< शास्ते 19 >

1 त्या दिवसात जेव्हा इस्राएलावर कोणी राजा नव्हता, तेव्हा असे झाले की कोणी लेवी एफ्राइमाच्या डोंगराळ प्रदेशाच्या सर्वांत दूरच्या भागात राहत होता आणि त्याने आपल्याला यहूदातील बेथलेहेम नगरातील एक स्त्री उपपत्नी करून घेतली होती.
ଇସ୍ରାଏଲ ମଧ୍ୟରେ ରାଜା ନ ଥିବା ସମୟରେ ଏପରି ଘଟିଲା ଯେ, ଇଫ୍ରୟିମ-ପର୍ବତମୟ ଦେଶର ଅନ୍ତଃପ୍ରଦେଶରେ ପ୍ରବାସୀ ଏକ ଲେବୀୟ ଲୋକ ବେଥଲିହିମ-ଯିହୁଦାରୁ ଏକ ଉପପତ୍ନୀ ଗ୍ରହଣ କଲା।
2 परंतु त्याच्या उपपत्नीने त्यास सोडून व्यभिचार केला, आणि ती त्यास सोडून यहूदातील बेथलेहेमात आपल्या वडिलाच्या घरी परत गेली, आणि तेथे चार महिने राहिली.
ପୁଣି ତାହାର ଉପପତ୍ନୀ ତାହା ବିରୁଦ୍ଧରେ କ୍ରୋଧ କରି ତାହା ନିକଟରୁ ବାହାରିଯାଇ ବେଥଲିହିମ ଯିହୁଦାରେ ଆପଣା ପିତୃଗୃହରେ ଚାରି ମାସ କାଳ ରହିଲା।
3 तेव्हा तिचा पती उठून तिचे मन वळवून तिला माघारी आणावे म्हणून गेला. त्याच्याबरोबर त्याचा नोकर होता व गाढवांची जोडी होती, तेव्हा तिने त्यास आपल्या वडिलाच्या घरात नेले, आणि त्या मुलीच्या वडिलाने त्यास पाहिले, त्यास भेटून तो आनंदित झाला.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ତାହାର ଉପପତି ତାହାକୁ ପ୍ରୀତିବଚନ କହି ଫେରାଇ ଆଣିବାକୁ ଆପଣା ସଙ୍ଗେ ଏକ ଦାସ ଓ ଦୁଇ ଗର୍ଦ୍ଦଭ ନେଇ ତାହା ନିକଟକୁ ଗଲା; ତହିଁରେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ତାହାକୁ ଆପଣା ପିତୃଗୃହକୁ ଆଣିଲା; ତହିଁରେ ସେହି ଯୁବତୀର ପିତା ସେହି ବ୍ୟକ୍ତିକୁ ଦେଖି ତାହା ସହିତ ସାକ୍ଷାତ କରି ଆନନ୍ଦିତ ହେଲା।
4 त्याच्या सासऱ्याने म्हणजे त्या मुलीच्या वडिलाने त्यास फार आग्रह केला; म्हणून तो त्याच्याकडे तीन दिवस राहिला, आणि तो खाऊन पिऊन तेथे वस्तीस राहिला.
ଏହେତୁରୁ ଲେବୀୟ ଲୋକର ଶ୍ୱଶୁର ସେହି ଯୁବତୀର ପିତା ତାହାକୁ ଅଟକାଇଲା, ତହୁଁ ସେ ତାହା ସଙ୍ଗେ ତିନି ଦିନ ରହିଲା, ପୁଣି ସେମାନେ ଭୋଜନପାନ କରି ସେଠାରେ ରାତ୍ରି କ୍ଷେପଣ କଲେ।
5 मग चौथ्या दिवशी असे झाले की तो सकाळी लवकर उठला आणि तो जायला तयार झाला, परंतु त्या मुलीच्या वडिलाने आपल्या जावयाला म्हटले, “तू आपल्याला भाकरीच्या तुकड्याचा आधार कर, आणि मग तुम्ही जा.”
ପୁଣି ଚତୁର୍ଥ ଦିନ ସେମାନେ ଅତି ପ୍ରଭାତରେ ଉଠିଲେ ଓ ସେ ପ୍ରସ୍ଥାନ କରିବାକୁ ଉଦ୍ୟତ ହୁଅନ୍ତେ, ସେହି ଯୁବତୀର ପିତା ଆପଣା ଜୁଆଁଇକି କହିଲା, “ମୁଠିଏ ଆହାର କରି ପ୍ରାଣ ତୃପ୍ତ କର; ତହିଁ ଉତ୍ତାରେ ଆପଣା ବାଟରେ ଯିବ।”
6 त्या दोघांनी एकत्र बसून खाणेपिणे केले; नंतर त्या मुलीच्या वडिलाने म्हटले, “कृपा करून तू अजून एक रात्र राहायला तयार हो, आणि चांगली वेळ घालव.”
ତହୁଁ ସେ ଦୁହେଁ ଏକତ୍ର ବସି ଭୋଜନପାନ କଲେ; ଏଥିରେ ସେହି ଯୁବତୀର ପିତା ସେହି ଲେବୀୟ ଲୋକକୁ କହିଲା, “ଅନୁଗ୍ରହ କରି ଏହି ରାତ୍ରିଟି ରହି ଯାଅ, ଆପଣା ମନକୁ ଖୁସି କର।”
7 जेव्हा लेवी जायला उठला, तेव्हा तरुण मुलीच्या वडिलाने त्यास पुन्हा राहण्याचा आग्रह केला, म्हणून त्याने त्याची जाण्याची योजना बदलली आणि पुन्हा तेथे रात्र घालवली.
ତଥାପି ସେ ପ୍ରସ୍ଥାନ କରିବାକୁ ଉଠିଲା; ମାତ୍ର ତାହାର ଶ୍ୱଶୁର ତାହାକୁ ଅନୁରୋଧ କରନ୍ତେ, ସେ ପୁନର୍ବାର ରାତ୍ରି କ୍ଷେପଣ କଲା।
8 नंतर पाचव्या दिवशी सकाळी लवकर जायला उठला, “परंतु त्या मुलीच्या वडिलाने म्हटले तू आपल्या पोटाला आधार कर दुपारपर्यंत थांब.” तेव्हा त्या दोघांनी जेवण केले.
ପୁଣି ସେ ପଞ୍ଚମ ଦିନ ଅତି ପ୍ରଭାତରେ ଉଠି ପ୍ରସ୍ଥାନ କରିବାକୁ ଉଦ୍ୟତ ହେଲା; ତହିଁରେ ଯୁବତୀର ପିତା କହିଲା, “ଅନୁଗ୍ରହ କରି ଆପଣା ପ୍ରାଣ ତୃପ୍ତ କର, ତୁମ୍ଭେମାନେ ଅପରାହ୍ନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ରୁହ;” ଏଥିରେ ସେ ଦୁହେଁ ଭୋଜନ କଲେ।
9 जेव्हा लेवी, त्याची उपपत्नी व त्याचा नोकर जायला उठले, तेव्हा त्याचा सासरा त्यास बोलला, “आता पाहा मावळतीकडे दिवस उतरला आहे, तुम्ही आज रात्री येथेच राहा; पाहा, दिवस थोडाच राहिला आहे, येथे वस्ती करून तुमच्या मनाला उल्ल्हास होवो; मग सकाळी उठून आपल्या मार्गाने आपल्या घरी जा.”
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସେ ଲେବୀୟ ପୁରୁଷ ଓ ତାହାର ଉପପତ୍ନୀ ଓ ଦାସ ପ୍ରସ୍ଥାନ କରିବାକୁ ଉଠନ୍ତେ, ତାହାର ଶ୍ୱଶୁର ସେହି ଯୁବତୀର ପିତା ତାହାକୁ କହିଲା, “ଦେଖ, ଏବେ ତ ସନ୍ଧ୍ୟା ନିକଟ ହେଉଅଛି, ଅନୁଗ୍ରହ କରି ରାତ୍ରିଟି ରହି ଯାଅନ୍ତ ଦେଖ, ଦିନ ଗଡ଼ି ଯାଉଛି, ଏଠାରେ ମନ ଖୁସି କରିବା ପାଇଁ ରାତ୍ରିଟି କ୍ଷେପଣ କର; କାଲି ବଡ଼ି ସକାଳୁ ଉଠି ଆପଣା ବାଟରେ ଘରକୁ ଯିବ।”
10 १० परंतु लेवी ती रात्र घालवायला तयार झाला नाही. तो उठला आणि निघून गेला, मग यबूस म्हणजे यरूशलेमेच्या जवळ आला; तेव्हा त्याच्याबरोबर खोगीर घातलेल्या गाढवांची जोडी, आणि त्याची उपपत्नी होती.
ମାତ୍ର ସେ ଲୋକ ସେହି ରାତ୍ରି ରହିବାକୁ ଅସମ୍ମତ ହୋଇ ଉଠି ପ୍ରସ୍ଥାନ କଲା ଓ ଯିବୂଷ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ଯିରୂଶାଲମ ନିକଟରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲା; ପୁଣି ତାହା ସଙ୍ଗେ ସସଜ୍ଜ ଯୋଡ଼ିଏ ଗଧ ଓ ମଧ୍ୟ ତାହାର ଉପପତ୍ନୀ ଥିଲେ।
11 ११ जेव्हा ते यबूसजवळ होते तेव्हा दिवस फार उतरला होता, म्हणून त्याच्या नोकराने आपल्या धन्याला म्हटले, “चला, आपण बाजूला वळून यबूसी यांच्या नगराकडे जाऊ आणि त्यामध्ये रात्र घालवू.”
ସେମାନେ ଯିବୂଷର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହେବା ବେଳକୁ ପ୍ରାୟ ଦିନ ଶେଷ ହୋଇଥିଲା; ଏଥିରେ ଦାସ ତାହାର ମୁନିବକୁ କହିଲା, “ବିନୟ କରୁଅଛି, ଆସ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଯିବୂଷୀୟମାନଙ୍କ ଏହି ନଗରକୁ ଯାଇ ସେଠାରେ ରାତ୍ରି କ୍ଷେପଣ କରୁ।”
12 १२ त्याचा धनी त्यास म्हणाला, “जे इस्राएलाचे लोक नाहीत अशा परक्यांच्या नगरात आम्ही वळणार नाही; तर गिबा तेथवर जाऊ.”
ମାତ୍ର ତାହାର ମୁନିବ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଆମ୍ଭେମାନେ ବିଦେଶୀୟମାନଙ୍କ ନଗରକୁ ଯିବୁ ନାହିଁ, ତାହା ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣର ନୁହେଁ; ମାତ୍ର ଆମ୍ଭେମାନେ ଗିବୀୟା ଯାଏ ଯିବୁ।”
13 १३ लेवीने आपल्या नोकराला सांगितले, “चल, आपण गिबा किंवा रामा या नगरांपैकी एका ठिकाणी पोहचू आणि त्यामध्ये रात्र घालवू.”
ପୁଣି ସେ ଆପଣା ଦାସକୁ କହିଲା, “ଆସ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଏହି ଦୁଇ ସ୍ଥାନରୁ କୌଣସି ଏକ ସ୍ଥାନକୁ ଯାଉ; ପୁଣି ଗିବୀୟା କି ରାମାରେ ରାତ୍ରି କାଟିବା।”
14 १४ मग ते पुढे चालत गेले; आणि बन्यामिनाचा प्रदेश जो गिबा त्याच्याकडे आल्यावर सूर्य मावळला.
ତେଣୁ ସେମାନେ ଆପଣା ପଥରେ ଚାଲିଗଲେ; ପୁଣି ବିନ୍ୟାମୀନ୍‍ର ଅଧିକାରସ୍ଥ ଗିବୀୟାର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହେବା ବେଳେ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଅସ୍ତ ହେଲା।
15 १५ तेव्हा गिब्यात वस्ती करायला ते तिकडे वळले, नंतर तो जाऊन नगराच्या चौकात बसला, परंतु त्यांना रात्री रहावयास कोणी आपल्या घरी घेऊन गेला नाही.
ତହୁଁ ସେମାନେ ଗିବୀୟାରେ ରାତ୍ରି କାଟିବା ପାଇଁ ବାଟ ଛାଡ଼ିଗଲେ; ପୁଣି ସେମାନେ ନଗର ଭିତରକୁ ଯାଇ ଦାଣ୍ଡରେ ବସିଲେ; କାରଣ ରାତ୍ରି କାଟିବା ପାଇଁ ସେମାନଙ୍କୁ ଆପଣା ଘରକୁ ନେବାକୁ କେହି ନ ଥିଲା।
16 १६ परंतु पाहा, संध्याकाळी एक म्हातारा मनुष्य शेतातून आपल्या कामावरून येत होता; तोसुद्धा मनुष्य एफ्राइमाच्या डोंगराळ प्रदेशातला होता, परंतु गिब्यात उपरा होता आणि त्या ठिकाणातली माणसे बन्यामिनी होती.
ସେତେବେଳେ ଦେଖ, ଜଣେ ବୃଦ୍ଧ ସନ୍ଧ୍ୟାକାଳେ ଆପଣା କ୍ଷେତ୍ରର କର୍ମରୁ ଆସୁଥିଲା; ସେ ଇଫ୍ରୟିମ-ପର୍ବତମୟ ଦେଶର ଲୋକ ଓ ଗିବୀୟାରେ ପ୍ରବାସ କରୁଥିଲା; ମାତ୍ର ସେ ସ୍ଥାନର ଲୋକମାନେ ବିନ୍ୟାମୀନ୍ ବଂଶୀୟ ଥିଲେ।
17 १७ त्याने तर आपली दृष्टी लावून नगराच्या चौकात तो वाटसरू मनुष्य पाहिला; तेव्हा तो म्हातारा मनुष्य म्हणाला, “तू कोठे जात आहेस? तू कोठून आला आहेस?”
ପୁଣି ସେ ଲୋକ ଅନାଇ ନଗରର ଦାଣ୍ଡରେ ସେହି ପଥିକକୁ ଦେଖିଲା ଓ ସେହି ବୃଦ୍ଧ ଲୋକ ପଚାରିଲା, “ତୁମ୍ଭେ କେଉଁଠାକୁ ଯାଉଅଛ? ପୁଣି କେଉଁଠାରୁ ଆସିଅଛ?”
18 १८ तेव्हा तो त्यास म्हणाला, “आम्ही यहूदाच्या बेथलेहेमाहून आलो आहोत, आणि आम्हांला एफ्राइमाच्या डोंगराळ प्रदेशाच्या पलीकडच्या बाजूस जायचे आहे; तेथला मी आहे; यहूदातील बेथलेहेम येथे गेलो होतो, आणि मला परमेश्वर देवाच्या मंदिराकडे जावयाचे आहे; परंतु कोणी मला त्यांच्या घरात घेत नाही.
ତହିଁରେ ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଆମ୍ଭେମାନେ ବେଥଲିହିମ-ଯିହୁଦାରୁ ଇଫ୍ରୟିମ-ପର୍ବତମୟ ଦେଶର ଅନ୍ତଃପ୍ରଦେଶକୁ ଯାଉଅଛୁ; ଆମ୍ଭେ ସେହି ସ୍ଥାନର ଲୋକ ଓ ବେଥଲିହିମ ଯିହୁଦାକୁ ଯାଇଥିଲୁ; ଏବେ ମୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଗୃହକୁ ଯାଉଅଛି; ମାତ୍ର କେହି ମୋତେ ଆପଣା ଘରକୁ ନେବାକୁ ନାହିଁ।
19 १९ आमच्या गाढवांसाठी वैरण व दाणाही आहे, आणि माझ्यासाठी व तुझ्या दासीसाठी आणि तुझ्या सेवकाच्या बरोबर जो तरुण नोकर आहे त्याच्यासाठी भाकर व द्राक्षरसही आहे, कोणत्याही गोष्टीची उणीव नाही.”
ତଥାପି ଆମ୍ଭ ପାଖରେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଗଧ ପାଇଁ ପାଳକୁଟା ଓ ଦାନା, ଉଭୟ ଅଛି; ମଧ୍ୟ ମୋʼ ପାଇଁ ଓ ତୁମ୍ଭର ଏହି ଦାସୀ ପାଇଁ ଓ ତୁମ୍ଭ ଦାସ ସଙ୍ଗେ ଥିବା ଏହି ଯୁବା ପାଇଁ ରୁଟି ଓ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ଅଛି; କୌଣସି ବିଷୟରେ କିଛି ଅଭାବ ନାହିଁ।”
20 २० तेव्हा त्या म्हाताऱ्या मनुष्याने त्यास अभिवादन केले, “तुझ्याबरोबर शांती असो! मी तुझ्या सर्व गरजांची काळजी घेईन. फक्त चौकात रात्र घालवू नको.”
ତହୁଁ ସେହି ବୃଦ୍ଧ ଲୋକ କହିଲା, “ତୁମ୍ଭର ମଙ୍ଗଳ ହେଉ; ଯେ କୌଣସିମତେ ହେଉ, ତୁମ୍ଭର ସବୁ ଅଭାବର ଭାର ମୋହର ଉପରେ; କୌଣସିମତେ ଦାଣ୍ଡରେ ରୁହ ନାହିଁ।”
21 २१ तेव्हा त्या मनुष्याने लेवीला आपल्या घरी नेले, आणि गाढवास वैरण दिली, नंतर त्यांनी आपले पाय धुऊन खाणेपिणे केले.
ତହିଁରେ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ଆପଣା ଘରକୁ ଆଣି ଗଧମାନଙ୍କୁ ଖାଦ୍ୟ ଦେଲା, ପୁଣି ସେମାନେ ପାଦ ଧୋଇ ଭୋଜନପାନ କଲେ।
22 २२ ते आनंदात वेळ घालवत असताना, त्या नगरातले दुष्ट लोक, “घराला वेढून आणि दारावर ठोकून, त्या म्हाताऱ्या घरधन्याला म्हणू लागले की, जो मनुष्य तुझ्या घरात आला आहे, त्यास तू बाहेर काढ, म्हणजे आम्ही त्याच्याबरोबर समागम करू.”
ସେମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ମନକୁ ଖୁସି କଲା ବେଳେ, ଦେଖ, ନଗରର ଲୋକ କେତେକ ଦୁଷ୍ଟ ଲୋକମାନେ କବାଟରେ ମାରି ମାରି ଘରର ଚାରିପାଖ ଘେରିଲେ; ପୁଣି ସେମାନେ ସେହି ଗୃହକର୍ତ୍ତା ବୃଦ୍ଧ ଲୋକକୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭ ଗୃହକୁ ଯେଉଁ ମନୁଷ୍ୟ ଆସିଅଛି, ତାହାକୁ ବାହାରକୁ ଆଣ, ଆମ୍ଭେମାନେ ତାହା ସହିତ ଶାରୀରିକ ସମ୍ବନ୍ଧ କରିବା।”
23 २३ मग तो मनुष्य, त्या घराचा धनी बाहेर त्यांच्याजवळ जाऊन त्यांना बोलला, “नाही, माझ्या भावांनो मी विनंती करतो अशी वाईट गोष्ट करू नका; हा मनुष्य माझ्या घरी पाहुणा म्हणून आला आहे, तर तुम्ही हा दुष्टपणा करू नका.
ତହିଁରେ ସେହି ଗୃହକର୍ତ୍ତା ବାହାରକୁ ସେମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯାଇ କହିଲା, “ନାହିଁ ନାହିଁ, ଆମ୍ଭର ଭ୍ରାତୃଗଣ, ବିନୟ କରୁଅଛୁ, ଏପରି ଦୁଷ୍କର୍ମ କର ନାହିଁ; ଏ ପୁରୁଷ ଆମ୍ଭ ଘରକୁ ଆସିଅଛି, ଏଥିପାଇଁ ଏହି ମୂଢ଼ତାର କର୍ମ ନ କର।
24 २४ पाहा, माझी कुमारी कन्या व याची उपपत्नी येथे आहेत. मी तिला आता बाहेर आणतो; मग तुम्ही तिची अब्रू घ्या व तुम्हाला जे बरे वाटते तसे तुम्ही तिच्याशी करा; परंतु या मनुष्याशी असे दुष्टाईचे कृत्य करू नका.”
ଦେଖ, ମୋହର ଅବିବାହିତା କନ୍ୟା ଓ ସେ ଲୋକର ଉପପତ୍ନୀ ଅଛି; ମୁଁ ସେମାନଙ୍କୁ ଆଣି ଦେଉଅଛି ପଛେ, ତୁମ୍ଭେମାନେ ସେମାନଙ୍କୁ ଭ୍ରଷ୍ଟ କର ଓ ଯାହା ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଭଲ, ତାହା ସେମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ କର; ମାତ୍ର ଏହି ପୁରୁଷ ପ୍ରତି ଏପରି କୌଣସି ମୂଢ଼ତା ନ କର।”
25 २५ तथापि ती माणसे त्याचे ऐकायला तयार झाली नाहीत; तेव्हा त्या मनुष्याने आपली उपपत्नी घेऊन आणि बाहेर त्यांच्याजवळ आणली. मग त्यांनी तिच्यासोबत कुकर्म केले आणि सारी रात्र वाईट रीतीने वागवले आणि पहाट झाली असता तिला सोडले.
ତଥାପି ସେମାନେ ତାହା କଥା ଶୁଣିଲେ ନାହିଁ; ତେଣୁ ସେହି ଲେବୀୟ ପୁରୁଷ ଆପଣା ଉପପତ୍ନୀ କି ଧରି ବାହାରକୁ ସେମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆଣିଲା; ତହିଁରେ ସେମାନେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ସହିତ ଶାରୀରିକ ସମ୍ବନ୍ଧ କଲେ ଓ ପ୍ରଭାତ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ରାତ୍ରିସାରା ତାହା ପ୍ରତି ଅତ୍ୟାଚାର କଲେ; ପୁଣି ପ୍ରଭାତ ହେବା ବେଳକୁ ତାହାକୁ ଛାଡ଼ିଦେଲେ।
26 २६ तेव्हा पहाटेच्या वेळेस ती स्त्री येऊन जेथे आपला धनी होता, त्या मनुष्याच्या घराच्या दाराजवळ उजेड होईपर्यंत पडून राहिली.
ତହୁଁ ରାତ୍ରି ପାହାନ୍ତା ବେଳକୁ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ତାହାର ସ୍ୱାମୀ ରହୁଥିବା ଲୋକର ଗୃହଦ୍ୱାର ନିକଟରେ ଆଲୁଅ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପଡ଼ି ରହିଲା।
27 २७ जेव्हा सकाळी तिच्या धन्याने उठून घराची दारे उघडली, आणि आपल्या मार्गाने जायला तो बाहेर निघाला; तर पाहा, ती त्याची उपपत्नी घराच्या दाराजवळ पडलेली आणि तिचे हात उंबरठ्यावर होते.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ପ୍ରଭାତ ହୁଅନ୍ତେ, ତାହାର ସ୍ୱାମୀ ଉଠି ଆପଣା ବାଟରେ ଯିବା ପାଇଁ ଗୃହଦ୍ୱାର ଫିଟାଇ ବାହାରକୁ ଗଲା; ମାତ୍ର ଦେଖ, ତାହାର ଉପପତ୍ନୀ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଗୃହଦ୍ୱାର ନିକଟରେ ପଡ଼ିଛି, ତାହାର ଦୁଇ ହାତ ଦ୍ୱାରବନ୍ଧ ଉପରେ ଅଛି।
28 २८ तेव्हा लेवीने तिला म्हटले, “ऊठ, म्हणजे आपण जाऊ.” परंतु तिने उत्तर दिले नाही; नंतर तो पुरुष तिला गाढवावर घालून निघाला आणि आपल्या ठिकाणी गेला.
ତହୁଁ ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଉଠ, ଚାଲ ଆମ୍ଭେମାନେ ଯିବା;” ମାତ୍ର ସେ ଉତ୍ତର ଦେଲା ନାହିଁ; ତେବେ ସେ ତାହାକୁ ଗଧ ଉପରକୁ ନେଲା; ଆଉ ସେହି ଲେବୀୟ ପୁରୁଷ ଉଠି ଆପଣା ସ୍ଥାନକୁ ପ୍ରସ୍ଥାନ କଲା।
29 २९ मग आपल्या घरी पोहचल्यावर त्याने सुरी घेतली, आणि आपल्या उपपत्नीला घेऊन कापले, तिचा एकएक अवयव कापून बारा तुकडे केले, आणि ते इस्राएलाच्या प्रत्येक ठिकाणी पाठवून दिले.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସେ ଆପଣା ଗୃହରେ ପହଞ୍ଚିଲା ଉତ୍ତାରେ ଖଣ୍ଡେ ଛୁରୀ ନେଇ ଆପଣା ଉପପତ୍ନୀର ଅସ୍ଥିର ଖଞ୍ଜ ଅନୁସାରେ ବାର ଖଣ୍ଡରେ ବିଭକ୍ତ କରି ଇସ୍ରାଏଲର ସମସ୍ତ ଅଞ୍ଚଳକୁ ପଠାଇଲା।
30 ३० ज्या प्रत्येकाने ते पाहिले, त्यांनी म्हटले, “मिसर देशातून इस्राएल लोक पुन्हा आले, त्या दिवसापासून आजपर्यंत यासारखी गोष्ट घडली नाही, आणि कधी दृष्टीस पडली नाही; याविषयी तुम्ही विचार करा! आम्हांला सल्ला द्या! काय करावे ते आम्हांला सांगा!”
ତହିଁରେ ଯେତେ ଲୋକ ତାହା ଦେଖିଲେ, ସମସ୍ତେ କହିଲେ, “ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣ ମିସର ଦେଶରୁ ବାହାରି ଆସିବା ଦିନାବଧି ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଏପରି କର୍ମ କେବେ କରାଯାଇ ନାହିଁ କି ଦେଖାଯାଇ ନାହିଁ; ଏ ବିଷୟରେ ମନୋଯୋଗ କର, ମନ୍ତ୍ରଣା ନିଅ ଓ କୁହ।”

< शास्ते 19 >