< 1 तीमुथियुस 2 >

1 जब मय सब सी पहिले यो आग्रह करू हय कि बिनती, प्रार्थना, निवेदन, अऊर धन्यवाद सब लोगों को लायी करयो जाये।
अब मैं सबसे पहले यह आग्रह करता हूँ, कि विनती, प्रार्थना, निवेदन, धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएँ।
2 राजावों अऊर सब ऊचो पद वालो को निमित्त येकोलायी कि हम शान्ति अऊर चैन को संग परमेश्वर ख आदर देतो हुयो अऊर पवित्रता सी जीवन बिताये।
राजाओं और सब ऊँचे पदवालों के निमित्त इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गरिमा में जीवन बिताएँ।
3 यो अच्छो हय अऊर हमरो उद्धारकर्ता परमेश्वर ख स्वीकार लायक हय,
यह हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को अच्छा लगता और भाता भी है,
4 जो यो चाहवय हय कि सब आदमियों बचायो जाये, अऊर हि सच को ज्ञान ख अच्छो सी जान ले।
जो यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भाँति पहचान लें।
5 कहालीकि परमेश्वर एकच हय, अऊर परमेश्वर अऊर आदमियों को बीच म भी एकच मध्यस्थी हय, मतलब मसीह यीशु जो आदमी हय।
क्योंकि परमेश्वर एक ही है, और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है,
6 यीशु न अपनो आप ख सब को छुटकारा को दाम को तौर पर खुद ख बलिदान कर दियो, अऊर येकी गवाही ठीक समय पर दी गयी।
जिसने अपने आपको सब के छुटकारे के दाम में दे दिया; ताकि उसकी गवाही ठीक समयों पर दी जाए।
7 या गवाही लायी मय सच कहू हय, झूठ नहीं बोलू, कि मय योच उद्देश सी प्रचारक अऊर प्रेरित अऊर गैरयहूदियों लायी विश्वास अऊर सच्चो विश्वास को शिक्षक नियुक्त करयो गयो हय।
मैं सच कहता हूँ, झूठ नहीं बोलता, कि मैं इसी उद्देश्य से प्रचारक और प्रेरित और अन्यजातियों के लिये विश्वास और सत्य का उपदेशक ठहराया गया।
8 मण्डली म आराधना को समय मय चाहऊ हय सब लोग हाथ उठाय क प्रार्थना करे हर जागा आदमी बिना गुस्सा अऊर वाद विवाद को पवित्र हाथों ख उठाय क प्रार्थना करतो रहे।
इसलिए मैं चाहता हूँ, कि हर जगह पुरुष बिना क्रोध और विवाद के पवित्र हाथों को उठाकर प्रार्थना किया करें।
9 मय यो भी चाहऊ हय कि बाईयां भी अपनो आप ख सभ्यता अऊर नम्रता को संग, सोभायमान कपड़ा सी अपनो आप ख संवारे; नहीं की बाल गूथनो अऊर सोना अऊर मोतियों अऊर बहुमूल्य कपड़ा सी,
वैसे ही स्त्रियाँ भी संकोच और संयम के साथ सुहावने वस्त्रों से अपने आपको संवारे; न कि बाल गूँथने, सोने, मोतियों, और बहुमूल्य कपड़ों से,
10 पर अच्छो कामों सी, कहालीकि परमेश्वर की भक्ति करन वाली बाईयों ख योच ठीक हय।
१०पर भले कामों से, क्योंकि परमेश्वर की भक्ति करनेवाली स्त्रियों को यही उचित भी है।
11 बाई ख शान्तता अऊर पूरी अधीनता सी सीखनो चाहिये।
११और स्त्री को चुपचाप पूरी अधीनता में सीखना चाहिए।
12 मय अनुमति नहीं देऊ हय कि बाई शिक्षा दे, अऊर नहीं आदमी पर अधिकार जताये, पर चुपचाप रहे।
१२मैं कहता हूँ, कि स्त्री न उपदेश करे और न पुरुष पर अधिकार चलाए, परन्तु चुपचाप रहे।
13 कहालीकि आदम ख पहिले बनायो गयो, ओको बाद हवा ख बनायो गयो;
१३क्योंकि आदम पहले, उसके बाद हव्वा बनाई गई।
14 अऊर आदम जो बहकायो गयो होतो, पर बाई बहकाव म आय गयी होती अऊर ओन परमेश्वर को नियम ख तोड़्यो।
१४और आदम बहकाया न गया, पर स्त्री बहकावे में आकर अपराधिनी हुई।
15 तब भी बच्चा जनन को द्वारा उद्धार पायेंन, यदि वा सभ्यता को संग विश्वास, प्रेम, अऊर पवित्रता म स्थिर रहे।
१५तो भी स्त्री बच्चे जनने के द्वारा उद्धार पाएगी, यदि वह संयम सहित विश्वास, प्रेम, और पवित्रता में स्थिर रहे।

< 1 तीमुथियुस 2 >