< Psalmorum 127 >

1 canticum graduum Salomonis nisi Dominus aedificaverit domum in vanum laboraverunt qui aedificant eam nisi Dominus custodierit civitatem frustra vigilavit qui custodit
सुलैमान की यात्रा का गीत यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा। यदि नगर की रक्षा यहोवा न करे, तो रखवाले का जागना व्यर्थ ही होगा।
2 vanum est vobis ante lucem surgere surgere postquam sederitis qui manducatis panem doloris cum dederit dilectis suis somnum
तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और कठोर परिश्रम की रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद प्रदान करता है।
3 ecce hereditas Domini filii mercis fructus ventris
देखो, बच्चे यहोवा के दिए हुए भाग हैं, गर्भ का फल उसकी ओर से प्रतिफल है।
4 sicut sagittae in manu potentis ita filii excussorum
जैसे वीर के हाथ में तीर, वैसे ही जवानी के बच्चे होते हैं।
5 beatus vir qui implebit desiderium suum ex ipsis non confundentur cum loquentur inimicis suis in porta
क्या ही धन्य है वह पुरुष जिसने अपने तरकश को उनसे भर लिया हो! वह फाटक के पास अपने शत्रुओं से बातें करते संकोच न करेगा।

< Psalmorum 127 >