ୍ଞୀ ପ୍ରୋତ୍ଥାଯ ତାନ୍ ଦୋଷିଣଃ କରିଷ୍ୟତି, ଯତଃ ସା ରାଜ୍ଞୀ ସୁଲେମାନ ଉପଦେଶକଥାଂ ଶ୍ରୋତୁଂ ପୃଥିୱ୍ୟାଃ ସୀମାତ ଆଗଚ୍ଛତ୍ କିନ୍ତୁ ପଶ୍ୟତ ସୁଲେମାନୋପି ଗୁରୁତର ଏକୋ ଜନୋଽସ୍ମିନ୍ ସ୍ଥାନେ ୱିଦ୍ୟତେ|
32 ३२ न्यायाच्या दिवशी निनवेचे लोक या पिढीबरोबर उभे राहून हिला दोषी ठरवतील कारण योनाचा उपदेश ऐकून त्यांनी पश्चात्ताप केला आणि पाहा, योनापेक्षाही थोर असा एक येथे आहे.”
ଅପରଞ୍ଚ ୱିଚାରସମଯେ ନୀନିୱୀଯଲୋକା ଅପି ୱର୍ତ୍ତମାନକାଲିକାନାଂ ଲୋକାନାଂ ୱୈପରୀତ୍ୟେନ ପ୍ରୋତ୍ଥାଯ ତାନ୍ ଦୋଷିଣଃ କରିଷ୍ୟନ୍ତି, ଯତୋ ହେତୋସ୍ତେ ଯୂନସୋ ୱାକ୍ୟାତ୍ ଚିତ୍ତାନି ପରିୱର୍ତ୍ତଯାମାସୁଃ କିନ୍ତୁ ପଶ୍ୟତ ଯୂନସୋତିଗୁରୁତର ଏକୋ ଜନୋଽସ୍ମିନ୍ ସ୍ଥାନେ ୱିଦ୍ୟତେ|
33 ३३ “कोणीही दिवा लावून तळघरात किंवा भांड्याखाली ठेवत नाहीत, तर आत येणाऱ्यांना प्रकाश दिसवा म्हणून तो दिवठणीवर ठेवतात.
ପ୍ରଦୀପଂ ପ୍ରଜ୍ୱାଲ୍ୟ ଦ୍ରୋଣସ୍ୟାଧଃ କୁତ୍ରାପି ଗୁପ୍ତସ୍ଥାନେ ୱା କୋପି ନ ସ୍ଥାପଯତି କିନ୍ତୁ ଗୃହପ୍ରୱେଶିଭ୍ୟୋ ଦୀପ୍ତିଂ ଦାତଂ ଦୀପାଧାରୋପର୍ୟ୍ୟେୱ ସ୍ଥାପଯତି|
34 ३४ डोळा हा तुमच्या शरीराचा दिवा आहे. जर तुमचे डोळे चांगले आहेत, तर तुमचे शरीरही प्रकाशाने भरलेले आहे.
ଦେହସ୍ୟ ପ୍ରଦୀପଶ୍ଚକ୍ଷୁସ୍ତସ୍ମାଦେୱ ଚକ୍ଷୁ ର୍ୟଦି ପ୍ରସନ୍ନଂ ଭୱତି ତର୍ହି ତୱ ସର୍ୱ୍ୱଶରୀରଂ ଦୀପ୍ତିମଦ୍ ଭୱିଷ୍ୟତି କିନ୍ତୁ ଚକ୍ଷୁ ର୍ୟଦି ମଲୀମସଂ ତିଷ୍ଠତି ତର୍ହି ସର୍ୱ୍ୱଶରୀରଂ ସାନ୍ଧକାରଂ ସ୍ଥାସ୍ୟତି|
35 ३५ पण ते जर वाईट आहेत तर तुमचे शरीर अंधकारमय आहेत म्हणून तुमच्यातला प्रकाश हा अंधार तर नाही ना, याची काळजी घ्या.
ଅସ୍ମାତ୍ କାରଣାତ୍ ତୱାନ୍ତଃସ୍ଥଂ ଜ୍ୟୋତି ର୍ୟଥାନ୍ଧକାରମଯଂ ନ ଭୱତି ତଦର୍ଥେ ସାୱଧାନୋ ଭୱ|
36 ३६ जर तुमचे सर्व शरीर प्रकाशमय आहे आणि त्याच्यातील कोणताही भाग अंधकारमय नाही तर, जशी दिव्याची प्रकाशकिरणे तुला प्रकाश देतात, तसे ते तुला पूर्णपणे प्रकाशित करील.”
ଯତଃ ଶରୀରସ୍ୟ କୁତ୍ରାପ୍ୟଂଶେ ସାନ୍ଧକାରେ ନ ଜାତେ ସର୍ୱ୍ୱଂ ଯଦି ଦୀପ୍ତିମତ୍ ତିଷ୍ଠତି ତର୍ହି ତୁଭ୍ୟଂ ଦୀପ୍ତିଦାଯିପ୍ରୋଜ୍ଜ୍ୱଲନ୍ ପ୍ରଦୀପ ଇୱ ତୱ ସୱର୍ୱଶରୀରଂ ଦୀପ୍ତିମଦ୍ ଭୱିଷ୍ୟତି|
37 ३७ येशूने आपले बोलणे संपविले तेव्हा एका परूश्याने त्यास आपल्या घरी येऊन स्वतः बरोबर जेवायला बोलावले. तो आत गेला आणि आपल्या जागी जेवायला बसला.
ଏତତ୍କଥାଯାଃ କଥନକାଲେ ଫିରୁଶ୍ୟେକୋ ଭେଜନାଯ ତଂ ନିମନ୍ତ୍ରଯାମାସ, ତତଃ ସ ଗତ୍ୱା ଭୋକ୍ତୁମ୍ ଉପୱିୱେଶ|
38 ३८ परंतु त्याने जेवणापूर्वी हात धुतले नाहीत हे पाहून परूश्याला फार आश्चर्य वाटले.
କିନ୍ତୁ ଭୋଜନାତ୍ ପୂର୍ୱ୍ୱଂ ନାମାଙ୍କ୍ଷୀତ୍ ଏତଦ୍ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ସ ଫିରୁଶ୍ୟାଶ୍ଚର୍ୟ୍ୟଂ ମେନେ|
39 ३९ तेव्हा प्रभू त्यास म्हणाला, “तुम्ही परूशी प्याला व ताट बाहेरुन साफ करता पण तुम्ही आतून लोभीपणाने व दुष्टतेने भरलेले आहात.
ତଦା ପ୍ରଭୁସ୍ତଂ ପ୍ରୋୱାଚ ଯୂଯଂ ଫିରୂଶିଲୋକାଃ ପାନପାତ୍ରାଣାଂ ଭୋଜନପାତ୍ରାଣାଞ୍ଚ ବହିଃ ପରିଷ୍କୁରୁଥ କିନ୍ତୁ ଯୁଷ୍ମାକମନ୍ତ ର୍ଦୌରାତ୍ମ୍ୟୈ ର୍ଦୁଷ୍କ୍ରିଯାଭିଶ୍ଚ ପରିପୂର୍ଣଂ ତିଷ୍ଠତି|
40 ४० अहो बुद्धीहीन मनुष्यांनो! ज्याने बाहेरील बाजू बनवली त्यानेच आतली बाजू बनवली नाही का?
ହେ ସର୍ୱ୍ୱେ ନିର୍ବୋଧା ଯୋ ବହିଃ ସସର୍ଜ ସ ଏୱ କିମନ୍ତ ର୍ନ ସସର୍ଜ?
41 ४१ पण जे आतमध्ये आहे, ते गरीबांना द्या आणि नंतर सर्वकाही तुमच्यासाठी शुद्ध होईल.
ତତ ଏୱ ଯୁଷ୍ମାଭିରନ୍ତଃକରଣଂ (ଈଶ୍ୱରାଯ) ନିୱେଦ୍ୟତାଂ ତସ୍ମିନ୍ କୃତେ ଯୁଷ୍ମାକଂ ସର୍ୱ୍ୱାଣି ଶୁଚିତାଂ ଯାସ୍ୟନ୍ତି|
42 ४२ परंतु तुम्हा परूश्यांना हाय असो कारण तुम्ही पुदिना, जीरे व प्रत्येक भाजीपाल्याचा दशांश देता. परंतु तुम्ही न्याय आणि देवाविषयीचे प्रीती याकडे दुर्लक्ष करता. तुम्ही नितीने जगावे व देवावर प्रीती करणे या गोष्टी प्रथम करणे आवश्यक आहे त्याचवेळेस इतर गोष्टींकडे दुर्लक्ष करू नये.
କିନ୍ତୁ ହନ୍ତ ଫିରୂଶିଗଣା ଯୂଯଂ ନ୍ୟାଯମ୍ ଈଶ୍ୱରେ ପ୍ରେମ ଚ ପରିତ୍ୟଜ୍ୟ ପୋଦିନାଯା ଅରୁଦାଦୀନାଂ ସର୍ୱ୍ୱେଷାଂ ଶାକାନାଞ୍ଚ ଦଶମାଂଶାନ୍ ଦତ୍ଥ କିନ୍ତୁ ପ୍ରଥମଂ ପାଲଯିତ୍ୱା ଶେଷସ୍ୟାଲଙ୍ଘନଂ ଯୁଷ୍ମାକମ୍ ଉଚିତମାସୀତ୍|
43 ४३ तुम्हा परूश्यांची केवढी दुर्दशा होणार, कारण तुम्हास सभास्थानातील महत्त्वाच्या जागी बसणे आणि बाजारात नमस्कार घेणे आवडते.
ହା ହା ଫିରୂଶିନୋ ଯୂଯଂ ଭଜନଗେହେ ପ୍ରୋଚ୍ଚାସନେ ଆପଣେଷୁ ଚ ନମସ୍କାରେଷୁ ପ୍ରୀଯଧ୍ୱେ|
44 ४४ तुमची केवढी दुर्दशा होणार! कारण तुम्ही न दिसणाऱ्या कबरासारखे आहात, अशा कबरांवर लोक नकळत पाय देऊन चालतात.”
ୱତ କପଟିନୋଽଧ୍ୟାପକାଃ ଫିରୂଶିନଶ୍ଚ ଲୋକାଯତ୍ ଶ୍ମଶାନମ୍ ଅନୁପଲଭ୍ୟ ତଦୁପରି ଗଚ୍ଛନ୍ତି ଯୂଯମ୍ ତାଦୃଗପ୍ରକାଶିତଶ୍ମଶାନୱାଦ୍ ଭୱଥ|
45 ४५ एक नियमशास्त्राचा शिक्षक येशूला म्हणाला, “गुरुजी, तुम्ही असे बोलता तेव्हा तुम्ही आमचासुद्धा अपमान करता.”
ତଦାନୀଂ ୱ୍ୟୱସ୍ଥାପକାନାମ୍ ଏକା ଯୀଶୁମୱଦତ୍, ହେ ଉପଦେଶକ ୱାକ୍ୟେନେଦୃଶେନାସ୍ମାସ୍ୱପି ଦୋଷମ୍ ଆରୋପଯସି|
46 ४६ तेव्हा येशू म्हणाला, “नियमशास्त्राच्या शिक्षकांनो तुमचाही धिक्कार असो, कारण तुम्ही लोकांस वाहण्यास कठीण असे ओझे त्यांच्यावर लादता व ते उचलण्यास तुमच्या एका बोटानेसुद्धा मदत करीत नाही.
ତତଃ ସ ଉୱାଚ, ହା ହା ୱ୍ୟୱସ୍ଥାପକା ଯୂଯମ୍ ମାନୁଷାଣାମ୍ ଉପରି ଦୁଃସହ୍ୟାନ୍ ଭାରାନ୍ ନ୍ୟସ୍ୟଥ କିନ୍ତୁ ସ୍ୱଯମ୍ ଏକାଙ୍ଗୁଲ୍ୟାପି ତାନ୍ ଭାରାନ୍ ନ ସ୍ପୃଶଥ|
47 ४७ तुमचा धिक्कार असो, कारण तुमच्या पूर्वजांनी ठार केलेल्या संदेष्ट्यासाठी तुम्ही कबरा बांधता.
ହନ୍ତ ଯୁଷ୍ମାକଂ ପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷା ଯାନ୍ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନୋଽୱଧିଷୁସ୍ତେଷାଂ ଶ୍ମଶାନାନି ଯୂଯଂ ନିର୍ମ୍ମାଥ|
48 ४८ असे करून तुमच्या पूर्वजांनी केलेल्या कृत्यांचे समर्थन करता.
ତେନୈୱ ଯୂଯଂ ସ୍ୱପୂର୍ୱ୍ୱପୁରୁଷାଣାଂ କର୍ମ୍ମାଣି ସଂମନ୍ୟଧ୍ୱେ ତଦେୱ ସପ୍ରମାଣଂ କୁରୁଥ ଚ, ଯତସ୍ତେ ତାନୱଧିଷୁଃ ଯୂଯଂ ତେଷାଂ ଶ୍ମଶାନାନି ନିର୍ମ୍ମାଥ|
49 ४९ यामुळे देवाचे ज्ञानसुद्धा असे म्हणाले, ‘मी प्रेषित व संदेष्टे त्यांच्याकडे पाठवील. त्यांपैकी काही जणांना ते ठार मारतील व काही जणांचा ते छळ करतील!’
ଅତଏୱ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ଶାସ୍ତ୍ରେ ପ୍ରୋକ୍ତମସ୍ତି ତେଷାମନ୍ତିକେ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନଃ ପ୍ରେରିତାଂଶ୍ଚ ପ୍ରେଷଯିଷ୍ୟାମି ତତସ୍ତେ ତେଷାଂ କାଂଶ୍ଚନ ହନିଷ୍ୟନ୍ତି କାଂଶ୍ଚନ ତାଡଶ୍ଷ୍ୟିନ୍ତି|
50 ५० तर, संदेष्ट्याचे जे रक्त जगाच्या प्रारंभापासून सांडले गेले त्याबद्दलचा दंड या पिढीस भरून द्यावा लागेल.
ଏତସ୍ମାତ୍ କାରଣାତ୍ ହାବିଲଃ ଶୋଣିତପାତମାରଭ୍ୟ ମନ୍ଦିରଯଜ୍ଞୱେଦ୍ୟୋ ର୍ମଧ୍ୟେ ହତସ୍ୟ ସିଖରିଯସ୍ୟ ରକ୍ତପାତପର୍ୟ୍ୟନ୍ତଂ
51 ५१ होय, मी तुम्हास खरोखर सांगतो की हाबेलाच्या रक्तापासून ते देवाचे भवन व वेदी यांच्यामध्ये मारल्या गेलेल्या जखऱ्या याच्या रक्तापर्यंत या पिढीला जबाबदार धरण्यात येईल.
ଜଗତଃ ସୃଷ୍ଟିମାରଭ୍ୟ ପୃଥିୱ୍ୟାଂ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିନାଂ ଯତିରକ୍ତପାତା ଜାତାସ୍ତତୀନାମ୍ ଅପରାଧଦଣ୍ଡା ଏଷାଂ ୱର୍ତ୍ତମାନଲୋକାନାଂ ଭୱିଷ୍ୟନ୍ତି, ଯୁଷ୍ମାନହଂ ନିଶ୍ଚିତଂ ୱଦାମି ସର୍ୱ୍ୱେ ଦଣ୍ଡା ୱଂଶସ୍ୟାସ୍ୟ ଭୱିଷ୍ୟନ୍ତି|
52 ५२ तुम्हा नियमशास्त्र शिक्षकांची केवढी दुर्दशा होणार कारण तुम्ही ज्ञानाची किल्ली घेऊन गेला, तुम्ही स्वतः आत गेला नाहीत आणि जे आत जाण्याचा प्रयत्न करत होते, त्यांनाही जाऊ दिले नाही.”
ହା ହା ୱ୍ୟୱସ୍ଥପକା ଯୂଯଂ ଜ୍ଞାନସ୍ୟ କୁଞ୍ଚିକାଂ ହୃତ୍ୱା ସ୍ୱଯଂ ନ ପ୍ରୱିଷ୍ଟା ଯେ ପ୍ରୱେଷ୍ଟୁଞ୍ଚ ପ୍ରଯାସିନସ୍ତାନପି ପ୍ରୱେଷ୍ଟୁଂ ୱାରିତୱନ୍ତଃ|
53 ५३ येशू तेथून निघून जात असता नियमशास्त्राचे शिक्षक व परूशी त्याचा फार विरोध करू लागले व त्यास अनेक गोष्टींविषयी प्रश्न विचारु लागले.
ଇତ୍ଥଂ କଥାକଥନାଦ୍ ଅଧ୍ୟାପକାଃ ଫିରୂଶିନଶ୍ଚ ସତର୍କାଃ
54 ५४ तो जे बोलेल त्या शब्दांमध्ये त्यास पकडण्यासाठी ते टपून होते.
ସନ୍ତସ୍ତମପୱଦିତୁଂ ତସ୍ୟ କଥାଯା ଦୋଷଂ ଧର୍ତ୍ତମିଚ୍ଛନ୍ତୋ ନାନାଖ୍ୟାନକଥନାଯ ତଂ ପ୍ରୱର୍ତ୍ତଯିତୁଂ କୋପଯିତୁଞ୍ଚ ପ୍ରାରେଭିରେ|

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