< Romanos 15 >
1 debemus autem nos firmiores inbecillitates infirmorum sustinere et non nobis placere
हो सकै सै के हम जो बिश्वास म्ह मजबूत सां, हम जाणा सां के इन बात्तां तै कोए फर्क न्ही पड़ता, हम इस खात्तर यो काम न्ही करते के हम अपणे-आपनै खुश कर सका, हमनै उन माणसां का डर अर शंका का भी ध्यान करणा सै, के जो यो सोच्चै सै के हम गलत सां।
2 unusquisque vestrum proximo suo placeat in bonum ad aedificationem
म्हारै म्ह तै हरेक नै अपणे बिश्वासी भाई कै साथ भले काम करणे चाहिए, जो उसनै खुश करै अर उस ताहीं बिश्वास म्ह मजबूत बणाए राक्खै।
3 etenim Christus non sibi placuit sed sicut scriptum est inproperia inproperantium tibi ceciderunt super me
क्यूँके मसीह नै अपणे-आप ताहीं खुश कोनी करया, पर जिसा पवित्र ग्रन्थ म्ह लिख्या सै, “तेरी बुराई करण आळा नै मेरी बुराई करी सै।”
4 quaecumque enim scripta sunt ad nostram doctrinam scripta sunt ut per patientiam et consolationem scripturarum spem habeamus
जितनी बात पैहल्या तै पवित्र ग्रन्थ म्ह लिक्खी गई, वे म्हारी ए सिखाण कै खात्तर लिक्खी गई सै, ताके हम धीरज अर उत्साह जो म्हारे ताहीं पवित्र ग्रन्थ देवै सै, उसके जरिये हमनै आस मिलै।
5 Deus autem patientiae et solacii det vobis id ipsum sapere in alterutrum secundum Iesum Christum
मै प्रार्थना करुँ सूं के धीरज अर उत्साह का दात्ता परमेसवर, थमनै यीशु मसीह की तरियां जीवन बिताण अर एक-दुसरयां कै साथ शान्ति तै रहण म्ह मदद करै।
6 ut unianimes uno ore honorificetis Deum et Patrem Domini nostri Iesu Christi
ताके थम सब कठ्ठे होकै म्हारै परमेसवर प्रभु यीशु मसीह कै पिता की महिमा करो।
7 propter quod suscipite invicem sicut et Christus suscepit vos in honorem Dei
इस करकै एक-दुसरे नै अपणाओ जिसा मसीह नै थारे ताहीं अपणाया सै, यो इस खात्तर करो के माणस परमेसवर की जै-जै कार करै।
8 dico enim Christum Iesum ministrum fuisse circumcisionis propter veritatem Dei ad confirmandas promissiones patrum
ज्यांतै मै कहूँ सूं के जो वादे म्हारे पूर्वजां ताहीं दिए गये थे, उन वादा नै मजबूत करण खात्तर मसीह, परमेसवर की सच्चाई साबित करण खात्तर मसीह, यहूदी माणसां का सेवक बण्या।
9 gentes autem super misericordiam honorare Deum sicut scriptum est propter hoc confitebor tibi in gentibus et nomini tuo cantabo
अर गैर यहूदी भी परमेसवर की दया कै कारण उसकी महिमा करै, जिसा पवित्र ग्रन्थ म्ह लिख्या सै, “ज्यांतै मै गैर यहूदी माणसां म्ह तेरा धन्यवाद करुँगा, अर तेरे नाम के भजन गाऊँगा।”
10 et iterum dicit laetamini gentes cum plebe eius
फेर कह्या सै, “हे गैर यहूदी माणसों, परमेसवर की प्रजा कै गैल आनन्द करो।”
11 et iterum laudate omnes gentes Dominum et magnificate eum omnes populi
अर फेर पवित्र ग्रन्थ कहवै सै, “हे गैर यहूदी माणसों, प्रभु की जय-जयकार करो, अर हे राज्य-राज्य के सारे माणसों, उसकी बड़ाई करो।”
12 et rursus Esaias ait erit radix Iesse et qui exsurget regere gentes in eo gentes sperabunt
अर यशायाह नबी पवित्र ग्रन्थ म्ह कहवै सै, “यिशै के वंश तै एक बेट्टा पैदा होगा, अर सारी जात्तां पै राज करैगा, वो गैर यहूदी माणसां नै बचावैगा।”
13 Deus autem spei repleat vos omni gaudio et pace in credendo ut abundetis in spe in virtute Spiritus Sancti
मै प्रार्थना करुँ सूं, के परमेसवर जो आस का दात्ता सै, थारे ताहीं बिश्वास करण म्ह सारी तरियां के आनन्द अर शान्ति तै भरपूर करै, के पवित्र आत्मा की सामर्थ तै थारी आस बधती जावै।
14 certus sum autem fratres mei et ego ipse de vobis quoniam et ipsi pleni estis dilectione repleti omni scientia ita ut possitis alterutrum monere
हे मेरे बिश्वासी भाईयो, मै अपणे-आप थारे बारै म्ह पक्का जाणु सूं, के थम भी आप ए भलाई तै भरे होए सों, अर थमनै बेरा होणा चाहिए के थमनै के करणा चाहिए, अर एक-दुसरे नै सीखा भी सको सों।
15 audacius autem scripsi vobis fratres ex parte tamquam in memoriam vos reducens propter gratiam quae data est mihi a Deo
तोभी मन्नै कई बात्तां के बारें म्ह थारे ताहीं जो हिम्मत करकै लिख्या। यो उस अनुग्रह कै कारण होया जो परमेसवर नै मेरै ताहीं दिया सै,
16 ut sim minister Christi Iesu in gentibus sanctificans evangelium Dei ut fiat oblatio gentium accepta sanctificata in Spiritu Sancto
के मै गैर यहूदियाँ कै खात्तर मसीह यीशु का सेवक होकै परमेसवर कै सुसमाचार की सेवा याजक कै ढाळ करुँ, ताके गैर यहूदियाँ ताहीं परमेसवर खात्तर भेट के रूप म्ह दे सकूँ, जिसकै साथ वो खुश होवै सै, जिन ताहीं पवित्र आत्मा नै पवित्र माणस बणा दिया।
17 habeo igitur gloriam in Christo Iesu ad Deum
ज्यांतै मै यीशु मसीह के कारण ए परमेसवर की सेवा पै गर्व कर सकूँ सूं।
18 non enim audeo aliquid loqui eorum quae per me non effecit Christus in oboedientiam gentium verbo et factis
क्यूँके मै हिम्मत कै गैल सिर्फ उन बात्तां बारै म्ह जिक्र करणा चाहूँ सूं, जो मसीह नै मेरे ताहीं करण के काबिल बणाया, ताके जो मन्नै कह्या अर करया सै उसके जरिये गैर यहूदी माणस परमेसवर का हुकम मान्नै।
19 in virtute signorum et prodigiorum in virtute Spiritus Sancti ita ut ab Hierusalem per circuitum usque in Illyricum repleverim evangelium Christi
पवित्र आत्मा के जरिये दी गई शक्ति तै मै अदभुत चिन्ह-चमत्कार करुँ सूं, इस कारण जित्त भी मै यरुशलेम नगर तै लेकै चौगरदेकै इल्लुरिकुम परदेस तक गया, ओड़ै मन्नै सारया ताहीं यीशु मसीह का सुसमाचार सुणाया।
20 sic autem hoc praedicavi evangelium non ubi nominatus est Christus ne super alienum fundamentum aedificarem
पर मेरै मन की इच्छा या सै के जित्त-जित्त मसीह यीशु का नाम न्ही लिया गया, ओड़ैए सुसमाचार सुणाऊँ, अर उस मकान बणाण आळे मिस्त्री की ढाळ ना होऊँ जो दुसरे की नीम पै घर बणावै सै।
21 sed sicut scriptum est quibus non est adnuntiatum de eo videbunt et qui non audierunt intellegent
पर जिसा पवित्र ग्रन्थ म्ह लिख्या सै मै उस ताहीं पूरा करणा चाहूँ सूं, “जिनकै धोरै यीशु मसीह का सुसमाचार न्ही पोंहच्या, वैए देखैंगें, अर जिन नै न्ही सुणा वैए समझैंगें।”
22 propter quod et inpediebar plurimum venire ad vos
ज्यांतै मै थारे धोरै आण तै बार-बार रुक्या रहया।
23 nunc vero ulterius locum non habens in his regionibus cupiditatem autem habens veniendi ad vos ex multis iam annis
पर इब यरुशलेम नगर अर इल्लुरिकुम परदेस म्ह मन्नै माणसां ताहीं परमेसवर का वचन सुणा दिया सै, जिननै यीशु मसीह के बारें म्ह सुण्या ए न्ही था, अर इब मै थारे तै आकै मिलूँगा, जिसकी लालसा मन्नै घणे साल्लां तै थी।
24 cum in Hispaniam proficisci coepero spero quod praeteriens videam vos et a vobis deducar illuc si vobis primum ex parte fruitus fuero
ज्यांतै जिब मै स्पेन देश म्ह जाऊँगा, तो थारे धोरै होंदा होया जाऊँगा, क्यूँके मन्नै उम्मीद सै के उस सफर म्ह थारे तै भेंट होवैगी, अर जिब थारी संगति तै मेरा जी खुश हो जावै, तो थम मेरी स्पेन देश जाण म्ह मदद कर दिओ।
25 nunc igitur proficiscar in Hierusalem ministrare sanctis
पर इब तो मै यरुशलेम नगर म्ह जाऊँ सूं ताके ओड़ै परमेसवर के पवित्र माणसां नै दान दे सकूँ।
26 probaverunt enim Macedonia et Achaia conlationem aliquam facere in pauperes sanctorum qui sunt in Hierusalem
क्यूँके मकिदुनिया अर अखाया परदेस के माणसां नै यो आच्छा लाग्या के यरुशलेम नगर के गरीब माणसां कै खात्तर कुछ दान कठ्ठा करै।
27 placuit enim eis et debitores sunt eorum nam si spiritalium eorum participes facti sunt gentiles debent et in carnalibus ministrare eis
उननै आच्छा तो लाग्या, पर वे यरुशलेमवासियों कै कर्जदार भी सै, क्यूँके यहूदियाँ नै गैर यहूदियाँ कै साथ परमेसवर की आत्मिक बात्तां का साँझा करया सै, यो सही सै गैर यहूदियाँ की दुनियावी चिज्जां नै यहूदियाँ कै गैल साँझा करै।
28 hoc igitur cum consummavero et adsignavero eis fructum hunc proficiscar per vos in Hispaniam
ज्यांतै मै यरुशलेम नगर म्ह जाण लागरया सूं, ताके वो दान दे सकूँ, जो मन्नै कठ्ठा करया सै, उसकै बाद थारे तै रोम देश म्ह मिलकै स्पेन देश म्ह जाऊँगा।
29 scio autem quoniam veniens ad vos in abundantia benedictionis Christi veniam
अर मन्नै बेरा सै के जिब मै थारे धोरै आऊँगा, तो मै मसीह की आशीष नै थारे साथ साँझा करुँगा।
30 obsecro igitur vos fratres per Dominum nostrum Iesum Christum et per caritatem Spiritus ut adiuvetis me in orationibus pro me ad Deum
हे बिश्वासी भाईयो, म्हारै प्रभु यीशु मसीह म्ह बिश्वास के कारण अर जो पवित्र आत्मा नै म्हारे ताहीं जो प्यार दिया सै मै थारे तै बिनती करुँ सूं, के मेरै खात्तर अर मेरे साथ मन तै परमेसवर तै प्रार्थना करो
31 ut liberer ab infidelibus qui sunt in Iudaea et obsequii mei oblatio accepta fiat in Hierosolyma sanctis
ताके मै यहूदिया परदेस के अबिश्वासियाँ तै बचा रहूँ, अर जो दान मै यरुशलेम नगर म्ह लेकै जाण लागरया सूं, वो परमेसवर के पवित्र माणसां खात्तर खुशी का कारण बणै।
32 ut veniam ad vos in gaudio per voluntatem Dei et refrigerer vobiscum
अर मै परमेसवर की मर्जी तै थारे धोरै आनन्द कै गैल आकै थारे गेल्या आराम पाऊँ।
33 Deus autem pacis sit cum omnibus vobis amen
मै प्रार्थना करुँ सूं, शान्ति का दात्ता परमेसवर थारे सारया कै गेल्या रहवै। आमीन।