< Psalmorum 25 >
1 psalmus David ad te Domine levavi animam meam
ऐ ख़ुदावन्द! मैं अपनी जान तेरी तरफ़ उठाता हूँ।
2 Deus meus in te confido non erubescam
ऐ मेरे ख़ुदा, मैंने तुझ पर भरोसा किया है, मुझे शर्मिन्दा न होने दे: मेरे दुश्मन मुझ पर ख़ुशी न मनाएँ।
3 neque inrideant me inimici mei etenim universi qui sustinent te non confundentur
बल्कि जो तेरे मुन्तज़िर हैं उनमें से कोई शर्मिन्दा न होगा; लेकिन जो नाहक़ बेवफ़ाई करते हैं वही शर्मिन्दा होंगे।
4 confundantur omnes iniqua agentes supervacue vias tuas Domine demonstra mihi et semitas tuas doce me
ऐ ख़ुदावन्द, अपनी राहें मुझे दिखा; अपने रास्ते मुझे बता दे।
5 dirige me in veritatem tuam et doce me quoniam tu es Deus salvator meus et te sustinui tota die
मुझे अपनी सच्चाई पर चला और ता'लीम दे, क्यूँकि तू मेरा नजात देने वाला ख़ुदा है; मैं दिन भर तेरा ही मुन्तज़िर रहता हूँ।
6 reminiscere miserationum tuarum Domine et misericordiarum tuarum quia a saeculo sunt
ऐ ख़ुदावन्द, अपनी रहमतों और शफ़क़तों को याद फ़रमा; क्यूँकि वह शुरू' से हैं।
7 delicta iuventutis meae et ignorantias meas ne memineris secundum misericordiam tuam memento mei tu; propter bonitatem tuam Domine
मेरी जवानी की ख़ताओं और मेरे गुनाहों को याद न कर; ऐ ख़ुदावन्द, अपनी नेकी की ख़ातिर अपनी शफ़क़त के मुताबिक मुझे याद फ़रमा।
8 dulcis et rectus Dominus propter hoc legem dabit delinquentibus in via
ख़ुदावन्द नेक और रास्त है; इसलिए वह गुनहगारों को राह — ए — हक़ की ता'लीम देगा।
9 diriget mansuetos in iudicio docebit mites vias suas
वह हलीमों को इन्साफ़ की हिदायत करेगा, हाँ, वह हलीमों को अपनी राह बताएगा।
10 universae viae Domini misericordia et veritas requirentibus testamentum eius et testimonia eius
जो ख़ुदावन्द के 'अहद और उसकी शहादतों को मानते हैं, उनके लिए उसकी सब राहें शफ़क़त और सच्चाई हैं।
11 propter nomen tuum Domine et propitiaberis peccato meo multum est enim
ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मेरी बदकारी मु'आफ़ कर दे क्यूँकि वह बड़ी है।
12 quis est homo qui timet Dominum legem statuet ei in via quam elegit
वह कौन है जो ख़ुदावन्द से डरता है? ख़ुदावन्द उसको उसी राह की ता'लीम देगा जो उसे पसंद है।
13 anima eius in bonis demorabitur et semen ipsius hereditabit terram
उसकी जान राहत में रहेगी, और उसकी नसल ज़मीन की वारिस होगी।
14 firmamentum est Dominus timentibus eum et testamentum ipsius ut manifestetur illis
ख़ुदावन्द के राज़ को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं, और वह अपना 'अहद उनको बताएगा।
15 oculi mei semper ad Dominum quoniam ipse evellet de laqueo pedes meos
मेरी आँखें हमेशा ख़ुदावन्द की तरफ़ लगी रहती हैं, क्यूँकि वही मेरा पाँव दाम से छुड़ाएगा।
16 respice in me et miserere mei quia unicus et pauper sum ego
मेरी तरफ़ मुतवज्जिह हो और मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं बेकस और मुसीबत ज़दा हूँ।
17 tribulationes cordis mei multiplicatae sunt de necessitatibus meis erue me
मेरे दिल के दुख बढ़ गए, तू मुझे मेरी तकलीफ़ों से रिहाई दे।
18 vide humilitatem meam et laborem meum et dimitte universa delicta mea
तू मेरी मुसीबत और जॉफ़िशानी को देख, और मेरे सब गुनाह मु'आफ़ फ़रमा।
19 respice inimicos meos quoniam multiplicati sunt et odio iniquo oderunt me
मेरे दुश्मनों को देख क्यूँकि वह बहुत हैं और उनको मुझ से सख़्त 'अदावत है।
20 custodi animam meam et erue me non erubescam quoniam speravi in te
मेरी जान की हिफ़ाज़त कर, और मुझे छुड़ा; मुझे शर्मिन्दा न होने दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ ही पर है।
21 innocentes et recti adheserunt mihi quia sustinui te
दियानतदारी और रास्तबाज़ी मुझे सलामत रख्खें, क्यूँकि मुझे तेरी ही आस है।
22 libera Deus Israhel ex omnibus tribulationibus suis
ऐ ख़ुदा, इस्राईल को उसके सब दुखों से छुड़ा ले।