< एस्तेर 9 >
1 १ आता बाराव्या महिन्याच्या म्हणजे अदार महिन्याच्या तेराव्या दिवशी लोकांस राजाच्या आज्ञेचे व हुकूमाचे पालन करायचे होते, यहूद्यांच्या शत्रूंनी त्यांच्यावर वरचढ होण्याची आशा धरली होती पण त्याच्या उलट झाले, जे यहूद्यांचा द्वेष करत होते त्या शत्रूंपेक्षा यहूदी आता वरचढ झाले होते.
ଏଥିମଧ୍ୟରେ ଅଦର ନାମକ ଦ୍ୱାଦଶ ମାସର ତ୍ରୟୋଦଶ ଦିନରେ ରାଜାଜ୍ଞା ଓ ନିୟମର କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ ସମୟ ନିକଟ ହେଲା; ଅର୍ଥାତ୍, ଯେଉଁ ଦିନ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ଶତ୍ରୁଗଣ ସେମାନଙ୍କ ଉପରେ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ କରିବାକୁ ଅପେକ୍ଷା କରିଥିଲେ, ସେହି ଦିନ ଏପରି ବିପରୀତ ଘଟଣା ହେଲା ଯେ, ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଆପଣା ଘୃଣାକାରୀମାନଙ୍କ ଉପରେ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ କଲେ।
2 २ आपल्याला नेस्तनाबूत करु पाहणाऱ्या लोकांचा जोरदार प्रतिकार करता यावा म्हणून राजा अहश्वेरोशच्या राज्यातील सर्व ठिकाणचे यहूदी आपआपल्या नगरात एकत्र आले. त्यामुळे त्यांच्या विरोधात जायची कोणामध्येच ताकद नव्हती म्हणून यहूद्यांना ते लोक घाबरले.
ସେତେବେଳେ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଆପଣାମାନଙ୍କ ହିଂସାଚେଷ୍ଟାକାରୀଗଣ ଉପରେ ହସ୍ତକ୍ଷେପ କରିବାକୁ ଅକ୍ଷଶ୍ୱେରଶ ରାଜାଙ୍କ ଯାବତୀୟ ପ୍ରଦେଶରେ ଆପଣା ଆପଣା ନଗରରେ ଏକତ୍ରିତ ହେଲେ, ପୁଣି ସେମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ କେହି ଠିଆ ହୋଇ ପାରିଲେ ନାହିଁ, କାରଣ ସମୁଦାୟ ଲୋକ ସେମାନଙ୍କ ସକାଶୁ ଭୀତ ହୋଇଥିଲେ।
3 ३ शिवाय, सर्व प्रांतामधले अधिकारी, अधिपती, सरदार, आणि राजाचे कारभारी यांनी यहूद्यांना सहाय्य केले, कारण ते सगळे मर्दखयाला घाबरत होते.
ଆଉ, ପ୍ରଦେଶାଧିପତି ଓ କ୍ଷିତିପାଳ ଓ ଶାସନକର୍ତ୍ତା ଓ ରାଜ-କର୍ମକାରୀମାନେ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କର ସାହାଯ୍ୟ କଲେ, କାରଣ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ସକାଶେ ସେମାନେ ଭୟଭୀତ ହୋଇଥିଲେ।
4 ४ मर्दखय राजवाड्यातील मोठा व्यक्ती असून त्याची किर्ती राज्यातील सर्वापर्यंत पोहचली होती, मर्दखयाचे सामर्थ्य उत्तरोत्तर वाढत गेले.
ଯେହେତୁ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ରାଜଗୃହ ମଧ୍ୟରେ ମହାନ ଥିଲେ ଓ ତାହାର ଯଶ ସର୍ବ ପ୍ରଦେଶରେ ବ୍ୟାପ୍ତ ହେଲା; କାରଣ ସେହି ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ଅଧିକ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ହେଲେ।
5 ५ यहूद्यांनी आपल्या सर्व शत्रूंचा पाडाव केला. तलवार चालवून त्यांनी शत्रूला ठार केले व शत्रूंचा विध्वंस केला. आपला तिरस्कार करणाऱ्या शत्रूचा आपल्या इच्छेप्रमाणे समाचार घेतला.
ପୁଣି, ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଆପଣାମାନଙ୍କ ସମସ୍ତ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ଖଡ୍ଗାଘାତ ଓ ସଂହାର ଓ ବିନାଶ କଲେ; ସେମାନେ ଆପଣାମାନଙ୍କ ଘୃଣାକାରୀଗଣ ପ୍ରତି ଯାହା ଇଚ୍ଛା, ତାହା କଲେ।
6 ६ शूशन या राजधानीच्या शहरात यहूद्यांनी पाचशेजणांचा वध करून धुव्वा उडवला.
ଏହିରୂପେ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଶୂଶନ୍ ରାଜଧାନୀରେ ପାଞ୍ଚ ଶତ ଲୋକଙ୍କୁ ବଧ ଓ ବିନାଶ କଲେ।
7 ७ शिवाय त्यांनी पुढील लोकांस ठार केले. पर्शन्दाथा, दलफोन, अस्पाथा,
ପୁଣି, ପର୍ଶନ୍ଦାଥ ଓ ଦଲ୍ଫୋନ ଓ ଅସ୍ପାଥ
8 ८ पोराथा, अदल्या, अरीदाथा,
ଓ ପୋରାଥ ଓ ଅଦଲୀୟ ଓ ଅରିଦାଥ
9 ९ पर्मश्ता, अरीसई, अरीदय, वैजाथा,
ଓ ପର୍ମସ୍ତ ଓ ଅରୀଷୟ ଓ ଅରୀଦୟ ଓ ବୟିଷାଥ,
10 १० हे हामानाचे दहा पुत्र होते. हम्मदाथाचा पुत्र हामान यहूद्यांचा शत्रू होता. यहूद्यांनी या सर्वांना ठार केले खरे, पण त्यांची मालमत्ता लुटली नाही.
ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କର ଶତ୍ରୁ ହମ୍ମଦାଥାର ପୁତ୍ର ହାମନ୍ର ଏହି ଦଶ ପୁତ୍ରଙ୍କୁ ସେମାନେ ବଧ କଲେ, ମାତ୍ର ଲୁଟ କରିବାକୁ ସେମାନେ ହସ୍ତକ୍ଷେପ କଲେ ନାହିଁ।
11 ११ तटबंदी असलेल्या शूशनमध्ये, त्यादिवशी किती जण मारले गेले ते राजाला सांगण्यात आले.
ଯେଉଁମାନେ ଶୂଶନ୍ ରାଜଧାନୀରେ ହତ ହେଲେ, ସେମାନଙ୍କର ସଂଖ୍ୟା ସେହି ଦିନରେ ରାଜା ଛାମୁକୁ ଆସନ୍ତେ,
12 १२ तेव्हा राजा एस्तेर राणीला म्हणाला, “हामानाच्या दहा पुत्रासहीत यहूद्यांनी शूशनमध्ये पाचशे लोकांस मारले. आता राजाच्या इतर प्रांतांत काय करावे अशी तुझी इच्छा आहे? तुझी काय विनंती आहे? ती मान्य करण्यात येईल. तुझी काय मागणी आहे? ती तुझ्यासाठी मान्य करण्यात येईल.”
ରାଜା ଏଷ୍ଟର ରାଣୀଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଶୂଶନ୍ ରାଜଧାନୀରେ ପାଞ୍ଚ ଶତ ଲୋକ ଓ ହାମନ୍ର ଦଶ ପୁତ୍ରଙ୍କୁ ବଧ ଓ ବିନାଶ କରିଅଛନ୍ତି; ତେବେ ସେମାନେ ରାଜାଙ୍କ ଅବଶିଷ୍ଟ ପ୍ରଦେଶ ସକଳରେ କଅଣ କରି ନ ଥିବେ! ଏବେ ତୁମ୍ଭର ନିବେଦନ କଅଣ? ତାହା ତୁମ୍ଭକୁ ଦତ୍ତ ହେବ ଓ ତୁମ୍ଭର ଆଉ ପ୍ରାର୍ଥନା କଅଣ? ତାହା ସିଦ୍ଧ ହେବ।”
13 १३ एस्तेर म्हणाली, “राजाची मर्जी असेल तर शूशनमध्ये यहूद्यांना आजच्यासारखेच उद्या करु द्यावे आणि हामानाच्या दहा पुत्रांचे देहही खांबावर टांगावे.”
ତହୁଁ ଏଷ୍ଟର କହିଲେ, “ଯେବେ ମହାରାଜ ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୁଅନ୍ତି, ତେବେ ଆଜିର ଆଜ୍ଞା ପ୍ରମାଣେ କାଲି ହିଁ କରିବାର ଅନୁମତି ଶୂଶନ୍ସ୍ଥ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଦତ୍ତ ହେଉ, ଆଉ ହାମନ୍ର ଦଶ ପୁତ୍ର ଫାଶୀକାଠରେ ଟଙ୍ଗା ଯାଉନ୍ତୁ।”
14 १४ तेव्हा राजाने तशी आज्ञा दिली. शूशनमध्ये तोच कायदा दुसऱ्या दिवशीही चालू राहिला. हामानाच्या दहा मुलांना टांगले गेले.
ଏଥିରେ “ସେପରି କରାଯିବାକୁ” ରାଜା ଆଜ୍ଞା ଦେଲେ ପୁଣି, ସେହି ଆଜ୍ଞା ଶୂଶନ୍ରେ ପ୍ରଚାରିତ ହେଲା; ତହିଁରେ ଲୋକମାନେ ହାମନ୍ର ଦଶ ପୁତ୍ରଙ୍କୁ ଫାଶୀକାଠରେ ଟଙ୍ଗାଇଲେ।
15 १५ अदार महिन्याच्या चौदाव्या दिवशी शूशनमधील यहूदी एकत्र जमले आणि त्यांनी शूशनमधल्या तीनशे जणांना जिवे मारले पण त्यांच्या संपत्तीची लूट केली नाही.
ଆଉ, ଶୂଶନ୍ସ୍ଥ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଅଦର ମାସର ଚତୁର୍ଦ୍ଦଶ ଦିନରେ ମଧ୍ୟ ଏକତ୍ରିତ ହୋଇ ଶୂଶନ୍ରେ ତିନି ଶତ ଲୋକଙ୍କୁ ବଧ କଲେ, ମାତ୍ର ଲୁଟ କରିବା ପାଇଁ ହସ୍ତକ୍ଷେପ କଲେ ନାହିଁ।
16 १६ त्यावेळी राजाच्या प्रांतांमधले यहूदीदेखील आपल्या संरक्षणासाठी एकत्र जमले आणि आपल्या शत्रुपासून त्यांना विसावा मिळाला. जे त्यांचा द्वेष करत होते त्या पंचाहत्तर हजार लोकांस त्यांनी ठार केले, पण त्यांनी ज्यांना ठार केले त्यांच्या मालमत्तेला हात लावला नाही.
ଏଥିମଧ୍ୟରେ ରାଜାଙ୍କ ନାନା ପ୍ରଦେଶ ନିବାସୀ ଅନ୍ୟ ସକଳ ଯିହୁଦୀୟ ଲୋକମାନେ ଏକତ୍ରିତ ହୋଇ ଆପଣା ଆପଣା ପ୍ରାଣ ନିମନ୍ତେ ଠିଆ ହେଲେ; ପୁଣି, ଆପଣାମାନଙ୍କ ଶତ୍ରୁଗଣଠାରୁ ବିଶ୍ରାମ ପାଇ ଘୃଣାକାରୀମାନଙ୍କର ପଞ୍ଚସ୍ତରି ସହସ୍ର ଲୋକଙ୍କୁ ବଧ କଲେ, ମାତ୍ର ଲୁଟ କରିବା ପାଇଁ ହସ୍ତକ୍ଷେପ କଲେ ନାହିଁ।
17 १७ अदार महिन्याच्या तेराव्या दिवशी हे घडले चौदाव्या दिवशी यहूद्यांनी विश्रांती घेतली आणि तो दिवस त्यांनी आनंदोत्सवाचा व मेजवाणीचा ठरविला.
ଏହି ସମସ୍ତ ଅଦର ମାସର ତ୍ରୟୋଦଶ ଦିନରେ ହେଲା; ପୁଣି, ସେହି ମାସର ଚତୁର୍ଦ୍ଦଶ ଦିନରେ ସେମାନେ ବିଶ୍ରାମ କରି ତାହା ଭୋଜନପାନ ଓ ଆନନ୍ଦ କରିବାର ଦିନ କଲେ।
18 १८ परंतु शूशनमधील यहूदी अदार महिन्याच्या तेराव्या आणि चौदाव्या दिवशी एकत्र आले होते. मग पंधराव्या दिवशी त्यांनी आराम केला. पंधरावा दिवस त्यांनी मेजवाणीचा व आनंदोत्सवाचा ठरविला.
ମାତ୍ର ଶୂଶନ୍ସ୍ଥ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ସେହି ମାସର ତ୍ରୟୋଦଶ ଓ ଚତୁର୍ଦ୍ଦଶ ଦିନରେ ଏକତ୍ରିତ ହେଲେ ଓ ସେହି ମାସର ପଞ୍ଚଦଶ ଦିନରେ ବିଶ୍ରାମ କରି ତାହା ଭୋଜନପାନର ଓ ଆନନ୍ଦର ଦିନ କଲେ।
19 १९ म्हणून खेडोपाडी राहणारे जे यहूदी गावकूस नसलेल्या गावात राहतात ते अदारच्या चतुर्दशीला पुरीम हा सण साजरा करतात. त्यांचा सण चतुर्दशीला असतो. त्यादिवशी ते मेजवान्या देतात आणि भेटवस्तूंची देवाणघेवाण करतात.
ଏନିମନ୍ତେ ଗ୍ରାମସ୍ଥ, ଅର୍ଥାତ୍, ପ୍ରାଚୀରହୀନ ନଗର ନିବାସୀ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଅଦର ମାସର ଚତୁର୍ଦ୍ଦଶ ଦିନକୁ ଆନନ୍ଦ ଓ ଭୋଜନପାନ ଓ ମଙ୍ଗଳର, ପୁଣି ପରସ୍ପର ଅଂଶ ପଠାଇବାର ଦିନ କରି ମାନନ୍ତି।
20 २० मर्दखयाने जे घडले त्याची नोंद केली आणि त्याने राजा अहश्वेरोशच्या प्रांतातील जवळ व दूरच्या सर्व प्रांतातील यहूद्यांना पत्रे पाठवली,
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ଏହିସବୁ ବିଷୟ ଲେଖିଲେ ଓ ଅକ୍ଷଶ୍ୱେରଶ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟସ୍ଥ ଓ ଦୂରସ୍ଥ ସକଳ ପ୍ରଦେଶରେ ଥିବା ସମସ୍ତ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ପତ୍ର ପଠାଇଲେ।
21 २१ दरवर्षी अदार महिन्याचा चौदावा आणि पंधरावा दिवसही अगत्याने पाळावा,
ଆଉ, ଯେଉଁ ଦୁଇ ଦିନ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଆପଣାମାନଙ୍କ ଶତ୍ରୁଗଣଠାରୁ ବିଶ୍ରାମ ପାଇଲେ, ପୁଣି ଯେଉଁ ମାସରେ ସେମାନଙ୍କର ଦୁଃଖ ସୁଖରେ ଓ ଶୋକ ମଙ୍ଗଳ ଦିନରେ ପରିଣତ ହେଲା,
22 २२ त्या दिवशी यहूद्यांना आपल्या शत्रूंपासून विसावा मिळाला म्हणून त्या दिवशी आनंदोत्सव साजरा करावा. या महिन्यात त्यांच्या शोकाचे रुपांतर आनंदात झाले. म्हणून हा महिनाही उत्सवासारखा साजरा करावा. या महिन्यात त्यांच्या आक्रोशाचे रुपांतर आनंदोत्सवाच्या दिवसात झाले. मर्दखयाने सर्व यहूद्यांना पत्रे लिहिली. सणासुदीचे दिवस म्हणून त्याने हे दिवस त्यांना साजरे करायला सांगितले. त्या दिवशी त्यांनी मेजवान्या द्याव्यात, भेटवस्तूंची देवाणघेवाण करावी आणि गरिबांना भेटवस्तू द्याव्यात.
ପ୍ରତି ବର୍ଷ ସେହି ମାସର ସେହି ଦୁଇ ଦିନ, ଅର୍ଥାତ୍, ଅଦର ମାସର ଚତୁର୍ଦ୍ଦଶ ଓ ପଞ୍ଚଦଶ ଦିନକୁ ସେମାନେ ଯେପରି ଭୋଜନପାନ ଓ ଆନନ୍ଦର ଓ ପରସ୍ପର ଅଂଶ ଓ ଦରିଦ୍ରମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଦାନ ପ୍ରେରଣ କରିବାର ଦିନ କରି ମାନିବେ, ଏହି ଆଜ୍ଞା ଦେଲେ।
23 २३ मर्दखयाने त्यांना लिहिले होते त्याप्रमाणे यहूद्यांनी सुरवात केली होती तो उत्सव त्यांनी पुढेही चालू ठेवला.
ତହିଁରେ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଯେପରି ଆରମ୍ଭ କରିଥିଲେ ଓ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ଯେପରି ଲେଖିଥିଲେ, ସେମାନେ ତଦ୍ରୂପ ବ୍ୟବହାର କରିବାକୁ ସମ୍ମତ ହେଲେ;
24 २४ हम्मदाथाचा पुत्र अगागी हामान सर्व यहूद्यांचा शत्रू होता. त्याने यहूद्यांचा नायनाट करण्याचे कपटी कारस्थान रचले होते. यहूद्यांच्या संहारासाठी त्याने चिठ्ठी टाकून दिवस ठरवला होता.
କାରଣ ସମୁଦାୟ ଯିହୁଦୀୟ-ଲୋକର ଶତ୍ରୁ ଅଗାଗୀୟ ହମ୍ମଦାଥାର ପୁତ୍ର ହାମନ୍ ସେମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିବାର ସଂକଳ୍ପ କରି ସେମାନଙ୍କୁ ଲୁପ୍ତ ଓ ବିନାଶ କରିବା ପାଇଁ ପୂର, ଅର୍ଥାତ୍, ଗୁଲିବାଣ୍ଟ କରିଥିଲେ।
25 २५ परंतु राजासमोर ही गोष्ट आली तेव्हा त्याने अशी लिखीत आज्ञा काढली की, कपटी हामानाने यहूदी लोकांविरूद्ध रचलेल्या कारस्थानाचा दोष त्यांच्या माथी मारावा आणि त्यास व त्याच्या पुत्रांना फाशी देण्यात यावी.
ମାତ୍ର ରାଜା ଛାମୁକୁ (ଏ ବିଷୟ) ଆସନ୍ତେ, ସେ ଏହି ଆଜ୍ଞାପତ୍ର ଦେଲା, ହାମନ୍ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଯେଉଁ ଦୁଷ୍ଟ-ସଂକଳ୍ପ କରିଅଛି, ତାହା ତାହାର ନିଜ ମସ୍ତକରେ ବର୍ତ୍ତୁ, ପୁଣି ସେ ଓ ତାହାର ପୁତ୍ରମାନେ ଫାଶୀକାଠରେ ଟଙ୍ଗା ଯାଉନ୍ତୁ।
26 २६ यास्तव पूर या शब्दावरून “पुरीम” असे म्हणत, म्हणून या दिवसास “पुरीम” नाव पडले. कारण त्या पत्रामध्ये लिहिलेल्या सर्व गोष्टी, त्यांनी पाहिलेले सर्व काही आणि त्याच्याबाबतीत जे घडले होते त्यामुळे यहूद्यांनी ही प्रथा स्विकारली.
ଏନିମନ୍ତେ ପୂର ନାମାନୁସାରେ ସେହି ଦୁଇ ଦିନର ନାମ ପୂରୀମ୍ ହେଲା। ପୁଣି, ସେହି ପତ୍ରର ସକଳ କଥା ସକାଶୁ ଓ ସେ ବିଷୟରେ ଯାହା ସେମାନେ ଦେଖିଥିଲେ ଓ ସେମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଯାହା ଘଟିଥିଲା, ତହିଁ ସକାଶୁ ଯିହୁଦୀୟମାନେ ଆପଣାମାନଙ୍କର ଓ ଆପଣା ଆପଣା ବଂଶର ଓ ଯିହୁଦୀ-ମତାବଲମ୍ବୀଗଣର କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ବୋଲି ଏହା ସ୍ଥିର କଲେ ଯେ,
27 २७ यहूद्यांनी नवीन रीत व कर्तव्य स्विकारले. ही रीत आपल्यासाठी, आपल्या वंशजासाठी व जो प्रत्येकजन त्यांना जोडलेले आहे तो. आपण हे दोन दिवस प्रत्येक वर्षी साजरे करावेत. ते त्यांच्या नियमानुसार आणि प्रत्येकवर्षी त्याच वेळी साजरे करावे.
ତତ୍ସମ୍ପର୍କୀୟ ଲିଖିତ ଆଜ୍ଞା ଓ ନିରୂପିତ ସମୟାନୁସାରେ ସେମାନେ ବର୍ଷକୁ ବର୍ଷ ଏହି ଦୁଇ ଦିନ ପାଳନ କରିବେ ଓ କୌଣସି ରୂପେ ତାହା ଲୋପ କରିବେ ନାହିଁ।
28 २८ प्रत्येक पिढी आणि प्रत्येक कुटुंब या दिवसाची आठवण ठेवते. सर्व प्रांतांमध्ये आणि सर्व नगरामध्ये हा दिवस साजरा केला जातो. पुरीमचे हे दिवस साजरे करण्याची प्रथा यहूदी कधीही सोडणार नाहीत. यहूद्यांचे वंशजही हा सण नेहमी लक्षात ठेवतील.
ଆଉ, ସମସ୍ତ ପୁରୁଷ-ପରମ୍ପରାରେ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ବଂଶରେ ଓ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପ୍ରଦେଶରେ ଓ ପ୍ରତ୍ୟେକ ନଗରରେ ସେହି ଦୁଇ ଦିନ ସ୍ମରଣ ଓ ପାଳନ କରାଯିବ; ପୁଣି, ଏହି ପୂରୀମ୍ ଦିନ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଲୋପ ପାଇବ ନାହିଁ ଓ ସେମାନଙ୍କ ବଂଶ ମଧ୍ୟରୁ ସେହି ଦୁଇ ଦିନର ସ୍ମରଣ ଲୁପ୍ତ ହେବ ନାହିଁ।
29 २९ मग अबीहाईल ची कन्या राणी एस्तेर आणि यहूदी मर्दखय यांनी पुरीमविषयी एक फर्मान लिहिले. हे दुसरे पत्र ही पूर्णपणे सत्य आहे हे सिध्द करण्यासाठी त्यांनी ते फर्मान राजाच्या पूर्ण अधिकारानिशी काढले.
ଅବୀହୟିଲର କନ୍ୟା ଏଷ୍ଟର ରାଣୀ ଓ ଯିହୁଦୀୟ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ପୂରୀମ୍-ଦିନବିଷୟକ ଏହି ଦ୍ୱିତୀୟ ପତ୍ର ସ୍ଥିରକରଣାର୍ଥେ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ କ୍ଷମତା ସହିତ ଲେଖିଲେ।
30 ३० राजा अहश्वेरोशाच्या राज्यातील एकशेसत्तावीस प्रांतांमधील समस्त यहूद्यांना मर्दखयाने पत्रे लिहिली. त्यामध्ये शांतीची सत्य वचने होती.
ପୁଣି, ଯିହୁଦୀୟ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ଓ ଏଷ୍ଟର ରାଣୀ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ନିମନ୍ତେ ଉପବାସ ଓ କ୍ରନ୍ଦନ ବିଷୟକ ଯେଉଁ ଆଜ୍ଞା ଦେଇଥିଲେ ଓ ସେମାନଙ୍କର ଆପଣାମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଓ ଆପଣାମାନଙ୍କ ବଂଶ ପାଇଁ ଯାହା ସ୍ଥିର କରିଥିଲେ,
31 ३१ पुरीम साजरा करायला लोकांस सांगण्यासाठी मर्दखयाने ही पत्रे लिहिली. आणि हा नवीन सण केव्हा साजरा करायचा हे ही त्याने सांगितले. यहूदी मर्दखय आणि राणी एस्तेर यांनी यहूद्यांसाठी आदेश पाठवले होते. यहूद्यांमध्ये आणि त्यांच्या वंशजामध्ये हा दोन दिवसाचा सण पक्का रुजावा म्हणून त्या दोघांनी ही कृती केली. इतर सणांच्या दिवशी जसे ते उपवास करून आणि शोक करून तो सण आठवणीने पाळतात तसा हा सण त्यांनी इथून पुढे पाळावा.
ତଦନୁସାରେ ମର୍ଦ୍ଦଖୟ ନିରୂପିତ କାଳରେ ପୂରୀମ୍ର ସେହି ଦୁଇ ଦିନର ପାଳନ ସ୍ଥିର କରିବା ନିମନ୍ତେ ଅକ୍ଷଶ୍ୱେରଶ ରାଜାଙ୍କ ଅଧୀନସ୍ଥ ଏକ ଶହ ସତାଇଶ ପ୍ରଦେଶରେ ଥିବା ସମସ୍ତ ଯିହୁଦୀୟମାନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଶାନ୍ତି ଓ ସତ୍ୟ-ବାକ୍ୟଯୁକ୍ତ ପତ୍ର ପ୍ରେରଣ କଲେ।
32 ३२ पुरीमचे नियम एस्तेरच्या आज्ञेने ठरविण्यात आले. आणि या गोष्टींची लेखी नोंद ग्रंथात झाली.
ଏହିରୂପେ ଏଷ୍ଟରଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ଦ୍ୱାରା ପୂରୀମ୍-ଦିନର ବିଧି ସ୍ଥିରୀକୃତ ହେଲା ଓ ତାହା ପୁସ୍ତକରେ ଲେଖାଗଲା।