< Hiezechielis Prophetæ 26 >
1 et factum est in undecimo anno prima mensis factus est sermo Domini ad me dicens
१ग्यारहवें वर्ष के पहले महीने के पहले दिन को यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
2 fili hominis pro eo quod dixit Tyrus de Hierusalem euge confractae sunt portae populorum conversa est ad me implebor deserta est
२“हे मनुष्य के सन्तान, सोर ने जो यरूशलेम के विषय में कहा है, ‘अहा, अहा! जो देश-देश के लोगों के फाटक के समान थी, वह नाश हो गई! उसके उजड़ जाने से मैं भरपूर हो जाऊँगा।’
3 propterea haec dicit Dominus Deus ecce ego super te Tyre et ascendere faciam ad te gentes multas sicut ascendit mare fluctuans
३इस कारण परमेश्वर यहोवा कहता है: हे सोर, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ; और ऐसा करूँगा कि बहुत सी जातियाँ तेरे विरुद्ध ऐसी उठेंगी जैसे समुद्र की लहरें उठती हैं।
4 et dissipabunt muros Tyri et destruent turres eius et radam pulverem eius de ea et dabo eam in limpidissimam petram
४वे सोर की शहरपनाह को गिराएँगी, और उसके गुम्मटों को तोड़ डालेगी; और मैं उस पर से उसकी मिट्टी खुरचकर उसे नंगी चट्टान कर दूँगा।
5 siccatio sagenarum erit in medio maris quia ego locutus sum ait Dominus Deus et erit in direptionem gentibus
५वह समुद्र के बीच का जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा; क्योंकि परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है; और वह जाति-जाति से लुट जाएगा;
6 filiae quoque eius quae sunt in agro gladio interficientur et scient quia ego Dominus
६और उसकी जो बेटियाँ मैदान में हैं, वे तलवार से मारी जाएँगी। तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
7 quia haec dicit Dominus Deus ecce ego adducam ad Tyrum Nabuchodonosor regem Babylonis ab aquilone regem regum cum equis et curribus et equitibus et coetu populoque magno
७“क्योंकि परमेश्वर यहोवा यह कहता है, देख, मैं सोर के विरुद्ध राजाधिराज बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को घोड़ों, रथों, सवारों, बड़ी भीड़, और दल समेत उत्तर दिशा से ले आऊँगा।
8 filias tuas quae sunt in agro gladio interficiet et circumdabit te munitionibus et conportabit aggerem in gyro et levabit contra te clypeum
८तेरी जो बेटियाँ मैदान में हों, उनको वह तलवार से मारेगा, और तेरे विरुद्ध कोट बनाएगा और दमदमा बाँधेगा; और ढाल उठाएगा।
9 et vineas et arietes temperabit in muros tuos et turres tuas destruet in armatura sua
९वह तेरी शहरपनाह के विरुद्ध युद्ध के यन्त्र चलाएगा और तेरे गुम्मटों को फरसों से ढा देगा।
10 inundatione equorum eius operiet te pulvis eorum a sonitu equitum et rotarum et curruum movebuntur muri tui dum ingressus fuerit portas tuas quasi per introitus urbis dissipatae
१०उसके घोड़े इतने होंगे, कि तू उनकी धूलि से ढँप जाएगा, और जब वह तेरे फाटकों में ऐसे घुसेगा जैसे लोग नाकेवाले नगर में घुसते हैं, तब तेरी शहरपनाह सवारों, छकड़ों, और रथों के शब्द से काँप उठेगी।
11 ungulis equorum suorum conculcabit omnes plateas tuas populum tuum gladio caedet et statuae tuae nobiles in terram corruent
११वह अपने घोड़ों की टापों से तेरी सब सड़कों को रौंद डालेगा, और तेरे निवासियों को तलवार से मार डालेगा, और तेरे बल के खम्भें भूमि पर गिराए जाएँगे।
12 vastabunt opes tuas diripient negotiationes tuas et destruent muros tuos et domos tuas praeclaras subvertent et lapides tuos et ligna tua et pulverem tuum in medio aquarum ponent
१२लोग तेरा धन लूटेंगे और तेरे व्यापार की वस्तुएँ छीन लेंगे; वे तेरी शहरपनाह ढा देंगे और तेरे मनभाऊ घर तोड़ डालेंगे; तेरे पत्थर और काठ, और तेरी धूलि वे जल में फेंक देंगे।
13 et quiescere faciam multitudinem canticorum tuorum et sonitus cithararum tuarum non audietur amplius
१३और मैं तेरे गीतों का सुरताल बन्द करूँगा, और तेरी वीणाओं की ध्वनि फिर सुनाई न देगी।
14 et dabo te in limpidissimam petram siccatio sagenarum eris nec aedificaberis ultra quia ego locutus sum dicit Dominus Deus
१४मैं तुझे नंगी चट्टान कर दूँगा; तू जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा; और फिर बसाया न जाएगा; क्योंकि मुझ यहोवा ही ने यह कहा है, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है।
15 haec dicit Dominus Deus Tyro numquid non a sonitu ruinae tuae et gemitu interfectorum tuorum cum occisi fuerint in medio tui commovebuntur insulae
१५“परमेश्वर यहोवा सोर से यह कहता है, तेरे गिरने के शब्द से जब घायल लोग कराहेंगे और तुझ में घात ही घात होगा, तब क्या टापू न काँप उठेंगे?
16 et descendent de sedibus suis omnes principes maris et auferent exuvias suas et vestimenta sua varia abicient et induentur stupore in terra sedebunt et adtoniti super repentino casu tuo admirabuntur
१६तब समुद्र तट के सब प्रधान लोग अपने-अपने सिंहासन पर से उतरेंगे, और अपने बाग़े और बूटेदार वस्त्र उतारकर थरथराहट के वस्त्र पहनेंगे और भूमि पर बैठकर क्षण-क्षण में काँपेंगे; और तेरे कारण विस्मित रहेंगे।
17 et adsumentes super te lamentum dicent tibi quomodo peristi quae habitas in mari urbs inclita quae fuisti fortis in mari cum habitatoribus tuis quos formidabant universi
१७वे तेरे विषय में विलाप का गीत बनाकर तुझ से कहेंगे, ‘हाय! मल्लाहों की बसाई हुई हाय! सराही हुई नगरी जो समुद्र के बीच निवासियों समेत सामर्थी रही और सब टिकनेवालों की डरानेवाली नगरी थी, तू कैसी नाश हुई है?
18 nunc stupebunt naves in die pavoris tui et turbabuntur insulae in mari eo quod nullus egrediatur ex te
१८तेरे गिरने के दिन टापू काँप उठेंगे, और तेरे जाते रहने के कारण समुद्र से सब टापू घबरा जाएँगे।’
19 quia haec dicit Dominus Deus cum dedero te urbem desolatam sicut civitates quae non habitantur et adduxero super te abyssum et operuerint te aquae multae
१९“क्योंकि परमेश्वर यहोवा यह कहता है: जब मैं तुझे निर्जन नगरों के समान उजाड़ करूँगा और तेरे ऊपर महासागर चढ़ाऊँगा, और तू गहरे जल में डूब जाएगा,
20 et detraxero te cum his qui descendunt in lacum ad populum sempiternum et conlocavero te in terra novissima sicut solitudines veteres cum his qui deducuntur in lacum ut non habiteris porro dedero gloriam in terra viventium
२०तब गड्ढे में और गिरनेवालों के संग मैं तुझे भी प्राचीन लोगों में उतार दूँगा; और गड्ढे में और गिरनेवालों के संग तुझे भी नीचे के लोक में रखकर प्राचीनकाल के उजड़े हुए स्थानों के समान कर दूँगा; यहाँ तक कि तू फिर न बसेगा और न जीवन के लोक में कोई स्थान पाएगा।
21 in nihilum redigam te et non eris et requisita non invenieris ultra in sempiternum dicit Dominus Deus
२१मैं तुझे घबराने का कारण करूँगा, और तू भविष्य में फिर न रहेगा, वरन् ढूँढ़ने पर भी तेरा पता न लगेगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।”