< Deuteronomii 24 >

1 si acceperit homo uxorem et habuerit eam et non invenerit gratiam ante oculos eius propter aliquam foeditatem scribet libellum repudii et dabit in manu illius et dimittet eam de domo sua
अगर कोई मर्द किसी 'औरत से ब्याह करे और पीछे उसमे कोई ऐसी बेहूदा बात पाए जिससे उस 'औरत की तरफ़ उसकी उनसियत न रहे, तो वह उसका तलाक़ नामा लिख कर उसके हवाले करे और उसे अपने घर से निकाल दे।
2 cumque egressa alterum maritum duxerit
और जब वह उसके घर से निकल जाए, तो वह दूसरे मर्द की हो सकती है।
3 et ille quoque oderit eam dederitque ei libellum repudii et dimiserit de domo sua vel certe mortuus fuerit
लेकिन अगर दूसरा शौहर भी उससे नाख़ुश रहे, और उसका तलाक़नामा लिखकर उसके हवाले करे और उसे अपने घर से निकाल दे या वह दूसरा शौहर जिसने उससे ब्याह किया हो मर जाए,
4 non poterit prior maritus recipere eam in uxorem quia polluta est et abominabilis facta est coram Domino ne peccare facias terram tuam quam Dominus Deus tuus tibi tradiderit possidendam
तो उसका पहला शौहर जिसने उसे निकाल दिया था उस 'औरत के नापाक हो जाने के बाद फिर उससे ब्याह न करने पाए, क्यूँकि ऐसा काम ख़ुदावन्द के नज़दीक मकरूह है। इसलिए तू उस मुल्क को जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा मीरास के तौर पर तुझको देता है, गुनाहगार न बनाना।
5 cum acceperit homo nuper uxorem non procedet ad bellum nec ei quippiam necessitatis iniungetur publicae sed vacabit absque culpa domui suae ut uno anno laetetur cum uxore sua
जब किसी ने कोई नई 'औरत ब्याही हो, तो वह जंग के लिए न जाए और न कोई काम उसके सुपुर्द हो। वह साल भर तक अपने ही घर में आज़ाद रह कर अपनी ब्याही हुई बीवी को ख़ुश रख्खे।
6 non accipies loco pignoris inferiorem et superiorem molam quia animam suam adposuit tibi
कोई शख़्स चक्की को या उसके ऊपर के पाट को गिरवी न रख्खे, क्यूँकि यह तो जैसे आदमी की जान को गिरवी रखना है।
7 si deprehensus fuerit homo sollicitans fratrem suum de filiis Israhel et vendito eo accipiens pretium interficietur et auferes malum de medio tui
अगर कोई शख़्स अपने इस्राईली भाइयों में से किसी को ग़ुलाम बनाए या बेचने की नियत से चुराता हुआ पकड़ा जाए, तो वह चोर मार डाला जाए। यूँ तू ऐसी बुराई अपने बीच से दफ़ा' करना।
8 observa diligenter ne incurras in plagam leprae sed facies quaecumque docuerint te sacerdotes levitici generis iuxta id quod praecepi eis et imple sollicite
तू कोढ़ की बीमारी की तरफ़ से होशियार रहना, और लावी काहिनों की सब बातों को जो वह तुमको बताएँ जानफ़िशानी से मानना और उनके मुताबिक़ 'अमल करना; जैसा मैंने उनको हुक्म किया है वैसा ही ध्यान देकर करना।
9 mementote quae fecerit Dominus Deus vester Mariae in via cum egrederemini de Aegypto
तू याद रखना कि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने जब तुम मिस्र से निकलकर आ रहे थे, तो रास्ते में मरियम से क्या किया।
10 cum repetes a proximo tuo rem aliquam quam debet tibi non ingredieris domum eius ut pignus auferas
जब तू अपने भाई को कुछ क़र्ज़ दे, तो गिरवी की चीज़ लेने को उसके घर में न घुसना।
11 sed stabis foris et ille tibi proferet quod habuerit
तू बाहर ही खड़े रहना, और वह शख़्स जिसे तू क़र्ज़ दे खु़द गिरवी की चीज़ बाहर तेरे पास लाए।
12 sin autem pauper est non pernoctabit apud te pignus
और अगर वह शख़्स ग़रीब हो, तो उसकी गिरवी की चीज़ को पास रखकर सो न जाना;
13 sed statim reddes ei ante solis occasum ut dormiens in vestimento suo benedicat tibi et habeas iustitiam coram Domino Deo tuo
बल्कि जब आफ़ताब गु़रूब होने लगे, तो उसकी चीज़ उसे लौटा देना ताकि वह अपना ओढ़ना ओढ़कर सोए और तुझको दुआ दे; और यह बात तेरे लिए ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के सामने रास्तबाज़ी ठहरेगी।
14 non negabis mercedem indigentis et pauperis fratris tui sive advenae qui tecum moratur in terra et intra portas tuas est
तू अपने ग़रीब और मोहताज ख़ादिम पर जु़ल्म न करना, चाहे वह तेरे भाइयों में से हो चाहे उन परदेसियों में से जो तेरे मुल्क के अन्दर तेरी बस्तियों में रहते हों।
15 sed eadem die reddes ei pretium laboris sui ante solis occasum quia pauper est et ex eo sustentat animam suam ne clamet contra te ad Dominum et reputetur tibi in peccatum
तू उसी दिन इससे पहले कि आफ़ताब ग़ुरूब हो उसकी मज़दूरी उसे देना, क्यूँकि वह ग़रीब है और उसका दिल मज़दूरी में लगा रहता है; ऐसा न हो कि वह ख़ुदावन्द से तेरे ख़िलाफ़ फ़रियाद करे और यह तेरे हक़ में गुनाह ठहरे।
16 non occidentur patres pro filiis nec filii pro patribus sed unusquisque pro suo peccato morietur
बेटों के बदले बाप मारे न जाएँ न बाप के बदले बेटे मारे जाएँ। हर एक अपने ही गुनाह की वजह से मारा जाए।
17 non pervertes iudicium advenae et pupilli nec auferes pignoris loco viduae vestimentum
तू परदेसी या यतीम के मुक़द्दमे को न बिगाड़ना, और न बेवा के कपड़े को गिरवी रखना;
18 memento quod servieris in Aegypto et eruerit te Dominus Deus tuus inde idcirco praecipio tibi ut facias hanc rem
बल्कि याद रखना कि तू मिस्र में ग़ुलाम था, और ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको वहाँ से छुड़ाया; इसीलिए मैं तुझको इस काम के करने का हुक्म देता हूँ।
19 quando messueris segetem in agro tuo et oblitus manipulum reliqueris non reverteris ut tollas eum sed advenam et pupillum et viduam auferre patieris ut benedicat tibi Dominus Deus tuus in omni opere manuum tuarum
जब तू अपने खेत की फ़सल काटे और कोई पूला खेत में भूल से रह जाए, तो उसके लेने को वापस न जाना, वह परदेसी और यतीम और बेवा के लिए रहे; ताकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे सब कामों में जिनको तू हाथ लगाये तुझको बरकत बख़्शे।
20 si fruges colliges olivarum quicquid remanserit in arboribus non reverteris ut colligas sed relinques advenae pupillo ac viduae
जब तू अपने ज़ैतून के दरख़्त को झाड़े, तो उसके बाद उसकी शाख़ों को दोबारा न झाड़ना; बल्कि वह परदेसी और यतीम और बेवा के लिए रहें।
21 si vindemiaveris vineam tuam non colliges remanentes racemos sed cedent in usus advenae pupilli ac viduae
जब तू अपने ताकिस्तान के अंगूरों को जमा' करे, तो उसके बाद उसका दाना — दाना न तोड़ लेना; वह परदेसी और यतीम और बेवा के लिए रहे।
22 memento quod et tu servieris in Aegypto et idcirco praecipiam tibi ut facias hanc rem
और याद रखना कि तू मुल्क — ए — मिस्र में ग़ुलाम था; इसी लिए मैं तुझको इस काम के करने का हुक्म देता हूँ।

< Deuteronomii 24 >