< शास्ते 16 >
1 १ शमशोन पलिष्टी प्रदेशाच्या गज्जा शहरास गेला, तेथे त्याने एक वेश्या पाहिली आणि तो तिच्याजवळ गेला.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶାମ୍ଶୋନ୍ ଘସା ନଗରକୁ ଯାଇ ସେଠାରେ ଏକ ବେଶ୍ୟା ଦେଖି ତାହା ସଙ୍ଗେ ଶୟନ କଲା।
2 २ गज्जेकरास सांगण्यात आले की, “शमशोन तिथे आला आहे.” गज्जकरांना ती जागा घेरून टाकली आणि नगराच्या वेशीच्या दाराजवळ त्याच्यासाठी गुप्तपणे दबा धरून ते सारी रात्र वाट पाहत राहिले. त्यांनी रात्रभर काही हालचाल केली नाही. ते म्हणाले, सकाळ उजडेपर्यंत आपण वाट पाहू या आणि मग आपण त्यास जिवे मारू.
ତହିଁରେ ଶାମ୍ଶୋନ୍ ଏହି ସ୍ଥାନକୁ ଆସିଅଛି, ଏହି କଥା ଘସାତୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କୁ କୁହାଗଲା। ତହୁଁ ସେମାନେ ତାହାକୁ ଘେରି ସମସ୍ତ ରାତ୍ରି ତାହା ପାଇଁ ନଗର-ଦ୍ୱାରରେ ଛକି ବସିଲେ, ପୁଣି ସାରାରାତ୍ରି ତୁନି ରହି କହିଲେ, ସକାଳେ ଆଲୁଅ ହେଲେ ଆମ୍ଭେମାନେ ତାହାକୁ ବଧ କରିବୁ।
3 ३ शमशोन मध्यरात्रीपर्यंत बिछान्यात पडून राहिला. मग मध्यरात्री त्याने उठून आणि नगराच्या वेशीचे दरवाजे, त्याचे अडसर आणि सर्व, दोन्ही दारबाह्यांसह धरले आणि जमिनीतून उखडून ओढून काढले, आणि ते आपल्या खांद्यावर घेऊन हेब्रोनाच्यासमोर डोंगराच्या शिखरापर्यंत वर नेले.
ମାତ୍ର ଶାମ୍ଶୋନ୍ ଅର୍ଦ୍ଧରାତ୍ରି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଶୟନ କରି ଅର୍ଦ୍ଧରାତ୍ରିରେ ଉଠି ନଗର ଦ୍ୱାରର କବାଟ ଓ ଦୁଇ ବାଜୁବନ୍ଧ ଧରି ଅର୍ଗଳ ସମେତ ଉପାଡ଼ି ପକାଇଲା, ଆଉ ତାହା କାନ୍ଧରେ ଥୋଇ ହିବ୍ରୋଣ ସମ୍ମୁଖସ୍ଥ ପର୍ବତ ଶୃଙ୍ଗକୁ ଘେନିଗଲା।
4 ४ त्यानंतर असे झाले की, तो सोरेक खोऱ्यात राहणाऱ्या एका स्त्रीवर प्रेम करू लागला; तिचे नाव तर दलीला होते.
ଏଉତ୍ତାରେ ସେ ସୋରେକ୍ ଉପତ୍ୟକାରେ ଏକ ସ୍ତ୍ରୀକୁ ପ୍ରେମ କଲା, ତାହାର ନାମ ଦଲୀଲା।
5 ५ पलिष्ट्यांचे राज्याधिकारी तिच्याजवळ येऊन तिला म्हणाले, शमशोनाचे महान सामर्थ्य कशात आहे आणि आम्ही “त्याच्या शक्तीवर कशी मात करून त्यास बांधू, कशा प्रकारे आम्ही त्यास नमवू आणि त्याच्यावर वरचढ होऊ शकू ते युक्तीने विचार. तू हे करशील तर आम्ही प्रत्येकजण तुला अकराशे चांदीची नाणी देऊ.”
ତହିଁରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଅଧିପତିମାନେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ନିକଟକୁ ଆସି ତାହାକୁ କହିଲେ, “କାହିଁରେ ତାହାର ଏହି ମହାବଳ ଥାଏ ଓ କି ଉପାୟରେ ଆମ୍ଭେମାନେ ତାହାକୁ ପରାସ୍ତ କରି ତାହାକୁ କ୍ଲେଶ ଦେବା ପାଇଁ ବାନ୍ଧି ପାରିବୁ, ଏହା ଜାଣିବା ପାଇଁ ତୁମ୍ଭେ ତାହାକୁ ମଣାଅ; ତାହା କଲେ, ଆମ୍ଭେମାନେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଜଣ ତୁମ୍ଭକୁ ଏଗାର ଶହ ଲେଖାଏଁ ରୌପ୍ୟ ମୁଦ୍ରା ଦେବୁ।”
6 ६ आणि त्यामुळे दलीला शमशोनाला म्हणाली, “मी विनंती करते तुझे महान बळ कशात आहे, आणि तुला कोणीही कशाने बांधले म्हणजे तू शक्तीहीन होशील, ते मला सांग.”
ତହୁଁ ଦଲୀଲା ଶାମ୍ଶୋନ୍କୁ କହିଲା, “ବିନୟ କରୁଅଛି, କାହିଁରେ ତୁମ୍ଭର ମହାବଳ ଥାଏ ଓ ତୁମ୍ଭର କ୍ଳେଶାର୍ଥେ ତୁମ୍ଭେ କାହିଁରେ ବନ୍ଧା ଯାଇପାର, ଏହା ମୋତେ କୁହ?”
7 ७ तेव्हा शमशोनाने तिला सांगितले, “धनुष्याच्या न सुकलेल्या अशा सात हिरव्या वाद्यांनी, जर त्यांनी मला बांधले, तर मी अशक्त होऊन सामान्य मनुष्यासारखा होईन.”
ତହିଁରେ ଶାମ୍ଶୋନ୍ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଯାହା କେବେ ଶୁଷ୍କ ହୋଇ ନାହିଁ, ଏପରି ସାତୋଟି କଞ୍ଚା ତନ୍ତରେ ଯେବେ ସେମାନେ ମୋତେ ବାନ୍ଧିବେ, ତେବେ ମୁଁ ଦୁର୍ବଳ ହୋଇ ଅନ୍ୟ ଲୋକ ପରି ହୋଇଯିବି।”
8 ८ नंतर पलिष्ट्यांचे अधिकारी सात सालपटे जी सुकली नव्हती, अशी ते घेऊन दलीलाकडे आले, आणि तिने त्यास त्यांनी बांधले.
ତହୁଁ ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଅଧିପତିମାନେ ଅଶୁଷ୍କ ସାତୋଟି କଞ୍ଚା ତନ୍ତ ଆଣି ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଦେଲେ; ତେଣୁ ସେ ତାହାକୁ ତହିଁରେ ବାନ୍ଧିଲା।
9 ९ तेव्हा तिच्या आतल्या खोलीत गुप्तपणे माणसे दबा धरून बसली होती, आणि तिने त्यास म्हटले, “शमशोना, पलिष्टी तुजवर चालून आले आहेत!” परंतु त्याने जसा तागाचा दोरा अग्नी लागताच तुटून जातो तशा धनुष्याच्या त्या सात हिरव्या वाद्या तोडून टाकल्या. आणि त्याच्या बळाचे रहस्य त्यांना समजू शकले नाही.
ସେସମୟରେ ତାହାର ଅନ୍ତଃପୁରରେ ଲୋକମାନେ ଛକି ବସିଲେ। ଏଥିରେ ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଶାମ୍ଶୋନ୍, ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନେ ତୁମ୍ଭକୁ ଧରିଲେ।” ତହିଁରେ ଅଗ୍ନି ବାସନା ବାଜିଲେ ଯେପରି ଛଣପଟ ସୁତୁଲି ଛିଣ୍ଡିଯାଏ, ସେପରି ସେ ସବୁ ତନ୍ତ ଛିଣ୍ଡାଇ ପକାଇଲା। ଏହିରୂପେ ତାହାର ବଳର ରହସ୍ୟ ଜଣାଗଲା ନାହିଁ।
10 १० दलीला, शमशोनाला म्हणाली, “पाहा, तुम्ही मला फसवले आणि माझ्याशी लबाडी केली. तुमच्यावर कशाने मात करता येईल ते, मी विनंती करते, मला सांग.”
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଦଲୀଲା ଶାମ୍ଶୋନ୍କୁ କହିଲା, “ତୁମ୍ଭେ ମୋତେ ଉପହାସ କଲ ଓ ତୁମ୍ଭେ ମୋତେ ମିଥ୍ୟା କହିଲ; ଏବେ ତୁମ୍ଭେ କାହିଁରେ ବନ୍ଧା ଯାଇପାର, ତାହା ମୋତେ କୁହ?”
11 ११ तेव्हा त्याने तिला सांगितले, “जे कधी कामात वापरले नाहीत अशा नव्या दोरांनी जर त्यांनी मला बांधले, तर मी अशक्त होऊन सामान्य मनुष्यासारखा होईन.”
ତହିଁରେ ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଯେଉଁ ରଜ୍ଜୁରେ କୌଣସି କର୍ମ କରାଯାଇ ନାହିଁ, ଏପରି ନୂତନ ରଜ୍ଜୁରେ ମୋତେ ବାନ୍ଧିଲେ, ମୁଁ ଦୁର୍ବଳ ହୋଇ ଅନ୍ୟ ଲୋକର ସମାନ ହୋଇଯିବି।”
12 १२ तेव्हा दलीलाने नवे दोर घेऊन त्याने त्यास बांधले, आणि त्यास म्हटले, “शमशोना, पलिष्टी तुझ्यावर चालून आले आहेत.” तेव्हा ते आतल्या खोलीत वाट पाहत बसले होते. परंतु शमशोनाने त्याच्या दंडाला बांधलेले दोर धाग्याच्या तुकड्यासारखे तोडून टाकले.
ତହୁଁ ଦଲୀଲା ନୂତନ ରଜ୍ଜୁ ନେଇ ତାହାକୁ ବାନ୍ଧି କହିଲା, “ଶାମ୍ଶୋନ୍ ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନେ ତୁମ୍ଭକୁ ଧରିଲେ।” ସେସମୟରେ ଛକିଥିବା ଲୋକମାନେ ଅନ୍ତଃପୁରରେ ଥିଲେ। ଏଥିରେ ସେ ଖଣ୍ଡେ ସୂତା ପରି ଆପଣା ବାହୁ ଉପରୁ ତାହା ଛିଣ୍ଡାଇ ପକାଇଲା।
13 १३ दलीला शमशोनाला म्हणाली, “आतापर्यंत तुम्ही मला फसवत आणि माझ्याशी लबाड्याच करत आला आहात. तुमच्यावर कशाने मात करता येईल, हे मला सांगा.” तेव्हा त्याने तिला सांगितले, जर तू “माझ्या डोक्याच्या केसांच्या सात बटा मागाबरोबर विणशील आणि नंतर विणकाराच्या फणीच्या नखात वळवशील तर मी इतर मनुष्यासारखा होईन.”
ତେବେ ଦଲୀଲା ଶାମ୍ଶୋନ୍କୁ କହିଲା, “ତୁମ୍ଭେ ଏପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମୋତେ ଉପହାସ କରିଅଛ ଓ ମିଥ୍ୟା କହିଅଛ; ତୁମ୍ଭେ କାହିଁରେ ବନ୍ଧା ଯାଇପାର, ତାହା ମୋତେ କୁହ।” ତହିଁରେ ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଯେବେ ତୁମ୍ଭେ ବୁଣା ଯାଉଥିବା ବସ୍ତ୍ରରେ ମୋର ମସ୍ତକ କେଶର ସାତ ବେଣୀ ବୁଣିବ, ତେବେ ହୋଇପାରେ।”
14 १४ तो झोपला तेव्हा तिने त्याचे केस विणकाराच्या फणीमध्ये धाग्यांबरोबर ताणून बांधले आणि नंतर मागावर विणले; आणि ती त्यास म्हणाली, “शमशोना, पलिष्टी तुझ्यावर चालून आलेत!” तेव्हा तो आपल्या झोपेतून जागा झाला आणि त्याने विणकराची फणी व मागसुद्धा उखडून काढला.
ତହୁଁ ସେ ତନ୍ତଖୁଣ୍ଟିରେ ତାହା ବାନ୍ଧି ତାହାକୁ କହିଲା, “ଶାମ୍ଶୋନ୍, ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନେ ତୁମ୍ଭକୁ ଧରିଲେ।” ତହିଁରେ ସେ ନିଦ୍ରାରୁ ଉଠି ତନ୍ତଖୁଣ୍ଟି ଉପାଡ଼ି ବସ୍ତ୍ର ନେଇ ଚାଲିଗଲା।
15 १५ ती त्यास म्हणाली, “तुमचे रहस्य जर तुम्ही मला सांगत नाहीतर, मी तुझ्यावर प्रेम करतो, असे तुम्ही कसे म्हणू शकता? तीन वेळा तुम्ही माझी थट्टा केली, आणि आपले महान बळ कशात आहे हे मला सांगितले नाही.”
ଏଣୁ ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ମୋହର ପ୍ରତି ତ ତୁମ୍ଭର ମନ ନାହିଁ, ‘ତୁମ୍ଭେ ମୋତେ ପ୍ରେମ କରୁଅଛ’ ବୋଲି କିପରି କହୁଅଛ? ଏ ତିନିଥରଯାକ ତୁମ୍ଭେ ମୋତେ ଉପହାସ କଲ ଓ ତୁମ୍ଭର ମହାବଳ କାହିଁରେ ଥାଏ, ତାହା ମୋତେ କହିଲ ନାହିଁ।”
16 १६ तिने आपल्या बोलण्याने त्याच्यावर दडपण आणले आणि कटकट करून त्यावर असा दबाव आणला की, त्यास मरून जावेसे वाटू लागले.
ଏହିରୂପେ ସେ ନିତି ନିତି କଥାରେ ତାହାକୁ ଅନୁରୋଧ କରି ଏପରି ବ୍ୟସ୍ତ କଲା ଯେ, ତାହାର ଆତ୍ମା ମରଣ ପାଇଁ ଅସ୍ଥିର ହେଲା।
17 १७ म्हणून शमशोनाने तिला सर्वकाही सांगितले, आणि म्हणाला, “माझ्या डोक्यावरचे केस कापण्यासाठी कधीच वस्तरा फिरविला गेला नाही; कारण मी आपल्या आईच्या गर्भात असल्यापासून देवाचा नाजीर आहे; जर माझे मुंडन झाले, तर माझे बळ मजपासून जाईल, आणि मी अशक्त होऊन इतर मनुष्यांसारखा होईन.”
ତହିଁରେ ସେ ତାହାକୁ ଆପଣା ମନର ସମସ୍ତ କଥା ଜଣାଇ କହିଲା, “ମୋହର ମସ୍ତକରେ କେବେ କ୍ଷୁର ଲାଗି ନାହିଁ; କାରଣ ମୁଁ ଆପଣା ମାତାର ଗର୍ଭରୁ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ନାସରୀୟ ଲୋକ ହୋଇଅଛି; ଯେବେ ମୁଁ କ୍ଷୌର ହେବି, ତେବେ ମୋର ବଳ ମୋʼ ଠାରୁ ଯିବ ଓ ମୁଁ ଦୁର୍ବଳ ହୋଇ ଅନ୍ୟ ସକଳ ଲୋକର ସମାନ ହୋଇଯିବି।”
18 १८ जेव्हा दलीलाने पाहिले त्याने आपले सर्वकाही सत्य सांगितले तेव्हा; तिने पलिष्ट्यांच्या अधिकाऱ्यांस बोलावणे पाठवले म्हणाली, “पुन्हा या, कारण त्याने मला सर्वकाही सांगितले आहे.” तेव्हा पलिष्टयांचे अधिकारी आपल्या हाती रुपे घेऊन तिच्याकडे गेले.
ସେତେବେଳେ ସେ ଯେ ତାହାକୁ ଆପଣା ମନର ସମସ୍ତ କଥା କହିଅଛି, ଏହା ଦଲୀଲା ଦେଖି ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଅଧିପତିମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଲୋକ ପଠାଇଲା ଓ “ତୁମ୍ଭେମାନେ ଏହି ଥରକ ଆସ, କାରଣ ସେ ମୋତେ ଆପଣା ମନର ସମସ୍ତ କଥା କହିଅଛି,” ଏହା କହି ସେମାନଙ୍କୁ ଡାକିଲା। ତହିଁରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଅଧିପତିମାନେ ହସ୍ତରେ ରୂପା ନେଇ ତାହା ପାଖକୁ ଆସିଲେ;
19 १९ मग तिने त्यास आपल्या मांडीवर गाढ झोपवले. नंतर तिने मनुष्यास बोलावून त्याच्या डोक्याच्या सात बटा कापल्या. तिने त्यास ताब्यात आणण्यास सुरवात केली, आणि त्याचे बळ त्याच्यातून निघून गेले.
ତହୁଁ ସେ ତାହାକୁ ଆପଣା ଆଣ୍ଠୁରେ ଶୁଆଇଲା। ଆଉ ମନୁଷ୍ୟ ଡକାଇ ତାହାର ମସ୍ତକର ସାତ ବେଣୀ କ୍ଷୌର କଲା; ଏହିରୂପେ ସେ ତାହାକୁ କ୍ଲେଶ ଦେବାକୁ ଲାଗିଲା ଓ ତାହାର ବଳ ତାହାଠାରୁ ଗଲା।
20 २० ती म्हणाली, “हे शमशोना, पलिष्टी तुजवर आले आहेत.” तेव्हा तो आपल्या झोपेतून जागा होऊन उठला म्हणाला, मी पहिल्या वेळेप्रमाणे बाहेर जाईन आणि अंग हालवून सुटेल. परंतु परमेश्वराने त्यास सोडले होते, हे त्यास कळले नाही.
ତହୁଁ ସେ କହିଲା, “ଶାମ୍ଶୋନ୍, ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନେ ତୁମ୍ଭକୁ ଧରିଲେ।” ତହିଁରେ ସେ ନିଦ୍ରାରୁ ଜାଗ୍ରତ ହୋଇ କହିଲା, “ମୁଁ ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ସମୟ ପରି ବାହାରକୁ ଯାଇ ଆପଣାକୁ ଝାଡ଼ିବି।” ମାତ୍ର ସଦାପ୍ରଭୁ ଯେ ତାହାକୁ ତ୍ୟାଗ କରିଥିଲେ, ଏହା ସେ ଜାଣିଲା ନାହିଁ।
21 २१ पलिष्ट्यांनी तर त्यास धरून त्याचे डोळे फोडून टाकले; नंतर त्यास खाली गज्जात नेऊन पितळेच्या बेड्यांनी जखडले. मग तो बंदिशाळेत धान्य दळीत असे.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନେ ତାହାକୁ ଧରି ତାହାର ଚକ୍ଷୁ ଉପାଡ଼ି ପକାଇଲେ; ପୁଣି ତାହାକୁ ଘସାକୁ ଆଣି ଦୁଇ ପିତ୍ତଳ ବେଡ଼ିରେ ତାହାକୁ ବାନ୍ଧିଲେ; ଆଉ ସେ କାରାଗାରରେ ଚକି ପେଷିଲା।
22 २२ तथापि त्याचे मुंडन झाल्यांनतर त्याच्या डोक्याचे केस पुन्हा वाढू लागले.
ତଥାପି ତାହାର କ୍ଷୌର ହେଲା ଉତ୍ତାରେ ତାହାର ମସ୍ତକର କେଶ ପୁନର୍ବାର ବଢ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା।
23 २३ मग पलिष्ट्यांचे अधिकारी आपला देव दागोन याच्यासाठी मोठा यज्ञ अर्पण करावयास एकत्र जमले; कारण ते म्हणाले, “आमच्या देवाने आमचा शत्रू शमशोन आमच्या हाती दिला आहे.”
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଅଧିପତିମାନେ ଆପଣାମାନଙ୍କ ଦେବତା ଦାଗୋନ୍ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ମହାଯଜ୍ଞ କରି ଆନନ୍ଦ କରିବାକୁ ଏକତ୍ରିତ ହେଲେ। କାରଣ ସେମାନେ କହିଲେ, “ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଦେବତା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଶତ୍ରୁ ଶାମ୍ଶୋନ୍କୁ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ହସ୍ତରେ ସମର୍ପଣ କରିଅଛନ୍ତି।”
24 २४ तेव्हा लोकांनी त्यास पाहून त्यांच्या देवाची स्तुती केली; त्यांनी असे म्हटले की, “आमच्या देवाने, जो आमचा शत्रू त्याच्यावर, विजय मिळवला आहे आणि देशात आमचा नाश करणारा, ज्याने आमच्यातल्या पुष्कळांना मारले, त्यास आमच्या देवाने आमच्या हाती दिले आहे.”
ପୁଣି ଲୋକମାନେ ତାହାକୁ ଦେଖି ଆପଣାମାନଙ୍କ ଦେବତାର ପ୍ରଶଂସା କଲେ। କାରଣ ସେମାନେ କହିଲେ, “ଯେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ଅନେକଙ୍କୁ ବଧ କଲା, ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ଏପରି ଶତ୍ରୁ ଓ ଦେଶନାଶକକୁ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଦେବତା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ହସ୍ତରେ ସମର୍ପଣ କରିଅଛନ୍ତି।”
25 २५ आणि ते जेव्हा आनंद साजरा करत होते तेव्हा ते म्हणाले, “तुम्ही शमशोनाला बोलवा, म्हणजे तो आमची करमणूक करील.” तेव्हा त्यांनी शमशोनाला बंदिवानांच्या घरातून बोलावले, आणि तो त्यांच्यापुढे थट्टेचे पात्र झाला, आणि त्यांनी त्यास खांबांच्या मध्ये उभे केले होते.
ପୁଣି ସେମାନଙ୍କ ମନ ଆନନ୍ଦିତ ହୁଅନ୍ତେ, ସେମାନେ କହିଲେ, “ଶାମ୍ଶୋନ୍କୁ ଡାକ, ସେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ସାକ୍ଷାତରେ କୌତୁକ କରିବ।” ତହୁଁ ସେମାନେ ଶାମ୍ଶୋନ୍କୁ କାରାଗାରରୁ ଡାକି ଆଣିଲେ ଓ ସେ ସେମାନଙ୍କ ସାକ୍ଷାତରେ କୌତୁକ କଲା। ଆଉ ସେମାନେ ତାହାକୁ ଦୁଇ ସ୍ତମ୍ଭ ମଧ୍ୟରେ ଠିଆ କରାଇଲେ।
26 २६ शमशोन त्याचा हात धरणाऱ्या मुलाला म्हणाला, “ज्या खांबांचा ह्या इमारतीला आधार आहे, ते मी चाचपावे म्हणून तू मला त्यांजवळ ने, म्हणजे मी त्याच्यावर टेकेन.”
ତହୁଁ ଶାମ୍ଶୋନ୍ ଆପଣା ହସ୍ତଧାରୀ ବାଳକକୁ କହିଲା, “ଯେଉଁ ଦୁଇ ସ୍ତମ୍ଭ ଉପରେ ଗୃହର ନିର୍ଭର ଅଛି, ତାହା ମୋତେ ସ୍ପର୍ଶ କରିବାକୁ ଛାଡ଼ିଦିଅ, ମୁଁ ତହିଁ ଉପରେ ଆଉଜିବି।”
27 २७ ते सभागृह तर पुरुषांनी व स्त्रियांनी भरलेले होते, आणि पलिष्ट्यांचे सर्व अधिकारी तेथे होते; सुमारे तीन हजार स्त्री-पुरूष गच्चीवरून शमशोनाची गंमत पाहत होते.
ସେସମୟରେ ଗୃହ ପୁରୁଷ ଓ ସ୍ତ୍ରୀରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ଥିଲା; ପଲେଷ୍ଟୀୟ ସମସ୍ତ ଅଧିପତି ସେଠାରେ ଥିଲେ; ଆଉ ଛାତ ଉପରେ ଊଣାଧିକ ତିନି ହଜାର ପୁରୁଷ ଓ ସ୍ତ୍ରୀ ଥାଇ ଶାମ୍ଶୋନ୍ର କୌତୁକ ଦେଖୁଥିଲେ।
28 २८ तेव्हा शमशोनाने परमेश्वर देवाला हाक मारीत म्हटले, “हे प्रभू देवा, कृपाकरून माझी आठवण कर, आणि हे देवा, या वेळेस एकदाच मात्र कृपा करून मला बळकट कर; म्हणजे मी आपल्या दोन डोळ्यांविषयी पलिष्ट्यांचा एकदम सूड उगवून घेईन.”
ସେତେବେଳେ ଶାମ୍ଶୋନ୍ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ଡାକି କହିଲା, “ହେ ପ୍ରଭୋ ସଦାପ୍ରଭୋ, ନିବେଦନ କରୁଅଛି, ମୋତେ ସ୍ମରଣ କର, ହେ ପରମେଶ୍ୱର, ନିବେଦନ କରୁଅଛି; ମୁଁ ଯେପରି ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନଙ୍କଠାରୁ ଏକାବେଳକେ ମୋହର ଦୁଇ ଚକ୍ଷୁର ପରିଶୋଧ ନେଇ ପାରିବି, ଏଥିପାଇଁ କେବଳ ଏହି ଥରକ ମୋତେ ବଳବାନ କର।”
29 २९ नंतर ज्या दोन मधल्या खांबांवर ते सभागृह उभे राहिलेले होते, आणि ज्यांचा त्यास आधार होता, त्यांच्यातला एक शमशोनाने आपल्या उजव्या हाताने आणि दुसरा आपल्या डाव्या हाताने धरला.
ତହୁଁ ମଧ୍ୟସ୍ଥିତ ଯେଉଁ ଦୁଇ ସ୍ତମ୍ଭ ଉପରେ ଗୃହର ଭାର ଥିଲା, ଶାମ୍ଶୋନ୍ ତହିଁର ଗୋଟିଏକୁ ଆପଣା ଦକ୍ଷିଣ ହସ୍ତରେ ଓ ଆରଟିକୁ ବାମ ହସ୍ତରେ ଧରି ତହିଁ ଉପରେ ଆଉଜି ପଡ଼ିଲା।
30 ३० तेव्हा शमशोन म्हणाला, “पलिष्ट्यांच्या बरोबर माझाही जीव जावो!” मग त्याने सर्व बळ एकवटून ते खांब ढकलले, आणि ते सभागृह त्या अधिकाऱ्यांवर व त्यातल्या सर्व लोकांवर पडले. अशा रीतीने तो जिवंत असताना त्याने जितके मारले होते, त्यांपेक्षाही त्याच्या मरणाच्या वेळी त्याने जे मारले ते अधिक होते.
ପୁଣି ଶାମ୍ଶୋନ୍ କହିଲା, “ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନଙ୍କ ସହିତ ମୋହର ପ୍ରାଣ ଯାଉ।” ଏହା କହି ସେ ବଳରେ ଆପଣାକୁ ନୁଆଁଇଲା; ତହୁଁ ଭିତରେ ଥିବା ଅଧିପତିମାନଙ୍କ ଓ ସମସ୍ତ ଲୋକଙ୍କ ଉପରେ ସେହି ଗୃହ ପଡ଼ିଗଲା। ଏହିରୂପେ ତାହାର ଜୀବନ କାଳର ହତ ଲୋକ ଅପେକ୍ଷା ତାହାର ମରଣ କାଳର ହତ ଲୋକ ଅଧିକ ହେଲେ।
31 ३१ नंतर त्याचे भाऊ व त्याच्या पित्याचे घरचे सर्व लोक यांनी खाली जाऊन त्यास उचलून आणले, आणि त्यास नेऊन सरा व अष्टावोल यामध्ये त्याचा पिता मानोहा याच्या कबरेत पुरले; त्याने तर वीस वर्षे इस्राएलाचा न्याय केला होता.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ତାହାର ଭ୍ରାତୃଗଣ ଓ ତାହାର ପିତୃଗୃହସ୍ଥ ସମସ୍ତେ ଆସି ତାହାକୁ ନେଇ ସରାୟ ଓ ଇଷ୍ଟାୟୋଲର ମଧ୍ୟସ୍ଥାନରେ ତାହାର ପିତା ମାନୋହର କବର ସ୍ଥାନରେ ତାହାକୁ କବର ଦେଲେ। ସେ କୋଡ଼ିଏ ବର୍ଷ ଇସ୍ରାଏଲର ବିଚାର କଲା।