< Psalmorum 62 >

1 in finem pro Idithun psalmus David nonne Deo subiecta erit anima mea ab ipso enim salutare meum
मेरी जान को ख़ुदा ही की उम्मीद है, मेरी नजात उसी से है।
2 nam et ipse Deus meus et salutaris meus susceptor meus non movebor amplius
वही अकेला मेरी चट्टान और मेरी नजात है, वही मेरा ऊँचा बुर्ज है, मुझे ज़्यादा जुम्बिश न होगी।
3 quousque inruitis in hominem interficitis universi vos tamquam parieti inclinato et maceriae depulsae
तुम कब तक ऐसे शख़्स पर हमला करते रहोगे, जो झुकी हुई दीवार और हिलती बाड़ की तरह है; ताकि सब मिलकर उसे क़त्ल करो?
4 verumtamen pretium meum cogitaverunt repellere cucurri in siti ore suo benedicebant et corde suo maledicebant diapsalma
वह उसको उसके मर्तबे से गिरा देने ही का मश्वरा करते रहते हैं; वह झूट से ख़ुश होते हैं। वह अपने मुँह से तो बरकत देते हैं लेकिन दिल में ला'नत करते हैं।
5 verumtamen Deo subiecta esto anima mea quoniam ab ipso patientia mea
ऐ मेरी जान, ख़ुदा ही की आस रख, क्यूँकि उसी से मुझे उम्मीद है।
6 quia ipse Deus meus et salvator meus adiutor meus non emigrabo
वही अकेला मेरी चट्टान और मेरी नजात है; वही मेरा ऊँचा बुर्ज है, मुझे जुम्बिश न होगी।
7 in Deo salutare meum et gloria mea Deus auxilii mei et spes mea in Deo est
मेरी नजात और मेरी शौकत ख़ुदा की तरफ़ से है; ख़ुदा ही मेरी ताक़त की चट्टान और मेरी पनाह है।
8 sperate in eo omnis congregatio populi effundite coram illo corda vestra Deus adiutor noster in aeternum
ऐ लोगो। हर वक़्त उस पर भरोसा करो; अपने दिल का हाल उसके सामने खोल दो। ख़ुदा हमारी पनाहगाह है। (सिलाह)
9 verumtamen vani filii hominum mendaces filii hominum in stateris ut decipiant ipsi de vanitate in id ipsum
यक़ीनन अदना लोग बेसबात हैं और आला आदमी झूटे; वह तराजू़ में हल्के निकलेंगे; वह सब के सब बेसबाती से भी कमज़ोर हैं
10 nolite sperare in iniquitate et rapinas nolite concupiscere divitiae si affluant nolite cor adponere
जु़ल्म पर तकिया न करो, लूटमार करने पर न फूलो; अगर माल बढ़ जाए तो उस पर दिल न लगाओ।
11 semel locutus est Deus duo haec audivi quia potestas Dei
ख़ुदा ने एक बार फ़रमाया; मैंने यह दो बार सुना, कि कु़दरत ख़ुदा ही की है।
12 et tibi Domine misericordia quia tu reddes unicuique iuxta opera sua
शफ़क़त भी ऐ ख़ुदावन्द तेरी ही है; क्यूँकि तू हर शख़्स को उसके 'अमल के मुताबिक़ बदला देता है।

< Psalmorum 62 >