< Hiezechielis Prophetæ 48 >

1 et haec nomina tribuum a finibus aquilonis iuxta viam Aethlon pergentibus Emath atrium Aenon terminus Damasci ad aquilonem iuxta Emath et erit ei plaga orientalis mare Dan una
और क़बीलों के नाम यह हैं: इन्तिहा — ए — उत्तर पर हतल्लून के रास्ते के साथ साथ हमात के मदख़ल से होते हुए हसर 'ऐनान तक, जो दमिश्क़ की उत्तरी सरहद पर हमात के पास है, पूरब से पच्छिम तक दान के लिए एक हिस्सा।
2 et ad terminum Dan a plaga orientali usque ad plagam maris Aser una
और दान की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, आशर के लिए एक हिस्सा।
3 et super terminum Aser a plaga orientali usque ad plagam maris Nepthalim una
और आशर की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, नफ़्ताली के लिए एक हिस्सा।
4 et super terminum Nepthalim a plaga orientali usque ad plagam maris Manasse una
और नफ़्ताली की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, मनस्सी के लिए एक हिस्सा।
5 et super terminum Manasse a plaga orientali usque ad plagam maris Ephraim una
और मनस्सी की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, इफ़्राईम के लिए एक हिस्सा।
6 et super terminum Ephraim a plaga orientali usque ad plagam maris Ruben una
और इफ़्राईम की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, रूबिन के लिए एक हिस्सा।
7 et super terminum Ruben a plaga orientali usque ad plagam maris Iuda una
और रूबिन की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, यहूदाह के लिए एक हिस्सा।
8 et super terminum Iuda a plaga orientali usque ad plagam maris erunt primitiae quas separabitis viginti quinque milibus latitudinis et longitudinis sicuti singulae partes a plaga orientali usque ad plagam maris et erit sanctuarium in medio eius
और यहूदाह की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, हदिये का हिस्सा होगा जो तुम वक्फ़ करोगे; उसकी चौड़ाई पच्चीस हज़ार और लम्बाई बाक़ी हिस्सों में से एक के बराबर पूरबी सरहद से दक्खिनी सरहद तक और हैकल उसके बीच में होगा।
9 primitiae quas separastis Domino longitudo viginti quinque milibus et latitudo decem milibus
हदिये का हिस्सा जो तुम ख़ुदावन्द के लिए वक़्फ़ करोगे, पच्चीस हज़ार लम्बा और दस हज़ार चौड़ा होगा।
10 hae autem erunt primitiae sanctuarii sacerdotum ad aquilonem viginti quinque milia et ad mare latitudinis decem milia sed et ad orientem latitudinis decem milia et ad meridiem longitudinis viginti quinque milia et erit sanctuarium Domini in medio eius
और यह पाक हदिये का हिस्सा उनके लिए, हाँ, काहिनों के लिए होगा; उत्तर की तरफ़ पच्चीस हज़ार उसकी लम्बाई होगी और दस हज़ार उसकी चौड़ाई पच्छिम की तरफ़ और दस हज़ार उसकी चौडाई पूरब की तरफ़ और पच्चीस हज़ार उसकी लम्बाई दक्खिन की तरफ़ और ख़ुदावन्द का हैकल उसके बीच में होगा।
11 sacerdotibus sanctuarium erit de filiis Sadoc qui custodierunt caerimonias meas et non erraverunt cum errarent filii Israhel sicut erraverunt et Levitae
यह उन काहिनों के लिए होगा जो सदूक़ के बेटों में से पाक किए गए हैं; जिन्होंने मेरी अमानतदारी की तरफ़ गुमराह न हुए, जब बनी — इस्राईल गुमराह हो गए जैसे बनी लावी गुमराह हुए।
12 et erunt eis primitiae de primitiis terrae sanctum sanctorum iuxta terminum Levitarum
और ज़मीन के हदिये में से बनी लावी के हिस्से से मुत्तसिल, यह उनके लिए हदिया होगा जो बहुत पाक ठहरेगा।
13 sed et Levitis similiter iuxta fines sacerdotum viginti quinque milia longitudinis et latitudinis decem milia omnis longitudo viginti et quinque milium et latitudo decem milium
और काहिनों की सरहद के सामने बनी लावी के लिए एक हिस्सा होगा, पच्चीस हज़ार लम्बा और दस हज़ार चौड़ा; उसकी कुल लम्बाई पच्चीस हज़ार और चौड़ाई दस हज़ार होगी।
14 et non venundabunt ex eo neque mutabunt nec transferentur primitiae terrae quia sanctificatae sunt Domino
और वह उसमें से न बेचे और न बदलें और न ज़मीन का पहला फल अपने क़ब्ज़े से निकलने दें, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द के लिए पाक है।
15 quinque milia autem quae supersunt in latitudine per viginti quinque milia profana erunt urbis in habitaculum et in suburbana et erit civitas in medio eius
और वह पाँच हज़ार की चौड़ाई का बाक़ी हिस्सा, उस पच्चीस हज़ार के सामने बस्ती और उसकी 'इलाक़े के लिए 'आम जगह होगी; और शहर उसके बीच में होगा।
16 et heae mensurae eius ad plagam septentrionalem quingenti et quattuor milia et ad plagam meridianam quingenti et quattuor milia et ad plagam orientalem quingenti et quattuor milia et ad plagam occidentalem quingenti et quattuor milia
और उसकी पैमाइश यह होगी, उत्तर की तरफ़ चार हज़ार पाँच सौ, और दक्खिन की तरफ़ चार हज़ार पाँच सौ, और पूरब की तरफ़ चार हज़ार पाँच सौ, और पच्छिम की तरफ़ चार हज़ार पाँच सौ,
17 erunt autem suburbana civitatis ad aquilonem ducenti quinquaginta et in meridie ducenti quinquaginta et ad orientem ducenti quinquaginta et ad mare ducenti quinquaginta
और शहर के 'इलाक़े उत्तर की तरफ़ दो सौ पचास, और दक्खिन की तरफ़ दो सौ पचास, और पूरब की तरफ़ दो सौ पचास, और पच्छिम की तरफ़ दो सौ पचास।
18 quod autem reliquum fuerit in longitudine secundum primitias sanctuarii decem milia in orientem et decem milia ad occidentem erunt sicut primitiae sanctuarii et erunt fruges eius in panes his qui serviunt civitati
और वह पाक हदिये के सामने बाक़ी लम्बाई पूरब की तरफ़ दस हज़ार और पच्छिम की तरफ़ दस हज़ार होगी, और वह पाक हदिये के सामने होगी और उसका हासिल उनकी ख़ुराक के लिए होगा जो शहर में काम करते हैं।
19 servientes autem civitati operabuntur ex omnibus tribubus Israhel
और शहर में काम करने वाले इस्राईल के सब क़बीलों में से उसमें काश्तकारी करेंगे।
20 omnes primitiae viginti quinque milium per viginti quinque milia in quadrum separabuntur in primitias sanctuarii et possessionem civitatis
हदिये के तमाम हिस्से की लम्बाई पच्चीस हज़ार और चौड़ाई पच्चीस हज़ार होगी; तुम पाक हदिये के हिस्से को मुरब्बा' शक्ल में शहर की मिल्क़ियत के साथ वक़्फ़ करोगे।
21 quod autem reliquum fuerit principis erit ex omni parte primitiarum sanctuarii et possessionis civitatis e regione viginti quinque milium primitiarum usque ad terminum orientalem sed et ad mare e regione viginti quinque milium usque ad terminum maris similiter in partibus principis erit et erunt primitiae sanctuarii et sanctuarium templi in medio eius
और बाक़ी जो पाक हदिये का हिस्सा और शहर की मिल्क़ियत की दोनों तरफ़ जो हदिये के हिस्से के पच्चीस हज़ार के सामने पच्छिम की तरफ़ फ़रमरवा के हिस्सों के सामने है; वह फ़रमारवा के लिए होगा और वह पाक हदिये का हिस्सा होगा, और पाक घर उसके बीच में होगा।
22 de possessione autem Levitarum et de possessione civitatis in medio partium principis erit inter terminum Iuda et inter terminum Beniamin et ad principem pertinebit
और बनी लावी की मिल्क़ियत से और शहर की मिल्क़ियत से जो फ़रमरवा की मिल्क़ियत के बीच में है, यहूदाह की सरहद और बिनयमीन की सरहद के बीच फ़रमरवा के लिए होगी।
23 et reliquis tribubus a plaga orientali usque ad plagam occidentalem Beniamin una
और बाक़ी क़बाइल के लिए यूँ होगा: कि पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, बिनयमीन के लिए एक हिस्सा।
24 et contra terminum Beniamin a plaga orientali usque ad plagam occidentalem Symeon una
और बिनयमीन की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, शमौन के लिए एक हिस्सा।
25 et super terminum Symeonis a plaga orientali usque ad plagam occidentis Isachar una
और शमौन की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, इश्कार के लिए एक हिस्सा।
26 et super terminum Isachar a plaga orientali usque ad plagam occidentalem Zabulon una
और इश्कार की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, ज़बूलून के लिए एक हिस्सा।
27 et super terminum Zabulon a plaga orientali usque ad plagam maris Gad una
और ज़बूलून की सरहद से मुत्तसिल पूरबी सरहद से पच्छिमी सरहद तक, जद्द के लिए एक हिस्सा।
28 et super terminum Gad ad plagam austri in meridiem et erit finis de Thamar usque ad aquas Contradictionis Cades hereditas contra mare magnum
और जद्द की सरहद से मुत्तसिल दक्खिन की तरफ़ दक्खिनी किनारे की सरहद तमर से लेकर मरीबूत क़ादिस के पानी से नहर — ए — मिस्र से होकर बड़े समन्दर तक होगी।
29 haec est terra quam mittetis in sortem tribubus Israhel et hae partitiones earum ait Dominus Deus
यह वह सरज़मीन है जिसको तुम मीरास के लिए पर्ची डालकर क़बाइल — ए — इस्राईल में तक्सीम करोगे और यह उनके हिस्से हैं, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
30 et hii egressus civitatis a plaga septentrionali quingentos et quattuor milia mensurabis
और शहर के मख़ारिज यह हैं: उत्तर की तरफ़ की पैमाइश चार हज़ार पाँच सौ।
31 et portae civitatis in nominibus tribuum Israhel portae tres a septentrione porta Ruben una porta Iudae una porta Levi una
और शहर के फाटक क़बाइल — ए — इस्राईल से नामज़द होंगे: तीन फाटक उत्तर की तरफ़ — एक फाटक रूबिन का, एक यहूदाह का, एक लावी का;
32 et ad plagam orientalem quingentos et quattuor milia et portae tres porta Ioseph una porta Beniamin una porta Dan una
और पूरब की तरफ़ की पैमाईश चार हज़ार पाँच सौ, और तीन फाटक एक यूसुफ़ का एक बिनयमीन का और एक दान का।
33 et ad plagam meridianam quingentos et quattuor milia metieris portam Symeonis unam portam Isachar unam portam Zabulon unam
और दक्खिन की तरफ़ की पैमाईश चार हज़ार पाँच सौ, और तीन फाटक — एक शमौन का, एक इश्कार का, और एक ज़बूलून का।
34 et ad plagam occidentalem quingenti et quattuor milia portae eorum tres porta Gad una porta Aser una porta Nepthalim una
और पच्छिम की तरफ़ की पैमाइश चार हज़ार पाँच सौ और तीन फाटक — एक जद्द का, एक आशर का और एक नफ़्ताली का।
35 per circuitum decem et octo milia et nomen civitatis ex illa die Dominus ibidem
उसका मुहीत अठारह हज़ार और शहर का नाम उसी दिन से यह होगा कि “ख़ुदावन्द वहाँ है।”

< Hiezechielis Prophetæ 48 >