< Genesis 37 >

1 habitavit autem Iacob in terra Chanaan in qua peregrinatus est pater suus
और या'क़ूब मुल्क — ए — कना'न में रहता था, जहाँ उसका बाप मुसाफ़िर की तरह रहा था।
2 et hae sunt generationes eius Ioseph cum sedecim esset annorum pascebat gregem cum fratribus suis adhuc puer et erat cum filiis Balae et Zelphae uxorum patris sui accusavitque fratres suos apud patrem crimine pessimo
या'क़ूब की नसल का हाल यह है: कि यूसुफ़ सत्रह साल की उम्र में अपने भाइयों के साथ भेड़ — बकरियाँ चराया करता था। यह लड़का अपने बाप की बीवियों, बिल्हाह और ज़िल्फ़ा के बेटों के साथ रहता था और वह उनके बुरे कामों की ख़बर बाप तक पहुँचा देता था।
3 Israhel autem diligebat Ioseph super omnes filios suos eo quod in senectute genuisset eum fecitque ei tunicam polymitam
और इस्राईल यूसुफ़ को अपने सब बेटों से ज़्यादा प्यार करता था क्यूँकि वह उसके बुढ़ापे का बेटा था, और उसने उसे एक बूक़लमून क़बा भी बनवा दी।
4 videntes autem fratres eius quod a patre plus cunctis filiis amaretur oderant eum nec poterant ei quicquam pacificum loqui
और उसके भाइयों ने देखा कि उनका बाप उसके सब भाइयों से ज़्यादा उसी को प्यार करता है, इसलिए वह उससे अदावत रखने लगे और ठीक तौर से बात भी नहीं करते थे।
5 accidit quoque ut visum somnium referret fratribus quae causa maioris odii seminarium fuit
और यूसुफ़ ने एक ख़्वाब देखा जिसे उसने अपने भाइयों को बताया, तो वह उससे और भी अदावत रखने लगे।
6 dixitque ad eos audite somnium meum quod vidi
और उसने उनसे कहा, “ज़रा वह ख़्वाब तो सुनो, जो मैंने देखा है:
7 putabam ligare nos manipulos in agro et quasi consurgere manipulum meum et stare vestrosque manipulos circumstantes adorare manipulum meum
हम खेत में पूले बांधते थे और क्या देखता हूँ कि मेरा पूला उठा और सीधा खड़ा हो गया, और तुम्हारे पूलों ने मेरे पूले को चारों तरफ़ से घेर लिया और उसे सिज्दा किया।”
8 responderunt fratres eius numquid rex noster eris aut subiciemur dicioni tuae haec ergo causa somniorum atque sermonum invidiae et odii fomitem ministravit
तब उसके भाइयों ने उससे कहा, कि क्या तू सचमुच हम पर सल्तनत करेगा या हम पर तेरा तसल्लुत होगा? और उन्होंने उसके ख़्वाबों और उसकी बातों की वजह से उससे और भी ज़्यादा अदावत रख्खा।
9 aliud quoque vidit somnium quod narrans fratribus ait vidi per somnium quasi solem et lunam et stellas undecim adorare me
फिर उसने दूसरा ख़्वाब देखा और अपने भाइयों को बताया। उसने कहा, “देखो! मुझे एक और ख़्वाब दिखाई दिया है, कि सूरज और चाँद और ग्यारह सितारों ने मुझे सिज्दा किया।”
10 quod cum patri suo et fratribus rettulisset increpavit eum pater et dixit quid sibi vult hoc somnium quod vidisti num ego et mater tua et fratres adorabimus te super terram
और उसने इसे अपने बाप और भाइयों दोनों को बताया; तब उसके बाप ने उसे डाँटा और कहा कि यह ख़्वाब क्या है जो तूने देखा है? क्या मैं और तेरी माँ और तेरे भाई सचमुच तेरे आगे ज़मीन पर झुक कर तुझे सिज्दा करेंगे?
11 invidebant igitur ei fratres sui pater vero rem tacitus considerabat
और उसके भाइयों को उससे हसद हो गया, लेकिन उसके बाप ने यह बात याद रख्खी।
12 cumque fratres illius in pascendis gregibus patris morarentur in Sychem
और उसके भाई अपने बाप की भेड़ — बकरियाँ चराने सिकम को गए।
13 dixit ad eum Israhel fratres tui pascunt oves in Sycimis veni mittam te ad eos quo respondente
तब इस्राईल ने यूसुफ़ से कहा, “तेरे भाई सिकम में भेड़ — बकरियों को चरा रहे होंगे, इसलिए आ कि मैं तुझे उनके पास भेज़ें।” उसने उसे कहा, “मैं तैयार हूँ।”
14 praesto sum ait vade et vide si cuncta prospera sint erga fratres tuos et pecora et renuntia mihi quid agatur missus de valle Hebron venit in Sychem
तब उसने कहा, “तू जा कर देख कि तेरे भाइयों का और भेड़ — बकरियों का क्या हाल है, और आकर मुझे ख़बर दे।” तब उसने उसे हबरून की वादी से भेजा और वह सिकम में आया।
15 invenitque eum vir errantem in agro et interrogavit quid quaereret
और एक शख़्स ने उसे मैदान में इधर — उधर आवारा फिरते पाया; यह देख कर उस शख़्स ने उससे पूछा, “तू क्या ढूंडता है?”
16 at ille respondit fratres meos quaero indica mihi ubi pascant greges
उसने कहा, “मैं अपने भाइयों को ढूंडता हूँ। ज़रा मुझे बता दे कि वह भेड़ बकरियों को कहाँ चरा रहे हैं?”
17 dixitque ei vir recesserunt de loco isto audivi autem eos dicentes eamus in Dothain perrexit ergo Ioseph post fratres suos et invenit eos in Dothain
उस शख़्स ने कहा, “वह यहाँ से चले गए, क्यूँकि मैंने उनको यह कहते सुना, 'चलो, हम दूतैन को जाएँ।” चुनाँचे यूसुफ़ अपने भाइयों की तलाश में चला और उनको दूतैन में पाया।
18 qui cum vidissent eum procul antequam accederet ad eos cogitaverunt illum occidere
और जूँ ही उन्होंने उसे दूर से देखा, इससे पहले कि वह नज़दीक पहुँचे, उसके क़त्ल का मन्सूबा बाँधा।
19 et mutuo loquebantur ecce somniator venit
और आपस में कहने लगे, “देखो! ख़्वाबों का देखने वाला आ रहा है।
20 venite occidamus eum et mittamus in cisternam veterem dicemusque fera pessima devoravit eum et tunc apparebit quid illi prosint somnia sua
आओ, अब हम उसे मार डालें और किसी गढ़े में डाल दें और यह कह देंगे कि कोई बुरा दरिन्दा उसे खा गया; फिर देखेंगे कि उसके ख़्वाबों का अन्जाम क्या होता है।”
21 audiens hoc Ruben nitebatur liberare eum de manibus eorum et dicebat
तब, रूबिन ने यह सुन कर उसे उनके हाथों से बचाया और कहा, “हम उसकी जान न लें।”
22 non interficiamus animam eius nec effundatis sanguinem sed proicite eum in cisternam hanc quae est in solitudine manusque vestras servate innoxias hoc autem dicebat volens eripere eum de manibus eorum et reddere patri suo
और रूबिन ने उनसे यह भी कहा कि ख़ून न बहाओ बल्कि उसे इस गढ़े में जो वीराने में है डाल दो, लेकिन उस पर हाथ न उठाओ। वह चाहता था कि उसे उनके हाथ से बचा कर उसके बाप के पास सलामत पहुँचा दे।
23 confestim igitur ut pervenit ad fratres nudaverunt eum tunica talari et polymita
और यूँ हुआ कि जब यूसुफ़ अपने भाइयों के पास पहुँचा, तो उन्होंने उसकी बू क़लमून क़बा की जो वह पहने था उतार लिया;
24 miseruntque in cisternam quae non habebat aquam
और उसे उठा कर गढ़े में डाल दिया। वह गढ़ा सूखा था, उसमें ज़रा भी पानी न था।
25 et sedentes ut comederent panem viderunt viatores Ismahelitas venire de Galaad et camelos eorum portare aromata et resinam et stacten in Aegyptum
और वह खाना खाने बैठे और ऑखें उठाई तो देखा कि इस्माईलियों का एक काफ़िला जिल'आद से आ रहा है, और गर्म मसाल्हे और रौग़न बलसान और मुर्र ऊँटों पर लादे हुए मिस्र को लिए जा रहा है।
26 dixit ergo Iudas fratribus suis quid nobis prodest si occiderimus fratrem nostrum et celaverimus sanguinem ipsius
तब यहूदाह ने अपने भाइयों से कहा किअगर हम अपने भाई को मार डालें और उसका खू़न छिपाएँ तो क्या नफ़ा' होगा?
27 melius est ut vendatur Ismahelitis et manus nostrae non polluantur frater enim et caro nostra est adquieverunt fratres sermonibus eius
आओ, उसे इस्माईलियों के हाथ बेच डालें कि हमारे हाथ उस पर न उठे क्यूँकि वह हमारा भाई और हमारा खू़न है। उसके भाइयों ने उसकी बात मान ली।
28 et praetereuntibus Madianitis negotiatoribus extrahentes eum de cisterna vendiderunt Ismahelitis viginti argenteis qui duxerunt eum in Aegyptum
फिर वह मिदिया'नी सौदागर उधर से गुज़रे, तब उन्होंने यूसुफ़ को खींच कर गढ़े से बाहर निकाला और उसे इस्माईलियों के हाथ बीस रुपये को बेच डाला और वह यूसुफ़ को मिस्र में ले गए।
29 reversusque Ruben ad cisternam non invenit puerum
जब रूबिन गढ़े पर लौट कर आया और देखा कि यूसुफ़ उसमें नहीं है तो अपना लिबास चाक किया।
30 et scissis vestibus pergens ad fratres ait puer non conparet et ego quo ibo
और अपने भाइयों के पास उल्टा फिरा और कहने लगा, कि लड़का तो वहाँ नहीं है, अब मैं कहाँ जाऊँ?
31 tulerunt autem tunicam eius et in sanguinem hedi quem occiderant tinxerunt
फिर उन्होंने यूसुफ़ की क़बा लेकर और एक बकरा ज़बह करके उसे उसके खू़न में तर किया।
32 mittentes qui ferrent ad patrem et dicerent hanc invenimus vide utrum tunica filii tui sit an non
और उन्होंने उस बूक़लमून क़बा को भिजवा दिया। फिर वह उसे उनके बाप के पास ले आए और कहा, “हम को यह चीज़ पड़ी मिली; अब तू पहचान कि यह तेरे बेटे की क़बा है या नहीं?”
33 quam cum agnovisset pater ait tunica filii mei est fera pessima comedit eum bestia devoravit Ioseph
और उसने उसे पहचान लिया और कहा, “यह तो मेरे बेटे की क़बा है। कोई बुरा दरिन्दा उसे खा गया है, यूसुफ़ बेशक फाड़ा गया।”
34 scissisque vestibus indutus est cilicio lugens filium multo tempore
तब या'क़ूब ने अपना लिबास चाक किया और टाट अपनी कमर से लपेटा, और बहुत दिनों तक अपने बेटे के लिए मातम करता रहा।
35 congregatis autem cunctis liberis eius ut lenirent dolorem patris noluit consolationem recipere et ait descendam ad filium meum lugens in infernum et illo perseverante in fletu (Sheol h7585)
और उसके सब बेटे बेटियाँ उसे तसल्ली देने जाते थे, लेकिन उसे तसल्ली न होती थी। वह यही कहता रहा, कि मैं तो मातम ही करता हुआ क़ब्र में अपने बेटे से जा मिलूँगा। इसलिए उसका बाप उसके लिए रोता रहा। (Sheol h7585)
36 Madianei vendiderunt Ioseph in Aegypto Putiphar eunucho Pharaonis magistro militiae
और मिदियानियों ने उसे मिस्र में फूतीफ़ार के हाथ जो फ़िर'औन का एक हाकिम और जिलौदारों का सरदार था बेचा।

< Genesis 37 >