< Deuteronomii 7 >

1 cum introduxerit te Dominus Deus tuus in terram quam possessurus ingredieris et deleverit gentes multas coram te Hettheum et Gergeseum et Amorreum Chananeum et Ferezeum et Eveum et Iebuseum septem gentes multo maioris numeri quam tu es et robustiores te
जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें उस देश में प्रवेश करा देंगे, तुम जिस देश पर अधिकार करने पर हो और याहवेह तुम्हारे परमेश्वर, तुम्हारे सामने से अमोरियों, कनानियों, हित्तियों, परिज्ज़ियों, हिव्वियों, यबूसियों तथा गिर्गाशियों जैसी अनेक जनताओं को, जो तुमसे अधिक मजबूत और गिनती में तुमसे अधिक हैं, वहां से निष्कासित कर देंगे,
2 tradideritque eas Dominus Deus tuus tibi percuties eas usque ad internicionem non inibis cum eis foedus nec misereberis earum
और जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, उन्हें तुम्हें सौंपेंगे और तुम उन्हें हरा दोगे, तब तुम उन्हें पूरी तरह नाश कर दोगे. तुम उनके साथ किसी भी प्रकार की वाचा स्थापित नहीं करोगे, न उनके प्रति किसी प्रकार की सहानुभूति ही दिखाओगे.
3 neque sociabis cum eis coniugia filiam tuam non dabis filio eius nec filiam illius accipies filio tuo
इसके अलावा, तुम उनके साथ वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं करोगे; न उनके पुत्रों को अपनी पुत्रियां दोगे और न अपने पुत्रों के लिए उनकी पुत्रियों को अपनाओगे,
4 quia seducet filium tuum ne sequatur me et ut magis serviat diis alienis irasceturque furor Domini et delebit te cito
क्योंकि वे तुम्हारे पुत्रों को मेरा अनुसरण करने से भटका देंगी, कि तुम पराए देवताओं की उपासना करने लगोगे. तब तो याहवेह का क्रोध तुम पर भड़क जाएगा, और वह बिना देरी के तुम्हें नाश कर देंगे.
5 quin potius haec facietis eis aras eorum subvertite confringite statuas lucosque succidite et sculptilia conburite
उनके विषय में तुम्हारी नीति यह होगी: तुम उनकी वेदियां ध्वस्त कर दोगे, उनके लिए पवित्र उनके खंभों को तोड़ दोगे, उनके लिए पवित्र अशेराह खंभों को काट डालोगे, और उनकी मूर्तियों को भस्म कर दोगे.
6 quia populus sanctus es Domino Deo tuo te elegit Dominus Deus tuus ut sis ei populus peculiaris de cunctis populis qui sunt super terram
क्योंकि तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए अलग की गई प्रजा हो, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें पृथ्वी के सारे राष्ट्रों में से अपनी निज प्रजा होने के लिया चुना है.
7 non quia cunctas gentes numero vincebatis vobis iunctus est Dominus et elegit vos cum omnibus sitis populis pauciores
याहवेह ने तुम्हें अपना प्रेम पात्र इसलिये नहीं बना लिया और तुम्हें इसलिये नहीं चुन लिया, कि तुम अन्य राष्ट्रों की तुलना में गिनती में अधिक थे, वस्तुतः तुम तो सभी राष्ट्रों की तुलना में बहुत कम ही थे.
8 sed quia dilexit vos Dominus et custodivit iuramentum quod iuravit patribus vestris eduxitque vos in manu forti et redemit de domo servitutis de manu Pharaonis regis Aegypti
मगर यह इसलिये कि याहवेह ने तुमसे प्रेम किया और अपनी उस प्रतिज्ञा को पूरी की, जो उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से शपथपूर्वक की थी. याहवेह ने तुम्हें अपनी समर्थ भुजा के द्वारा निकाला था, दासत्व के जीवन से मुक्त किया; मिस्र के राजा फ़रोह के बंधन से.
9 et scies quia Dominus Deus tuus ipse est Deus fortis et fidelis custodiens pactum et misericordiam diligentibus se et his qui custodiunt praecepta eius in mille generationes
तब यह समझ लो, कि याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ही, परमेश्वर हैं. वह विश्वासयोग्य परमेश्वर हैं, वह सहस्र पीढ़ी तक अपनी वाचा और अपार प्रेम उन पर स्थायी रखते हैं, जो उनसे प्रेम करते और उनके आदेशों का पालन करते हैं.
10 et reddens odientibus se statim ita ut disperdat eos et ultra non differat protinus eis restituens quod merentur
लेकिन वे उन लोगों को दंडित करने और उन्हें नष्ट करने में संकोच नहीं करेंगे, जो उनसे घृणा करते हैं; वे उन लोगों से विलंब न करते हुए मुह तोड़ बदला लेंगे, जो उनसे नफरत करते हैं.
11 custodi ergo praecepta et caerimonias atque iudicia quae ego mando tibi hodie ut facias
फिर आज मैं तुम्हें जैसा आदेश दे रहा हूं, तुम उन आदेशों, नियमों और विधियों का पालन करोगे.
12 si postquam audieris haec iudicia custodieris ea et feceris custodiet et Dominus Deus tuus tibi pactum et misericordiam quam iuravit patribus tuis
फिर इसका परिणाम यह होगा कि जब तुमने इन विधियों के प्रति सावधानी रखी और उनका पालन करते रहे हो, तो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर भी तुम्हारे साथ अपनी वाचा का पालन करेंगे, अपना अपार प्रेम तुम पर बनाए रखेंगे, जैसे उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी.
13 et diliget te ac multiplicabit benedicetque fructui ventris tui et fructui terrae tuae frumento tuo atque vindemiae oleo et armentis gregibus ovium tuarum super terram pro qua iuravit patribus tuis ut daret eam tibi
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुमसे प्रेम करेंगे, तुम्हें समृद्धि देंगे और तुम्हारी गिनती में बढ़ौत्तरी करेंगे. वह तुम्हारे गर्भ के फल को, तुम्हारी भूमि की उपज—तुम्हारे नए अंगूरों के रस और तुम्हारे जैतून के तेल—को आशीषित करेंगे. उस देश में जिसकी प्रतिज्ञा उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों से की थी, तुम्हारे पशुओं में वृद्धि होती रहेगी और तुम्हारी भेड़-बकरियों के मेमनों में भी वृद्धि होगी.
14 benedictus eris inter omnes populos non erit apud te sterilis utriusque sexus tam in hominibus quam in gregibus tuis
तुम सभी राष्ट्रों की तुलना में अधिक समृद्ध होओगे. तुममें अथवा तुम्हारे पशुओं में कोई भी नर अथवा मादा बांझ न होगी.
15 auferet Dominus a te omnem languorem et infirmitates Aegypti pessimas quas novisti non inferet tibi sed cunctis hostibus tuis
याहवेह तुम्हारे बीच से सभी रोगों को निरस्त कर देंगे. वह तुम पर मिस्र देश की कोई भी भयंकर बीमारी हावी न होने देंगे, जो तुमने मिस्र देश में देखी थी; मगर वह इन रोगों को उन पर प्रभावी कर देंगे, जो तुमसे घृणा करते हैं.
16 devorabis omnes populos quos Dominus Deus tuus daturus est tibi non parcet eis oculus tuus nec servies diis eorum ne sint in ruinam tui
तुम उन सभी राष्ट्रों को मिटा डालोगे, जिन्हें याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें सौंपने पर हैं. तुम्हारी आंखों में उनके प्रति ज़रा भी कृपा न आएगी और न तुम उनके देवताओं की उपासना करोगे; क्योंकि यही तुम्हारे लिए फंदा हो जाएगा.
17 si dixeris in corde tuo plures sunt gentes istae quam ego quomodo potero delere eas
यदि तुम्हारे मन में यह विचार आए, “ये जनता तो हमसे अधिक मजबूत हैं. हम कैसे उन्हें यहां से निकालेंगे?”
18 noli metuere sed recordare quae fecerit Dominus Deus tuus Pharaoni et cunctis Aegyptiis
तब तुम उनसे भयभीत न होओगे. सही होगा कि तुम यह याद करो कि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने फ़रोह और सारे मिस्र के साथ क्या किया था.
19 plagas maximas quas viderunt oculi tui et signa atque portenta manumque robustam et extentum brachium ut educeret te Dominus Deus tuus sic faciet cunctis populis quos metuis
खुद तुम्हारे द्वारा देखी गईं वे भयानक विपत्तियां, वे चिन्ह, चमत्कार और मजबूत भुजा और बढ़ाए हुए हाथ, जिसके द्वारा याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें निकाल लिया. याहवेह तुम्हारे परमेश्वर उन सभी राष्ट्रों के साथ, जो आज तुम्हारे लिए भय का विषय हैं, वही सब करेंगे.
20 insuper et crabrones mittet Dominus Deus tuus in eos donec deleat omnes atque disperdat qui te fugerint et latere potuerint
इसके अलावा याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर उनका मन कच्चा कर देंगे, जिससे कि वे, जो बचे हैं और तुमसे छिपे हुए हैं, नाश हो ही जाएंगे.
21 non timebis eos quia Dominus Deus tuus in medio tui est Deus magnus et terribilis
तुम उनसे भयभीत न होओगे, क्योंकि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे बीच में हैं, वह, जो सर्वशक्तिमान और भय-योग्य परमेश्वर हैं.
22 ipse consumet nationes has in conspectu tuo paulatim atque per partes non poteris delere eas pariter ne forte multiplicentur contra te bestiae terrae
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे सामने से इन सारी जनताओं को धीरे धीरे खदेड़ते चले जाएंगे. तुम्हारे लिए उन्हें शीघ्रतापूर्वक समाप्‍त करना असंभव होगा, क्योंकि उस स्थिति में वन्य पशुओं की गिनती बहुत बढ़ जाएगी.
23 dabitque eos Dominus Deus tuus in conspectu tuo et interficiet illos donec penitus deleantur
मगर याहवेह तुम्हारे परमेश्वर उन्हें तुम्हें सौंपते जाएंगे और उनको बहुत व्याकुल कर देंगे, जिससे वे नाश हो जाएंगे.
24 tradet reges eorum in manus tuas et disperdes nomina eorum sub caelo nullus poterit resistere tibi donec conteras eos
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, उनके राजाओं को तुम्हारे हाथों में सौंप देंगे, कि तुम पृथ्वी पर से उनका अस्तित्व ही मिटा दो. कोई भी इस योग्य न पाया जाएगा कि तुम्हारा सामना कर सके और तुम उन्हें नाश कर दोगे.
25 sculptilia eorum igne conbures non concupisces argentum et aurum de quibus facta sunt neque adsumes ex eis tibi quicquam ne offendas propter ea quia abominatio est Domini Dei tui
तुम उनकी ढली हुई मूर्तियों को दाह कर दोगे. तुम उन मूर्तियों के चांदी और सोने का लालच नहीं करोगे और न इन्हें अपने पास रख लोगे, नहीं तो यह तुम्हारे लिए फंदा सिद्ध होगा, क्योंकि यह याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में घृणित है.
26 nec inferes quippiam ex idolo in domum tuam ne fias anathema sicut et illud est quasi spurcitiam detestaberis et velut inquinamentum ac sordes abominationi habebis quia anathema est
तुम कोई भी घृणित वस्तु अपने घर में लेकर न आओगे, नहीं तो तुम खुद उसके समान ही विनाश के योग्य हो जाओगे. तुम इससे पूरी तरह घृणा करोगे, क्योंकि यह वह वस्तु है, जो अशुद्ध है.

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