< याकूब 3 >

1 हे मोरो भाऊवों अऊर बहिनों, तुम म सी बहुत शिक्षक नहीं बन्यो, कहालीकि जानय हय कि हम शिक्षक को अधीन गम्भीरता सी न्याय करयो जायेंन।
ହେ ମୋହର ଭାଇମାନେ, ତୁମ୍ଭେମାନେ ଅନେକେ ଶିକ୍ଷକ ହୁଅ ନାହିଁ; ଏହା ଜାଣ ଯେ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଯିଏ ଶିକ୍ଷା ଦେଉ, ଗୁରୁତର ଦଣ୍ଡ ପାଇବା।
2 येकोलायी कि हम सब बहुत बार चूक जाजे हंय। यदि कोयी ओको बोलन म नहीं चूकय हय त ऊ एक सिद्ध आदमी आय अऊर पूरो शरीर ख भी वश म कर सकय हय।
ଯେଣୁ ଆମ୍ଭେମାନେ ସମସ୍ତେ ଅନେକ ବିଷୟରେ ଝୁଣ୍ଟିପଡ଼ୁ। ଯଦି କେହି ବାକ୍ୟରେ ଝୁଣ୍ଟି ନ ପଡ଼େ, ତେବେ ସେ ସିଦ୍ଧ ପୁରୁଷ, ସମସ୍ତ ଶରୀରକୁ ମଧ୍ୟ ବଶରେ ରଖିବାକୁ ସମର୍ଥ।
3 जब हम अपनी आज्ञा मनावन या ओख वश म करन लायी घोड़ा को मुंह म लगाम लगायजे हंय, त हम ओकी पूरो शरीर ख जित चाहे उत घुमाय सकजे हंय।
ଦେଖ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଅଶ୍ୱମାନଙ୍କୁ ବଶୀଭୂତ କରିବା ନିମନ୍ତେ ସେମାନଙ୍କ ମୁଖରେ ଲଗାମ ଦେଲେ, ତଦ୍ୱାରା ସେମାନଙ୍କ ସମସ୍ତ ଶରୀର ମଧ୍ୟ ବୁଲାଉଥାଉ।
4 जहाज भी असो बड़ो होवय हंय अऊर बहुत बड़ी हवा सी चलायो जावय हंय, तब भी एक छोटी सी पतवार को द्वारा जहाज चलावन वालो की इच्छा को अनुसार घुमायो जावय हंय।
ଏବଂ ଜାହାଜ ମଧ୍ୟ ଏତେ ବଡ଼ ହୋଇ ପ୍ରଚଣ୍ଡ ପବନରେ ଚାଳିତ ହେଲେ ହେଁ ଗୋଟିଏ ଅତି କ୍ଷୁଦ୍ର ମଙ୍ଗ ଦ୍ୱାରା ମଙ୍ଗଧରାର ଇଚ୍ଛାନୁସାରେ ବୁଲିଥାଏ।
5 वसीच जीबली भी एक छोटो सो अंग आय अऊर ऊ बड़ी-बड़ी डींग मारय हय। सोचो की, छोटी सी आगी सी कितनो बड़ो जंगल म आगी लग सकय हय।
ସେହିପରି ଜିହ୍ୱା ମଧ୍ୟ ଗୋଟିଏ କ୍ଷୁଦ୍ର ଅଙ୍ଗ, କିନ୍ତୁ ମହାଗର୍ବର କଥା କହେ। ଦେଖ, କେଡ଼େ କ୍ଷୁଦ୍ର ଅଗ୍ନିକଣିକା ଦ୍ୱାରା କେଡ଼େ ବଡ଼ ଅରଣ୍ୟରେ ନିଆଁ ଲାଗିଯାଏ।
6 जीबली भी एक आगी आय; जीबली हमरो अंगों म अधर्म को एक जगत आय, अऊर पूरो शरीर पर कलंक लगावय हय, अऊर जीवनगति म आगी लगाय देवय हय, अऊर नरक कुण्ड की आगी सी जरती रह्य हय। (Geenna g1067)
ଜିହ୍ୱା ମଧ୍ୟ ଅଗ୍ନି ସ୍ୱରୂପ; ତାହା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଅଙ୍ଗସମୂହ ମଧ୍ୟରେ ସମସ୍ତ ଅଧର୍ମର ମୂଳାଧାର ସ୍ୱରୂପେ ଅବସ୍ଥିତ; ତାହା ସମସ୍ତ ଶରୀରକୁ ଅଶୁଚି କରେ ଓ ନିଜେ ନର୍କରେ ପ୍ରଜ୍ୱଳିତ ହୋଇ ପ୍ରକୃତିର ଚକ୍ରକୁ ଜ୍ୱଳାଏ। (Geenna g1067)
7 कहालीकि हर तरह को वन पशु, पक्षी, अऊर रेंगन वालो जन्तु, अऊर जलचर त आदमी जाति को वश म होय सकय हंय अऊर भय भी गयो हंय,
କାରଣ ସମସ୍ତ ପ୍ରକାର ପଶୁ, ପକ୍ଷୀ, ସରୀସୃପ ଓ ଜଳଚର ପ୍ରାଣୀମାନଙ୍କୁ ମାନବ ଦ୍ୱାରା ବଶରେ ରଖାଯାଇପାରେ, ପୁଣି, ବଶରେ ରଖାଯାଇଅଛି;
8 पर जीबली ख आदमियों म सी कोयी वश म नहीं कर सकय; ऊ एक असी बला हय जो कभी रुकय भी नहाय, ऊ जीव नाशक जहेर सी भरयो हुयो हय।
କିନ୍ତୁ ଜିହ୍ୱାକୁ କେହି ବଶରେ ରଖି ପାରେ ନାହିଁ, ଅନିଷ୍ଟ ସାଧନରେ ତାହାର ବିରାମ ନାହିଁ, ମାରାତ୍ମକ ଗରଳରେ ତାହା ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ।
9 येको सी हम प्रभु अऊर बाप की स्तुति करजे हंय, अऊर येको सी आदमियों ख जो परमेश्वर को स्वरूप म पैदा भयो हंय श्राप देजे हंय।
ତଦ୍ୱାରା ଆମ୍ଭେମାନେ ପ୍ରଭୁ ଓ ପିତାଙ୍କର ଧନ୍ୟବାଦ କରିଥାଉ, ପୁଣି, ତଦ୍ୱାରା ଈଶ୍ବରଙ୍କ ସାଦୃଶ୍ୟରେ ସୃଷ୍ଟ ମନୁଷ୍ୟକୁ ଅଭିଶାପ ଦେଇଥାଉ;
10 एकच मुंह सी धन्यवाद अऊर श्राप दोयी निकलय हंय। हे मोरो विश्वासियों, असो नहीं होनो चाहिये।
ଏକ ମୁଖରୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଓ ଅଭିଶାପ ନିର୍ଗତ ହୁଏ। ହେ ମୋହର ଭାଇମାନେ, ଏପରି ହେବା ଉଚିତ୍ ନୁହେଁ।
11 का झरना को एकच स्रोता सी मीठो अऊर खारो पानी दोयी निकलय हय?
ନିର୍ଝର କଅଣ ଏକ ବାଟ ଦେଇ ମିଠା ଓ ପିତା ଦୁଇ ପ୍ରକାର ଜଳ ବାହାର କରେ?
12 हे मोरो संगियों, का अंजीर को झाड़ म जैतून, या अंगूर की डगाली म अंजीर लग सकय हंय? वसोच खारो झरना सी मीठो पानी नहीं निकल सकय।
ହେ ମୋହର ଭାଇମାନେ, ଡିମ୍ବିରିବୃକ୍ଷ କଅଣ ଜୀତଫଳ, ଅବା ଦ୍ରାକ୍ଷାଲତା କଅଣ ଡିମ୍ବିରି ଫଳ ଫଳି ପାରେ? ଲବଣାକ୍ତ ନିର୍ଝର ମଧ୍ୟ ମିଷ୍ଟ ଜଳ ଦେଇ ପାରେ ନାହିଁ।
13 तुम म बुद्धिमान अऊर समझदार कौन हय? जो असो हो ऊ अपनो कामों ख अच्छी चाल चलन सी ऊ नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान सी पैदा होवय हय।
ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଜ୍ଞାନୀ ଓ ବୁଦ୍ଧିମାନ କିଏ ଅଛି? ସେ ଜ୍ଞାନସଙ୍ଗତ ନମ୍ରତା ସହ ସଦାଚରଣ ଦ୍ୱାରା ଆପଣା କର୍ମ ପ୍ରକାଶ କରୁ।
14 पर यदि तुम अपनो अपनो मन म जलन, कड़वाहट, स्वार्थिपन अऊर विरोध रखय हय, त बुद्धी पर घमण्ड कर क् सच को विरुद्ध झूठ मत बोलो।
କିନ୍ତୁ ଯଦି ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ହୃଦୟରେ ତିକ୍ତ ଈର୍ଷାଭାବ ଓ ସ୍ୱାର୍ଥପରତା ଥାଏ, ତାହାହେଲେ ସତ୍ୟ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଗର୍ବ କର ନାହିଁ ଓ ମିଥ୍ୟା କୁହ ନାହିଁ।
15 यो ज्ञान ऊ नहीं जो स्वर्ग सी उतरय हय, बल्की सांसारिक, अऊर सांसारिक, अऊर शारीरिक, अऊर शैतान को तरफ सी हय।
ଏପରି ଜ୍ଞାନ ଊର୍ଦ୍ଧ୍ୱରୁ ଆଗତ ନୁହେଁ, ମାତ୍ର ତାହା ପାର୍ଥିବ, ଅନାତ୍ମିକ ଓ ଶୟତାନଠାରୁ ଅଟେ;
16 कहालीकि जित जलन अऊर स्वार्थिपन होवय हय, उत अव्यवस्था अऊर हर तरह की बुरी बाते होवय हय।
କାରଣ ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ଈର୍ଷା ଓ ସ୍ୱାର୍ଥପରତା ଥାଏ, ସେହି ସ୍ଥାନରେ ସମସ୍ତ ପ୍ରକାର ଦୁଷ୍କର୍ମ ଥାଏ।
17 पर जो ज्ञान स्वर्ग सी आवय हय ऊ पहिले त पवित्र होवय हय फिर मिलनसार, नरम स्वभाव अऊर शान्तिमय अऊर दया अऊर अच्छो फरो सी लद्यो हुयो अऊर पक्षपात अऊर निष्कपट होवय हय।
କିନ୍ତୁ ଊର୍ଦ୍ଧ୍ୱରୁ ଆଗତ ଜ୍ଞାନ ପ୍ରଥମରେ ପବିତ୍ର, ଦ୍ୱିତୀୟରେ ଶାନ୍ତିପ୍ରିୟ, ମୃଦୁଶୀଳ, ବାଧ୍ୟ, ଦୟା ଓ ଉତ୍ତମ ଫଳରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ, ସନ୍ଦେହଶୂନ୍ୟ ଓ ନିଷ୍କପଟ।
18 शान्ति प्रस्थापित करन वालो शान्ति म बीज बोवय हय ताकि ओख सच्चायी की फसल प्राप्त होवय हय।
ପୁଣି, ଶାନ୍ତିକାରକ ଲୋକମାନେ ଶାନ୍ତିର ବୀଜ ବୁଣନ୍ତି, ସେମାନେ ଧାର୍ମିକତା ରୂପ ଫଳ କାଟିବେ।

< याकूब 3 >