< यूहन्ना 6 >

1 इन बातों को बाद यीशु गलील की झील मतलब तिबिरियास की झील को ओन पार गयो।
इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात् तिबिरियास की झील के पार गया।
2 अऊर एक बड़ी भीड़ ओको पीछू भय गयी कहालीकि जो अद्भुत चिन्ह को काम ऊ बीमारों पर दिखात होतो हि उन्ख देखत होतो।
और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्चर्यकर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उनको देखते थे।
3 तब यीशु पहाड़ी पर चढ़ क अपनो चेलावों को संग उत बैठ गयो।
तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपने चेलों के साथ वहाँ बैठा।
4 यहूदियों को फसह को त्यौहार जवर होतो।
और यहूदियों के फसह का पर्व निकट था।
5 जब यीशु न अपनी आंखी उठाय क एक बड़ी भीड़ ख अपनो जवर आवतो देख्यो, त फिलिप्पुस सी कह्यो, “हम इन्को जेवन लायी कित सी रोटी लेय क लाबो?”
तब यीशु ने अपनी आँखें उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, और फिलिप्पुस से कहा, “हम इनके भोजन के लिये कहाँ से रोटी मोल लाएँ?”
6 ओन या बात ओख परखन लायी कहीं, कहालीकि ऊ खुद जानत होतो कि ऊ का करेंन।
परन्तु उसने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्योंकि वह स्वयं जानता था कि वह क्या करेगा।
7 फिलिप्पुस न ओख उत्तर दियो, “दोय सौ चांदी को सिक्का की रोटी भी उन्को लायी पूरी नहीं होयेंन कि उन्म सी सब ख थोड़ी पूर जाये।”
फिलिप्पुस ने उसको उत्तर दिया, “दो सौ दीनार की रोटी भी उनके लिये पूरी न होंगी कि उनमें से हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल जाए।”
8 ओको चेला म सी एक शिमोन पतरस को भाऊ अन्द्रियास न ओको सी कह्यो,
उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उससे कहा,
9 “इत एक टुरा हय जेको जवर जौ की पाच रोटी अऊर दोय मच्छी हंय; पर इतनो लोगों लायी का होयेंन?”
“यहाँ एक लड़का है, जिसके पास जौ की पाँच रोटी और दो मछलियाँ हैं, परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं।”
10 यीशु न कह्यो, “लोगों ख बैठाय देवो।” ऊ जागा म बहुत घास होतो: तब लोग जेको म आदमियों की संख्या लगभग पाच हजार की होती, बैठ गयो।
१०यीशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो।” उस जगह बहुत घास थी। तब लोग जिनमें पुरुषों की संख्या लगभग पाँच हजार की थी, बैठ गए।
11 तब यीशु न रोटी पकड़ी, अऊर धन्यवाद कर क् बैठन वालो ख बाट दियो; अऊर वसोच मच्छी म सी जितनी हि चाहत होतो बाट दियो।
११तब यीशु ने रोटियाँ लीं, और धन्यवाद करके बैठनेवालों को बाँट दीं; और वैसे ही मछलियों में से जितनी वे चाहते थे बाँट दिया।
12 जब हि खाय क सन्तुष्ट भय गयो त ओन अपनो चेलावों सी कह्यो, “बच्यो हुयो टुकड़ा जमा कर लेवो कि कुछ फेक्यो म नहीं जाये।”
१२जब वे खाकर तृप्त हो गए, तो उसने अपने चेलों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।”
13 येकोलायी उन्न जमा करयो, अऊर जौ की पाच रोटी को टुकड़ा सी जो खान वालो को बाद बच गयी होती, बारा टोकनी भरी।
१३इसलिए उन्होंने बटोरा, और जौ की पाँच रोटियों के टुकड़े जो खानेवालों से बच रहे थे, उनकी बारह टोकरियाँ भरीं।
14 तब जो अद्भुत चिन्ह ओन कर दिखायो ओख हि लोग देख क कहन लग्यो, “ऊ भविष्यवक्ता जो जगत म आवन वालो होतो निश्चय योच आय।”
१४तब जो आश्चर्यकर्म उसने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे; कि “वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्चय यही है।”
15 यीशु यो जान क कि हि मोख राजा बनान लायी पकड़नो चाहवय हय, तब पहाड़ी पर अकेलो चली गयो।
१५यीशु यह जानकर कि वे उसे राजा बनाने के लिये आकर पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया।
16 जब शाम भयी, त ओको चेला झील को किनार गयो,
१६फिर जब संध्या हुई, तो उसके चेले झील के किनारे गए,
17 अऊर डोंगा पर चढ़ क झील को ओन पार कफरनहूम गांव ख जान लग्यो। ऊ समय अन्धारो भय गयो होतो, अऊर यीशु अभी तक उन्को जवर नहीं आयो होतो।
१७और नाव पर चढ़कर झील के पार कफरनहूम को जाने लगे। उस समय अंधेरा हो गया था, और यीशु अभी तक उनके पास नहीं आया था।
18 आन्धी को वजह झील म लहर उठन लगी।
१८और आँधी के कारण झील में लहरें उठने लगीं।
19 जब हि डोंगा चलावत पाच छे किलोमीटर को लगभग निकल गयो, त उन्न यीशु ख झील पर चलतो अऊर डोंगा को जवर आवतो देख्यो, अऊर डर गयो।
१९तब जब वे खेते-खेते तीन चार मील के लगभग निकल गए, तो उन्होंने यीशु को झील पर चलते, और नाव के निकट आते देखा, और डर गए।
20 पर ओन उन्को सी कह्यो, “मय आय; मत डर।”
२०परन्तु उसने उनसे कहा, “मैं हूँ; डरो मत।”
21 येकोलायी हि ओख डोंगा पर चढ़ाय लेन लायी तैयार भयो अऊर तुरतच ऊ डोंगा ऊ जागा पर जाय पहुंच्यो जित हि जाय रह्यो होतो।
२१तब वे उसे नाव पर चढ़ा लेने के लिये तैयार हुए और तुरन्त वह नाव उसी स्थान पर जा पहुँची जहाँ वह जाते थे।
22 दूसरों दिन ऊ भीड़ न, जो झील को पार खड़ी होती, यो देख्यो कि इत एक ख छोड़ अऊर कोयी डोंगा नहीं होती; अऊर यीशु अपनो चेलावों को संग ऊ डोंगा पर नहीं चढ़्यो होतो, पर केवल ओकोच चेला गयो होतो।
२२दूसरे दिन उस भीड़ ने, जो झील के पार खड़ी थी, यह देखा, कि यहाँ एक को छोड़कर और कोई छोटी नाव न थी, और यीशु अपने चेलों के साथ उस नाव पर न चढ़ा, परन्तु केवल उसके चेले ही गए थे।
23 तब दूसरों डोंगा तिबिरियास सी ऊ जागा को जवर आयी, जित उन्न प्रभु को धन्यवाद करन को बाद रोटी खायी होती।
२३(तो भी और छोटी नावें तिबिरियास से उस जगह के निकट आईं, जहाँ उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।)
24 येकोलायी जब भीड़ न देख्यो कि इत यीशु नहाय अऊर नहीं ओको चेला, त हि भी डोंगा पर चढ़ क यीशु ख ढूंढतो हुयो कफरनहूम गांव पहुंच्यो।
२४जब भीड़ ने देखा, कि यहाँ न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी-छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूँढ़ते हुए कफरनहूम को पहुँचे।
25 झील को पार जब हि ओको सी मिल्यो त कह्यो, “हे गुरु, तय इत कब आयो?”
२५और झील के पार उससे मिलकर कहा, “हे रब्बी, तू यहाँ कब आया?”
26 यीशु न उन्ख उत्तर दियो, “मय तुम सी सच सच कहू हंय, तुम मोख येकोलायी नहीं ढूंढय हय कि तुम न अचम्भा को चिन्ह देख्यो, पर येकोलायी कि तुम रोटी खाय क सन्तुष्ट भयो।
२६यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर तृप्त हुए।
27 नाशवान जेवन लायी परिश्रम मत करो, पर ऊ जेवन लायी जो अनन्त जीवन तक ठहरय हय, जेक आदमी को बेटा तुम्ख देयेंन; कहालीकि बाप येकोलायी परमेश्वर न ओकोच पर मुहर लगायी हय।” (aiōnios g166)
२७नाशवान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात् परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है।” (aiōnios g166)
28 उन्न ओको सी कह्यो, “परमेश्वर को कार्य करन लायी हम का करबो?”
२८उन्होंने उससे कहा, “परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें?”
29 यीशु न उन्ख उत्तर दियो, “परमेश्वर को कार्य यो आय कि तुम ओको पर, जेक ओन भेज्यो हय, विश्वास करो।”
२९यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो।”
30 तब उन्न ओको सी कह्यो, “तब तय कौन सो चमत्कार को चिन्ह दिखावय हय कि हम ओख देख क तोरो विश्वास करे? तय कौन सो काम दिखावय हय?
३०तब उन्होंने उससे कहा, “फिर तू कौन सा चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तुझ पर विश्वास करें? तू कौन सा काम दिखाता है?
31 हमरो बापदादा न जंगल म मन्ना खायो; जसो लिख्यो हय, ‘ओन उन्ख खान लायी स्वर्ग सी रोटी दी।’”
३१हमारे पूर्वजों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है, ‘उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी।’”
32 यीशु न उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच सच कहू हय कि मूसा न तुम्ख वा रोटी स्वर्ग सी नहीं दी, पर मोरो बाप तुम्ख सच्ची रोटी स्वर्ग सी देवय हय।
३२यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है।
33 कहालीकि परमेश्वर की रोटी वाच आय जो स्वर्ग सी उतर क जगत ख जीवन देवय हय।”
३३क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है।”
34 तब उन्न ओको सी कह्यो, “हे प्रभु, या रोटी हम्ख हमेशा दियो कर।”
३४तब उन्होंने उससे कहा, “हे स्वामी, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर।”
35 यीशु न ओको सी कह्यो, “जीवन की रोटी मय आय: जो मोरो जवर आवय हय ऊ कभी भूखो नहीं होयेंन, अऊर जो मोरो पर विश्वास करय हय ऊ कभी प्यासो नहीं होयेंन।
३५यीशु ने उनसे कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।
36 पर मय न तुम सी कह्यो होतो कि तुम न मोख देख भी लियो हय तब भी विश्वास नहीं करय।
३६परन्तु मैंने तुम से कहा, कि तुम ने मुझे देख भी लिया है, तो भी विश्वास नहीं करते।
37 जो कुछ बाप मोख देवय हय ऊ सब मोरो जवर आयेंन, अऊर जो कोयी मोरो जवर आयेंन ओख मय कभी नहीं निकालू।
३७जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा।
38 कहालीकि मय अपनी इच्छा नहीं बल्की अपनो भेजन वालो की इच्छा पूरी करन लायी स्वर्ग सी उतरयो हय;
३८क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन् अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूँ।
39 अऊर मोरो भेजन वालो की इच्छा यो हय कि जो कुछ ओन मोख दियो हय, ओको म सी मय कुछ नहीं खोऊं, पर ओख आखरी दिन फिर सी जीन्दो करू।
३९और मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उसने मुझे दिया है, उसमें से मैं कुछ न खोऊँ परन्तु उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँ।
40 कहालीकि मोरो बाप की इच्छा यो हय कि जो कोयी बेटा ख देखे अऊर ओको पर विश्वास करेंन, ऊ अनन्त जीवन पायेंन; अऊर मय ओख आखरी दिन फिर सी जीन्दो करू।” (aiōnios g166)
४०क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा।” (aiōnios g166)
41 येकोलायी यहूदी ओको पर कुड़कुड़ान लग्यो, कहालीकि ओन कह्यो होतो, “जो रोटी स्वर्ग सी उतरी, ऊ मय आय।”
४१तब यहूदी उस पर कुड़कुड़ाने लगे, इसलिए कि उसने कहा था, “जो रोटी स्वर्ग से उतरी, वह मैं हूँ।”
42 अऊर उन्न कह्यो, “का यो यूसुफ को बेटा यीशु नोहोय, जेको माय–बाप ख हम जानजे हंय? त ऊ कसो कह्य हय कि मय स्वर्ग सी उतरयो हय?”
४२और उन्होंने कहा, “क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं, जिसके माता-पिता को हम जानते हैं? तो वह क्यों कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?”
43 यीशु न उन्ख उत्तर दियो, “आपस म मत कुड़कुड़ावों।
४३यीशु ने उनको उत्तर दिया, “आपस में मत कुड़कुड़ाओ।
44 कोयी मोरो जवर नहीं आय सकय जब तक बाप, जेन मोख भेज्यो हय, ओख खीच ले; अऊर मय ओख आखरी दिन फिर सी जीन्दो करू।
४४कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उसको अन्तिम दिन फिर जिला उठाऊँगा।
45 भविष्यवक्तावों को लेखों म यो लिख्यो हय: ‘हि सब परमेश्वर को तरफ सी सिखायो हुयो होना।’ जो कोयी न बाप सी सुन्यो अऊर सिख्यो हय, ऊ मोरो जवर आवय हय;
४५भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है, ‘वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे।’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है।
46 यो नहीं कि कोयी न बाप ख देख्यो हय; पर जो परमेश्वर को तरफ सी हय, केवल ओनच बाप ख देख्यो हय।
४६यह नहीं, कि किसी ने पिता को देखा है परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है।
47 मय तुम सी सच सच कहू हय कि जो कोयी विश्वास करय हय, अनन्त जीवन ओकोच हय। (aiōnios g166)
४७मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है। (aiōnios g166)
48 जीवन की रोटी मय आय।
४८जीवन की रोटी मैं हूँ।
49 तुम्हरो पूर्वजों न जंगल म मन्ना खायो अऊर मर गयो।
४९तुम्हारे पूर्वजों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए।
50 या वा रोटी आय जो स्वर्ग सी उतरय हय ताकि आदमी ओको म सी खाये अऊर नहीं मरय।
५०यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उसमें से खाए और न मरे।
51 जीवन की रोटी जो स्वर्ग सी उतरी, मय आय। यदि कोयी यो रोटी म सी खावय, त हमेशा जीन्दो रहेंन; अऊर जो रोटी मय जगत को जीवन लायी देऊ, ऊ मोरो मांस आय।” (aiōn g165)
५१जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा; और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा, वह मेरा माँस है।” (aiōn g165)
52 येको पर यहूदी यो कह्य क आपस म झगड़ा करन लग्यो, “यो आदमी कसो हम्ख अपनो मांस खान ख दे सकय हय?”
५२इस पर यहूदी यह कहकर आपस में झगड़ने लगे, “यह मनुष्य कैसे हमें अपना माँस खाने को दे सकता है?”
53 यीशु न उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच सच कहू हय कि जब तक तुम आदमी को बेटा यानेकि मसीह को मांस नहीं खावो, अऊर ओको खून नहीं पीवो, तुम म जीवन नहाय।
५३यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ जब तक मनुष्य के पुत्र का माँस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं।
54 जो मोरो मांस खावय अऊर मोरो खून पीवय हय, अनन्त जीवन ओकोच हय; अऊर मय ओख आखरी दिन फिर जीन्दो करू। (aiōnios g166)
५४जो मेरा माँस खाता, और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है, और मैं अन्तिम दिन फिर उसे जिला उठाऊँगा। (aiōnios g166)
55 कहालीकि मोरो मांस सच म खान की चिज हय, अऊर मोरो खून सच म पीवन की चिज हय।
५५क्योंकि मेरा माँस वास्तव में खाने की वस्तु है और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है।
56 जो मोरो मांस खावय अऊर मोरो खून पीवय हय ऊ मोरो म मजबूत बन्यो रह्य हय, अऊर मय ओको म।
५६जो मेरा माँस खाता और मेरा लहू पीता है, वहमुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उसमें।
57 जसो जीन्दो बाप न मोख भेज्यो, अऊर मय बाप को वजह जीन्दो हय, वसोच ऊ भी जो मोख खायेंन मोरो वजह जीन्दो रहेंन।
५७जैसा जीविते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूँ वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा।
58 जो रोटी स्वर्ग सी उतरी योच आय, ऊ रोटी को जसो नहाय जेक बापदादों न खायो अऊर मर गयो; जो कोयी यो रोटी खायेंन, ऊ हमेशा जीन्दो रहेंन।” (aiōn g165)
५८जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, पूर्वजों के समान नहीं कि खाया, और मर गए; जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा।” (aiōn g165)
59 या बाते यीशु न कफरनहूम को एक आराधनालय म शिक्षा देतो समय कह्यो।
५९ये बातें उसने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं।
60 ओको चेलावों म सी बहुत सो न यो सुन क कह्यो, “या कठोर बात आय; येख कौन सुन सकय हय?”
६०इसलिए उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, “यह तो कठोर शिक्षा है; इसे कौन मान सकता है?”
61 यीशु न अपनो मन म यो जान क कि मोरो चेला आपसी म या बात पर कुड़कुड़ावय हंय, उन्को सी पुच्छ्यो, “का या बात सी तुम्ख ठोकर लगय हय?
६१यीशु ने अपने मन में यह जानकर कि मेरे चेले आपस में इस बात पर कुड़कुड़ाते हैं, उनसे पूछा, “क्या इस बात से तुम्हें ठोकर लगती है?
62 यदि तुम आदमी को बेटा ख जहां ऊ पहिले होतो, वहां ऊपर जातो देखो, त का होयेंन?
६२और यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहाँ वह पहले था, वहाँ ऊपर जाते देखोगे, तो क्या होगा?
63 आत्मा त जीवन देन वाली आय, शरीर सी कुछ फायदा नहाय; जो बाते मय न तुम सी कहीं हंय हि आत्मा आय, अऊर जीवन भी आय।
६३आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं। जो बातें मैंने तुम से कहीं हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं।
64 पर तुम म सी कुछ असो हंय जो विश्वास नहीं करय।” कहालीकि यीशु पहिलेच सी जानत होतो कि जो विश्वास नहीं करय, हि कौन आय; अऊर मोख पकड़वायेंन।
६४परन्तु तुम में से कितने ऐसे हैं जो विश्वास नहीं करते।” क्योंकि यीशु तो पहले ही से जानता था कि जो विश्वास नहीं करते, वे कौन हैं; और कौन मुझे पकड़वाएगा।
65 अऊर ओन कह्यो, “येको लायी मय न तुम सी कह्यो होतो कि जब तक कोयी ख बाप को तरफ सी यो वरदान नहीं दियो जाय तब तक ऊ मोरो जवर नहीं आय सकय।”
६५और उसने कहा, “इसलिए मैंने तुम से कहा था कि जब तक किसी को पिता की ओर से यह वरदान न दिया जाए तब तक वह मेरे पास नहीं आ सकता।”
66 येको पर ओको बहुत सो चेलावों पीछू हट गयो अऊर ओको बाद ओको संग नहीं चल्यो।
६६इस पर उसके चेलों में से बहुत सारे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले।
67 तब यीशु न उन बारयी चेला सी कह्यो, “का तुम भी चल्यो जानो चाहवय हय?”
६७तब यीशु ने उन बारहों से कहा, “क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?”
68 शिमोन पतरस न ओख उत्तर दियो, “हे प्रभु, हम कौन्को जवर जाबो? अनन्त जीवन की बाते त तोरोच जवर हंय; (aiōnios g166)
६८शमौन पतरस ने उसको उत्तर दिया, “हे प्रभु, हम किसके पास जाएँ? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं। (aiōnios g166)
69 अऊर हम न विश्वास करयो अऊर जान गयो हंय कि परमेश्वर को पवित्र लोग तयच आय।”
६९और हमने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है।”
70 यीशु न उन्ख उत्तर दियो, “का मय न तुम बारयी ख नहीं चुन्यो? तब भी तुम म सी एक आदमी शैतान हय।”
७०यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या मैंने तुम बारहों को नहीं चुन लिया? तो भी तुम में से एक व्यक्ति शैतान है।”
71 यो ओन शिमोन इस्करियोती को टुरा यहूदा को बारे म कह्यो होतो, कहालीकि उच जो बारयी म सी एक होतो, ओख पकड़वान ख होतो।
७१यह उसने शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा के विषय में कहा, क्योंकि यही जो उन बारहों में से था, उसे पकड़वाने को था।

< यूहन्ना 6 >