< उत्पत्ति 19 >
1 १ संध्याकाळी ते दोन देवदूत सदोमास आले, त्या वेळी लोट सदोमाच्या वेशीजवळ बसला होता. लोटाने त्यांना पाहिले, तो त्यांना भेटण्यास उठला, आणि त्याने भूमीपर्यंत तोंड लववून त्यांना नमन केले.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସନ୍ଧ୍ୟା ବେଳେ ସେହି ଦୁଇ ସ୍ୱର୍ଗଦୂତ ସଦୋମରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲେ; ସେତେବେଳେ ଲୋଟ ସଦୋମ ନଗରର ଦ୍ୱାରରେ ଉପବିଷ୍ଟ ଥିବାରୁ ସେମାନଙ୍କୁ ଦେଖି ସେମାନଙ୍କ ସହିତ ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ ଉଠିଲା, ପୁଣି, ଭୂମିଷ୍ଠ ପ୍ରଣାମ କରି କହିଲା
2 २ तो म्हणाला, “माझ्या स्वामी, मी तुम्हास विनंती करतो की, कृपा करून तुम्ही आपल्या सेवकाच्या घरात या, आपले पाय धुवा, आणि आजची रात्र मुक्काम करा.” मग तुम्ही लवकर उठून तुमच्या मार्गाने जा. पण ते म्हणाले, “नाही, आम्ही रात्र नगरातील चौकात घालवू.”
“ହେ ମୋହର ପ୍ରଭୁମାନେ, ମୁଁ ବିନୟ କରୁଅଛି, ଆଜି ରାତ୍ର ଆପଣମାନଙ୍କ ଏହି ଦାସର ଗୃହରେ ପଦାର୍ପଣ କରି ବାସ କରନ୍ତୁ ଓ ପାଦ ପ୍ରକ୍ଷାଳନ କରନ୍ତୁ; ତହୁଁ ସକାଳୁ ଉଠି ଯାତ୍ରା କରିବେ।” ତହିଁରେ ସେମାନେ କହିଲେ, “ନା; ଆମ୍ଭେମାନେ ଦାଣ୍ଡରେ ସମସ୍ତ ରାତ୍ରି କ୍ଷେପଣ କରିବୁ।”
3 ३ परंतु लोटाने त्यांना आग्रहाने विनंती केली, म्हणून ते त्याच्याबरोबर त्याच्या घरी गेले. त्याने त्यांच्यासाठी जेवण तयार केले व बेखमीर भाकरी भाजल्या आणि ते जेवले.
ମାତ୍ର ଲୋଟ ଅତିଶୟ ବଳାଇବାରୁ ସେମାନେ ତାହା ସହିତ ଯାଇ ତାହାର ଘରେ ପ୍ରବେଶ କଲେ; ତହୁଁ ସେ ସେମାନଙ୍କର ପାଇଁ ତାଡ଼ିଶୂନ୍ୟ ରୁଟି ଆଦି ଖାଦ୍ୟଦ୍ରବ୍ୟ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରନ୍ତେ, ସେମାନେ ଭୋଜନ କଲେ।
4 ४ परंतु ते झोपण्यापूर्वी, त्या नगरातील मनुष्यांनी, सदोम नगराच्या सर्व भागातील तरुण व वृद्ध अशा सर्व माणसांनी लोटाच्या घराला वेढले.
ମାତ୍ର ସେମାନେ ଶୟନ କରିବା ପୂର୍ବେ ସେହି ନଗରର ଲୋକମାନେ, ଅର୍ଥାତ୍, ସଦୋମର ଯୁବାବୃଦ୍ଧାଦି ସମସ୍ତ ଲୋକ ଚାରିଆଡ଼ୁ ଆସି ତାହାର ଘର ଘେରିଲେ।
5 ५ त्यांनी लोटाला हाक मारून म्हटले “आज रात्री तुझ्याकडे आलेली माणसे कोठे आहेत? त्यांना आमच्याकडे बाहेर आण; म्हणजे आम्ही त्यांच्याशी समागम करू.”
ପୁଣି, ଲୋଟକୁ ଡାକି କହିଲେ, “ଆଜି ରାତ୍ରିରେ ଯେଉଁ ମନୁଷ୍ୟମାନେ ତୁମ୍ଭ ଘରକୁ ଆସିଲେ, ସେମାନେ କାହାନ୍ତି? ସେମାନଙ୍କୁ ବାହାର କରି ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ପାଖକୁ ଆଣ। ଆମ୍ଭେମାନେ ସେମାନଙ୍କଠାରେ ଉପଗତ ହେବା।”
6 ६ लोट घराच्या दारातून बाहेर त्यांच्याकडे आला व त्याने आपल्यामागे दार बंद करून घेतले.
ତହିଁରେ ଲୋଟ ବାହାରକୁ ଆସି ଦ୍ୱାର ବନ୍ଦ କରି କହିଲା,
7 ७ तो म्हणाला, “माझ्या बंधूनो, मी तुम्हास विनंती करतो, तुम्ही असे भयंकर वाईट काम करू नका.
“ହେ ଭାଇମାନେ, ମୁଁ ବିନୟ କରୁଅଛି, ଏପରି କୁବ୍ୟବହାର କର ନାହିଁ।
8 ८ पाहा, माझ्या दोन मुली आहेत ज्यांचा अद्याप कोणाही पुरुषाशी संबंध आला नाही. मी तुम्हास विनंती करतो, मला त्यांना तुमच्याकडे बाहेर आणू द्या, आणि तुम्हास जे चांगले दिसेल तसे त्यांना करा. फक्त या मनुष्यांना काही करू नका, कारण ते माझ्या छपराच्या सावलीखाली राहण्यास आले आहेत.”
ଦେଖ, ପୁରୁଷ-ଅସ୍ପୃଷ୍ଟା ମୋହର ଦୁଇଟି କନ୍ୟା ଅଛନ୍ତି, ସେମାନଙ୍କୁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆଣୁଅଛି, ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଯାହା ଭଲ, ତାହା ସେମାନଙ୍କ ପ୍ରତି କର, ମାତ୍ର ସେହି ମନୁଷ୍ୟମାନଙ୍କ ପ୍ରତି କିଛି କର ନାହିଁ, କାରଣ ଏଥିନିମନ୍ତେ ସେମାନେ ମୋʼ ଛାତ ତଳେ ଆଶ୍ରୟ ନେଇଅଛନ୍ତି।”
9 ९ ते म्हणाले, “बाजूला हो!” ते असेही म्हणाले, “हा आमच्यात परराष्ट्रीय म्हणून राहण्यास आला. आणि आता हा आमचा न्यायाधीश बनू पाहत आहे! आता आम्ही तुझे त्यांच्यापेक्षा वाईट करू.” ते त्या मनुष्यास म्हणजे लोटाला अधिक जोराने लोटू लागले व दरवाजा तोडण्यास ते जवळ आले.
ସେତେବେଳେ ସେମାନେ କହିଲେ, “ଘୁଞ୍ଚି ଯା।” ପୁଣି କହିଲେ, “ଏ ଲୋକଟା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରବାସ କରିବାକୁ ଆସି ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ହେବାକୁ ଚାହେଁ; ଏବେ ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ତୋʼ ପ୍ରତି ଆହୁରି କୁବ୍ୟବହାର କରିବା।” ତହୁଁ ସେମାନେ ସେହି ମନୁଷ୍ୟ, ଅର୍ଥାତ୍, ଲୋଟ ପ୍ରତି ବଳ ପ୍ରୟୋଗ କରି କବାଟ ଭାଙ୍ଗିବାକୁ ଗଲେ।
10 १० परंतु त्या पुरुषांनी त्यांचा हात बाहेर काढून लोटाला आपणाजवळ घरात घेऊन दार बंद केले.
ମାତ୍ର ସେହି ଦୁଇ ଜଣ ହସ୍ତ ବଢ଼ାଇ ଲୋଟକୁ ଗୃହ ମଧ୍ୟରେ ଆପଣାମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଟାଣି ନେଇ ଦ୍ୱାର ବନ୍ଦ କଲେ।
11 ११ लोटाच्या पाहुण्यांनी घराच्या दाराबाहेर जी सर्व तरुण व म्हातारी माणसे होती, त्यांना आंधळे करून टाकले. ते घराचे दार शोधण्याचा प्रयत्न करून करून थकून गेले.
ପୁଣି, ଦ୍ୱାର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ସାନ ଓ ବଡ଼ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନ୍ଧ କରାଇଲେ; ତହିଁରେ ସେମାନେ ଦ୍ୱାର ଖୋଜୁ ଖୋଜୁ ପରିଶ୍ରାନ୍ତ ହେଲେ।
12 १२ मग ते पुरुष लोटाला म्हणाले, “तुझे दुसरे कोणी येथे आहे काय? जावई, तुझी मुले, तुझ्या मुली आणि तुझे जे कोणी या नगरात आहेत त्यांना येथून बाहेर काढ.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସେହି ବ୍ୟକ୍ତିମାନେ ଲୋଟକୁ କହିଲେ, “ଏହି ସ୍ଥାନରେ ତୁମ୍ଭର ଆଉ କିଏ କିଏ ଅଛନ୍ତି? ଜୁଆଁଇ ଓ ତୁମ୍ଭର ପୁତ୍ରକନ୍ୟାଦି ଯେତେ ଲୋକ ଏହି ନଗରରେ ଅଛନ୍ତି, ସେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଏହି ସ୍ଥାନରୁ ନେଇଯାଅ;
13 १३ यासाठी की, आम्ही या ठिकाणाचा नाश करणार आहोत. कारण या लोकांच्या दुष्टतेचा फार मोठा बोभाटा परमेश्वरासमोर झाला आहे, म्हणून त्याने आम्हांला या नगराचा नाश करण्यासाठी पाठवले आहे.”
ଯେହେତୁ ଆମ୍ଭେମାନେ ଏହି ସ୍ଥାନ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବା। ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଛାମୁରେ ଏହି ନଗର ବିରୁଦ୍ଧରେ ମହାକ୍ରନ୍ଦନ ଉଠିଅଛି, ଏଣୁ ସଦାପ୍ରଭୁ ଏହି ନଗର ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବା ପାଇଁ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ପଠାଇଅଛନ୍ତି।”
14 १४ मग लोट बाहेर गेला व ज्या मनुष्यांनी त्याच्या मुलींशी लग्न केले होते त्या आपल्या जावायांना तो म्हणाला, “उठा, तुम्ही, लवकर या ठिकाणातून बाहेर पडा; कारण परमेश्वर देव या नगराचा नाश करणार आहे.” परंतु लोट गंमत करत आहे असे त्याच्या जावयांना वाटले.
ତହୁଁ ଲୋଟ ବାହାରକୁ ଯାଇ ଆପଣା କନ୍ୟାମାନଙ୍କ ସହିତ ବିବାହ କରିବାକୁ ଉଦ୍ୟତ ଜୁଆଁଇମାନଙ୍କୁ କହିଲା, “ଉଠ, ଏଠାରୁ ବାହାର ହୁଅ, ସଦାପ୍ରଭୁ ଏହି ନଗର ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବେ,” ମାତ୍ର ଜୁଆଁଇମାନେ ତାହାକୁ ପରିହାସକ ପରି ମଣିଲେ।
15 १५ मग पहाट झाल्यावर दूत लोटाला घाई करून म्हणाले, “ऊठ, या नगराला शिक्षा होणार आहे; तेव्हा तू, तुझी पत्नी व तुझ्या येथे असलेल्या दोन मुली यांना घेऊन नीघ म्हणजे मग या नगराच्या शिक्षेत तुमचा नाश होणार नाही.”
ଆରଦିନ ପ୍ରଭାତ ହୁଅନ୍ତେ, ଦୂତମାନେ ଲୋଟକୁ ଚଞ୍ଚଳ କରାଇ କହିଲେ, “ଉଠ, ଆପଣାର ଭାର୍ଯ୍ୟା ଓ ଏହି ଯେଉଁ ଦୁଇ କନ୍ୟା ଏଠାରେ ଅଛନ୍ତି, ସେମାନଙ୍କୁ ଘେନିଯାଅ; ନୋହିଲେ ନଗରର ଦଣ୍ଡରେ ବିନଷ୍ଟ ହେବ।”
16 १६ परंतु तो उशीर करीत राहिला. तेव्हा परमेश्वराची त्याच्यावर कृपा होती, म्हणून त्या पुरुषांनी त्याचा हात आणि त्याच्या पत्नीचा आणि त्याच्या दोन मुलींचे हात धरून त्यांना बाहेर आणले आणि नगराबाहेर आणून सोडले.
ତଥାପି ସେ ବିଳମ୍ବ କଲା; ତହିଁରେ ତାହା ପ୍ରତି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ଦୟା ସକାଶୁ ସେମାନେ ତାହାର ଓ ତାହା ଭାର୍ଯ୍ୟାର ଓ ଦୁଇ କନ୍ୟାଙ୍କର ହସ୍ତ ଧରି ସେମାନଙ୍କୁ ନଗରର ବାହାରେ ରଖିଲେ।
17 १७ त्यांनी त्यांना बाहेर आणल्यावर त्यातील एक पुरुष म्हणाला, “आता पळा व तुमचे जीव वाचवा, नगराकडे मागे वळून पाहू नका आणि या मैदानात कोणत्याही ठिकाणी थांबू नका; डोंगराकडे निसटून जा म्हणजे तुमचा नाश होणार नाही.”
ଏହିରୂପେ ସେମାନଙ୍କୁ ବାହାର କରି ଆଣିଲା ଉତ୍ତାରେ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଜଣେ ଲୋଟକୁ କହିଲା, “ପ୍ରାଣରକ୍ଷା ନିମନ୍ତେ ପଳାଅ; ପଛଆଡ଼କୁ ଦୃଷ୍ଟି କର ନାହିଁ ଓ ଏହି ସମସ୍ତ ପ୍ରାନ୍ତର ମଧ୍ୟରେ ହେଁ ରୁହ ନାହିଁ; ପର୍ବତକୁ ପଳାଇ ଯାଅ; ନୋହିଲେ ବିନଷ୍ଟ ହେବ।”
18 १८ लोट त्यांना म्हणाला, “हे माझ्या प्रभू, असे नको, कृपा कर!
ତହିଁରେ ଲୋଟ ଉତ୍ତର କଲା, “ହେ ମୋହର ପ୍ରଭୋ, ଏପରି ନ ହେଉ;
19 १९ माझा जीव वाचवून तू माझ्यावर मोठी दया दाखवली आहेस आणि तुझी कृपादृष्टी तुझ्या दासास प्राप्त झाली आहे, परंतु मी डोंगरापर्यंत पळून जाऊ शकणार नाही, कारण आपत्ती मला गाठेल व मी मरून जाईन.
ଏବେ ଏହି ଦାସ ପ୍ରତି ଅନୁଗ୍ରହ ଓ ମହାଦୟା କରି ପ୍ରାଣରକ୍ଷା କଲେ; ମୁଁ ପର୍ବତକୁ ପଳାଇ ଯାଇ ନ ପାରେ; କେଜାଣି ବିପଦ ଘଟିଲେ ମରିଯିବି।
20 २० पाहा, पळून जाण्यासाठी हे नगर जवळ आहे, आणि ते लहान आहे, कृपा करून मला तिकडे पळून जाऊ दे, ते लहान नाही काय? म्हणजे माझा जीव वाचेल.”
ଦେଖନ୍ତୁ, ପଳାଇ ଯିବାକୁ ସେହି ନଗର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ, ତାହା କ୍ଷୁଦ୍ର; ସେହି ସ୍ଥାନକୁ ପଳାଇବାକୁ ଆଜ୍ଞା କରନ୍ତୁ, ତହିଁରେ ମୋହର ପ୍ରାଣ ବଞ୍ଚିବ; ତାହା କି କ୍ଷୁଦ୍ର ନୁହେଁ?”
21 २१ तो त्यास म्हणाला, “ठीक आहे, मी तुझी ही विनंतीसुद्धा मान्य करतो. तू उल्लेख केलेल्या नगराचा नाश मी करणार नाही.
ତହୁଁ ସେ କହିଲେ, “ଭଲ, ଆମ୍ଭେ ଏ ବିଷୟରେ ତୁମ୍ଭ ପ୍ରତି ଅନୁଗ୍ରହ କରି, ସେହି ଯେଉଁ ନଗରର କଥା ତୁମ୍ଭେ କହିଲ, ତାହା ଉତ୍ପାଟନ କରିବା ନାହିଁ।
22 २२ त्वरा कर! तिकडे पळून जा, कारण तू तेथे पोहचेपर्यंत मला काही करता येणार नाही.” यावरुन त्या नगराला सोअर असे नाव पडले.
ତୁମ୍ଭେ ଶୀଘ୍ର ସେହି ସ୍ଥାନକୁ ପଳାଅ, ଯେହେତୁ ତୁମ୍ଭେ ସେଠାରେ ଉପସ୍ଥିତ ନ ହେଲେ, ଆମ୍ଭେ କିଛି କରି ନ ପାରୁ।” ଏଣୁ ସେହି ସ୍ଥାନର ନାମ ସୋୟର ହେଲା।
23 २३ जेव्हा लोट सोअर नगरामध्ये पोहचला तेव्हा सूर्य उगवला होता,
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଦେଶରେ ସୂର୍ଯ୍ୟୋଦୟ ହୁଅନ୍ତେ, ଲୋଟ ସୋୟରରେ ପ୍ରବେଶ କଲା।
24 २४ नंतर परमेश्वराने सदोम व गमोरा या नगरांवर आकाशातून गंधक व अग्नी यांचा वर्षाव केला.
ତେବେ ସଦାପ୍ରଭୁ ଆକାଶରୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିକଟରୁ ସଦୋମ ଓ ହମୋରା ଉପରେ ଗନ୍ଧକ ଓ ଅଗ୍ନି ବୃଷ୍ଟି କରି
25 २५ त्याने त्या नगरांचा नाश केला, तसेच त्या सगळ्या खोऱ्याचा आणि त्या नगरात राहणाऱ्या सगळ्यांचा, आणि जमिनीवर वाढणाऱ्या वनस्पतींचा नाश केला.
ସେହି ସମୁଦାୟ ନଗର ଓ ପ୍ରାନ୍ତର ଓ ତନ୍ମଧ୍ୟସ୍ଥିତ ଲୋକ ଓ ସେହି ଭୂମିରେ ଜାତ ସକଳ ପଦାର୍ଥ ଉତ୍ପାଟନ କଲେ।
26 २६ परंतु लोटाची पत्नी त्याच्यामागे होती, तिने मागे वळून पाहिले, आणि ती मिठाचा खांब झाली.
ସେହି ସମୟରେ ଲୋଟର ଭାର୍ଯ୍ୟା ପଛଆଡ଼କୁ ଅନାଇବାରୁ ସେ ଲବଣ ସ୍ତମ୍ଭ ହେଲା।
27 २७ अब्राहाम सकाळी लवकर उठला आणि परमेश्वरासमोर तो ज्या ठिकाणी उभा राहिला होता तेथे गेला.
ଆଉ ଅବ୍ରହାମ ପ୍ରଭାତରୁ ଉଠି ପୂର୍ବେ ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଛାମୁରେ ଠିଆ ହୋଇଥିଲେ, ସେହି ସ୍ଥାନରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୋଇ
28 २८ त्याने तेथून सदोम व गमोरा नगराकडे आणि खोऱ्यातील सर्व प्रदेशाकडे पाहिले. त्याने पाहिले तेव्हा पाहा, त्या अवघ्या प्रदेशातून भट्टीच्या धुरासारखा धूर त्या प्रदेशातून वर चढताना त्यास दिसला.
ସଦୋମ ଓ ହମୋରା ଓ ପ୍ରାନ୍ତରସ୍ଥ ସମସ୍ତ ଅଞ୍ଚଳ ପ୍ରତି ଅନାନ୍ତେ, ସେହି ଦେଶରୁ ଭାଟିର ଧୂମ ତୁଲ୍ୟ ଧୂମ ଉଠିବାର ଦେଖିଲେ।
29 २९ देवाने जेव्हा त्या खोऱ्यातील नगरांचा नाश केला तेव्हा अब्राहामाची आठवण केली. त्याने लोट राहत होता त्या नगरांचा नाश करण्यापूर्वी लोटाला त्या नाशातून काढले.
ଏହିରୂପେ ସେହି ପ୍ରାନ୍ତରସ୍ଥିତ ସମସ୍ତ ନଗରର ବିନାଶ ସମୟରେ ପରମେଶ୍ୱର ଅବ୍ରହାମଙ୍କୁ ସ୍ମରଣ କଲେ, ପୁଣି, ଲୋଟ ଯେଉଁ ଯେଉଁ ନଗରରେ ବାସ କରିଥିଲା, ସେହି ସେହି ନଗରର ଉତ୍ପାଟନ ସମୟରେ ଉତ୍ପାଟନ ମଧ୍ୟରୁ ଲୋଟକୁ ବାହାର କଲେ।
30 ३० परंतु लोट त्याच्या दोन मुलींबरोबर सोअर नगरातून निघून डोंगरात राहण्यासाठी चढून गेला, कारण त्यास सोअरात राहण्याची भीती वाटली. तो आपल्या दोन मुलींसह एका गुहेत राहिला.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଲୋଟ ସୋୟରରେ ବାସ କରିବାକୁ ଭୟ କରି ସେଠାରୁ ବାହାରି ଆପଣାର ଦୁଇ କନ୍ୟାଙ୍କୁ ଘେନି ପର୍ବତରେ ବାସ କଲା; ତହିଁରେ ସେ ଓ ତାହାର ଦୁଇ କନ୍ୟା ଗିରି କନ୍ଦରରେ ବାସ କଲେ।
31 ३१ थोरली मुलगी धाकटीला म्हणाली, “आपला पिता म्हातारा झाला आहे आणि जगाच्या रीतीप्रमाणे आपल्याबरोबर संबंध ठेवण्यास येथे कोठेही कोणी पुरुष नाही.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ତାହାର ଜ୍ୟେଷ୍ଠା କନ୍ୟା କନିଷ୍ଠାକୁ କହିଲା, “ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ପିତା ବୃଦ୍ଧ, ପୁଣି, ସଂସାରର ବ୍ୟବହାରାନୁସାରେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ସହବାସ କରିବାକୁ ଏ ଦେଶରେ ତ କୌଣସି ପୁରୁଷ ନାହିଁ।
32 ३२ चल, आपल्या पित्याला द्राक्षरस पाजू, आणि त्याच्याबरोबर झोपू. अशा रीतीने आपल्या पित्याचा आपण वंश चालवू.”
ଆସ, ଆମ୍ଭେମାନେ ପିତାଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ପାନ କରାଇ ପିତାଙ୍କ ବଂଶ ରକ୍ଷା ନିମିତ୍ତ ତାଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଶୟନ କରିବା।”
33 ३३ म्हणून, त्या रात्री त्यांनी आपल्या पित्याला द्राक्षरस पाजला. नंतर थोरली मुलगी आपल्या पित्याबरोबर झोपली; ती कधी झोपली व कधी उठली हे त्यास समजले नाही.
ତହୁଁ ସେହି ରାତ୍ରରେ ସେମାନେ ଆପଣା ପିତାଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ପାନ କରାନ୍ତେ, ଜ୍ୟେଷ୍ଠା କନ୍ୟା ଉଠିଯାଇ ପିତା ସଙ୍ଗେ ଶୟନ କଲା; ମାତ୍ର ତାହାର ଶୟନ କରିବାର ଓ ଉଠିଯିବାର ଲୋଟ ଜାଣି ପାରିଲା ନାହିଁ।
34 ३४ दुसऱ्या दिवशी थोरली धाकटीला म्हणाली, “मी काल रात्री माझ्या बापाबरोबर झोपले, तर आज रात्री पुन्हा आपण बापाला द्राक्षरस पाजू या, मग रात्री तू बापाबरोबर झोप. अशा रीतीने आपण बापाचा वंश चालवू.”
ଆରଦିନ ସେହି ଜ୍ୟେଷ୍ଠା କନ୍ୟା କନିଷ୍ଠାକୁ କହିଲା, “ଦେଖ, ମୁଁ ଗତ ରାତ୍ର ପିତାଙ୍କ ସଙ୍ଗରେ ଶୟନ କଲି, ଆସ, ଆଜି ରାତ୍ର ମଧ୍ୟ ପିତାଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ପାନ କରାଉ; ତହୁଁ ତୁମ୍ଭେ ଯାଇ ପିତାଙ୍କ ବଂଶ ରକ୍ଷାର୍ଥେ ତାଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଶୟନ କର।”
35 ३५ तेव्हा त्या रात्रीही त्यांनी आपल्या बापाला द्राक्षरस पाजला, नंतर धाकटी मुलगी आपल्या बापाबरोबर झोपली, आणि ती कधी झोपली व कधी उठली हे त्यास समजले नाही.
ତହିଁରେ ସେମାନେ ସେହି ରାତ୍ରିରେ ମଧ୍ୟ ପିତାଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ପାନ କରାନ୍ତେ, କନିଷ୍ଠା କନ୍ୟା ଉଠି ତାହା ସଙ୍ଗେ ଶୟନ କଲା; ମାତ୍ର ତାହାର ଶୟନ କରିବାର ଓ ଉଠିଯିବାର ଲୋଟ ଜାଣି ପାରିଲା ନାହିଁ।
36 ३६ अशा रीतीने लोटाच्या दोन्हीही मुली आपल्या बापापासून गरोदर राहिल्या.
ଏହିରୂପେ ଲୋଟର ଦୁଇ କନ୍ୟା ଆପଣା ପିତା ଦ୍ୱାରା ଗର୍ଭବତୀ ହେଲେ।
37 ३७ वडील मुलीला मुलगा झाला, तेव्हा तिने त्याचे नाव मवाब ठेवले. आजपर्यंत जे मवाबी लोक आहेत, त्यांचा हा मूळ पुरुष.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଜ୍ୟେଷ୍ଠା କନ୍ୟା ପୁତ୍ର ପ୍ରସବ କରି ତାହାର ନାମ ମୋୟାବ ଦେଲା; ସେ ବର୍ତ୍ତମାନ କାଳର ମୋୟାବୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କର ଆଦିପିତା।
38 ३८ धाकट्या मुलीलाही मुलगा झाला; तिने त्याचे नाव बेनअम्मी असे ठेवले; आजमितीला जे अम्मोनी लोक त्यांचा हा मूळ पुरुष.
ପୁଣି, କନିଷ୍ଠା କନ୍ୟା ପୁତ୍ର ପ୍ରସବ କରି ତାହାର ନାମ ବିନ-ଅମ୍ମି ଦେଲା; ସେ ବର୍ତ୍ତମାନ କାଳର ଅମ୍ମୋନୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କର ଆଦିପିତା।