< निर्गम 27 >
1 १ परमेश्वर मोशेला म्हणाला, बाभळीच्या लाकडाची पाच हात लांब, पाच हात रुंद व तीन हात उंच अशी चौरस वेदी तयार कर.
১তুমি যজ্ঞবেদীটো চিটীম কাঠেৰে সাজিবা। সেই বেদীৰ দীঘলে পাঁচ হাত, বহলে পাঁচ হাত হ’ব লাগিব। যজ্ঞবেদীৰ চাৰিও দিশ সমান হ’ব লাগিব, আৰু ওখই তিনি হাত হ’ব লাগিব।
2 २ वेदीच्या चार कोपऱ्यांना प्रत्येकी एक अशी चार शिंगे अंगचीच बनलेली असावी; मग वेदी पितळेने मढवावी.
২তুমি তাৰ চাৰিও চুকে ওলাই থকা অংশ, গৰুৰ শিঙৰ আকৃতিৰে তৈয়াৰ কৰিব লাগিব। শিং কেইটা যজ্ঞবেদিৰ সৈতে একেলগে তৈয়াৰ কৰিব লাগিব; আৰু তাত পিতলৰ পতা মাৰিব লাগিব।
3 ३ वेदीवरील राख काढण्यासाठी लागणारी भांडी, फावडी, कटोरे, काटे व अग्निपात्रे ही सर्व उपकरणे पितळेची बनवावी.
৩তুমি যজ্ঞবেদীৰ সকলো সামগ্রী তৈয়াৰ কৰিবা: ছাঁই পেলোৱা পাত্ৰ, হেঁতা, চৰিয়া, মাংস খোঁচ যাঠি, আৰু জুই ধৰা পাত্ৰ। সেই সকলো সঁজুলি পিতলেৰে গঢ়াবা।
4 ४ तिच्यासाठी पितळेच्या जाळीची एक चाळण बनवावी.
৪যজ্ঞবেদীৰ বাবে পিতলৰ এটা জালি গঢ়াবা, আৰু সেই জালিৰ চাৰিওটা চুকত পিতলৰ চাৰিটা চক্র লগাবা।
5 ५ ही चाळण वेदीच्या कंगोऱ्याखाली, वेदीच्या तळापासून अर्ध्या उंची इतकी येईल अशा अंतरावर लावावी.
৫তুমি সেই জালি, যজ্ঞবেদীৰ ভিতৰৰ স্তৰত লগাবা। সেই জালি বেদীৰ তলৰ আধা ভাগলৈকে পাব।
6 ६ वेदीसाठी बाभळीच्या लाकडाचे दांडे करावेत व ते पितळेने मढवावेत.
৬বেদিৰ বাবে চিটীম কাঠৰ কান্ধমাৰি সাজিবা, আৰু তাত পিতলৰ পতা মাৰিবা।
7 ७ ते वेदीच्या दोन्ही बाजूच्या कड्यांत घालावेत म्हणजे वेदी उचलून नेण्यासाठी त्यांचा उपयोग होईल.
৭কান্ধমাৰি কেইডাল চক্রৰ ভিতৰত সুমুউৱাই ৰাখিবা; আৰু যজ্ঞবেদি কঢ়িয়াবলৈ কান্ধমাৰিবোৰ বেদীৰ দুয়ো কাষে ৰাখিব লাগিব।
8 ८ वेदी मध्यभागी पोकळ ठेवावी व बाजूंना फळ्या बसवाव्यात; पर्वतावर मी तुला दाखविल्याप्रमाणे ती तयार करावी.
৮তুমি সেই যজ্ঞবেদী তক্তাৰে ফোঁপোলা কৰি সাজিবা। পৰ্ব্বতত তোমাক যি দৰে দেখুৱা হৈছিল, সেইদৰেই তৈয়াৰ কৰিবা।
9 ९ निवासमंडपाला अंगण तयार कर; त्याच्या दक्षिणेला कातलेल्या तलम सणाच्या पडद्यांची कनात कर, तिची लांबी एका बाजूला शंभर हात असावी.
৯তুমি আবাসৰ বাবে চোতাল প্রস্তুত কৰিব লাগিব। চোতালৰ দক্ষিণফালে মিহি শণ সূতাৰ এশ হাত দীঘল কাপোৰ ওলমাবা।
10 १० तिच्याकरता वीस खांब करावेत व त्यांच्यासाठी पितळेच्या वीस बैठका बनावाव्यात; खांबाच्या आकड्या व पडद्याचे गज चांदीचे करावेत.
১০সেই কাপোৰ ওলমাবলৈ বিশটা খুঁটা; আৰু সেইবোৰৰ বাবে পিতলৰ বিশটা চুঙী; খুটাবোৰৰ হাঁকোটা আৰু মাৰি কেইডাল ৰূপৰ হ’ব লাগিব।
11 ११ वेदीच्या उत्तर बाजूलाही शंभर हात लांबीचे पडदे जोडून केलेली कनात असावी, तिच्यासाठी वीस खांब, पितळेच्या वीस बैठका आणि चांदीच्या आकड्या व गज हे सर्व असावे.
১১সেইদৰে উত্তৰফালে এশ হাত দীঘল কাপোৰ বিশটা খুটাৰ সৈতে থাকিব। সেই খুটাবোৰত বিশটা পিতলৰ চুঙী, আৰু হাঁকোটা লগা থাকিব আৰু মাৰি কেইডাল ৰূপৰ হ’ব লাগিব।
12 १२ अंगणाच्या पश्चिम बाजूस पडद्यांची पन्नास हात लांबीचे पडदे जोडून केलेली कनात असावी; तिला दहा खांब व खांबांना दहा खुर्च्या असाव्यात.
১২সেই চোতালৰ পশ্চিমফালে পঞ্চাশহাত দীঘল পৰ্দা থাকিব। তাত দহটা খুঁটা আৰু দহটা চুঙী থাকিব।
13 १३ अंगणाची पूर्वेकडील म्हणजे प्रवेश द्वाराकडील बाजूही पन्नास हात असावी.
১৩পূবদিশে চোতালখন পঞ্চাশ হাত দীঘল হ’ব লাগিব।
14 १४ अंगणाच्या फाटकाच्या एका बाजूला पंधरा हात लांबीची पडद्याची कनात असावी; या बाजूस तीन खांब व तीन खुर्च्या असाव्यात;
১৪প্রবেশ দুৱাৰৰ এফালে ওলমাই থোৱা পৰ্দা পোন্ধৰ হাত দীঘল হ’ব লাগিব; আৰু সেই পৰ্দাৰ বাবে তিনিটা চুঙীৰে সৈতে তিনিটা খুঁটা লাগিব।
15 १५ फाटकाच्या दुसऱ्या बाजूलाही पंधरा हात लांबीची पडद्याची कनात, व तिलाही तीन खांब व तीन खुर्च्या हे सर्व असावे.
১৫আনদিশে পোন্ধৰ হাত দীঘল কাপোৰ ওলমাব লাগিব। তাৰ বাবে তিনিটা চুঙী আৰু তিনিটা খুঁটা হ’ব।
16 १६ अंगणाच्या फाटकासाठी निळ्या, जांभळ्या व किरमिजी रंगाच्या सुताचा व कातलेल्या तलम सणाच्या कापडाचा वीस हात लांबीचा पडदा असावा व त्यावर नक्षीदार विणकाम असावे; पडद्यासाठी चार खांब व चार खुर्च्या असाव्यात.
১৬চোতালখনৰ দুৱাৰৰ বাবে নীলা, বেঙুনীয়া, আৰু ৰঙা বৰণীয়া সূতা ও পকোৱা মিহি শণ সূতাৰে ফুল বছা বিশ হাত দীঘল এখন পৰ্দা তৈয়াৰ কৰিব লাগিব। সেই পৰ্দাৰ চাৰিটা খুঁটা, আৰু সেই খুটাবোৰৰ বাবে চাৰিটা চুঙী লাগিব।
17 १७ अंगणाच्या सभोवतीचे सर्व खांब चांदीच्या बांधपट्टयांनी जोडलेले असावेत; त्यांच्या आकड्या चांदीच्या व खुर्च्या पितळेच्या असाव्यात.
১৭চোতালৰ সকলো খুটাবোৰত ৰূপৰ মাৰি, ৰূপৰ হাঁকোটা আৰু পিতলৰ চুঙী থাকিব লাগিব।
18 १८ अंगणाची लांबी शंभर हात असावी व पन्नास हात रुंद असावी; अंगणासभोवतीची पडद्याची कनात पाच हात उंच असावी व ती कातलेल्या तलम सणाच्या सुताची बनविलेली असावी; आणि तिच्या खांबाच्या खुर्च्या पितळेच्या असाव्यात.
১৮চোতাল দীঘলে এশ হাত, পথালিয়ে পঞ্চাশ হাত, আৰু ওখই পাঁচ হাত। চোতালৰ চাৰিওফালে ওলমি থকাকৈ পকোৱা মিহি শণ সূতাৰ পৰ্দা, আৰু চুঙীবোৰ পিতলৰ হ’ব।
19 १९ पवित्र निवासमंडपातील सर्व उपकरणे, तंबूच्या मेखा आणि इतर वस्तू आणि अंगणासभोवतीच्या कनातीच्या मेखा पितळेच्या असाव्यात.
১৯আবাসৰ কাৰ্যত ব্যৱহাৰ হোৱা সকলো সামগ্রী, আবাস আৰু চোতালৰ কাৰণে সকলো তম্বুৰ খুটি পিতলৰ হ’ব লাগিব।
20 २० इस्राएल लोकांनी दीपवृक्ष सतत जळत ठेवण्यासाठी जैतुनाचे हाताने कुटलेले निर्मळ तेल तुझ्याकडे घेऊन यावे;
২০সদায় প্ৰদীপ জ্বলাই পোহৰ কৰিবলৈ, খান্দি উলিওৱা জিতগছৰ গুটিৰ শুদ্ধ তেল তোমাৰ ওচৰলৈ আনিবলৈ, তুমি ইস্ৰায়েলী লোকসকলক আজ্ঞা দিবা।
21 २१ अंतरपटातील पडद्यामागील आज्ञापटाच्या बाहेर असलेल्या दर्शनमंडपामध्ये अहरोन व त्याचे पुत्र ह्यांनी तो दीपवृक्ष संध्याकाळपासून सकाळपर्यंत परमेश्वरासमोर जळत ठेवण्याची व्यवस्था करावी; हा इस्राएल लोकांसाठी व त्यांच्या वंशासाठी पिढ्यानपिढ्या कायमचा विधी आहे.
২১সাক্ষাৎ কৰা তম্বুৰ ভিতৰত সাক্ষ্য-ফলিৰ নিয়ম চন্দুকৰ আগত থকা পৰ্দাৰ বাহিৰত যিহোৱাৰ আগত গধূলিৰ পৰা ৰাতিপুৱালৈকে প্রদীপ জ্বলি থাকিবৰ বাবে হাৰোণ আৰু তেওঁৰ পুত্ৰসকলে তত্বাৱধান ল’ব লাগিব। এয়ে ইস্ৰায়েলী লোকসকলে পুৰুষানুক্ৰমে পালন কৰিব লগীয়া চিৰস্থায়ী বিধি।