< Deuteronomii 22 >

1 non videbis bovem fratris tui aut ovem errantem et praeteribis sed reduces fratri tuo
तुम अपने इस्राएली भाई के किसी बैल अथवा भेड़ को भटकते देखकर उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. निश्चयतः तुम उसे उसके स्वामी के घर पर छोड़ दोगे.
2 etiam si non est propinquus tuus frater nec nosti eum duces in domum tuam et erunt apud te quamdiu quaerat ea frater tuus et recipiat
यदि वह इस्राएली तुम्हारे निकट नहीं रहता, अथवा यदि तुम उससे परिचित नहीं हो, तब तुम उस पशु को अपने ही घर पर ले आओगे और वह उस समय तक तुम्हारी देखरेख में रहेगा, जब तक उसका स्वामी उसकी खोज करता हुआ तुम्हारे घर तक न आ पहुंचे. तब तुम उसे लौटा दोगे.
3 similiter facies de asino et de vestimento et de omni re fratris tui quae perierit si inveneris eam ne neglegas quasi alienam
यही तुम उसके गधे के साथ, उसके वस्त्र के साथ, उसकी किसी भी खोई हुई वस्तु के साथ करोगे, जो तुम्हें प्राप्‍त हो गई है. तुम इनकी अनदेखी न करो.
4 si videris asinum fratris tui aut bovem cecidisse in via non despicies sed sublevabis cum eo
यदि तुम्हारे किसी स्वदेशी का गधा अथवा बैल मार्ग में गिर पड़ा है, तो तुम उसकी उपेक्षा नहीं करोगे. तुम्हें उन्हें उठाकर खड़ा करने में सहायता करनी ही होगी.
5 non induetur mulier veste virili nec vir utetur veste feminea abominabilis enim apud Deum est qui facit haec
कोई भी स्त्री-पुरुष के वस्त्र धारण नहीं करेगी और न ही कोई पुरुष स्त्री के; क्योंकि जो कोई यह करता है, याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए घृणित है.
6 si ambulans per viam in arbore vel in terra nidum avis inveneris et matrem pullis vel ovis desuper incubantem non tenebis eam cum filiis
यदि तुम्हें मार्ग में किसी वृक्ष में अथवा भूमि पर किसी पक्षी का नीड़ मिल जाए, जिसमें उसके चूज़े अथवा अंडे हों, और माता पक्षी उन चूज़ों अथवा अण्डों को सहेजे बैठी हो,
7 sed abire patieris captos tenens filios ut bene sit tibi et longo vivas tempore
तुम उस माता पक्षी को उसके चूज़ों से अलग नहीं करोगे, ताकि तुम्हारा भला हो और तुम्हारी उम्र बहुत बढ़ जाए.
8 cum aedificaveris domum novam facies murum tecti per circuitum ne effundatur sanguis in domo tua et sis reus labente alio et in praeceps ruente
जब तुम नए घर का निर्माण करो, तो तुम अपने लिए छत के लिए एक मुण्डेर ज़रूर बनवाना, जिससे कि तुम खुद पर हत्या का दोष न ले आओ, यदि कोई छत से नीचे आ गिरे.
9 non seres vineam tuam altero semine ne et sementis quam sevisti et quae nascuntur ex vinea pariter sanctificentur
अपने अंगूर के बगीचे में तुम दो विभिन्‍न प्रकार के बीजों को नहीं बोओगे, नहीं तो उन दोनों बीजों की समग्र उपज दूषित हो जाएगी.
10 non arabis in bove simul et asino
अपने हल में तुम बैल और गधे को साथ साथ नहीं जोतोगे.
11 non indueris vestimento quod ex lana linoque contextum est
तुम ऐसा वस्त्र धारण नहीं करोगे, जो ऊन और सन के मिश्रण से तैयार किया गया है.
12 funiculos in fimbriis facies per quattuor angulos pallii tui quo operieris
तुम अपने बाहरी वस्त्र के चारों कोनों पर फुन्दनों को बनाया करोगे.
13 si duxerit vir uxorem et postea eam odio habuerit
यदि कोई पुरुष विवाह करता, पत्नी से शारीरिक संबंध करता और उससे अलग हो जाता है,
14 quaesieritque occasiones quibus dimittat eam obiciens ei nomen pessimum et dixerit uxorem hanc accepi et ingressus ad eam non inveni virginem
इसके बाद उस पर निंदनीय कामों का आरोप लगाता है; यहां तक कि वह सार्वजनिक रूप से उस पर ये सारे लांछन भी लगाने लगता है, “मैंने इस स्त्री से विवाह किया मगर संबंध के समय पर मुझे उसमें कुंवारीपन के कोई लक्षण प्राप्‍त न हुए.”
15 tollent eam pater et mater eius et ferent secum signa virginitatis eius ad seniores urbis qui in porta sunt
तब कन्या के माता-पिता कन्या के कुंवारीपन का सबूत लेकर नगर प्रवेश पर नगर पुरनियों के सामने प्रस्तुत करेंगे.
16 et dicet pater filiam meam dedi huic uxorem quam quia odit
कन्या का पिता पुरनियों से कहेगा, “मैंने इस पुरुष से अपनी पुत्री का विवाह किया, मगर वह उसे अप्रिय लगने लगी है.
17 inponet ei nomen pessimum ut dicat non inveni filiam tuam virginem et ecce haec sunt signa virginitatis filiae meae expandent vestimentum coram senibus civitatis
यह भी देखिए कि वह हमारी पुत्री पर लज्जास्पद लांछन लगा रहा है! वह यहां तक घोषित कर रहा है मुझे आपकी पुत्री में कुंवारीपन का चिह्न प्राप्‍त नहीं हुआ.” मगर यह देखिए: यह है हमारी पुत्री के कुंवारीपन का सबूत. माता-पिता उस वस्त्र को उन पुरनियों के सामने फैला देंगे,
18 adprehendentque senes urbis illius virum et verberabunt illum
फिर नगर पुरनिए उस व्यक्ति को प्रताड़ित करेंगे.
19 condemnantes insuper centum siclis argenti quos dabit patri puellae quoniam diffamavit nomen pessimum super virginem Israhel habebitque eam uxorem et non poterit dimittere omni tempore vitae suae
वे उस पुरुष पर चांदी के एक सौ शेकेल का जुर्माना आरोपित करेंगे, जिसे लेकर वे उस कन्या के पिता को सौंप देंगे. कारण यह है कि उस पुरुष ने इस्राएल की उस कुंवारी कन्या को सार्वजनिक रूप से कलंकित किया है. वह आजीवन उसकी पत्नी रहेगी, उनका तलाक कभी न होगा.
20 quod si verum est quod obicit et non est in puella inventa virginitas
मगर यदि इसके विपरीत उस पुरुष का यह आरोप सत्य साबित हो जाता है, वह कन्या कुंवारी नहीं थी,
21 eicient eam extra fores domus patris sui et lapidibus obruent viri civitatis eius et morietur quoniam fecit nefas in Israhel ut fornicaretur in domo patris sui et auferes malum de medio tui
तब वे उस कन्या को उसके पिता के घर के द्वार पर लाएंगे और उस नगर के पुरुष उसको पथराव करके मार डालेंगे, क्योंकि उसने इस्राएल में यह अनाचार किया और अपने पिता के घर में ही वेश्यावृत्ति की है. यह करने के द्वारा तुम अपने बीच से बुराई को दूर कर दोगे.
22 si dormierit vir cum uxore alterius uterque morientur id est adulter et adultera et auferes malum de Israhel
यदि कोई पुरुष किसी दूसरे व्यक्ति की पत्नी के साथ संबंध बनाते हुए पाया जाए, तो दोनों ही मृत्यु दंड के योग्य हैं; वह पुरुष, जो उस स्त्री से संबंध बना रहा था और वह स्त्री भी. उस प्रकार तुम इस्राएल में से बुराई को दूर करोगे.
23 si puellam virginem desponderit vir et invenerit eam aliquis in civitate et concubuerit cum illa
यदि किसी कुंवारी कन्या जिसकी सगाई हो चुकी है, उससे कोई अन्य पुरुष नगर सीमा के भीतर ही संबंध बनाता है,
24 educes utrumque ad portam civitatis illius et lapidibus obruentur puella quia non clamavit cum esset in civitate vir quia humiliavit uxorem proximi sui et auferes malum de medio tui
तब तुम उन दोनों को नगर फाटक से बाहर ले जाओगे और दोनों ही को पथराव करके मार दोगे; कन्या का इसलिये कि उसने नगर में होने पर भी सहायता की गुहार नहीं लगाई और पुरुष का इसलिये कि उसने पड़ोसी की स्त्री का शीलभंग किया है. यह करके तुम अपने बीच से अनिष्ट का बहिष्कार कर दोगे.
25 sin autem in agro reppererit vir puellam quae desponsata est et adprehendens concubuerit cum illa ipse morietur solus
मगर इसके विपरीत यदि कोई पुरुष किसी विवाह के लिये वचनबद्ध जवान स्त्री को बाहर खेत में पाकर उसके साथ साथ बलात्कार करता है, तो उस पुरुष को मृत्यु दंड दिया जाए.
26 puella nihil patietur nec est rea mortis quoniam sicut latro consurgit contra fratrem suum et occidit animam eius ita et puella perpessa est
उस कन्या को कोई दंड न दिया जाए; उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अनाचार नहीं किया है. यह स्थिति वैसी है, जिसमें मानो किसी व्यक्ति ने घात लगाकर अपने पड़ोसी की हत्या कर दी हो,
27 sola erat in agro clamavit et nullus adfuit qui liberaret eam
जब खेत में उसने उस अकेली कुंवारी कन्या को पाया, उसने तो सहायता की गुहार लगाई थी, मगर उसकी रक्षा के लिए वहां कोई भी न था.
28 si invenerit vir puellam virginem quae non habet sponsum et adprehendens concubuerit cum ea et res ad iudicium venerit
यदि कोई पुरुष ऐसी कुंवारी को पाता है, जिसकी सगाई नहीं हुई है, वह उसे पकड़कर उससे संबंध बनाता है, और यह काम प्रकट हो जाता है,
29 dabit qui dormivit cum ea patri puellae quinquaginta siclos argenti et habebit eam uxorem quia humiliavit illam non poterit dimittere cunctis diebus vitae suae
तब वह संबंध बनानेवाला व्यक्ति कन्या के पिता को चांदी के पचास शेकेल देगा और वह कन्या उसकी पत्नी हो जाएगी; क्योंकि उस पुरुष ने उसका शीलभंग किया है. वह आजीवन उससे विवाह विच्छेद नहीं कर सकेगा.
30 non accipiet homo uxorem patris sui nec revelabit operimentum eius
कोई भी पुरुष अपने पिता की पत्नी से विवाह नहीं करेगा; कि वह ऐसा करने के द्वारा अपने पिता के प्रति लज्जा का कारण न हो जाए.

< Deuteronomii 22 >