< Job 20 >

1 respondens autem Sophar Naamathites dixit
तब नामाती सोपर ने कहा,
2 idcirco cogitationes meae variae succedunt sibi et mens in diversa rapitur
“मेरा जी चाहता है कि उत्तर दूँ, और इसलिए बोलने में फुर्ती करता हूँ।
3 doctrinam qua me arguis audiam et spiritus intellegentiae meae respondebit mihi
मैंने ऐसी डाँट सुनी जिससे मेरी निन्दा हुई, और मेरी आत्मा अपनी समझ के अनुसार तुझे उत्तर देती है।
4 hoc scio a principio ex quo positus est homo super terram
क्या तू यह नियम नहीं जानता जो प्राचीन और उस समय का है, जब मनुष्य पृथ्वी पर बसाया गया,
5 quod laus impiorum brevis sit et gaudium hypocritae ad instar puncti
दुष्टों की विजय क्षण भर का होता है, और भक्तिहीनों का आनन्द पल भर का होता है?
6 si ascenderit usque ad caelum superbia eius et caput eius nubes tetigerit
चाहे ऐसे मनुष्य का माहात्म्य आकाश तक पहुँच जाए, और उसका सिर बादलों तक पहुँचे,
7 quasi sterquilinium in fine perdetur et qui eum viderant dicent ubi est
तो भी वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिये नाश हो जाएगा; और जो उसको देखते थे वे पूछेंगे कि वह कहाँ रहा?
8 velut somnium avolans non invenietur transiet sicut visio nocturna
वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और किसी को फिर न मिलेगा; रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा।
9 oculus qui eum viderat non videbit neque ultra intuebitur eum locus suus
जिसने उसको देखा हो फिर उसे न देखेगा, और अपने स्थान पर उसका कुछ पता न रहेगा।
10 filii eius adterentur egestate et manus illius reddent ei dolorem suum
१०उसके बच्चे कंगालों से भी विनती करेंगे, और वह अपना छीना हुआ माल फेर देगा।
11 ossa eius implebuntur vitiis adulescentiae eius et cum eo in pulverem dormient
११उसकी हड्डियों में जवानी का बल भरा हुआ है परन्तु वह उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा।
12 cum enim dulce fuerit in ore eius malum abscondet illud sub lingua sua
१२“चाहे बुराई उसको मीठी लगे, और वह उसे अपनी जीभ के नीचे छिपा रखे,
13 parcet illi et non derelinquet illud et celabit in gutture suo
१३और वह उसे बचा रखे और न छोड़े, वरन् उसे अपने तालू के बीच दबा रखे,
14 panis eius in utero illius vertetur in fel aspidum intrinsecus
१४तो भी उसका भोजन उसके पेट में पलटेगा, वह उसके अन्दर नाग का सा विष बन जाएगा।
15 divitias quas devoravit evomet et de ventre illius extrahet eas Deus
१५उसने जो धन निगल लिया है उसे वह फिर उगल देगा; परमेश्वर उसे उसके पेट में से निकाल देगा।
16 caput aspidum suget occidet eum lingua viperae
१६वह नागों का विष चूस लेगा, वह करैत के डसने से मर जाएगा।
17 non videat rivulos fluminis torrentes mellis et butyri
१७वह नदियों अर्थात् मधु और दही की नदियों को देखने न पाएगा।
18 luet quae fecit omnia nec tamen consumetur iuxta multitudinem adinventionum suarum sic et sustinebit
१८जिसके लिये उसने परिश्रम किया, उसको उसे लौटा देना पड़ेगा, और वह उसे निगलने न पाएगा; उसकी मोल ली हुई वस्तुओं से जितना आनन्द होना चाहिये, उतना तो उसे न मिलेगा।
19 quoniam confringens nudavit pauperes domum rapuit et non aedificavit eam
१९क्योंकि उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया, उसने घर को छीन लिया, जिसे उसने नहीं बनाया।
20 nec est satiatus venter eius et cum habuerit quae cupierat possidere non poterit
२०“लालसा के मारे उसको कभी शान्ति नहीं मिलती थी, इसलिए वह अपनी कोई मनभावनी वस्तु बचा न सकेगा।
21 non remansit de cibo eius et propterea nihil permanebit de bonis eius
२१कोई वस्तु उसका कौर बिना हुए न बचती थी; इसलिए उसका कुशल बना न रहेगा
22 cum satiatus fuerit artabitur aestuabit et omnis dolor inruet in eum
२२पूरी सम्पत्ति रहते भी वह सकेती में पड़ेगा; तब सब दुःखियों के हाथ उस पर उठेंगे।
23 utinam impleatur venter eius ut emittat in eum iram furoris sui et pluat super illum bellum suum
२३ऐसा होगा, कि उसका पेट भरने पर होगा, परमेश्वर अपना क्रोध उस पर भड़काएगा, और रोटी खाने के समय वह उस पर पड़ेगा।
24 fugiet arma ferrea et inruet in arcum aereum
२४वह लोहे के हथियार से भागेगा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा।
25 eductus et egrediens de vagina sua et fulgurans in amaritudine sua vadent et venient super eum horribiles
२५वह उस तीर को खींचकर अपने पेट से निकालेगा, उसकी चमकीली नोंक उसके पित्त से होकर निकलेगी, भय उसमें समाएगा।
26 omnes tenebrae absconditae sunt in occultis eius devorabit eum ignis qui non succenditur adfligetur relictus in tabernaculo suo
२६उसके गड़े हुए धन पर घोर अंधकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भस्म होगा, जो मनुष्य की फूँकी हुई न हो; और उसी से उसके डेरे में जो बचा हो वह भी भस्म हो जाएगा।
27 revelabunt caeli iniquitatem eius et terra consurget adversus eum
२७आकाश उसका अधर्म प्रगट करेगा, और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होगी।
28 apertum erit germen domus illius detrahetur in die furoris Dei
२८उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह परमेश्वर के क्रोध के दिन बह जाएगी।
29 haec est pars hominis impii a Deo et hereditas verborum eius a Domino
२९परमेश्वर की ओर से दुष्ट मनुष्य का अंश, और उसके लिये परमेश्वर का ठहराया हुआ भाग यही है।”

< Job 20 >