< 1 शमुवेल 15 >
1 १ शमुवेल शौलाला म्हणाला, “परमेश्वराने आपले लोक इस्राएल यांच्यावर तू राजा व्हावे म्हणून तुला अभिषिक्त करायला मला पाठवले तर आता तू परमेश्वराची वचने ऐक.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କୁ କହିଲେ, “ସଦାପ୍ରଭୁ ଆପଣା ଲୋକ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ତୁମ୍ଭକୁ ରାଜପଦରେ ଅଭିଷେକ କରିବା ପାଇଁ ମୋତେ ପଠାଇଥିଲେ; ଏଣୁ ଏବେ ତୁମ୍ଭେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟର ରବ ଶୁଣ।
2 २ सैन्यांचा परमेश्वर असे म्हणतो, इस्राएल मिसरातून वर येत असता अमालेकाने त्यास काय केले, म्हणजे तो वाटेवर त्याच्याविरुध्द कसा उभा राहिला हे मी पाहिले आहे.
ସୈନ୍ୟାଧିପତି ସଦାପ୍ରଭୁ ଏହି କଥା କହନ୍ତି, ‘ଇସ୍ରାଏଲ ମିସରରୁ ବାହାରି ଆସିବା ବେଳେ ପଥ ମଧ୍ୟରେ ଅମାଲେକ ତାହା ବିରୁଦ୍ଧରେ ଉଠି ତାହା ପ୍ରତି ଯାହା କରିଥିଲା, ଆମ୍ଭେ ତହିଁର ତତ୍ତ୍ୱାନୁସନ୍ଧାନ କରିଅଛୁ।
3 ३ आता तू जाऊन अमालेकाला मार आणि त्यांचे जे आहे त्या सर्वांचा नाश कर त्यांना सोडू नको तर पुरुष व स्त्रिया मुले व बालके व गाय-बैल, मेंढरे व उंट व गाढव यांना जिवे मार.”
ଏବେ ତୁମ୍ଭେ ଯାଇ ଅମାଲେକକୁ ଆଘାତ କର ଓ ସେମାନଙ୍କର ସର୍ବସ୍ୱ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ବିନାଶ କର ଓ ସେମାନଙ୍କୁ ଦୟା କର ନାହିଁ; ମାତ୍ର ପୁରୁଷଠାରୁ ସ୍ତ୍ରୀ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ, ବାଳକଠାରୁ ସ୍ତନ୍ୟପାୟୀ ଶିଶୁ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ, ଗୋରୁଠାରୁ ମେଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ, ଓଟଠାରୁ ଗଧ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ବଧ କର।’”
4 ४ मग शौलाने लोकांस बोलावून तलाईमात त्यांची मोजणी केली; ते दोन लक्ष पायदळ होते व यहूदातील माणसे दहा हजार होती.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶାଉଲ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଡକାଇ ଟଲାୟୀମରେ ସେମାନଙ୍କର ଗଣନା କଲେ, ତହିଁରେ ଦୁଇ ଲକ୍ଷ ପଦାତିକ ଓ ଯିହୁଦାର ଦଶ ସହସ୍ର ଲୋକ ହେଲେ,
5 ५ मग शौल अमालेकाच्या नगराजवळ जाऊन एका खोऱ्यात दबा धरून राहिला.
ତହୁଁ ଶାଉଲ ଅମାଲେକ ନଗରକୁ ଆସି ଉପତ୍ୟକାରେ ଛକି ବସିଲେ।
6 ६ तेव्हा शौलाने केनी लोकांस म्हटले, “अमालेक्याबरोबर तुम्हास मारू नये म्हणून तुम्ही त्याच्यांमधून निघून जा; कारण इस्राएल लोक मिसरांतून आले तेव्हा तुम्ही त्यांच्याशी स्नेहाने वर्तला.” तेव्हा केनी अमालेक्यामधून निघून गेले.
ପୁଣି, ଶାଉଲ କେନୀୟମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଯାଅ, ଚାଲିଯାଅ, ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ବାହାର ହୁଅ, କେଜାଣି ମୁଁ ସେମାନଙ୍କ ସହିତ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିବି; କାରଣ ମିସରରୁ ଇସ୍ରାଏଲ ସନ୍ତାନମାନେ ବାହାରି ଆସିବା ବେଳେ, ତୁମ୍ଭେମାନେ ସେସମସ୍ତଙ୍କ ପ୍ରତି ଦୟା କରିଥିଲ।” ତହିଁରେ କେନୀୟମାନେ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ବାହାରିଗଲେ।
7 ७ मग शौलाने हवीला पासून मिसरासमोरील शूरापर्यंत अमालेक्यांना मार दिला.
ଏଉତ୍ତାରେ ଶାଉଲ ହବୀଲାଠାରୁ ମିସର ସମ୍ମୁଖସ୍ଥ ଶୂରର ନିକଟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କୁ ଆଘାତ କଲେ।
8 ८ त्याने अमालेक्यांचा राजा अगाग याला जिवंत धरले आणि त्या सर्व लोकांस तलवारीच्या धारेखाली जिवे मारले.
ପୁଣି, ସେ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କ ରାଜା ଅଗାଗକୁ ଜିଅନ୍ତା ଧରିଲେ ଓ ଲୋକ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଖଡ୍ଗଧାରରେ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ବିନାଶ କଲେ।
9 ९ तथापि शौलाने व लोकांनी अगागला जिवंत ठेवले; तसेच मेंढरे, बैल, पशु, कोकरे, असे जे काही चांगले धष्टपुष्ट ते राखून ठेवले त्यांचा अगदीच नाश केला नाही; परंतु जे टाकाऊ आणि निरूपयोगी होते त्या सर्वांचा त्यांनी संपूर्ण नाश केला.
ମାତ୍ର ଶାଉଲ ଓ ଲୋକମାନେ ଅଗାଗ ପ୍ରତି ଓ ଉତ୍ତମ ଉତ୍ତମ ମେଷ ଓ ଗୋରୁ ପ୍ରତି ଓ ହୃଷ୍ଟପୁଷ୍ଟ ବାଛୁରି ଓ ମେଷଛୁଆ ପ୍ରତି ଓ ଯାବତୀୟ ଉତ୍ତମ ବସ୍ତୁ ପ୍ରତି ଦୟା କରି ସେମାନଙ୍କୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ବିନାଶ କଲେ ନାହିଁ; ମାତ୍ର ଯାହା କିଛି ତୁଚ୍ଛ ଓ ରୋଗା ଥିଲା, ତାହା ସେମାନେ ବର୍ଜିତ ରୂପେ ବିନାଶ କଲେ।
10 १० तेव्हा परमेश्वराचे वचन शमुवेलाकडे आले, ते म्हणाले,
ଏଉତ୍ତାରେ ଶାମୁୟେଲଙ୍କ ପ୍ରତି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ବାକ୍ୟ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲା, ଯଥା;
11 ११ “मी शौलाला राजा केले याचे मला दु: ख होत आहे. कारण तो मला अनुसरण्याचे सोडून मागे वळला आहे आणि त्याने माझ्या आज्ञा पाळल्या नाहीत.” मग शमुवेलाला राग आला आणि त्याने सारी रात्र परमेश्वराचा धावा केला.
“ଆମ୍ଭେ ଯେ ଶାଉଲକୁ ରାଜା କଲୁ, ଏଥିପାଇଁ ଆମ୍ଭେ ଦୁଃଖିତ; କାରଣ ସେ ଆମ୍ଭଠାରୁ ବିମୁଖ ହୋଇଅଛି ଓ ଆମ୍ଭର ବାକ୍ୟ ସଫଳ କରି ନାହିଁ।” ଏଥିରେ ଶାମୁୟେଲ କ୍ରୁଦ୍ଧ ହେଲେ, ତଥାପି ସମସ୍ତ ରାତ୍ରି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିକଟରେ କ୍ରନ୍ଦନ କଲେ।
12 १२ शमुवेल शौलाला भेटण्यासाठी पहाटेस उठला. तेव्हा कोणी शमुवेलाला सांगितले की, शौल कर्मेलास आला होता आणि पाहा आपणासाठी स्मारक उभारून परतला व खाली गिलगालास गेला आहे.
ପୁଣି, ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କ ସହିତ ପ୍ରଭାତରେ ସାକ୍ଷାତ କରିବା ପାଇଁ ଶୀଘ୍ର ଉଠିଲେ, ତହୁଁ ଶାମୁୟେଲଙ୍କୁ ଏହି ସମ୍ବାଦ ଦିଆଗଲା ଯେ, “ଶାଉଲ କର୍ମିଲକୁ ଆସିଥିଲେ, ଆଉ ଦେଖ, ସେ ଆପଣା ପାଇଁ ଜୟସ୍ତମ୍ଭ ସ୍ଥାପନ କରି ସେଠାରୁ ଫେରି, ପ୍ରସ୍ଥାନ କରି ଗିଲ୍ଗଲ୍କୁ ବାହାରି ଯାଇଅଛନ୍ତି।”
13 १३ मग शमुवेल शौलाकडे आला, आणि शौल त्यास म्हणाला, “परमेश्वर तुम्हास आशीर्वादित करो! मी परमेश्वराची आज्ञा पूर्णपणे पाळली आहे.”
ଏଥିରେ ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କ ନିକଟକୁ ଗଲେ; ପୁଣି, ଶାଉଲ ତାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦ-ପାତ୍ର, ମୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟ ସଫଳ କରିଅଛି।”
14 १४ तेव्हा शमुवेल म्हणाला, “तर मेंढरांचे ओरडणे माझ्या कानी पडते व गाय-बैलांचे हंबरणे मी ऐकतो ते काय आहे?”
ତହିଁରେ ଶାମୁୟେଲ କହିଲେ, “ତେବେ ମୋʼ କର୍ଣ୍ଣରେ ଯେ ମେଷରବ ହେଉଛି ଓ ମୁଁ ଯେ ଗୋରୁ-ରବ ଶୁଣୁଛି, ଏଥିର ଅର୍ଥ କଅଣ?”
15 १५ मग शौल म्हणाला, “लोकांनी ती अमालेक्यांपासून आणली. कारण त्यांनी मेंढरे व गुरे यातील उत्तम ती परमेश्वर तुमचा देव याला यज्ञ अर्पण करण्यासाठी राखून ठेवली आहेत. पण आम्ही बाकीचा पूर्णपणे नाश केला.”
ତହୁଁ ଶାଉଲ କହିଲେ, “ସେମାନେ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କଠାରୁ ସେସବୁ ଆଣିଛନ୍ତି; କାରଣ ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ବଳିଦାନ କରିବା ନିମନ୍ତେ ଲୋକମାନେ ଉତ୍ତମ ଉତ୍ତମ ମେଷ ଓ ଗୋରୁ ପ୍ରତି ଦୟା କଲେ; ମାତ୍ର ଅବଶିଷ୍ଟ ସକଳକୁ ଆମ୍ଭେମାନେ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ବିନାଶ କରିଅଛୁ।”
16 १६ तेव्हा शमुवेलाने शौलाला म्हटले, “तू थांब, म्हणजे या गेल्या रात्री परमेश्वराने मला काय सांगितले.” ते मी तुला ऐकवतो. शौल त्यास म्हणाला, “बोला!”
ସେତେବେଳେ ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତାହା ଛାଡ଼, ସଦାପ୍ରଭୁ ଆଜି ରାତ୍ରିରେ ମୋତେ ଯାହା କହିଅଛନ୍ତି, ତାହା ମୁଁ ତୁମ୍ଭକୁ ଜଣାଇବି।” ଏଥିରେ ସେ କହିଲେ, “କୁହ।”
17 १७ मग शमुवेल म्हणाला, “तू आपल्या दृष्टीने लहान होतास तेव्हा तुला इस्राएलाच्या वंशांचा मुख्य करण्यात आले नाही काय? आणि परमेश्वराने तुला इस्राएलावर राजा केले”
ତେଣୁ ଶାମୁୟେଲ କହିଲେ, “କୁହ ଦେଖି, ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ଦୃଷ୍ଟିରେ କ୍ଷୁଦ୍ର ହେଲେ ହେଁ କି ଇସ୍ରାଏଲ ବଂଶସମୂହର ମସ୍ତକ ହୋଇ ନାହଁ? ପୁଣି, ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭକୁ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ରାଜା କରି ଅଭିଷିକ୍ତ କଲେ;
18 १८ परमेश्वराने तुला तुझ्या मार्गावर पाठवून सांगितले की, जा त्या पापी अमालेक्यांचा नाश कर. ते नाहीसे होईपर्यंत त्यांच्याशी लढाई कर.
ଆଉ ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭକୁ ଯୁଦ୍ଧ ଯାତ୍ରାରେ ପଠାଇ କହିଲେ, ‘ଯାଅ, ସେହି ଅମାଲେକୀୟ ପାପୀମାନଙ୍କୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ବିନାଶ କର, ଆଉ ସେମାନେ ନିଃଶେଷରେ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଯୁଦ୍ଧ କର।’
19 १९ तर मग तू परमेश्वराचे वचन का पाळले नाही? तू तर लुट पकडून परमेश्वराच्या दृष्टीने जे वाईट ते का केले?
ଏଣୁ ତୁମ୍ଭେ କାହିଁକି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ରବ ଶୁଣିଲ ନାହିଁ, ମାତ୍ର ଲୁଟଦ୍ରବ୍ୟ ଉପରେ ଉଡ଼ି ପଡ଼ିଲ ଓ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଯାହା ମନ୍ଦ, ତାହା କଲ?”
20 २० तेव्हा शौल शमुवेलाला म्हणाला, “मी परमेश्वराचे वचन खरोखरच पाळले व ज्या मार्गावर परमेश्वराने मला पाठवले त्यामध्ये मी चाललो आणि अमालेक्यांचा नाश करून अमालेकाचा राजा अगाग याला मी घेऊन आलो आहे.
ଏଥିରେ ଶାଉଲ ଶାମୁୟେଲଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ରବ ଶୁଣିଲି ଓ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋତେ ଯେଉଁ ଯାତ୍ରା କରିବାକୁ ପଠାଇଲେ, ତାହା କଲି ଓ ଅମାଲେକର ରାଜା ଅଗାଗକୁ ଆଣିଲି, ପୁଣି, ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ବିନାଶ କଲି।
21 २१ परंतु ज्यांचा नाश करायचा होता अशी जी लुटीची मेंढरे व गुरे त्यातली उत्तम ती लोकांनी परमेश्वर तुझा देव याला गिलगालात यज्ञ करण्यासाठी ठेवून घेतली.”
ମାତ୍ର ଲୋକମାନେ ଗିଲ୍ଗଲ୍ରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ବଳିଦାନ କରିବା ପାଇଁ ବିନାଶାର୍ଥେ ବର୍ଜିତ ଦ୍ରବ୍ୟ ମଧ୍ୟରୁ ଲୁଟ ରୂପେ ଉତ୍ତମ ଉତ୍ତମ ମେଷ ଓ ଗୋରୁ ନେଲେ।”
22 २२ शमुवेल म्हणाला, “परमेश्वरास आपले वचन पाळण्याने जितका आनंद होतो तितका आनंद होमार्पणांनी व यज्ञांनी होतो काय? पाहा यज्ञापेक्षा आज्ञा पालन करणे आणि मेंढरांच्या चरबीपेक्षा वचन ऐकणे अधिक चांगले आहे.
ତହିଁରେ ଶାମୁୟେଲ କହିଲେ, “ଯେପରି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ରବ ଶୁଣିବାରେ, ସେପରି କି ହୋମ ଓ ବଳିଦାନରେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ସନ୍ତୋଷ ହୁଏ? ଦେଖ, ଶୁଣିବା ବଳିଦାନଠାରୁ ଓ ମନୋଯୋଗୀ ହେବା ମେଷମେଦଠାରୁ ଉତ୍ତମ।
23 २३ कारण बंडखोरी जादुगीरीच्या पापासारखी आहे आणि हट्ट हा दुष्टपणा, मूर्तीपूजा व घोर अन्याय, मूर्ती करणे यासारखा आहे. तू परमेश्वराचे वचन नाकारले यामुळे राजा म्हणून त्याने तुला नाकारले आहे.”
ଯେହେତୁ ବିଦ୍ରୋହ ମନ୍ତ୍ର ପାଠ ପାପ ତୁଲ୍ୟ ଓ ଅବାଧ୍ୟତା ଅବସ୍ତୁର ଓ ଠାକୁରମାନର ପୂଜା ତୁଲ୍ୟ। ତୁମ୍ଭେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟ ତୁଚ୍ଛ କରିଅଛ, ଏଥିପାଇଁ ସେ ମଧ୍ୟ ତୁମ୍ଭକୁ ରାଜା ହୋଇଥିବା ପାଇଁ ତୁଚ୍ଛ କରିଅଛନ୍ତି।”
24 २४ मग शौल शमुवेलाला म्हणाला, “मी पाप केले आहे; कारण मी परमेश्वराची आज्ञा व तुझी वचने मोडली आहेत, ते यामुळे की, लोकांचे भय धरून मी त्यांचे ऐकले.
ଏଥିରେ ଶାଉଲ ଶାମୁୟେଲଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୁଁ ପାପ କରିଅଛି; କାରଣ ମୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ଆଜ୍ଞା ଓ ତୁମ୍ଭ ବାକ୍ୟ ଲଙ୍ଘନ କରିଅଛି; ମୁଁ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଭୟ କରି ସେମାନଙ୍କ ରବ ଶୁଣିଲି।
25 २५ तर मी तुला विनंती करतो, माझ्या पापीची क्षमा कर, आणि मी परमेश्वराची आराधना करावी म्हणून माझ्याबरोबर परत ये.”
ଏହେତୁ ବିନୟ କରୁଅଛି, ଏବେ ମୋʼ ପାପ କ୍ଷମା କର ଓ ମୁଁ ଯେପରି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିକଟରେ ପ୍ରଣାମ କରିବି, ଏଥିପାଇଁ ମୋʼ ସଙ୍ଗେ ଫେରି ଆସ।”
26 २६ शमुवेल शौलाला म्हणाला, “मी तुझ्याबरोबर परत जाणार नाही; कारण तू देवाचे वचन धिक्कारले, आणि परमेश्वराने तुला इस्राएलावर राज्य करण्यापासून धिक्कारले आहे.”
ତହିଁରେ ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ସଙ୍ଗେ ଫେରିଯିବି ନାହିଁ; କାରଣ ତୁମ୍ଭେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟ ତୁଚ୍ଛ କରିଅଛ ଓ ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭକୁ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ରାଜା ହୋଇଥିବା ପାଇଁ ତୁଚ୍ଛ କରିଅଛନ୍ତି।”
27 २७ शमुवेल जायला वळला तेव्हा शौलाने त्याच्या झग्याचा काठ धरला व तो फाटला.
ଏଥିରେ ଶାଉଲଙ୍କୁ ଚାଲିଯିବା ପାଇଁ ମୁଖ ଫେରାନ୍ତେ, ସେ ତାଙ୍କ ଚୋଗାର ଅଞ୍ଚଳ ଧରି ଟାଣିଲେ, ତହିଁରେ ତାହା ଚିରିଗଲା।
28 २८ तेव्हा शमुवेलाने त्यास म्हटले, “परमेश्वराने आज इस्राएलाचे राज्य तुझ्यापासून फाडून घेऊन तुझा शेजारी जो तुझ्यापेक्षा बरा त्यास दिले आहे.
ଏଣୁ ଶାମୁୟେଲ ତାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ସଦାପ୍ରଭୁ ଆଜି ତୁମ୍ଭଠାରୁ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜତ୍ୱ ଟାଣି ଚିରିଲେ ଓ ତୁମ୍ଭଠାରୁ ଉତ୍ତମ ତୁମ୍ଭର ଏକ ପ୍ରତିବାସୀକୁ ତାହା ଦେଲେ।
29 २९ तसेच, इस्राएलाचे सामर्थ्य तो आहे, तो खोटे बोलणार नाही किंवा त्याचे मन बदलणार नाही; कारण मन बदलणारा असा तो मनुष्य नाही.”
ଆହୁରି ଇସ୍ରାଏଲର ବିଶ୍ୱାସଭୂମି ମିଥ୍ୟା କହିବେ ନାହିଁ, କି ମତ ପରିବର୍ତ୍ତନ କରିବେ ନାହିଁ; କାରଣ ସେ ମନୁଷ୍ୟ ନୁହନ୍ତି ଯେ, ସେ ଦ୍ୱିମତ ହେବେ।”
30 ३० तेव्हा शौल म्हणाला, “मी पाप केले आहे. तरी आता मी तुला विनंती करतो माझ्या लोकांच्या वडिलांसमोर व इस्राएलासमोर तू माझा सन्मान कर आणि परमेश्वर तुझा देव याचे भजन पूजन मी करावे म्हणून माझ्याबरोबर परत ये.”
ତେବେ ସେ କହିଲେ, “ଆମ୍ଭେ ପାପ କରିଅଛୁ; ତଥାପି ଏବେ ମୋହର ଲୋକମାନଙ୍କ ପ୍ରାଚୀନବର୍ଗ ଓ ଇସ୍ରାଏଲ ସମ୍ମୁଖରେ ମୋହର ଗୌରବ ରଖ ଓ ମୁଁ ଯେପରି ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ନିକଟରେ ପ୍ରଣାମ କରିବି, ଏଥିପାଇଁ ମୋʼ ସଙ୍ଗେ ଫେରି ଆସ।”
31 ३१ मग शमुवेल वळून शौलाच्या मागे आला आणि शौलाने परमेश्वराचे भजन पूजन केले.
ତହିଁରେ ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କର ପଶ୍ଚାତ୍ ଫେରିଯାଆନ୍ତେ, ଶାଉଲ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିକଟରେ ପ୍ରଣାମ କଲେ।
32 ३२ मग शमुवेल म्हणाला, “अमालेक्याचा राजा अगाग याला माझ्याकडे आणा.” तेव्हा अगाग डौलाने त्याच्याकडे आला, आणि अगागाने म्हटले खचित मरणाचे कडूपण निघून गेले आहे.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶାମୁୟେଲ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କ ରାଜା ଅଗାଗକୁ ଏଠାରେ ଆମ୍ଭ ନିକଟକୁ ଆଣ।” ତହିଁରେ ଅଗାଗ ଖୁସି ହୋଇ ତାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସିଲା; କାରଣ ଅଗାଗ କହିଲା, “ଅବଶ୍ୟ ମୃତ୍ୟୁର ତିକ୍ତତା ଗଲା।”
33 ३३ तेव्हा शमुवेल म्हणाला, “जसे तुझ्या तलवारीने स्त्रियांना बालकांविरहित केले आहे, तशी बायकांमध्ये तुझी आई बालकाविरहित होईल.” मग शमुवेलाने गिलगालात परमेश्वराच्या समोर अगागाचे तुकडे तुकडे केले.
ମାତ୍ର ଶାମୁୟେଲ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭର ଖଡ୍ଗ ଯେପରି ସ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କୁ ସନ୍ତାନହୀନ କରିଅଛି, ସେପରି ସ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ତୁମ୍ଭର ମାତା ସନ୍ତାନହୀନ ହେବ।” ତହୁଁ ଶାମୁୟେଲ ଗିଲ୍ଗଲ୍ରେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଅଗାଗକୁ ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ କରି ହାଣିଲେ।
34 ३४ त्यानंतर शमुवेल रामा येथे गेला आणि शौल आपल्या घरी शौलाच्या गिब्यास गेला.
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶାମୁୟେଲ ରାମାକୁ ଗଲେ; ପୁଣି, ଶାଉଲ ଗିବୀୟା-ଶାଉଲରେ ସ୍ଥିତ ଆପଣା ଗୃହକୁ ଗଲେ।
35 ३५ शमुवेल आपल्या मरणाच्या दिवसापर्यंत शौलाला भेटायला आणखी गेला नाही; तरी शमुवेलाने शौलासाठी शोक केला; आपण शौलाला इस्राएलांवर राजा केले म्हणून परमेश्वर अनुतापला.
ମାତ୍ର ଶାଉଲଙ୍କର ମରଣ ଦିନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଶାମୁୟେଲ ଆଉ ତାଙ୍କୁ ସାକ୍ଷାତ କଲେ ନାହିଁ; କାରଣ ଶାମୁୟେଲ ଶାଉଲଙ୍କ ପାଇଁ ଶୋକ କଲେ; ପୁଣି, ସଦାପ୍ରଭୁ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ଶାଉଲଙ୍କୁ ରାଜା କରିବାରୁ ଦୁଃଖିତ ହେଲେ।