< Marcum 13 >

1 et cum egrederetur de templo ait illi unus ex discipulis suis magister aspice quales lapides et quales structurae
जिब यीशु मन्दर तै लिकड़ै था, तो उसकै चेल्यां म्ह तै एक नै उसतै कह्या, “हे गुरु, लखा, किसे बड़े-बड़े पत्थरां तै बणाये होए किसे सुथरे भवन सै!”
2 et respondens Iesus ait illi vides has omnes magnas aedificationes non relinquetur lapis super lapidem qui non destruatur
यीशु नै उनतै कह्या, “के थम ये बड़े-बड़े पत्थरां के भवन देक्खो सो: पर उरै एक पत्थर भी कोनी बचैगा जो गेरया न्ही जावैगा।”
3 et cum sederet in montem Olivarum contra templum interrogabant eum separatim Petrus et Iacobus et Iohannes et Andreas
जिब यीशु मन्दर कै स्याम्ही जैतून कै पहाड़ पै बेठ्या था, तो पतरस, याकूब, यूहन्ना अर अन्द्रियास नै न्यारे जाकै उसतै बुझ्झया,
4 dic nobis quando ista fient et quod signum erit quando haec omnia incipient consummari
“हमनै बता के ये बात कद होवैगी? अर जिब ये सारी बात पूरी होण पै होवैगी उस बखत की के निशान्नी होवैगी?”
5 et respondens Iesus coepit dicere illis videte ne quis vos seducat
यीशु उनतै कहण लाग्या, “चौकन्ने रहियो के कोए थमनै भकावै न्ही।
6 multi enim venient in nomine meo dicentes quia ego sum et multos seducent
क्यूँके घणखरे मेरै नाम तै आकै कहवैगें, ‘मै मसीह सूं!’ अर घणाए नै भकावैगें।
7 cum audieritis autem bella et opiniones bellorum ne timueritis oportet enim fieri sed nondum finis
जिब थम रोळे, अर लड़ाईया का जिक्र सुणो, तो घबराईयो ना; क्यूँके इनका होणा जरूरी सै, पर उस बखत खात्मा कोनी होवैगा।
8 exsurget autem gens super gentem et regnum super regnum et erunt terraemotus per loca et fames initium dolorum haec
क्यूँके जात पै जात, राज्य पै राज्य चढ़ाई करैगा। भोत सारी जगहां पै हाल्लण आवैगें, अर अकाळ पड़ैंगें, ये तो दुखां की शरुआत ए होवैगी।”
9 videte autem vosmet ipsos tradent enim vos conciliis et in synagogis vapulabitis et ante praesides et reges stabitis propter me in testimonium illis
“पर थम अपणे बारै म्ह चौकन्ने रहो; क्यूँके माणस थारे ताहीं बड्डी सभा म्ह सौपैगें अर थम आराधनालयों म्ह छितोगे, अर मेरै कारण हाकिमां अर राजां कै आग्गै खड़े करे जाओगे, ताके थम मेरे बारें म्ह गवाही दे सको।
10 et in omnes gentes primum oportet praedicari evangelium
पर जरूरी सै के पैहल्या सुसमाचार सारी जात्तां म्ह प्रचार करया जावै।
11 et cum duxerint vos tradentes nolite praecogitare quid loquamini sed quod datum vobis fuerit in illa hora id loquimini non enim estis vos loquentes sed Spiritus Sanctus
जिब वे थमनै ले जाकै सौपैगें, तो पैहल्या तै फिक्र ना करियो इब हम के कहवागें; पर जो कुछ थमनै उस बखत बताया जावै वोए कहियो; क्यूँके बोल्लण आळे थम कोनी सो, पर पवित्र आत्मा सै।”
12 tradet autem frater fratrem in mortem et pater filium et consurgent filii in parentes et morte adficient eos
“भाई नै भाई, पिता नै बेट्टा मारण खात्तर सौंप देंगें, अर बाळक माँ-बाप कै बिरोध म्ह खड़े होकै उन ताहीं मरवा देवैगें।
13 et eritis odio omnibus propter nomen meum qui autem sustinuerit in finem hic salvus erit
अर मेरै नाम कै कारण सारे माणस थारे तै बैर करैगें; पर जो आखर ताहीं धीरज धरैगा, उस्से का उद्धार होवैगा।”
14 cum autem videritis abominationem desolationis stantem ubi non debet qui legit intellegat tunc qui in Iudaea sunt fugiant in montes
(पढ़ण आळा इस बात नै समझ लेवै) “जिस दिन थम मन्दर म्ह उस उजाड़ण आळी घृणित चीज नै खड़े देक्खो, जिस ताहीं मन्दर म्ह न्ही होणा चाहिये, तब जो यहूदिया परदेस म्ह हो वे पहाड़ां पै भाज जावै;
15 et qui super tectum ne descendat in domum nec introeat ut tollat quid de domo sua
जो छात पै हो, वो घर म्ह कुछ लेण खात्तर भीत्त्तर ना जावै,
16 et qui in agro erit non revertatur retro tollere vestimentum suum
अर जो खेत म्ह हो, वो अपणे लत्तें लेण खात्तर घर नै ना बोहड़ैं।
17 vae autem praegnatibus et nutrientibus in illis diebus
उन दिनां म्ह जो गर्भवती अर दूध पिलान्दी बिरबान्नी होवैगीं, उनकै खात्तर भागणा भी मुश्किल होगा!
18 orate vero ut hieme non fiant
अर प्रार्थना करया करो के यो जाड्यां म्ह न्ही हो।
19 erunt enim dies illi tribulationes tales quales non fuerunt ab initio creaturae quam condidit Deus usque nunc neque fient
क्यूँके वे दिन इसे क्ळेश के होवैगें के सृष्टि की शरुआत तै, जो परमेसवर नै रचाई सै, इब ताहीं ना तो होए अर ना फेर कदे होवैगें।”
20 et nisi breviasset Dominus dies non fuisset salva omnis caro sed propter electos quos elegit breviavit dies
अर जै प्रभु उन दिनां नै न्ही घटान्दा, तो कोए जीव भी कोनी बचदा; पर उन छाँटे होया कै कारण जिन ताहीं उसनै छाट्या सै, उन दिनां ताहीं घटाया।
21 et tunc si quis vobis dixerit ecce hic est Christus ecce illic ne credideritis
उस बखत जै कोए थमनै कहवै, देक्खो, मसीह उरै सै, या देक्खो, ओड़ै सै, तो बिश्वास ना करियो;
22 exsurgent enim pseudochristi et pseudoprophetae et dabunt signa et portenta ad seducendos si potest fieri etiam electos
क्यूँके झूठ्ठे मसीह अर झूठ्ठे नबी उठ खड़े होवैगें, अर बड़े-बड़े चमत्कार अर अनोक्खे काम दिखावैगें के जै हो सक्या तो छाँटे होया ताहीं भी भका देवैगें।
23 vos ergo videte ecce praedixi vobis omnia
पर थम चौकन्ने रहियो; देक्खो, मन्नै थारे तै सारी बात बखत तै पैहल्याए बता दी सै।
24 sed in illis diebus post tribulationem illam sol contenebrabitur et luna non dabit splendorem suum
उन दिनां म्ह, उस क्ळेश कै पाच्छै सूरज अन्धेरा हो जावैगा, अर चाँद चाँदणा कोनी देवैगा;
25 et erunt stellae caeli decidentes et virtutes quae sunt in caelis movebuntur
अर अकास के तारे पड़ण लागैगें; अर अकास की शक्तियाँ हलाई जावैंगी।
26 et tunc videbunt Filium hominis venientem in nubibus cum virtute multa et gloria
फेर मुझ माणस कै बेट्टे नै बड्डी सामर्थ अर महिमा कै गेल्या सब लोग बादळां पै आन्दे देक्खैंगे।
27 et tunc mittet angelos suos et congregabit electos suos a quattuor ventis a summo terrae usque ad summum caeli
उस बखत मै अपणे सुर्गदूत्तां नै भेजकै, धरती कै इस सिरे तै अकास कै उस सिरे ताहीं, च्यारु दिशायां तै अपणे चुणे होए माणसां नै कठ्ठा करुँगा।
28 a ficu autem discite parabolam cum iam ramus eius tener fuerit et nata fuerint folia cognoscitis quia in proximo sit aestas
अंजीर के दरखत तै यो उदाहरण सीक्खो: जिब उसकी डाळी कोमल हो जावै, अर पत्ते लिकड़ण लागैं सै; तो थम जाण ल्यो सो के गर्मी का बखत लोवै सै।
29 sic et vos cum videritis haec fieri scitote quod in proximo sit in ostiis
इस्से तरियां जिब थम इन बात्तां नै होन्दे देक्खो, तो जाण ल्यो के वो भोत तावळा आण आळा सै।
30 amen dico vobis quoniam non transiet generatio haec donec omnia ista fiant
मै थमनै साच्ची कहूँ सूं के जिब ताहीं ये बात न्ही हो लेन्दी, जद ताहीं ये पीढ़ी खतम न्ही होवैंगी।
31 caelum et terra transibunt verba autem mea non transibunt
धरती अर अकास टळ जावैंगे, पर मेरी बात कदे न्ही टळैगी।
32 de die autem illo vel hora nemo scit neque angeli in caelo neque Filius nisi Pater
“उस दिन या उस बखत कै बारै म्ह कोए न्ही जाण्दा, ना सुर्गदूत अर ना बेट्टा; पर सिर्फ पिता जाणै सै।
33 videte vigilate et orate nescitis enim quando tempus sit
लखाओ, जागदे अर प्रार्थना करदे रहो; क्यूँके थमनै न्ही बेरा के वो बखत कद आवैगा।
34 sicut homo qui peregre profectus reliquit domum suam et dedit servis suis potestatem cuiusque operis et ianitori praecipiat ut vigilet
मेरे आण का बखत उस माणस के समान सै, जो परदेस जान्दे बखत अपणा घर छोड़ जावै, अर अपणे नौकरां ताहीं हक देवै, अर हरेक नै उसका काम बता देवै, अर पहरेदार ताहीं जागदे रहण का हुकम देवै।
35 vigilate ergo nescitis enim quando dominus domus veniat sero an media nocte an galli cantu an mane
“इस करकै जागदे रहो, क्यूँके थमनै न्ही बेरा के घर का माल्लिक कद आवैगा, साँझ नै या आध्धी रात नै, या मुर्गे के बाँग देण के बखत या तड़कै ए तड़कै नै।
36 ne cum venerit repente inveniat vos dormientes
इसा ना हो के वो चाणचक आकै थमनै सोंदे पावै।
37 quod autem vobis dico omnibus dico vigilate
अर जो मै थमनै कहूँ सूं, वोए सारया नै कहूँ सूं: जागदे रहो!”

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