< दानीएल 2 >

1 नबुखद्नेस्सर राजाच्या कारर्कीदीच्या दुसऱ्या वर्षी त्यास स्वप्न पडले तो बेचैन झाला आणि झोपू शकला नाही.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ନବୂଖଦ୍‍ନିତ୍ସରର ଶାସନ କାଳର ଦ୍ୱିତୀୟ ବର୍ଷରେ, ନବୂଖଦ୍‍ନିତ୍ସର ସ୍ୱପ୍ନ ଦେଖିଲା; ତହିଁରେ ତାହାର ଆତ୍ମା ଉଦ୍‍ବିଗ୍ନ ହେଲା ଓ ତାହାର ନିଦ୍ରା ଭଗ୍ନ ହେଲା।
2 तेव्हा राजाने फर्मान काढला की, जादूगार आणि ज्योतिषी जाणणारे तसेच मांत्रिक आणि ज्ञानी लोक ह्यांनी यावे आणि राजाला ते स्वप्न सांगावे, म्हणून ते राजासमोर हजर झाले.
ତହୁଁ ରାଜାକୁ ତାହାର ସ୍ୱପ୍ନ ଜଣାଇବା ନିମନ୍ତେ ରାଜା ମନ୍ତ୍ରବେତ୍ତା, ଗଣକ, ମାୟାବୀ ଓ କଲ୍‍ଦୀୟମାନଙ୍କୁ ଡାକିବା ପାଇଁ ଆଜ୍ଞା ଦେଲା। ଏଥିରେ ସେମାନେ ଆସି ରାଜାର ସମ୍ମୁଖରେ ଠିଆ ହେଲେ।
3 राजा त्यांना म्हणाला, “मला एक स्वप्न पडले आहे आणि त्याचा अर्थ जाणण्यास माझे मन व्याकूळ झाले आहे.”
ପୁଣି, ରାଜା ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲା, “ମୁଁ ଗୋଟିଏ ସ୍ୱପ୍ନ ଦେଖିଅଛି, ଆଉ ସେହି ସ୍ୱପ୍ନ ବୁଝିବା ପାଇଁ ମୋର ମନ ଚିନ୍ତିତ ହେଉଅଛି।”
4 तेव्हा ज्ञानी लोक राजाशी आरामी भाषेत बोलले “महाराज चिरायू असा! तुमच्या सेवकांना तुमचे स्वप्न सांगा आणि आम्ही त्याचा अर्थ तुम्हास प्रगट करू!”
ତହିଁରେ କଲ୍‍ଦୀୟମାନେ ଅରାମୀୟ ଭାଷାରେ ରାଜାକୁ କହିଲେ, “ହେ ମହାରାଜ, ଚିରଜୀବୀ ହେଉନ୍ତୁ; ଆପଣଙ୍କ ଦାସମାନଙ୍କୁ ସ୍ୱପ୍ନଟି ଜଣାଉନ୍ତୁ, ଆମ୍ଭେମାନେ ତହିଁର ଅର୍ଥ ପ୍ରକାଶ କରିବୁ।”
5 राजाने खास्दी लोकांस उत्तर दिले, “हा ठराव होऊन चुकला आहे जर तुम्ही मला स्वप्न आणि त्याचा अर्थ सांगणार नाही तर तुमच्या शरीराचे तुकडे केले जातील आणि तुमच्या घरांचे उकिरडे केले जातील.
ରାଜା କଲ୍‍ଦୀୟମାନଙ୍କୁ ଉତ୍ତର ଦେଇ କହିଲା, “ମୋʼ ଠାରୁ କଥା ବାହାରି ଯାଇଅଛି; ତୁମ୍ଭେମାନେ ଯଦି ସେହି ସ୍ୱପ୍ନ ଓ ତହିଁର ଅର୍ଥ ମୋତେ ନ ଜଣାଅ, ତେବେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ ହୋଇ କଟାଯିବ ଓ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କର ଗୃହ ଖତରାଶି କରାଯିବ।
6 पण जर तुम्ही मला स्वप्न आणि त्याचा अर्थ सांगाल तर तुम्हास माझ्याकडून भेट, पारितोषिक आणि मोठा मान मिळेल. यास्तव तुम्ही मला स्वप्न व त्याचा अर्थ सांगा.”
ମାତ୍ର ଯଦି ତୁମ୍ଭେମାନେ ସ୍ୱପ୍ନ ଓ ତହିଁର ଅର୍ଥ ପ୍ରକାଶ କର, ତେବେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ମୋʼ ଠାରୁ ଦାନ, ପୁରସ୍କାର ଓ ମହାସମାଦର ପାଇବ; ଏଥିପାଇଁ ସେହି ସ୍ୱପ୍ନ ଓ ତହିଁର ଅର୍ଥ ମୋʼ ନିକଟରେ ପ୍ରକାଶ କର।”
7 ते पुन्हा त्यास म्हणाले, “महाराजांनी आपल्या सेवकांस स्वप्न सांगावे म्हणजे आम्ही त्याचा अर्थ सांगू.”
ସେମାନେ ଦ୍ୱିତୀୟ ଥର ଉତ୍ତର ଦେଇ କହିଲେ, “ମହାରାଜା, ଆପଣା ଦାସମାନଙ୍କୁ ସ୍ୱପ୍ନଟି ଜଣାଉନ୍ତୁ, ତହିଁରେ ଆମ୍ଭେମାନେ ଅର୍ଥ ପ୍ରକାଶ କରିବୁ।”
8 राजाने उत्तर दिले, “मला ठाऊक आहे तुम्ही वेळ काढत आहात; पाहिजे कारण तुम्हास ठाऊक आहे की, माझा ठराव झालेला आहे.
ରାଜା ଉତ୍ତର କରି କହିଲା, “ମୋʼ ଠାରୁ କଥା ବାହାରି ଯାଇଅଛି, ଏହା ଦେଖି ତୁମ୍ଭେମାନେ ସମୟ ବିଳମ୍ବ କରିବାର ଇଚ୍ଛା କରୁଅଛ, ଏହା ମୁଁ ନିଶ୍ଚୟ ଜାଣେ।
9 पण जर तुम्ही मला स्वप्न सांगितले नाही तर तुमच्यासाठी एकच शिक्षा आहे. म्हणून माझे मन बदलत नाही तोपर्यंत तुम्ही खोट्या आणि फसव्या गोष्टी सहमत करून मला सांगाव्या असे तुमचे ठरले आहे. म्हणून मला स्वप्न सांगा म्हणजे मला समजेल तुम्ही त्याचा उलगडा करु शकता.”
ମାତ୍ର ତୁମ୍ଭେମାନେ ଯଦି ସେହି ସ୍ୱପ୍ନ ମୋତେ ନ ଜଣାଅ; ତେବେ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ନିମନ୍ତେ ଏକମାତ୍ର ବ୍ୟବସ୍ଥା ଅଛି; କାରଣ ସମୟର ପରିବର୍ତ୍ତନ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତୁମ୍ଭେମାନେ ମୋʼ ଛାମୁରେ ମିଥ୍ୟା ଓ ପ୍ରବଞ୍ଚନା-ବାକ୍ୟ କହିବା ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିଅଛ; ଏଥିପାଇଁ ତୁମ୍ଭେମାନେ ସ୍ୱପ୍ନଟି ମୋତେ ଜଣାଅ, ତାହାହେଲେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ଯେ ତହିଁର ଅର୍ଥ ମୋʼ ନିକଟରେ ପ୍ରକାଶ କରି ପାରିବ, ଏହା ମୁଁ ଜାଣିବି।”
10 १० खास्दी लोकांनी राजास उत्तर केले, “या जगात असा कोणताच मनुष्य नाही जो राजाची ही मागणी पूर्ण करेल असा कोणताच महान आणि प्रतापी राजा नाही ज्याने असे मागणे ज्योतिषी, भुतविद्या जाणणारे आणि ज्ञानी लोकांस केली असेल.
କଲ୍‍ଦୀୟମାନେ ରାଜାର ଛାମୁରେ ଉତ୍ତର କରି କହିଲେ, ମହାରାଜାଙ୍କ ବିଷୟ ଯେ ପ୍ରକାଶ କରି ପାରିବ, “ପୃଥିବୀରେ ଏପରି କୌଣସି ମନୁଷ୍ୟ ନାହିଁ; କାରଣ କୌଣସି ରାଜା, ପ୍ରଭୁ କିଅବା ଶାସନକର୍ତ୍ତା କୌଣସି ମନ୍ତ୍ରଜ୍ଞକୁ କିଅବା ଗଣକକୁ ଅଥବା କଲ୍‍ଦୀୟକୁ ଏପରି କଥା ପଚାରି ନାହାନ୍ତି।
11 ११ महाराज जी गोष्ट मागतात ती कठीण आहे आणि देवाशिवाय कोणीही नाही जो हे सांगेल कारण देव मानवात राहत नाही.”
ପୁଣି, ମହାରାଜା ଯାହା ଚାହାନ୍ତି, ତାହା ଅସାଧାରଣ ବିଷୟ ଓ ଯେଉଁମାନଙ୍କର ନିବାସ ମାଂସ ଦେହରେ ନୁହେଁ, ସେହି ଦେବଗଣ ବିନୁ ଆଉ କେହି ମହାରାଜାଙ୍କ ଛାମୁରେ ତାହା ପ୍ରକାଶ କରି ନ ପାରେ।”
12 १२ हे ऐकून राजा रागाने संतापला आणि त्याने आज्ञा केली की, बाबेलमध्ये जे ज्ञानाविषयी ओळखले जातात त्यांचा नाश करण्यात यावा.
ଏହି କାରଣରୁ ରାଜା କ୍ରୁଦ୍ଧ ଓ ପ୍ରଚଣ୍ଡ କୋପାନ୍ୱିତ ହୋଇ ବାବିଲର ସକଳ ବିଦ୍ୱାନ୍‍ ଲୋକଙ୍କୁ ବଧ କରିବାକୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଲା।
13 १३ हे फर्मान निघाले म्हणून जे त्यांच्या ज्ञानासाठी ओळखले जात होते त्यास मरणास सामोरे जावे लागणार होते, आणि लोक दानीएल आणि त्यांच्या मित्रांना शोधू लागले यासाठी की, त्यांचा घात करावा.
ତହିଁରେ ଆଜ୍ଞା ପ୍ରଚାରିତ ହେଲା ଯେ, ବିଦ୍ୱାନ୍‍ ଲୋକମାନେ ହତ ହେବେ; ଆଉ, ଲୋକମାନେ ଦାନିୟେଲ ଓ ତାଙ୍କର ସଙ୍ଗୀମାନଙ୍କୁ ବଧ କରିବା ପାଇଁ ଅନ୍ଵେଷଣ କଲେ।
14 १४ तेव्हा दानीएलाने अंगरक्षकांचा प्रधान अर्योक जो, बाबेलातील ज्ञानांचा घात करायला निघाला होता, त्यास दुरदर्शीपणाने आणि विचारपूर्वक म्हणाला.
ସେତେବେଳେ ଅରୀୟୋକ୍‍ ନାମକ ଯେଉଁ ରାଜସେନାପତି ବାବିଲୀୟ ବିଦ୍ୱାନ୍‍ମାନଙ୍କୁ ବଧ କରିବା ପାଇଁ ନିର୍ଗତ ହୋଇଥିଲା, ତାହାକୁ ଦାନିୟେଲ ବିବେଚନାରେ ଓ ଜ୍ଞାନରେ ଉତ୍ତର ଦେଲେ;
15 १५ दानीएल राजाच्या सेनापतीला म्हणाला, “राजाकडून हा असा तातडीचा हुकूम का निघाला?” तेव्हा अर्योकने दानीएलास काय घडले ते सांगितले.
ସେ ରାଜସେନାପତି ଅରୀୟୋକ୍‍କୁ ଉତ୍ତର କରି କହିଲେ, “ରାଜାଜ୍ଞା ଏଡ଼େ ବ୍ୟଗ୍ର କାହିଁକି?” ତହିଁରେ ଅରୀୟୋକ୍‍ ଦାନିୟେଲଙ୍କୁ ବୃତ୍ତାନ୍ତ ଜଣାଇଲା।
16 १६ मग दानीएलाने आत जाऊन राजास विनंती केली की, “त्याला समय द्यावा म्हणजे त्यास महाराजाला त्याच्या स्वप्नाचा उलगडा सांगता येईल.”
ଏଥିରେ ଦାନିୟେଲ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯାଇ ଆପଣା ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ସମୟ ନିରୂପଣ କରିବାକୁ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ, ତାହା କଲେ ମହାରାଜାଙ୍କ ନିକଟରେ ସ୍ୱପ୍ନର ଅର୍ଥ ପ୍ରକାଶ କରିବି ବୋଲି କହିଲେ।
17 १७ तेव्हा दानीएललाने आपल्या घरात जाऊन आपले सोबती हनन्या, मीशाएल व अजऱ्या यांना ती गोष्ट कळवली,
ଏଥିରେ ଦାନିୟେଲ ଆପଣା ଗୃହକୁ ଗଲେ, ଆଉ ସେ ଓ ତାଙ୍କର ସଙ୍ଗୀମାନେ ଯେପରି ବାବିଲର ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ବିଦ୍ୱାନ୍‍ମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ବିନଷ୍ଟ ନୋହିବେ,
18 १८ त्याने त्यांना विनंती केली की, या रहस्याविषयी स्वर्गीय देवाने दया करावी असे त्यांनी देवाजवळ मागावे म्हणजे बाबेलाच्या इतर ज्ञान्यांसोबत त्याचा आणि त्याच्या सहकाऱ्यांचा घात होऊ नये.
ଏଥିପାଇଁ ଏହି ନିଗୂଢ଼ ବିଷୟରେ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କର ଅନୁଗ୍ରହ ପ୍ରାର୍ଥନା କରିବା ପାଇଁ ଆପଣା ସଙ୍ଗୀ ହନାନୀୟ, ମୀଶାୟେଲ ଓ ଅସରୀୟକୁ ସେହି ବୃତ୍ତାନ୍ତ ଜଣାଇଲେ।
19 १९ त्या रात्री दानीएलास दृष्टांताद्वारे, या रहस्याचा उलगडा झाला. त्यानंतर त्याने स्वर्गीय देवाचे स्तवन केले.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ରାତ୍ରିକାଳୀନ ଦର୍ଶନରେ ସେହି ନିଗୂଢ଼ ବିଷୟ ଦାନିୟେଲଙ୍କ ପ୍ରତି ପ୍ରକାଶିତ ହେଲା। ତହିଁରେ ଦାନିୟେଲ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କର ଧନ୍ୟବାଦ କଲେ।
20 २० आणि तो म्हणाला, “देवाच्या नामाचे सदासर्वदा स्तवन होवो, कारण ज्ञान आणि सामर्थ्य त्याचे आहे.”
ଦାନିୟେଲ ଉତ୍ତର କରି କହିଲେ, “ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କର ନାମ ସଦାସର୍ବଦା ଧନ୍ୟ ହେଉ; କାରଣ ଜ୍ଞାନ ଓ ପରାକ୍ରମ ତାହାଙ୍କର;
21 २१ तो समय आणि ऋतु बदलतो, तो राजास काढतो आणि दुसऱ्यास सिंहासनावर बसवून राजे करतो; तो ज्ञान्यास आणि विवेकवंतास शहाणपण देतो.
ଆଉ, ସେ ସମୟ ଓ ଋତୁ ପରିବର୍ତ୍ତନ କରନ୍ତି; ସେ ରାଜାଗଣକୁ ପଦଚ୍ୟୁତ କରନ୍ତି ଓ ରାଜାଗଣକୁ ପଦସ୍ଥ କରନ୍ତି; ସେ ଜ୍ଞାନୀମାନଙ୍କୁ ଜ୍ଞାନ ଓ ବୁଦ୍ଧିମନ୍ତମାନଙ୍କୁ ବିବେଚନା ଦିଅନ୍ତି;
22 २२ तो गुढ आणि गहन गोष्टी प्रगट करतो, कारण अंधारात काय आहे हे तो जाणतो, आणि प्रकाश त्यामध्ये वसतो.
ସେ ଗଭୀର ଓ ଗୁପ୍ତ ବିଷୟସବୁ ପ୍ରକାଶ କରନ୍ତି; ଅନ୍ଧକାରରେ ଯାହା ଅଛି, ତାହା ସେ ଜାଣନ୍ତି ଓ ତାହାଙ୍କ ନିକଟରେ ଜ୍ୟୋତିଃ ବାସ କରଇ।
23 २३ माझ्या पूर्वजाच्या देवा, मी तुझे आभार मानतो आणि तुझे स्तवन करतो, कारण तू मला ज्ञान आणि सामर्थ्य दिले; आणि जे आम्ही तुझ्याजवळ मागितले ते सर्व तू आता मला कळवले आहे म्हणून मी तुझे उपकार मानतो व तुझी स्तुती करतो, कारण तू राजाची गोष्ट आम्हास कळविली आहे.
ହେ ମୋର ପୂର୍ବପୁରୁଷଗଣର ପରମେଶ୍ୱର, ମୁଁ ତୁମ୍ଭର ଧନ୍ୟବାଦ ଓ ପ୍ରଶଂସା କରୁଅଛି, ତୁମ୍ଭେ ମୋତେ ଜ୍ଞାନ ଓ ସାମର୍ଥ୍ୟ ଦେଇଅଛ ଓ ତୁମ୍ଭ ନିକଟରେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ନିବେଦନର ବିଷୟ ଏବେ ମୋତେ ଜଣାଇଅଛ; କାରଣ ତୁମ୍ଭେ ରାଜାର କଥା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ଜଣାଇଅଛ।”
24 २४ हे सगळे झाल्यानंतर दानीएल ज्याची नेमणूक राजाने बाबेलाच्या सर्व ज्ञानी लोकांचा वध करण्यास ज्याची नेमणूक केली होती त्या अर्योकाकडे जाऊन म्हणाला, “बाबेलाच्या ज्ञानी लोकांस ठार करु नको, तर मला राजासमोर घेऊन जा म्हणजे मी त्यास स्वप्न आणि त्याचा अर्थ सांगेन.”
ଏହେତୁ ବାବିଲୀୟ ବିଦ୍ୱାନ୍‍ଗଣକୁ ବିନାଶ କରିବା ପାଇଁ ରାଜାର ନିଯୁକ୍ତ ଅରୀୟୋକ୍‍ ନିକଟକୁ ଦାନିୟେଲ ଗଲେ; ସେ ଯାଇ ତାହାକୁ ଏହିପରି କହିଲେ, “ବାବିଲୀୟ ବିଦ୍ୱାନ୍‍ମାନଙ୍କୁ ବଧ ନ କରନ୍ତୁ; ରାଜାଙ୍କ ଛାମୁକୁ ମୋତେ ନେଇ ଯାଉନ୍ତୁ, ମୁଁ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟରେ ଅର୍ଥ ପ୍ରକାଶ କରିବି।”
25 २५ नंतर अर्योकाने दानीएलास लवकर राजासमोर नेऊन म्हटले, “यहूदाच्या बंदीवानात मला एक मनुष्य सापडला आहे जो राज्याच्या स्वप्नाचा अर्थ सांगेल.”
ତହିଁରେ ଅରୀୟୋକ୍‍ ଦାନିୟେଲଙ୍କୁ ଶୀଘ୍ର ରାଜା ଛାମୁକୁ ନେଇ ରାଜାକୁ ଏରୂପ କହିଲା, “ନିର୍ବାସିତ ଯିହୁଦାର ସନ୍ତାନଗଣ ମଧ୍ୟରେ ମୁଁ ଜଣେ ମନୁଷ୍ୟ ପାଇଅଛି, ସେ ମହାରାଜାଙ୍କୁ ଅର୍ଥ ଜଣାଇବେ।”
26 २६ राजाने बेल्टशस्सर नाव दिलेल्या दानीएलास म्हटले, “माझे स्वप्न आणि त्याचा अर्थ सांगण्यास तू कुशल आहेस काय?”
ରାଜା ସେହି ଦାନିୟେଲ, ଯାହାଙ୍କ ନାମ ବେଲ୍‍ଟଶତ୍ସର ଥିଲା, ତାଙ୍କୁ ଉତ୍ତର କରି କହିଲା, “ମୁଁ ଯେଉଁ ସ୍ୱପ୍ନ ଦେଖିଅଛି, ତୁମ୍ଭେ କି ତାହା ଓ ତହିଁର ଅର୍ଥ ମୋତେ ଜଣାଇପାର?”
27 २७ दानीएलाने राजास उत्तर दिले, “राजाचे गुढ प्रकट करण्याची कुशलता, ज्ञानी, व भुतविद्या जाणणारे, जादूगार किंवा ज्योतिषी त्यांच्याकडे नाही.
ଦାନିୟେଲ ରାଜାଙ୍କ ଛାମୁରେ ଉତ୍ତର କରି କହିଲେ, “ମହାରାଜା ଯେଉଁ ନିଗୂଢ଼ କଥା ପଚାରି ଅଛନ୍ତି, ତାହା ବିଦ୍ୱାନ୍‍ ଲୋକ କିଅବା ଗଣକ ଅବା ମନ୍ତ୍ରବେତ୍ତା ଅଥବା ଶୁଭାଶୁଭବାଦୀମାନେ ମହାରାଜାଙ୍କ ଛାମୁରେ ପ୍ରକାଶ କରିପାରନ୍ତି ନାହିଁ;
28 २८ तथापी, एक देव आहे जो स्वर्गात राहतो तो रहस्य प्रगट करतो आणि त्याने भविष्यात होणारी घटना राजा नबुखद्नेस्सर आपणास कळविली आहे. तुम्ही आपल्या बिछान्यात पडले असता तुमचे स्वप्न आणि दृष्टांत तो असा.
ମାତ୍ର ଯେ ନିଗୂଢ଼ ବିଷୟମାନ ପ୍ରକାଶ କରନ୍ତି, ଏପରି ଏକ ପରମେଶ୍ୱର ସ୍ୱର୍ଗରେ ଅଛନ୍ତି, ଆଉ ଅନ୍ତିମ କାଳରେ ଯାହା ଯାହା ଘଟିବ, ତାହା ସେ ମହାରାଜା ନବୂଖଦ୍‍ନିତ୍ସରଙ୍କୁ ଜଣାଇ ଅଛନ୍ତି। ଆପଣଙ୍କ ସ୍ୱପ୍ନ ଓ ଶଯ୍ୟା ଉପରେ ଆପଣଙ୍କ ମନର ଦର୍ଶନ ଏହି;
29 २९ आपण जसे बिछान्यात पडून विचार करत होता तेव्हा आपल्या मनात हे रहस्य प्रगट करणाऱ्याने आपणास पुढे होणारी घटना कळविली.
ହେ ମହାରାଜ, ଶଯ୍ୟା ଉପରେ ଆପଣଙ୍କ ମନରେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ ଘଟଣା ବିଷୟକ ଚିନ୍ତା ଉପସ୍ଥିତ ହେଲା; ଆଉ ଯେ ନିଗୂଢ଼ ବିଷୟମାନ ପ୍ରକାଶ କରନ୍ତି, ସେ ଯାହା ଘଟିବ, ତାହା ଆପଣଙ୍କ ପ୍ରତି ପ୍ରକାଶ କରିଅଛନ୍ତି।
30 ३० आता माझी गोष्ट, ती अशी की; हे रहस्य मला उलगडते ते यामुळे नाही की मी इतर मनुष्यांपेक्षा अधिक ज्ञानी आहे, तर हे रहस्य यासाठी उलगडले की, राजा आपण याचा अर्थ समजावा व जो आपल्या मनातील गहन विचार समजावे.
ମାତ୍ର କୌଣସି ଜୀବିତ ଲୋକର ଜ୍ଞାନ ଅପେକ୍ଷା ମୋʼ ର ଜ୍ଞାନ ଅଧିକ ଅଛି ବୋଲି ଯେ ଏହି ନିଗୂଢ଼ ବିଷୟ ପ୍ରକାଶିତ ହୋଇଅଛି, ତାହା ନୁହେଁ, ମାତ୍ର ମହାରାଜାଙ୍କୁ ଯେପରି ଅର୍ଥ ଜ୍ଞାତ କରାଯିବ ଓ ଆପଣ ଯେପରି ନିଜ ମନର ଚିନ୍ତା ଜାଣିବେ, ଏଥିପାଇଁ ତାହା ମୋ ପ୍ରତି ପ୍ରକାଶିତ ହୋଇଅଛି।
31 ३१ राजा आपण, आपल्या डोळ्यापुढे एक मोठा पुतळा पाहिला हा पुतळा शक्तीशाली आणि तेजोमय असा तुमच्यासमोर उभा राहिला, त्याचे तेज भयावह होते.
ହେ ମହାରାଜ, ଆପଣ ଦେଖୁ ଦେଖୁ ଏକ ପ୍ରକାଣ୍ଡ ପ୍ରତିମା ଦେଖିଲେ, ଅତି ବିକ୍ରମୀ ଓ ଅତିଶୟ ତେଜୋବିଶିଷ୍ଟ ସେହି ପ୍ରତିମା ଆପଣଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଠିଆ ହେଲା ଓ ତହିଁର ଦୃଶ୍ୟ ଭୟଙ୍କର ଥିଲା।
32 ३२ त्या पुतळ्याचे डोके उत्तम सोन्याचे होते, त्याची छाती व हात चांदीचे होते, त्यांचा मधला भाग आणि मांडया पितळेच्या.
ସେହି ପ୍ରତିମାର ମସ୍ତକ ଶୁଦ୍ଧ ସୁବର୍ଣ୍ଣମୟ, ତାହାର ବକ୍ଷ ଓ ବାହୁ ରୌପ୍ୟମୟ, ତାହାର ଉଦର ଓ ଜଙ୍ଘ ପିତ୍ତଳମୟ,
33 ३३ आणि त्याचे पाय लोखंडाचे होते त्याची पावले काही भाग लोखंडाची आणि काही भाग मातीची होती.
ତାହାର ଚରଣ ଲୌହମୟ ଓ ତାହାର ପାଦର କିଛି ଅଂଶ ଲୌହମୟ, କିଛି ମୃତ୍ତିକାମୟ ଥିଲା।
34 ३४ तुम्ही वर पाहत होता तेव्हा कोणा मनुष्याचा हात लागल्यावाचून एक दगड छेदला गेला आणि त्याने त्या पुतळ्याच्या लोखंडाच्या व मातीच्या पावलांवर आदळून त्यांचे तुकडे तुकडे केले.
ଆପଣ ନିରୀକ୍ଷଣ କରୁ କରୁ ଶେଷରେ ହସ୍ତ ବିନା ଚ୍ଛେଦିତ ଏକ ପ୍ରସ୍ତର ସେହି ପ୍ରତିମାର ଲୌହ ଓ ମୃତ୍ତିକାମୟ ପାଦକୁ ଆଘାତ କରି ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ କରି ଭାଙ୍ଗି ପକାଇଲା।
35 ३५ त्यानंतर लोखंड, माती, पितळ, चांदी आणि सोने यांचे एकाच वेळी तुकडे झाले आणि ते उन्हाळ्यातील खेळ्यातल्या भुश्याप्रमाणे झाले. वारा त्यांना घेऊन गेला आणि त्यांचा मागमूस राहिला नाही. पण तो दगड जो पुतळयावर आदळला होता त्यांचा मोठा पर्वत होऊन त्याने सर्व पृथ्वी व्यापली.
ଏଥିରେ ଲୌହ, ମୃତ୍ତିକା, ପିତ୍ତଳ, ରୂପା ଓ ସୁନା ଏକସଙ୍ଗରେ ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ ହୋଇ ଭଙ୍ଗା ଗଲା, ଆଉ ଗ୍ରୀଷ୍ମକାଳୀନ ଖଳାର ତୁଷ ପରି ହେଲା; ଆଉ, ବାୟୁ ସେସବୁକୁ ଉଡ଼ାଇ ନେଇଗଲା ଓ ସେସବୁର ପାଇଁ ଆଉ ସ୍ଥାନ ମିଳିଲା ନାହିଁ; ପୁଣି, ସେହି ପ୍ରତିମାକୁ ଆଘାତ କଲା ଯେଉଁ ପ୍ରସ୍ତର, ତାହା ବଢ଼ି ଏକ ମହାପର୍ବତ ହେଲା, ଆଉ ସମୁଦାୟ ପୃଥିବୀକୁ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ କଲା।
36 ३६ हे आपले स्वप्न आहे राजा, आता आम्ही त्याचा उलगडा सांगतो.
ସ୍ୱପ୍ନଟି ଏହି; ଏବେ ଆମ୍ଭେମାନେ ମହାରାଜାଙ୍କ ଛାମୁରେ ତହିଁର ଅର୍ଥ ଜଣାଇବୁ।
37 ३७ राजा आपण, राजाधिराज आहात ज्यास स्वर्गाच्या देवाने राज्य, सामर्थ्य, बल आणि सन्मान दिला आहे.
ହେ ମହାରାଜ, ଆପଣ ରାଜାଧିରାଜ; ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥ ପରମେଶ୍ୱର ଆପଣଙ୍କୁ ରାଜ୍ୟ, ପରାକ୍ରମ, କ୍ଷମତା ଓ ମହିମା ଦେଇଅଛନ୍ତି।
38 ३८ त्याने तुम्हास त्या जागा दिल्या जिथे माणसे राहतात. त्याने तुमच्या आधीन वनपशू आणि आकाशातील पक्षी केले आहेत आणि तुम्हास त्याचा शासक बनविले आहे, तुम्ही त्या पुतळ्याचे सुवर्ण मस्तक आहात.
ଆଉ, ଯେକୌଣସି ସ୍ଥାନରେ ମନୁଷ୍ୟ-ସନ୍ତାନଗଣ ବାସ କରନ୍ତି, ସେହି ସ୍ଥାନର ଭୂଚର ପଶୁଗଣ ଓ ଆକାଶର ପକ୍ଷୀଗଣକୁ ସେ ଆପଣଙ୍କ ହସ୍ତରେ ସମର୍ପଣ କରିଅଛନ୍ତି ଓ ସେହି ସକଳର ଉପରେ ଆପଣଙ୍କୁ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ ଦେଇଅଛନ୍ତି; ଆପଣ ହିଁ ସେହି ସୁବର୍ଣ୍ଣମୟ ମସ୍ତକ ଅଟନ୍ତି।
39 ३९ आपल्यानंतर आपणापेक्षा कनिष्ठ असे राज्य उदयास येईल, आणि पितळेचे असे तिसरे राज्य सर्व पृथ्वीवर सत्ता करतील.
ପୁଣି, ଆପଣଙ୍କ ଉତ୍ତାରେ ଆପଣଙ୍କଠାରୁ ନ୍ୟୂନ ଆଉ ଗୋଟିଏ ରାଜ୍ୟ ଉଠିବ ଓ ତହିଁ ଉତ୍ତାରେ ପିତ୍ତଳମୟ ତୃତୀୟ ଏକ ରାଜ୍ୟ ଉଠିବ, ତାହା ସମୁଦାୟ ପୃଥିବୀ ଉପରେ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ କରିବ।
40 ४० तेथे चौथे राज्य असेल जे लोखंडासारखे मजबूत लोखंड तुकडे करतो हे त्यांचे तुकडे करून त्यांचा भुगा करील.
ପୁଣି, ଚତୁର୍ଥ ରାଜ୍ୟ ଲୌହ ତୁଲ୍ୟ ଦୃଢ଼ ହେବ; କାରଣ ଲୌହ ଯେପରି ସକଳ ଦ୍ରବ୍ୟ ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ କରି ଆୟତ୍ତ କରେ ଓ ଲୌହ ଯେପରି ଏହିସବୁକୁ ଚୂର୍ଣ୍ଣ କରେ, ସେହିପରି ସେହି ରାଜ୍ୟ ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ କରି ଭାଙ୍ଗି ସବୁ ଚୂର୍ଣ୍ଣ କରିବ।
41 ४१ जसे आपण पाहिले की, पावले आणि बोटे काही भाग भाजलेल्या मातीचा आणि काही भाग लोखंडाचा होता, म्हणून हे राज्य विभागलेले राहील, काही भागात लोखंडाची मजबुती राहील तसेच जसे आपण लोखंड मातीत मिसळलेला पाहिले.
ଆହୁରି, ଆପଣ ଯେପରି ଦେଖିଲେ ଯେ, ପାଦ ଓ ପାଦର ଅଙ୍ଗୁଳି କିଛି କୁମ୍ଭକାରର ମୃତ୍ତିକାମୟ ଓ କିଛି ଲୌହମୟ ଥିଲା, ସେପରି ସେ ରାଜ୍ୟ ବିଭକ୍ତ ରାଜ୍ୟ ହେବ; ମାତ୍ର ତହିଁରେ ଲୌହର ଦୃଢ଼ତା ରହିବ, କାରଣ କର୍ଦ୍ଦମରେ ଲୌହ ମିଶ୍ରିତ ଥିବାର ଆପଣ ଦେଖିଲେ।
42 ४२ जशी पायांची बोटे अंशत: लोखंडाची आणि अंशत: मातीची बनली होती तसे ते राज्य असेल अंशत: बळकट आणि अंशत: ठिसूळ असे होईल.
ପୁଣି, ପାଦର ଅଙ୍ଗୁଳିସବୁ ଯେପରି କିଛି ଲୌହମୟ ଓ କିଛି ମୃତ୍ତିକାମୟ ଥିଲା, ସେପରି ରାଜ୍ୟର ଏକାଂଶ ଦୃଢ଼ ଓ ଏକାଂଶ ଭଗ୍ନ ହେବ।
43 ४३ जसे आपण पाहिले लोखंड मऊ माती सोबत मिसळले होते, तसे लोक मिसळलेले राहतील, जसे लोखंड व माती एक होत नाही तसे हे लोकही एकत्र राहणार नाही.
ଆଉ, ଆପଣ ଯେପରି କର୍ଦ୍ଦମ ସଙ୍ଗରେ ଲୌହ ମିଶ୍ରିତ ଥିବାର ଦେଖିଲେ, ସେପରି ସେମାନେ ମନୁଷ୍ୟମାନଙ୍କ ବଂଶ ସଙ୍ଗେ ଆପେ ମିଶ୍ରିତ ହେବେ; ମାତ୍ର ଲୌହ ଯେପରି ମୃତ୍ତିକାରେ ମିଶ୍ରିତ ହୁଏ ନାହିଁ, ତଦ୍ରୂପ ସେମାନେ ପରସ୍ପର ସଂଲଗ୍ନ ହୋଇ ରହିବେ ନାହିଁ।
44 ४४ त्या राजाच्या दिवसात स्वर्गीय देव एका राज्याची स्थापना करील, त्याचा कधीही नाश होणार नाही, त्यास कोणी जिंकणार नाही ते तर सर्व राज्याचे तुकडे करून त्या सर्वांचा नाश करील व ते सर्व काळ टिकेल.
ପୁଣି, ସେହି ରାଜାଗଣର ସମୟରେ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥ ପରମେଶ୍ୱର ଗୋଟିଏ ରାଜ୍ୟ ସ୍ଥାପନ କରିବେ, ତାହା କଦାପି ବିନଷ୍ଟ ହେବ ନାହିଁ, କିଅବା ତହିଁର ଆଧିପତ୍ୟ ଅନ୍ୟ ଗୋଷ୍ଠୀର ହସ୍ତରେ ଛଡ଼ାଯିବ ନାହିଁ; ମାତ୍ର ତାହା ଏହିସବୁ ରାଜ୍ୟକୁ ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ ଓ ନଷ୍ଟ କରି ଆପେ ଚିରସ୍ଥାୟୀ ହେବ।
45 ४५ आपण जसे पाहिले कोणी मनुष्याचा हात न लागता एक दगड पर्वतांवरून तुटून पडला त्याने लोखंड, पितळे, माती, चांदी आणि सोने यांचे तुकडे केले, त्या महान परमेश्वराने राजा पुढे होणाऱ्या घटना कळविल्या आहेत. हे स्वप्न सत्य असून त्याचा हा विश्वसनीय उलगडा आहे.”
କାରଣ ପର୍ବତରୁ ହସ୍ତ ବିନା ଛେଦିତ ଏକ ପ୍ରସ୍ତର ଯେ ସେହି ଲୌହ, ପିତ୍ତଳ, ମୃତ୍ତିକା, ରୂପା ଓ ସୁନାକୁ ଚୂର୍ଣ୍ଣ କଲା, ଏହା ଆପଣ ଦେଖିଲେ; ଯାହା ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଘଟିବ, ତାହା ମହାନ ପରମେଶ୍ୱର ମହାରାଜାଙ୍କୁ ଜ୍ଞାତ କରାଇଅଛନ୍ତି; ପୁଣି, ଏହି ସ୍ୱପ୍ନ ନିଶ୍ଚିତ ଓ ତହିଁର ଅର୍ଥ ସତ୍ୟ।”
46 ४६ राजा नबुखद्नेस्सराने पालथे पडून दानीएलास साष्टांग दंडवत घातले आणि आज्ञा केली की त्यास अर्पण करून धूप दाखवा.
ସେତେବେଳେ ରାଜା ନବୂଖଦ୍‍ନିତ୍ସର ମୁହଁ ମାଡ଼ି ପଡ଼ି ଦାନିୟେଲଙ୍କୁ ପ୍ରଣାମ କଲା ଓ ଲୋକମାନେ ଯେପରି ତାଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ନୈବେଦ୍ୟ ଓ ସୁଗନ୍ଧି ଧୂପ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବେ, ଏହା ଆଜ୍ଞା କଲା।
47 ४७ राजा दानीएलास म्हणाला, “खरोखर तुझा देव सर्व देवांचा देव आहे, राजांचा राजा आहे, तो जो रहस्यांचा उलगडा करतो, म्हणून तुला हे रहस्या प्रगट करता आले आहे.”
ରାଜା ଦାନିୟେଲଙ୍କୁ ଉତ୍ତର କରି କହିଲା, “ତୁମ୍ଭେ ଏହି ନିଗୂଢ଼ କଥା ପ୍ରକାଶ କରିବାକୁ ସମର୍ଥ ହୋଇଅଛ, ଏଥିପାଇଁ ନିଶ୍ଚୟ ତୁମ୍ଭର ପରମେଶ୍ୱର ଈଶ୍ୱରଗଣର ଈଶ୍ୱର ଓ ରାଜାଗଣର ପ୍ରଭୁ ଓ ନିଗୂଢ଼ ବିଷୟମାନର ପ୍ରକାଶକ ଅଟନ୍ତି।”
48 ४८ नंतर राजाने दानीएलास मोठा सन्मान आणि अद्भुत भेटवस्तू दिल्या. त्यास अवघ्या बाबेलातील परगण्याची सत्ता दिली आणि दानीएल बाबेलाच्या सर्व ज्ञानी लोकांचा मुख्य प्रशासक झाला.
ତହୁଁ ରାଜା ଦାନିୟେଲଙ୍କୁ ମହାନ କରି ଅନେକ ବହୁମୂଲ୍ୟ ଉପହାର ଦେଲା, ଆଉ ବାବିଲର ସମୁଦାୟ ପ୍ରଦେଶ ଉପରେ କର୍ତ୍ତୃତ୍ୱ ପଦ ଦେଇ ବାବିଲସ୍ଥ ଯାବତୀୟ ବିଦ୍ୱାନ୍‍ ଲୋକଙ୍କ ଉପରେ ତାଙ୍କୁ ପ୍ରଧାନ ଅଧିପତି କଲା।
49 ४९ दानीएलाने राजास केलेल्या विनंतीवरुन, राजाने शद्रुख, मेशख आणि अबेदनगो ह्यास बाबेलाच्या प्रांताचे प्रशासक नेमले पण दानीएल राजदरबारीच राहिला.
ପୁଣି, ଦାନିୟେଲ ରାଜା ନିକଟରେ ନିବେଦନ କରନ୍ତେ, ରାଜା ଶଦ୍ରକ୍‍, ମୈଶକ୍‍ ଓ ଅବେଦ୍‍ନଗୋଙ୍କୁ ବାବିଲ ପ୍ରଦେଶର କାର୍ଯ୍ୟରେ ନିଯୁକ୍ତ କଲା; ମାତ୍ର ଦାନିୟେଲ ରାଜଦ୍ୱାରରେ ରହିଲେ।

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