< प्रेषि. 28 >
1 १ जेव्हा आमचे पाय सुखरुपपणे तेथील जमीनीला लागले, तेव्हा आम्हास कळले की, त्या बेटाचे नाव मिलिता असे आहे.
ଆପେଂ ରାକ୍ୟା ପାୟାତି ପାଚେ ହେ ଏସ୍କୁପ୍ଲି ମେଲିତି ଇଞ୍ଜି ପୁଚାପ୍ ।
2 २ तेथील रहिवाश्यांनी आम्हास अतिशय ममतेने वागविले, त्यांनी एक शेकोटी पेटविली आणि आमचे स्वागत केले, कारण पाऊस पडू लागाला होता व थंडीही होती.
ଆରେ, ବିଦେସି ମା କାଜିଂ ବେସି ଦୟା ଚଚ୍ଚାତାନ୍, ଇନାକିଦେଂକି ବାର୍ହା ଆରି ପିନି ଆଜ଼ି ମାଚିଲେ ହେୱାର୍ ନାଣି ଆହି କିଜ଼ି ମା ୱିଜ଼ାରିଂ ଜିଉନତ୍ତାର୍ ।
3 ३ पौलाने काटक्या गोळा केल्या आणि ते त्या शेकोटीत टाकू लागला, उष्णतेमुळे तेथून एक साप निघाला आणि त्याने पौलाच्या हाताला विळखा घातला.
ମତର୍ ପାଉଲ୍ ପେଣ୍ତା ୱେଜ଼୍ଗୁ ରୁଣ୍ଡାୟ୍ କିଜ଼ି ନାଣି ଜପି ତୁହିତିଲେ, କେଦ୍ନି କାଜିଂ ର କାଲାଟିରାଚ୍ ହସି ହେୱାନିଂ କେଇଦ କାପ୍ଚି ହୁର୍ପିସ୍ ମାଚାତ୍ ।
4 ४ ते पाहून तेथील रहिवाशी एकमेकांना म्हणू लागले, “हा मनुष्य खुनी असला पाहिजे, समुद्रातून जरी हा वाचला असला तरी न्यायदेवताही याला जगू देत नाही.”
ବିଦେସି ହେୱାନ୍ କେଇଦ ହେ ଜାତ୍ ଜଲାଜ଼ି ମାନାକା ହୁଡ଼୍ଜି ହାରି ଇଞ୍ଜେଙ୍ଗ୍ ଲାଗାତାର୍, “ଇ ଲକ୍ ହାତ୍ପା ନାର୍ ଅସ୍ତାକାନ୍, ହାମ୍ଦୁର୍ତାଂ ରାକ୍ୟା ପାୟାତିସ୍ ପା ଦାରୁମ୍ ଇୱାନିଂ ଜିଜ଼ି ମାଞ୍ଜେଙ୍ଗ୍ ହିୱାତାତ୍ ।”
5 ५ परंतु पौलाने तो प्राणी शेकोटीत झटकून टाकला आणि पौलाला काही अपाय झाला नाही.
ମତର୍ ହେ ଜାତ୍ତିଂ ଡ଼ାତ୍ତି ନାଣିତ ତୁହିତାନ୍, ଆରେ ହେୱାନ୍ତି ମୁଡ଼େ ନସ୍ଟ ଆୱାତାତ୍ ।
6 ६ त्या बेटावरील लोकांस पौलाचे अंग सुजून येईल किंवा पौल एकाएकी मरून पडेल असे वाटत होते, बराच वेळ वाट पाहूनही पौलाला काहीही विकार झाल्याचे दिसेना, तेव्हा त्या लोकांचे विचार पालटले आणि पौल देवच आहे असे ते म्हणू लागले.
ହେୱାନ୍ ଜେ ପୁଲାଆନାନ୍ କି ହାଚାଟ୍ରେ ହାନାନ୍, ଇଦାଂ ହେୱାର୍ କାସି ମାଚାର୍; ମତର୍ ବେସି ୱେଡ଼ା ପାତେକ୍ କାସି ମାଚାର୍ ପାଚେ ହେୱାନ୍ତି ଇମ୍ଣାକା ପା ନସ୍ଟ ଆୱାକା ହୁଡ଼୍ଜି ହେୱାର୍ ଜାର୍ ଜାର୍ ମାନ୍ ବାଦ୍ଲାୟ୍ କିଜ଼ି ଇଚାର୍, “ଇୱାନ୍ ରୱାନ୍ ମାପ୍ରୁ ।”
7 ७ तेथून जवळच पुब्ल्य नावाच्या मनुष्याची शेती होती, पुब्ल्य हा त्या बेटाचा मुख्य अधिकारी होता, त्याने आम्हा सर्वांचे त्याच्या घरी स्वागत केले आणि तीन दिवस आमचा चांगला पाहुणचार केला.
ହେ ବାହିନି ଲାଗେ ପୁବ୍ଲିୟ ତର୍ନି ହେ ଏସ୍କୁପ୍ଲିନି ମୁଡ଼୍ ମୁଣିକାର୍ତି ଇଲ୍ ଆରି ତାରେନ୍ ମାଚାତ୍; ହେୱାନ୍ ମାଙ୍ଗେଙ୍ଗ୍ ଇଡ଼ିଜି ତିନି ଦିନ୍ ପାତେକ୍ ୱାରିତାଂ ଗୁଣ୍ କିଜ଼ି ମାଂ ବେବାର୍ କିତ୍ତାର୍ ।
8 ८ पुब्ल्याचे वडील तापाने व पोट खराब असल्यामुळे आजारी होते, त्यामुळे अंथरुणाला खिळून होते, पौल त्या आजारी व्यक्तीला भेटायला गेला प्रार्थना करून पौलाने आपला हात त्याच्यावर ठेवला आणि त्या मनुष्यास बरे केले.
ହେ ସମୁତ ପୁବ୍ଲିୟତି ଲାତ୍ରାହି ନମେର୍ ଆରି ବାନ୍ଦାଣ୍ତିଂ ନାଦାର୍ ଆଜ଼ି ହୁଞ୍ଜ୍ଜି ମାଚାନ୍, ଆରେ ପାଉଲ୍ ବିତ୍ରେତାଂ ତା ଲାଗେ ହାଲ୍ଜି ପାର୍ତାନା କିତାନ୍ ଆରି ହେୱାନ୍ତି ଜପି କେଇ ଇଡ଼୍ଜି ହେୱାନିଂ ଉଜ୍ କିତାନ୍ ।
9 ९ हे घडलेले पाहिल्यावर त्या बेटावरील इतर आजारी लोक पौलाकडे आले आणि बरे झाले.
ଇ ଗଟ୍ନା ପାଚେ ହେ ଏସ୍କୁପ୍ଲିତ ମାନି ବାକି ବେମାରିର୍ ପା ୱାଜ଼ି ଉଜ୍ ଆତାର୍;
10 १० त्यांनी आम्हास सन्मानपूर्वक पुष्कळ वस्तू भेटीदाखल दिल्या आणि जेव्हा आम्ही परत प्रवासास निघालो तेव्हा आम्हास लागणाऱ्या अनेक गोष्टी पुरविल्या.
ହେୱାର୍ ପା ମାଙ୍ଗେଙ୍ଗ୍ ବେସି ସନ୍ମାନ୍ ହୁଦାଂ ୱାରି କିତ୍ତାର୍, ଆରେ, ମାଦାଂ ହାନି ୱେଡ଼ାଲିଂ ମା ଲଡ଼ାନି ଜିନିସିଂ ସବୁ ହିତ୍ତାର୍ ।
11 ११ आम्ही तेथे हिवाळ्यात राहिल्यावर आलेक्सांद्रा शहरातील एका जहाजातून पुढील प्रवासास निघालो, ते जहाज त्या बेटावर हिवाळाभर मुक्कामाला होते, त्या जहाजाच्या समोरील बाजूस जुळ्या भावाचे चिन्ह होते.
ତିନ୍ ମାସ୍ ପାଚେ ଆପେଂ ର ଆଲେକ୍ଜାଣ୍ଡ୍ରିୟ ଜାଜ୍ତ ଦୁମ୍ଜି ହାଚାପ୍, ହେ ଜାଜ୍ ଇ ଏସ୍କୁପ୍ଲିତ ପିନି କାଡ଼୍ କାଟି କିଜ଼ି ମାଚାତ୍, ତା ତର୍ “ମିତୁନ୍ ।”
12 १२ मग आम्ही सुराकूस येथे जाऊन पोहचलो आणि तेथे तीन दिवस राहिलो.
ସୁରାକୁସାତ ଏକିସ୍ ଆପେଂ ହେବେ ତିନି ଦିନ୍ ମାଚାପ୍,
13 १३ तेथून शिडे उभारून आम्ही निघालो आणि रेगियोन नगराला गेलो, तेथे एक दिवस मुक्काम केला, नंतर दक्षिणेकडील वारा सुटल्यावर दुसऱ्या दिवशी पुत्युलास गेलो.
ଆରେ ହେ ଏସ୍ ଜାଜ୍ତ ବୁଲାଜ଼ି ରେଗିୟତ ଏକାତାପ୍ । ର ଦିନ୍ ପାଚେ ତିନିବାଗାଙ୍ଗ୍ନି ଦୁକା ଇଡ଼୍ତିଲେ ରି ଦିନ୍ତାଂ ପୁତେଅଲିତ ଏକାତାପ୍;
14 १४ त्या शहरात आम्हास काही बंधुजन भेटले, त्यांच्या सांगण्यावरून आम्ही तेथे सात दिवस राहिलो, मग आम्ही रोम येथे जाऊन पोहचलो.
ହେ ବାହାତ ଆପେଂ ଟଣ୍ଡାର୍ରିଂ ବେଟ୍ ଆତାପ୍, ଆରେ ହେୱାର୍ ଲାହାଂ ସାତ୍ ଦିନ୍ ମାଞ୍ଜେଙ୍ଗ୍ କାଜିଂ ହେୱାର୍ ମାଂ ଗୱାରି କିତ୍ତାର୍; ଇ ଲାକେ ଆପେଂ ରମ୍ତ ଏକାତାପ୍ ।
15 १५ तेथील बंधूनी आमच्याबद्दलची वार्ता ऐकली होती, ते आमच्या भेटीसाठी अप्पियाच्या बाजारपेठेपर्यंत आणि तीन धर्मशाळेपर्यंत आले, पौलाची त्यांची भेट झाल्यावर त्याने देवाचे उपकार मानले व त्यास धीर आला.
ରମ୍ନି ପାର୍ତି କିନି ଟଣ୍ଡାର୍ ଆରି ତଣ୍ଦେକ୍ ମାଂ କାବୁର୍ ଗାଟାଜ଼ି ହେ ବାହାତାଂ “ଆପ୍ପିୟତି ଆଟ୍ ଆରି ‘ତିନି ଦରମ୍ସାଲା ଇଲ୍’ ପାତେକ୍ ମାଂ ବେଟାଆଦେଂ କାଜିଂ ୱାତାର୍, ଆରେ ପାଉଲ୍ ହେୱାରିଂ ହୁଡ଼୍ଜି ଇସ୍ୱର୍ତିଂ ଦନ୍ୟବାଦ୍ କିଜ଼ି ସାସ୍ ପାୟାତାର୍ ।”
16 १६ आम्ही रोम येथे पोहोंचल्यावर पौलाला एकटे राहायला परवानगी मिळाली, परंतु त्याच्यावर देखरेख करण्यासाठी एक शिपाई ठेवण्यात आला.
ଆରେ, ଆପେଂ ରମ୍ତ ଏକିତିଲେ, ପାଉଲ୍ ଜାର୍ କାନି ମେଲ୍ୟାର୍ ଲାହାଂ ବିନେ ବାହା କିଦେଙ୍ଗ୍ କାଜିଂ ହେଲ ପାୟାତାନ୍ ।
17 १७ तीन दिवसानंतर पौलाने सर्व यहूदी पुढाऱ्यांना एकत्र बोलावले, जेव्हा सर्वजण जमा झाले तेव्हा पौल त्यांना म्हणाला, “बंधूंनो, आपल्या बांधवांविरुद्ध मी काहीही केलेले नाही, तरी मला यरूशलेम येथे पकडून रोमी लोकांच्या हाती कैदी म्हणून देण्यात आले.
ତିନି ଦିନ୍ ପାଚେ ହେୱାନ୍ ଜିହୁଦିର୍ତି ମୁଡ଼୍ ମୁଡ଼୍ ମୁଣିକାରିଂ କୁକ୍ଚି ରବେ କିତାନ୍, ଆରେ ହେୱାର୍ ରୁଣ୍ଡା ଆତିଲେ, ପାଉଲ୍ ହେୱାରିଂ ଇଚାନ୍, “ଏ ଇସ୍ରାଲ୍ନି ଟଣ୍ଡାର୍, ଜଦି ଆନ୍ ନିଜ୍ ଜାତି ବିରୁଦ୍ତ କି ମା ଆବା ଲେତ୍ରାତି ରିତିନିତି ବିରୁଦ୍ତ ମୁଡ଼େ କିୱାଦାଂ ମାଚାଙ୍ଗ୍, ଆତିସ୍ପା ଜିରୁସାଲମ୍ତାଂ ଗେହ୍ୟାତି ଲାକେ ରମିୟର୍ତି କେଇଦ ହେଲାୟ୍ ଆତାଙ୍ଗ୍ ।
18 १८ आणि जेव्हा त्यांनी माझी चौकशी केली, तेव्हा त्यांची मला सोडून देण्याची इच्छा होती, कारण मरणदंडाला योग्य असा कोणताही गुन्हा मी केला नव्हता.
ହେୱାର୍ ନା ବିଚାର୍ କିଜ଼ି ନା ତାକେଣ୍ଡାଂ ପାରାଣ୍ ଦାଣ୍ଡ୍ନି ଇନା କାରଣ୍ ୱେନ୍ବିସ୍ ଡେକ୍ଚି ହିଲ୍ୱିତିଲେ ନାଂ ମୁକ୍ତି କିଦେଂ ଇଚା କିଜ଼ି ମାଚାର୍;
19 १९ परंतु यहूदी लोकांनी जेव्हा माझ्या सुटकेला हरकत घेतली, तेव्हा कैसराकडे न्याय मागणे मला भाग पडले, याचा अर्थ असा नाही की, यहूदी लोकांविरुद्ध मला दोषारोप करण्याची इच्छा आहे.
ମତର୍ ଜିହୁଦିର୍ ହେବେନି ବିରୁଦ୍ତ ଇଚିଲେ ଆନ୍ କାଇସର୍ତି ଲାଗେ ବିଚାର୍ଣ୍ଣା ଆନି କାଜିଂ ପାର୍ତାନା କିଦେଙ୍ଗ୍ ବାୟ୍ଦ୍ ଆତାଂ; ନାଦାଂ ଜେ ନିଜ୍ ଜାତି ବିରୁଦ୍ତ ଦାବା କିନାକା ଅଲପ୍ ମାଚାତ୍, ହେଦାଂ ଆକାୟ୍ ।
20 २० या कारणासाठी तुम्हास भेटण्याची आणि तुमच्याशी बोलण्याची मी इच्छा दाखविली, कारण इस्राएलाच्या आशेच्या निष्ठेमुळेच मी या साखळ्यांनी जखडलो गेलो आहे.”
ଲାଗିଂ, ଇ କାରଣ୍ତାଂ ଆନ୍ ମିଙ୍ଗେଙ୍ଗ୍ ନା ଲାହାଂ ବେଟାଜ଼ି ଆରି କାତାବାର୍ତା କିଦେଙ୍ଗ୍ ଗୱାରି କିତାଙ୍ଗ୍, ଇନାକିଦେଂକି ଇସ୍ରାଏଲ୍ନି ମାନାୟାର୍ ବାର୍ସି କାଜିଂ ଆନ୍ ଇ ହିକ୍ଡ଼ିଂତାଂ ଗାଚ୍ୟାତାଂନ୍ନା ।”
21 २१ यहूदी पुढारी पौलाला म्हणाले, “आम्हास तुमच्याबाबत यहूदीयाहून कसलेही पत्र आलेले नाही, अगर तिकडून येणाऱ्या बंधुजनांपैकी एकाही भावाने तुमच्याविषयी वाईट कळविले अथवा बोललेले नाही.”
ହେବେଣ୍ଡାଂ ହେୱାର୍ତାଂ ଇଚାର୍, “ନି ବିସ୍ରେ ଜିହୁଦା ଦେସ୍ତାଂ ଆପେଂ ଇମ୍ଣାକା ପା ଆକି ପାୟାୱାତାପ୍ନ୍ନା, କି ଟଣ୍ଡାର୍ ବିତ୍ରେ ଇନେର୍ ଇବେ ୱାଜ଼ି ନି ବିସ୍ରେ ଇମ୍ଣାକାର୍ପା ବାନ୍ୟା କାବୁର୍ ହିଦ୍ୱାତାର୍ଣ୍ଣା କି ଇନ୍ୱାତାର୍ଣ୍ଣା ।
22 २२ परंतु तुमची मते काय आहेत हे समजून घेण्याची आमची इच्छा आहे, कारण या गटाविरुद्ध सगळीकडे लोक बोलतात हे आम्हास माहीत आहे.
ମତର୍ ନି ବାବ୍ନା ଇନାକା, ହେଦାଂ ଆପେଂ ନିତାଂ ୱେଞ୍ଜେଙ୍ଗ୍ ଇଚା କିନାପା; ଇନାକିଦେଂକି ଇ କୁଦା ବିସ୍ରେ ଆପେଂ ପୁନାପ୍ ଜେ, ୱିଜ଼େ ହେୱାନ୍ ବିରୁଦ୍ତ କାତା ଇନ୍ୟାନାତା ।”
23 २३ तेव्हा यहूदी लोकांनी एक बैठकीचा दिवस ठरवला, जेथे पौल राहत होता, तेथे ते मोठ्या संख्येने जमा झाले, तेव्हा पौलाने त्यांना समजावून सांगितले आणि देवाच्या राज्याविषयी आपली साक्ष दिली, मोशेच्या नियमशास्त्रापासून आणि संदेष्ट्यांच्यापासून फोड करून येशूविषयी त्यांची खात्री पटविण्याचा प्रयत्न केला, हे तो सकाळपासून संध्याकाळपर्यंत करीत होता.
ଇବେଣ୍ଡାଂ ହେୱାର୍ ତା ଲାହାଂ ର ଦିନ୍ ତିର୍ କିଜ଼ି ବେସି ଲଗୁ ହେୱାନ୍ ବାହାତ ୱାତାର୍, ଆରେ ହେୱାନ୍ ନାଡ଼ିସ୍ତାଂ ମ୍ଡିକାହାରେସ୍ ପାତେକ୍ ହେୱାର୍ତି ଲାଗେ ଗାଣ୍ଡ୍ରା କିଜ଼ି ଇସ୍ୱର୍ତି ରାଜି ବିସ୍ରେ ସାକି ହିତାନ୍, ଆରେ ମସାତି ବିଦି ଆରି ବେଣ୍ବାକ୍ଣାୟ୍କିନାକାର୍ ସାସ୍ତର୍ ଅଜ଼ି ଜିସୁତି ବିସ୍ରେ ହେୱାର୍ତି ପାର୍ତି ବୁଡାୟ୍ କିଦେଙ୍ଗ୍ ସେସ୍ଟା କିତାନ୍ ।
24 २४ त्याने फोड करून सांगितलेल्या गोष्टीविषयी काही जणांची खात्री पटली, तर काहींनी तो बोलत असलेल्या गोष्टीवर विश्वास ठेवला नाही.
ହେବେଣ୍ଡାଂ ଇନେ ଇନେର୍ ଇଚି ବିସ୍ରେ ପାର୍ତି କିୱାତାର୍, ମତର୍ ଇନେ ଇନେର୍ ପାର୍ତି କିୱାତାର୍ ।
25 २५ पौल पुढील एक गोष्ट बोलला, त्यावरून मतभेद होऊन त्यांच्यापैकी काहीजण उठले आणि तेथून जाऊ लागले, पौल म्हणाला, “यशया संदेष्टयांच्या द्वारे पवित्र आत्मा आपल्या वाडवडिलांशी जे बोलला, ते खरोखरच किती खरे आहे! यशया म्हणाला होता.”
ଆରେ, ହେୱାର୍ ଜାର୍ ଜାର୍ ବିତ୍ରେ ରମାନ୍ ଆୱିତିଲେ ହେଲୱେୟ୍ ଅତାର୍; ହେୱାର୍ ହାନି ଆଗେ ପାଉଲ୍ ଇ ର ବଚନ୍ ଇଚାନ୍, ମି ଆବାଲାତ୍ରାତି ବେଣ୍ବାକ୍ଣାୟ୍କିନାକାର୍ ଜିସାୟ୍ତି ହୁଦାଂ “ପୁଇପୁୟା ଜିବୁନ୍ ହାତେରଚେ ଇଞ୍ଜି ମାଚାର୍,
26 २६ या लोकांकडे तुम्ही जा आणि त्यांना सांगाः तुम्ही ऐकाल तर खरेपण तुम्हास समजणार नाही, तुम्ही पहाल तुम्हास दिसेल पण तुम्ही काय पाहत ते तुम्हास कळणार नाही.
ଇ ମାନାୟାର୍ ଲାଗେ ହାଲ୍ଜି ଇନାକା, ଏପେଙ୍ଗ୍ ୱେନୁ ୱେନୁ ୱେନାଦେର୍, ମତର୍ ଇମ୍ଣି ପ୍ରକାର୍ ବୁଜା ଆଉଦେର୍, ଆରେ, ହୁଡ଼୍ଜି ହୁଡ଼୍ଜି ହୁଡ଼୍ନାଦେର୍, ମତର୍ ଇନେସ୍ କିତିସ୍ପା ପୁଞ୍ଜେଙ୍ଗ୍ ଆଡୁଦେର୍;
27 २७ कारण या लोकांचे अंतःकरण जड झाले आहेत त्याच्या कानांनी त्यांना ऐकू येत नाही आणि त्यांनी आपले डोळे बंद केले आहेत नाही तर त्यांनी आपल्या डोळ्यांनी पाहिले असते आणि आपल्या कानांनी ऐकले असते आणि माझ्याकडे वळले असते आणि मी त्यांना बरे केले असते.
ଇନାକିଦେଂକି ଇ ଲକୁର୍ତି ନିର୍ବୁଦିୟା, ହେୱାର୍ କିତୁଲ୍ତ କସ୍ଟତ ୱେଚାର୍ ଆରି ଜାର୍ ଜାର୍ କାଣ୍କୁ ଜୁଚ୍ଚାର୍, ଇନେସ୍ ହେୱାର୍ କାଣ୍କୁତ ହୁଡ଼ୁର୍ ଆରି କିତୁଲ୍ତ ୱେନୁର୍, ଆରେ ମାନ୍ତ ବୁଜା ଆଉର୍, ଆରେ ମାସ୍ଦି ୱାଉର୍, ଆରେ ଆପ୍ ହେୱାରିଂ ଉଜ୍ କିଉପ୍ ।”
28 २८ म्हणून देवाचे हे तारण परराष्ट्रीयांकडे लोकांकडे पाठविण्यात आले आहे, हे तुम्हा यहूदी लोकांस कळावे, ते ऐकतील.
“ହାରିହାରା ପାଉଲ୍ ଇଚାନ୍ ଏପେଙ୍ଗ୍ ପୁନ୍ଞ୍ଜି ମାନାଟ୍, ମୁକ୍ତି ଇସ୍ୱର୍ ପାର୍ତିକିୱି ଜିହୁଦିର୍ ଲାଗାଂ ପକ୍ତାତାଂନା ହେୱାର୍ ହେଦାଂ ୱେନାର୍ ।”
29 २९ तो असे बोलल्यावर यहूदी आपल्यामध्ये फार विवाद करीत निघाले.
ଆରେ, ହେୱାନ୍ ଇ, ସବୁ କାତା ଇଚିଲେ, ଜିହୁଦିର୍ ଜାର୍ ଜାର୍ ବିତ୍ରେ କାତାବାର୍ତା କିଉ କିଉ ହେବେତାଂ ହାଚାର୍ ।
30 ३० पूर्ण दोन वर्षे तो त्याच्या भाड्याच्या घरात राहिला, जे त्यास भेटायला येत, त्यांचे तो स्वागत करी.
ପାଉଲ୍ ର ଇଲ୍ ବାଡ଼ା ଅଜ଼ି ଦୁଇ ବାର୍ହୁ ପାତେକ୍ ମାଚାନ୍ ଆରି ତାଂ ହୁଡ଼୍ନି କାଜିଂ ୱାଜ଼ିମାନି ୱିଜ଼ାରିଂ ହେବେ କୁକ୍ଚି ମାଚାନ୍ ।
31 ३१ त्याने देवाच्या राज्याविषयी प्रचार केला, त्याने प्रभू येशूविषयी शिक्षण दिले, तो हे काम फार धैर्याने करीत असे आणि कोणीही त्यास बोलण्यात अडवू शकले नाही.
ସାସ୍ତ ଆରି ବାଦାୱାଦାଂ ଇସ୍ୱର୍ତି ରାଜିନି କାତା ସୁଣାୟ୍ କିଦେଙ୍ଗ୍ ଲାଗିସ୍ ମାଚାନ୍ ଆରି ମାପ୍ରୁ ଜିସୁ କ୍ରିସ୍ଟତି ବିସ୍ରେ ସବୁ ହିକ୍ୟା ହିଜ଼ି ମାଚାନ୍ ।