< दानीएल 7 >

1 बाबेलाचा राजा बेलशस्सर याच्या राज्याच्या पहिल्या वर्षी दानीएल आपल्या पलंगावर पडलेला असता त्यास स्वप्न पडले आणि दृष्टांत त्याच्या मनात फिरू लागले मग त्याने ते स्वप्न आणि त्यातील महत्वाच्या घटना लिहून काढत्या.
ବାବିଲର ରାଜା ବେଲ୍‍ଶତ୍ସରର ରାଜତ୍ଵର ପ୍ରଥମ ବର୍ଷରେ ଦାନିୟେଲ ଆପଣା ଶଯ୍ୟା ଉପରେ ସ୍ୱପ୍ନ ଓ ମାନସିକ ଦର୍ଶନ ପ୍ରାପ୍ତ ହେଲେ; ତହୁଁ ସେ ସେହି ସ୍ୱପ୍ନ ଲେଖି କଥାର ସାର ପ୍ରକାଶ କଲେ।
2 दानीएलाने म्हटले, “रात्रीच्या माझ्या दृष्टांतात मी पाहीले स्वर्गातील चार वारे महासागरावर घोळत होते.
ଦାନିୟେଲ କହିଲେ, “ମୁଁ ରାତ୍ରିକାଳରେ ଦର୍ଶନକ୍ରମେ ଦେଖିଲି ଯେ, ଦେଖ, ମହାସମୁଦ୍ର ଉପରେ ଆକାଶର ଚତୁର୍ଦ୍ଦିଗରୁ ବାୟୁ ପ୍ରଚଣ୍ଡ ରୂପେ ବହିଲା।
3 चार मोठी श्वापदे जी एकमेकांपासून वेगळी होती, अशी समुद्रातून बाहेर आली.
ପୁଣି, ଏକଆରେକଠାରୁ ଭିନ୍ନ ଚାରି ବୃହତ ପଶୁ ସମୁଦ୍ରରୁ ଉଠି ଆସିଲେ।
4 पहिले सिंहासारखे असून त्यास गरुडाचे पंख होते. असा मी पाहत असता त्याचे पंख उपटून त्यास जमिनीवर मानवाप्रमाणे दोन पायावर उभे केले. त्यास मानवाचे हृदय देण्यात आले होते.
ପ୍ରଥମ ପଶୁ ସିଂହ ତୁଲ୍ୟ ଓ ଉତ୍କ୍ରୋଶ ପକ୍ଷୀ ପରି ତାହାର ଡେଣା ଥିଲା; ମୁଁ ଦେଖୁ ଦେଖୁ ତାହାର ସେହି ଡେଣା ଉପୁଡ଼ା ଗଲା, ଆଉ ସେ ପୃଥିବୀରୁ ଉଠାଗଲା ଓ ମନୁଷ୍ୟ ପରି ଦୁଇ ଚରଣରେ ତାକୁ ଠିଆ କରାଗଲା, ପୁଣି ତାହାକୁ ମନୁଷ୍ୟର ଅନ୍ତଃକରଣ ଦିଆଗଲା।
5 नंतर दुसरे श्वापद अस्वलासारखे होते त्याच्या दातामध्ये तिन फासोळया धरल्या होत्या. त्यास सांगण्यात आले ‘उठ, पुढे पुष्कळ मांस खा.’
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଦେଖ, ଆଉ ଗୋଟିଏ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ଦ୍ୱିତୀୟ ପଶୁ ଭଲ୍ଲୁକର ସଦୃଶ ଥିଲା, ସେ ଏକ ପାର୍ଶ୍ୱରେ ଉଠାଗଲା ଓ ତାହାର ମୁଖରେ ଦନ୍ତ ମଧ୍ୟରେ ତିନି ଖଣ୍ଡ ପଞ୍ଜରା ଥିଲା; ଆଉ, ତାହାକୁ ଏହି କଥା କୁହାଗଲା, ‘ଉଠ, ଅନେକ ଲୋକଙ୍କୁ ଗ୍ରାସ କର।’
6 त्यानंतर मी पुन्हा पाहीले तो आणखी एक श्वापद चित्त्याप्रमाणे होते त्याच्या पाठीवर पक्षासारखे चार पंख होते. आणि त्यास चार शिरे होती. त्यास राज्य करण्यासाठी आधिकार दिला होता.
ଏଉତ୍ତାରେ ମୁଁ ଦେଖିଲି, ଦେଖ, ଚିତାବାଘ ସଦୃଶ ଆଉ ଗୋଟିଏ ପଶୁ, ତାହାର ପିଠିରେ ପକ୍ଷୀର ଚାରି ଡେଣା ଥିଲା; ମଧ୍ୟ ସେ ପଶୁର ଚାରି ମସ୍ତକ ଥିଲା ଆଉ, ତାହାକୁ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ ଦିଆଗଲା।
7 त्यानंतर मी रात्री माझ्या स्वप्नात चौथे श्वापद पाहीले, विक्राळ, भयानक आणि अतिशय मजबूत असे ते होते. त्यास मोठे लोखंडी दात होते, ते सर्व काही चावून त्याचा चुरा करी. आणि उरलेले पायाखाली तुडवी ते इतरांपेक्षा वेगळे होते. आणि त्यास दहा शिंगे होती.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ମୁଁ ରାତ୍ରିକାଳର ଦର୍ଶନରେ ଦେଖିଲି, ଦେଖ, ଚତୁର୍ଥ ପଶୁ, ସେ ଭୟଙ୍କର, କ୍ଷମତାପନ୍ନ ଓ ଅତିଶୟ ବଳବାନ ଓ ତାହାର ବଡ଼ ବଡ଼ ଲୌହମୟ ଦନ୍ତ ଥିଲା; ସେ ଗ୍ରାସ କଲା ଓ ଭାଙ୍ଗି ଚୂର୍ଣ୍ଣ କଲା ଓ ଅବଶିଷ୍ଟ ଯାହା ରହିଲା, ତାହା ପଦ ତଳେ ଦଳିତ କଲା; ଆଉ, ସେ ତାହାର ପୂର୍ବବର୍ତ୍ତୀ ସବୁ ପଶୁମାନଙ୍କଠାରୁ ଭିନ୍ନ; ପୁଣି ତାହାର ଦଶ ଶୃଙ୍ଗ ଥିଲା।
8 मी ती शिंगे पाहत असतांना, मग त्यांच्यातून आणखी लहान शिंगे निघाले आणि आधिच्या शिंगातून तीन मुळासह उपटली गेली मी पाहिले त्या शिंगास मानवासारखे डोळे होते आणि मोठ्या फुशारक्या मारणारे तोंड होते.
ମୁଁ ସେହି ଶୃଙ୍ଗମାନର ବିଷୟ ଭାବନା କରୁ କରୁ ଦେଖ, ସେହିସବୁର ମଧ୍ୟରେ ଆଉ ଗୋଟିଏ ଶୃଙ୍ଗ ଉଠିଲା, ତାହା କ୍ଷୁଦ୍ର, ତାହା ସମ୍ମୁଖରେ ପ୍ରଥମ ଶୃଙ୍ଗମାନର ମଧ୍ୟରୁ ତିନିଗୋଟି ଶୃଙ୍ଗ ସମୂଳେ ଉତ୍ପାଟିତ ହେଲା; ପୁଣି ଦେଖ, ଏହି ଶୃଙ୍ଗରେ ମନୁଷ୍ୟର ଚକ୍ଷୁ ତୁଲ୍ୟ ଚକ୍ଷୁ ଓ ଅହଙ୍କାର ବାକ୍ୟବାଦୀ ମୁଖ ଥିଲା।
9 मी पाहत होतो तेव्हा, आसने मांडण्यात आली; आणि एक पुराणपुरूष आसनावर बसला. त्याची वस्त्रे हिमाप्रमाणे शुभ्र होती आणि त्याचे केस लोकरीसारखे स्वच्छ होते. त्याचे आसन आग्नीज्वाला होते. आणि त्याची चाके जळणारा अग्नी होते.
ମୁଁ ଦେଖୁ ଦେଖୁ, କେତେଗୋଟି ସିଂହାସନ ସ୍ଥାପିତ ହେଲା, ପୁଣି ଅନେକ କାଳର ବୃଦ୍ଧ ଉପବିଷ୍ଟ ହେଲେ। ତାହାଙ୍କର ବସ୍ତ୍ର ହିମ ତୁଲ୍ୟ ଶୁକ୍ଳବର୍ଣ୍ଣ, ଓ ତାହାଙ୍କର ମସ୍ତକର କେଶ ବିଶୁଦ୍ଧ ମେଷର ଲୋମ ତୁଲ୍ୟ ଥିଲା। ତାହାଙ୍କର ସିଂହାସନ ଅଗ୍ନିଶିଖାମୟ ଓ ତହିଁର ଚକ୍ରସକଳ ଜ୍ୱଳନ୍ତ ଅଗ୍ନି।
10 १० त्याच्या समोर अग्नीची नदी वाहत होती, हजारो लोक त्याची सेवा करीत होते, लाखो लोक समोर उभे होते, न्यायसभा चालू होती आणि पुस्तके उघडी होती.
ତାହାଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରୁ ଅଗ୍ନିସ୍ରୋତ ନିର୍ଗତ ହୋଇ ବହିଲା; ସହସ୍ର ସହସ୍ର ତାହାଙ୍କର ପରିଚର୍ଯ୍ୟା କଲେ ଓ ଅୟୁତ ଅୟୁତ ତାହାଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଉଭା ହେଲେ। ବିଚାର-ସଭା ବସିଲା ଓ ପୁସ୍ତକମାନ ଫିଟାଗଲା।
11 ११ मी सतत त्याकडे पाहत होतो कारण ते लहान शिंग फुशारकी मारत होते. मी पाहत असता त्या श्वापदाचा वध करण्यात आला त्याच्या शरीराचे तूकडे करून ते जाळण्यास देण्यात आले.
ସେହି ଶୃଙ୍ଗର କଥିତ ଦର୍ପ-ବାକ୍ୟର ରବ ସକାଶୁ ସେହି ସମୟରେ ମୁଁ ଅନାଇଲି; ମୁଁ ଦେଖିଲି ଯେ, ଶେଷରେ ସେ ପଶୁ ହତ ହେଲା ଓ ତାହାର ଶରୀର ବିନଷ୍ଟ ହେଲା ଓ ସେ ଅଗ୍ନିରେ ଦଗ୍ଧ ହେବା ପାଇଁ ସମର୍ପିତ ହେଲା।
12 १२ इतर चार श्वापदाचे प्राण हरण करून त्यांना काही काळ जिवंत ठेवण्यात आले.
ପୁଣି, ଅନ୍ୟ ପଶୁମାନଙ୍କଠାରୁ ସେମାନଙ୍କର କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ ନିଆଗଲା; ତଥାପି ଏକ ନିର୍ଦ୍ଧିଷ୍ଟ ସମୟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେମାନଙ୍କର ଆୟୁ ଦୀର୍ଘ କରାଗଲା।
13 १३ त्या रात्रीच्या माझ्या दृष्टांतात मी पाहिले, आकाशातील मेघावर स्वार होऊन कोणी मानवपूत्रासारखा येताना मी पाहिला तो पुराणपुरूषाकडे आला व त्यास त्याने जवळ केले.
ମୁଁ ରାତ୍ରିକାଳର ଦର୍ଶନରେ ଦେଖିଲି, ଆଉ ଦେଖ, ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ର ନ୍ୟାୟ ଏକ ପୁରୁଷ ଆକାଶର ମେଘରେ ଆସିଲେ; ସେ ଅନେକ କାଳର ସେହି ବୃଦ୍ଧଙ୍କ ନିକଟରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୁଅନ୍ତେ, ସେମାନେ ତାହାଙ୍କ ଛାମୁକୁ ତାହାଙ୍କୁ ଆଣିଲେ।
14 १४ आणि त्यास प्रभुत्व व वैभव व राज्य दिले, ते असे की, सर्व लोक, राष्ट्रे व भाषा यांनी त्याची सेवा करावी; त्याचे प्रभुत्व सनातन प्रभुत्व आहे, ते टळून जायचे नाही, आणि जे नष्ट व्हायचे नाही असे त्याचे राज्य आहे.
ପୁଣି, ସମୁଦାୟ ଗୋଷ୍ଠୀ, ଦେଶବାସୀ ଓ ଭାଷାବାଦୀମାନେ ଯେପରି ତାହାଙ୍କର ସେବା କରିବେ, ଏଥିପାଇଁ ତାହାଙ୍କୁ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ, ମହିମା ଓ ରାଜ୍ୟ ଦତ୍ତ ହେଲା; ତାହାଙ୍କର କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ ଅନନ୍ତକାଳୀନ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ, ତାହା ଲୁପ୍ତ ହେବ ନାହିଁ, ଆଉ ତାହାଙ୍କର ରାଜ୍ୟ ଅବିନାଶ୍ୟ।
15 १५ मग मज दानीएलचा जीव घाबरा झाला. मला झालेल्या दृष्टांतामुळे माझे मन विचलीत झाले.
ମୁଁ ଦାନିୟେଲ, ମୋର ଆତ୍ମା ମୋର ଶରୀର ମଧ୍ୟରେ ଶୋକାନ୍ୱିତ ହେଲା ଓ ମୋର ମାନସିକ ଦର୍ଶନ ମୋତେ ଉଦ୍‍ବିଗ୍ନ କଲା।
16 १६ सिंहासनाच्या जवळ उभे असणाऱ्यांपैकी एकाकडे मी गेलो व या सर्व गोष्टींचा अर्थ त्यास विचारला. तेव्हा त्याने मला सर्व गोष्टीचा अर्थ समजावून सांगितला.
ମୋର ନିକଟରେ ଯେଉଁମାନେ ଠିଆ ହୋଇଥିଲେ, ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଏକ ଜଣର ନିକଟକୁ ମୁଁ ଯାଇ ଏସବୁର ତଥ୍ୟ ପଚାରିଲି। ତହିଁରେ ସେ ମୋତେ ସେହିସବୁର ଅର୍ଥ ଜଣାଇ କହିଲେ।
17 १७ ती मोठी चार श्वापदे म्हणजे पृथ्वीवर उदयास येणारे चार राजे आहेत.
‘ସେହି ଚାରି ବୃହତ ପଶୁ ଚାରି ରାଜା ଅଟନ୍ତି, ସେମାନେ ପୃଥିବୀରୁ ଉତ୍ପନ୍ନ ହେବେ।
18 १८ पण सर्वोच्च देवाच्या संतांना राज्य प्राप्त होईल, ते युगानयुग त्यांच्या ताब्यात राहील.
ମାତ୍ର ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କର ପବିତ୍ରଗଣ ରାଜ୍ୟ ପ୍ରାପ୍ତ ହେବେ ଓ ଚିରକାଳ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ଅନନ୍ତକାଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ରାଜ୍ୟ ଭୋଗ କରିବେ।’
19 १९ नंतर मला त्या चौथ्या श्वापदा विषयी बोलण्याची इच्छा झाली, जे इतरांपेक्षा वेगळे होते. त्याचे दात लोखंडाचे भयंकर असे होते आणि त्याची नखे पितळेची होती, ते चावून चुरा करी. आणि उरलेले जे होते त्याचे पायाखाली तूकडे करी.
ସେତେବେଳେ ଯେଉଁ ଚତୁର୍ଥ ପଶୁ, ଯେ ଅନ୍ୟ ସକଳରୁ ଭିନ୍ନ, ଅତି ଭୟାନକ, ଯାହାର ଦନ୍ତ ଲୌହମୟ ଓ ନଖସବୁ ପିତ୍ତଳମୟ ଥିଲା, ଯେ ଗ୍ରାସ କଲା, ଭାଙ୍ଗି ଚୂର୍ଣ୍ଣ କଲା ଓ ଅବଶିଷ୍ଟସବୁକୁ ପଦ ତଳେ ଦଳିତ କଲା, ତାହାର ତଥ୍ୟ ଜାଣିବାକୁ ମୁଁ ଇଚ୍ଛା କଲି;
20 २० मला त्याची दहा शिंगे आणि त्याचे गुढ जाणायचे होते जी त्याच्या डोक्यावर होती. एक शिंग त्यामध्ये आणखी निघाले त्यामुळे तीन शिंगे तूटून पडली त्या शिंगाला डोळे असून तोंड होते त्यातून ते मोठमोठ्या गोष्टी बोलत होते. त्या शिंगाची जाडी इतरांपेक्षा जास्त होती. या सगळ्यांचा अर्थ काय म्हणून मी इच्छा दर्शविली.
ପୁଣି, ତାହାର ମସ୍ତକରେ ଯେଉଁ ଦଶ ଶୃଙ୍ଗ ଥିଲା ଓ ଅନ୍ୟ ଯେଉଁ ଶୃଙ୍ଗ ଉଠିଲା ଓ ଯାହା ସାକ୍ଷାତରେ ତିନି ଶୃଙ୍ଗ ପଡ଼ିଗଲା; ଅର୍ଥାତ୍‍, ସେ ଯେଉଁ ଶୃଙ୍ଗର ଚକ୍ଷୁ ଓ ଅହଙ୍କାର ବାକ୍ୟବାଦୀ ମୁଖ ଥିଲା, ଯାହାର ଆକାର ଆପଣା ସଙ୍ଗୀମାନଙ୍କ ଅପେକ୍ଷା ଦାମ୍ଭିକ ଥିଲା, ତାହାର ତଥ୍ୟ ଜାଣିବାକୁ ମୁଁ ଇଚ୍ଛା କଲି।
21 २१ मी पाहिले त्या शिंगाने पवित्र जनांविरोधात युध्द करून त्यांच्यावर विजय मिळवला.
ମୁଁ ଦେଖିଲି, ଆଉ ସେହି ଶୃଙ୍ଗ ପବିତ୍ରଗଣଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଯୁଦ୍ଧ କଲା ଓ ସେମାନଙ୍କୁ ଜୟ କଲା;
22 २२ आणि पुराणपुरूष येईपर्यंत ते त्यांच्यावर प्रबळ होत गेले. मग परात्पर देवाच्या पवित्र जनांस न्याय दिला, राज्य आपल्या मालकीचे करून घेतले, असा समय आला.
ଶେଷରେ ସେହି ଅନେକ କାଳର ବୃଦ୍ଧ ଆସିଲେ ଓ ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କର ପବିତ୍ରଗଣଙ୍କୁ ବିଚାର ଭାର ଦତ୍ତ ହେଲା ଓ ପବିତ୍ରଗଣଙ୍କର ରାଜ୍ୟ ଭୋଗ କରିବାର ସମୟ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲା।
23 २३ त्याने सांगितले चौथे श्वापद हे पृथ्वीवर चौथे राज्य होईल; हे इतर राज्यांपेक्षा वेगळे राहील ते सर्व पृथ्वीला ग्रासून टाकील, आणि तिचे पायाखाली तूकडे करीन.
ସେ ଏହିରୂପେ କହିଲେ, ‘ଚତୁର୍ଥ ପଶୁ ପୃଥିବୀର ଚତୁର୍ଥ ରାଜ୍ୟ ହେବ, ତାହା ଅନ୍ୟ ସକଳ ରାଜ୍ୟଠାରୁ ଭିନ୍ନ ହେବ ଓ ସମୁଦାୟ ପୃଥିବୀକୁ ଗ୍ରାସ କରିବ, ଆଉ ଦଳିତ କରି ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ କରିବ ଓ ତାହା ଭାଙ୍ଗି ପକାଇବ।
24 २४ आता दहा शिंगाविषयी या राज्यातून दहा राजांचा उदय होईल; आणि त्यातून आणखी एक राजा निघेल. तो राजा वेगळा असेल आणि तो तीन राजांना पादाक्रांत करील.
ପୁଣି, ସେହି ଦଶ ଶୃଙ୍ଗର ତାତ୍ପର୍ଯ୍ୟ ଏହି ଯେ, ସେହି ରାଜ୍ୟରୁ ଦଶ ରାଜା ଉତ୍ପନ୍ନ ହେବେ; ସେମାନଙ୍କ ଉତ୍ତାରେ ଆଉ ଜଣେ ଉତ୍ପନ୍ନ ହେବ। ସେ ପୂର୍ବବର୍ତ୍ତୀମାନଙ୍କଠାରୁ ଭିନ୍ନ ହେବ ଓ ସେ ତିନି ରାଜାଙ୍କୁ ଦମନ କରିବ।
25 २५ तो सर्वोच्च देवाच्या विरोधात बोलेल, आणि देवाच्या पवित्र जनांचा छळ करील नेमलेले सण आणि नियम बदलण्याचा तो प्रयत्न करील. या सर्व गोष्टी त्याच्या हातात तिन वर्षे आणि सहा महिण्यासाठी दिल्या जातील.
ପୁଣି, ସେ ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ କଥା କହିବ ଓ ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କର ପବିତ୍ରଗଣଙ୍କୁ ଦମନ କରିବ; ଆଉ, ସେ କାଳ ଓ ବ୍ୟବସ୍ଥାର ପରିବର୍ତ୍ତନ କରିବାକୁ ବିଚାର କରିବ; ପୁଣି, ଏକ କାଳ, (ଦୁଇ) ପବିତ୍ର ପର୍ବ ଓ ଅର୍ଦ୍ଧ ପବିତ୍ର ପର୍ବ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେମାନେ ତାହା ହସ୍ତରେ ସମର୍ପିତ ହେବେ।
26 २६ पण तिथे न्यायसभा होईल, आणि त्याचे राजकीय सामर्थ्य परत घेण्यात येतील. त्याचा नाश होऊन कायमचा नष्ट करण्यात येईल.
ମାତ୍ର ବିଚାର-ସଭା ବସିବ ଓ ସେମାନେ ଶେଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତାହାର କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱର କ୍ଷୟ ଓ ବିନାଶ କରିବା ପାଇଁ ତାହାଠାରୁ ତାହା ନେବେ।
27 २७ राज्य, प्रभूत्व आणि अखिल पृथ्वीवरचे वैभव सर्वोच्च देवाच्या पवित्र जनांना देण्यात येईल. त्याचे राज्य अनंतकालचे आहे; आणि इतर त्याची सेवा करून त्याचे आज्ञापालन करतील.”
ଆଉ, ଶାସନ କାଳ ଓ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ ଓ ଆକାଶମଣ୍ଡଳର ଅଧଃସ୍ଥିତ ରାଜ୍ୟସମୂହର ମହିମା, ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କର ପବିତ୍ର ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଦତ୍ତ ହେବ; ତାହାଙ୍କର ରାଜ୍ୟ ଅନନ୍ତକାଳୀନ ରାଜ୍ୟ ଓ ଯାବତୀୟ ଶାସନକର୍ତ୍ତା ତାହାଙ୍କର ସେବା କରିବେ ଓ ତାହାଙ୍କର ଆଜ୍ଞାବହ ହେବେ।’
28 २८ या गोष्टींचा उलगडा इथे संपतो. मी दानीएल या विचारांनी व्याकूळ झालो. माझे तोंड उतरले; पण मी या सर्व गोष्टी मनात ठेवल्या.
ଏଠାରେ ବୃତ୍ତାନ୍ତର ଶେଷ ମୁଁ ଦାନିୟେଲ, ମୋର ଭାବନା ମୋତେ ଉଦ୍‍ବିଗ୍ନ କଲା ଓ ମୋର ମୁଖ ବିବର୍ଣ୍ଣ ହେଲା, ମାତ୍ର ମୁଁ ସେ କଥା ଆପଣା ମନରେ ରଖିଲି।”

< दानीएल 7 >