< Psalmorum 98 >
1 psalmus David cantate Domino canticum novum quoniam mirabilia fecit salvavit sibi dextera eius et brachium sanctum eius
ख़ुदावन्द के सामने नया हम्द गाओ क्यूँकि उसने 'अजीब काम किए हैं। उसके दहने हाथ और उसके पाक बाज़ू ने उसके लिए फ़तह हासिल की है।
2 notum fecit Dominus salutare suum in conspectu gentium revelavit iustitiam suam
ख़ुदावन्द ने अपनी नजात ज़ाहिर की है, उसने अपनी सदाक़त क़ौमों के सामने ज़ाहिर की है।
3 recordatus est misericordiae suae et veritatem suam domui Israhel viderunt omnes termini terrae salutare Dei nostri
उसने इस्राईल के घराने के हक़ में अपनी शफ़क़त — ओ — वफ़ादारी याद की है, इन्तिहाई ज़मीन के लोगों ने हमारे ख़ुदा की नजात देखी है।
4 iubilate Domino omnis terra cantate et exultate et psallite
ऐ तमाम अहल — ए — ज़मीन! ख़ुदावन्द के सामने ख़ुशी का नारा मारो; ललकारो और खु़शी से गाओ और मदहसराई करो।
5 psallite Domino in cithara in cithara et voce psalmi
ख़ुदावन्द की सिताइश सितार पर करो, सितार और सुरीली आवाज़ से।
6 in tubis ductilibus et voce tubae corneae iubilate in conspectu regis Domini
नरसिंगे और करना की आवाज़ से, बादशाह या'नी ख़ुदावन्द के सामने खु़शी का नारा मारो।
7 moveatur mare et plenitudo eius orbis terrarum et qui habitant in eo
समन्दर और उसकी मा'मूरी शोर मचाएँ और जहान और उसके बाशिंदे।
8 flumina plaudent manu simul montes exultabunt
सैलाब तालियाँ बजाएँ; पहाड़ियाँ मिलकर ख़ुशी से गाएँ।
9 a conspectu Domini quoniam venit iudicare terram iudicabit orbem terrarum in iustitia et populos in aequitate
ख़ुदावन्द के सामने, क्यूँकि वह ज़मीन की 'अदालत करने आ रहा है। वह सदाक़त से जहान की, रास्ती से क़ौमों की 'अदालत करेगा।