< Liber Numeri 32 >
1 filii autem Ruben et Gad habebant pecora multa et erat illis in iumentis infinita substantia cumque vidissent Iazer et Galaad aptas alendis animalibus
इस समय तक रियूबेन तथा गाद के वंशजों का पशु धन बहुत विशाल संख्या में हो चुका था. फिर जब उन्होंने याज़र देश तथा गिलआद देश का विचार किया, तो उन्होंने इसे हर एक रीति से पशु धन के लिए उपयुक्त पाया.
2 venerunt ad Mosen et ad Eleazarum sacerdotem et principes multitudinis atque dixerunt
रियूबेन के वंशज तथा गाद के वंशज मोशेह, पुरोहित एलिएज़र तथा सभा के प्रधानों के पास अपनी विनती ले पहुंच गए.
3 Atharoth et Dibon et Iazer et Nemra Esbon et Eleale et Sabam et Nebo et Beon
“अतारोथ, दीबोन, याज़र, निमराह, हेशबोन, एलिआलेह, सेबाम, नेबो तथा बेओन,
4 terram quam percussit Dominus in conspectu filiorum Israhel regionis uberrimae est ad pastum animalium et nos servi tui habemus iumenta plurima
वह देश, जिसे याहवेह ने इस्राएली सभा के लिए हरा दिया है, पशु धन के लिए अच्छा है और हम, आपके सेवक पशुधनधारी हैं.”
5 precamurque si invenimus gratiam coram te ut des nobis famulis tuis eam in possessionem ne facias nos transire Iordanem
तब उन्होंने यह भी कहा, “यदि हम पर आपकी कृपादृष्टि बनी है, हम, आपके सेवकों को यह भूमि का भाग दे दिया जाए; हमें अपने साथ यरदन के पार न ले जाइए.”
6 quibus respondit Moses numquid fratres vestri ibunt ad pugnam et vos hic sedebitis
किंतु मोशेह ने इनकार किया, “कैसे संभव है कि तुम्हारे भाई तो युद्ध में जाएंगे और तुम लोग यहां आराम से बैठे रहोगे?
7 cur subvertitis mentes filiorum Israhel ne transire audeant in locum quem eis daturus est Dominus
तुम लोग यहीं इस्राएलियों को याहवेह द्वारा दिए गए देश के लिए यरदन पार करने में हतोत्साहित क्यों कर रहे हो?
8 nonne ita egerunt patres vestri quando misi de Cadesbarne ad explorandam terram
तुम्हारे पूर्वजों ने भी उस अवसर पर यही किया था, जब मैंने उन्हें कादेश-बरनेअ से उस देश का भेद लेने के उद्देश्य से भेजा था.
9 cumque venissent usque ad vallem Botri lustrata omni regione subverterunt cor filiorum Israhel ut non intrarent fines quos eis Dominus dedit
वे एशकोल घाटी में थे और वहां से उन्होंने उस देश को देखा, लौटकर उन्होंने इस्राएलियों को हतोत्साहित कर दिया, कि वे उस देश में प्रवेश न करें, जो उन्हें याहवेह द्वारा दिया जा चुका था.
10 qui iratus iuravit dicens
परिणाम यह हुआ कि उस दिन याहवेह का क्रोध भड़क उठा और उन्होंने यह शपथ ले ली:
11 si videbunt homines isti qui ascenderunt ex Aegypto a viginti annis et supra terram quam sub iuramento pollicitus sum Abraham Isaac et Iacob et noluerunt sequi me
‘मिस्र देश से निकलकर आए बीस वर्ष तथा इससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति उस देश का दर्शन ही न कर पाएगा जिसे देने के शपथ मैंने अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब से की थी; क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से मेरा अनुसरण नहीं किया;
12 praeter Chaleb filium Iepphonne Cenezeum et Iosue filium Nun isti impleverunt voluntatem meam
सिर्फ कनिज्ज़ी येफुन्नेह के पुत्र कालेब, तथा नून के पुत्र यहोशू के सिवाय, क्योंकि ये दो ही याहवेह का अनुसरण करने में ईमानदार बने रहे थे.’
13 iratusque Dominus adversum Israhel circumduxit eum per desertum quadraginta annis donec consumeretur universa generatio quae fecerat malum in conspectu eius
याहवेह का क्रोध इस्राएल पर भड़क उठा और उन्होंने उन्हें निर्जन प्रदेश में चालीस वर्षों तक भटकते रहने के लिए छोड़ दिया, कि वह सारी पीढ़ी, जिन्होंने याहवेह के विरुद्ध यह बुराई की थी, नाश हो जाए.
14 et ecce inquit vos surrexistis pro patribus vestris incrementa et alumni hominum peccatorum ut augeretis furorem Domini contra Israhel
“अब देख लो, तुम लोग पापियों की संतान होकर अपने-अपने पूर्वजों के समान व्यवहार कर रहे हो, कि याहवेह के भड़के हुए क्रोध को इस्राएल के विरुद्ध और अधिक भड़का सको.
15 qui si nolueritis sequi eum in solitudine populum derelinquet et vos causa eritis necis omnium
क्योंकि यदि तुम रियूबेन और गाद के वंशजों का अनुसरण करना छोड़ दोगे, तो वह एक बार फिर उन्हें निर्जन प्रदेश में अकेला छोड़ देंगे और तुम दोनों इन सब लोगों को नाश कर दोगे.”
16 at illi prope accedentes dixerunt caulas ovium fabricabimus et stabula iumentorum parvulis quoque nostris urbes munitas
तब वे मोशेह की उपस्थिति में आकर कहने लगे, “हम यहां अपने पशु धन के लिए भेड़शालाओं का तथा अपनी संतान के लिए नगर बनाएंगे.
17 nos autem ipsi armati et accincti pergemus ad proelium ante filios Israhel donec introducamus eos ad loca sua parvuli nostri et quicquid habere possumus erunt in urbibus muratis propter habitatorum insidias
किंतु स्वयं हम इस्राएलियों के आगे-आगे युद्ध के लिए शस्त्रों से तैयार हो जाया करेंगे, जब तक हम उन्हें उस देश में न पहुंचा दें, जबकि हमारी संतान इस देश के वासियों के कारण गढ़ नगरों में निवास कर रही होगी.
18 non revertemur in domos nostras usquequo possideant filii Israhel hereditatem suam
हम उस समय तक अपने-अपने घरों में नहीं लौटेंगे, जब तक हर एक इस्राएली अपने-अपने भाग के अधिकार को प्राप्त नहीं कर लेता है.
19 nec quicquam quaeremus trans Iordanem quia iam habemus possessionem nostram in orientali eius plaga
क्योंकि हम यरदन के उस पार तथा उससे भी दूर तक किसी भी भाग के अधिकार का दावा नहीं करेंगे, क्योंकि हमारा उत्तराधिकार हमें यरदन के इसी ओर, पूर्व दिशा में मिल चुका है.”
20 quibus Moses ait si facitis quod promittitis expediti pergite coram Domino ad pugnam
यह सुन मोशेह ने उत्तर दिया, “यदि तुम यही करोगे; तुम याहवेह के सामने स्वयं को युद्ध के लिए तैयार कर लोगे,
21 et omnis vir bellator armatus Iordanem transeat donec subvertat Dominus inimicos suos
तुम सभी युद्ध के लिए सशस्त्र योद्धा याहवेह के सामने यरदन नदी पार करोगे, जब तक तुम याहवेह के सामने से उनके शत्रुओं को खदेड़ न दोगे,
22 et subiciatur ei omnis terra tunc eritis inculpabiles et apud Dominum et apud Israhel et obtinebitis regiones quas vultis coram Domino
तथा वह देश याहवेह के सामने अधीन न हो जाए; यह पूरा हो जाने के बाद ही तुम लौट सकोगे, तथा याहवेह एवं इस्राएल के प्रति इस वाचा से छूट जाओगे और यह देश याहवेह के सामने तुम्हारा निज भाग हो जाएगा.
23 sin autem quod dicitis non feceritis nulli dubium quin peccetis in Dominum et scitote quoniam peccatum vestrum adprehendet vos
“किंतु यदि तुम ऐसा न करो, तो देख लेना, तुम याहवेह के प्रति पाप कर चुके होगे; यह तय समझो कि तुम्हारा पाप ही तुम्हें पकड़वा देगा.
24 aedificate ergo urbes parvulis vestris et caulas ac stabula ovibus ac iumentis et quod polliciti estis implete
अपनी संतान के लिए नगरों का निर्माण करो, भेड़ों के लिए भेड़-शालाएं भी तथा वही करो, जिसकी प्रतिज्ञा तुमने की है.”
25 dixeruntque filii Gad et Ruben ad Mosen servi tui sumus faciemus quod iubet dominus noster
गाद एवं रियूबेन के वंशजों ने मोशेह से कहा, “आपके सेवक ठीक वही करेंगे, जैसा आदेश हमारे स्वामी देंगे.
26 parvulos nostros et mulieres et pecora ac iumenta relinquemus in urbibus Galaad
हमारी संतान, हमारी पत्नियां, हमारा पशु धन तथा हमारे सारे पशु गिलआद के इन्हीं नगरों में रह जाएंगे.
27 nos autem famuli tui omnes expediti pergemus ad bellum sicut tu domine loqueris
जब आपके सेवक, हर एक, जो युद्ध के लिए तैयार है, युद्ध के लिए याहवेह के सामने इस नदी के पार जाएगा-ठीक जैसा हमारे स्वामी का आदेश है.”
28 praecepit ergo Moses Eleazaro sacerdoti et Iosue filio Nun et principibus familiarum per tribus Israhel et dixit ad eos
तब मोशेह ने इनके विषय में पुरोहित एलिएज़र तथा नून के पुत्र यहोशू तथा इस्राएलियों के गोत्रों के प्रधानों को आदेश दिया.
29 si transierint filii Gad et filii Ruben vobiscum Iordanem omnes armati ad bellum coram Domino et vobis fuerit terra subiecta date eis Galaad in possessionem
मोशेह ने उनसे कहा, “यदि गाद एवं रियूबेन के ये वंशज, हर एक, जो युद्ध के लिए तैयार है, याहवेह के सामने यरदन नदी को पार करेगा तथा वह देश तुम्हारे वश में कर दिया जाता है, तब तुम उन्हें स्वामित्व के लिए गिलआद प्रदान कर दोगे.
30 sin autem noluerint transire vobiscum in terram Chanaan inter vos habitandi accipiant loca
किंतु यदि वे शस्त्रों से तैयार हो तुम्हारे साथ नदी के पार न जाएं, तब उन्हें कनान देश में ही तुम्हारे बीच भूमि बांटी जाएगी.”
31 responderuntque filii Gad et filii Ruben sicut locutus est Dominus servis suis ita faciemus
गाद एवं रियूबेन के वंशजों ने उत्तर दिया, “आपके इन सेवकों को याहवेह ने जैसा आदेश दिया है, हम ठीक वैसा ही करेंगे.
32 ipsi armati pergemus coram Domino in terram Chanaan et possessionem iam suscepisse nos confitemur trans Iordanem
हम स्वयं याहवेह की उपस्थिति में सशस्त्र कनान देश में प्रवेश करेंगे तथा हमारी निज भूमि हमारे लिए यरदन के इसी पार रहेगी.”
33 dedit itaque Moses filiis Gad et Ruben et dimidiae tribui Manasse filii Ioseph regnum Seon regis Amorrei et regnum Og regis Basan et terram eorum cum urbibus suis per circuitum
इसलिये मोशेह ने गाद, रियूबेन तथा योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह के आधे गोत्र को अमोरियों के राजा सीहोन तथा बाशान के राजा ओग का राज्य, सारे देश इनके नगर तथा इनकी सीमाएं तथा निकटवर्ती देशों के नगर दे दिए.
34 igitur extruxerunt filii Gad Dibon et Atharoth et Aroer
गाद के वंशजों ने दीबोन, अतारोथ, अरोअर,
35 Etrothsophan et Iazer Iecbaa
अतारोथ-षोपान, याज़र, योगबेहाह
36 et Bethnemra et Betharan urbes munitas et caulas pecoribus suis
बेथ-निमराह तथा बेथ-हारान को गढ़ नगरों के रूप में बना दिया, साथ ही भेड़ों के लिए भेड़-शालाएं भी बना दीं.
37 filii vero Ruben aedificaverunt Esbon et Eleale et Cariathaim
रियूबेन के वंशजों ने हेशबोन, एलिआलेह, किरयथाईम,
38 et Nabo et Baalmeon versis nominibus Sabama quoque inponentes vocabula urbibus quas extruxerant
नेबो, बाल-मेओन (इन नामों को बदल दिया गया) और सिबमाह नगर बसाए. उन नगरों को उन्होंने नए नाम दिए, जिनका वे निर्माण करते रहे थे.
39 porro filii Machir filii Manasse perrexerunt in Galaad et vastaverunt eam interfecto Amorreo habitatore eius
मनश्शेह के पुत्र माखीर के वंशजों ने गिलआद जाकर उस पर अधिकार कर लिया और उसमें रह रहे अमोरियों को वहां से निकाल दिया.
40 dedit ergo Moses terram Galaad Machir filio Manasse qui habitavit in ea
तब मोशेह ने गिलआद को मनश्शेह के पुत्र माखीर के नाम कर दिया और वे वहां बस गए.
41 Iair autem filius Manasse abiit et occupavit vicos eius quos appellavit Avothiair id est villas Iair
मनश्शेह के पुत्र याईर ने जाकर इस क्षेत्र के नगरों पर अधिकार कर लिया और उन्हें हव्वोथ-याईर नाम दे दिया.
42 Nobe quoque perrexit et adprehendit Canath cum viculis suis vocavitque eam ex nomine suo Nobe
नोबाह ने जाकर केनाथ तथा इसके गांवों पर अधिकार करके उसे अपना ही नाम, नोबाह, दे दिया.