< Deuteronomii 18 >
1 non habebunt sacerdotes et Levitae et omnes qui de eadem tribu sunt partem et hereditatem cum reliquo Israhel quia sacrificia Domini et oblationes eius comedent
लावी काहिनों या'नी लावी के क़बीले का कोई हिस्सा और मीरास इस्राईल के साथ न हो; वह ख़ुदावन्द की आतिशीन क़ुर्बानियाँ और उसी की मीरास खाया करें।
2 et nihil aliud accipient de possessione fratrum suorum Dominus enim ipse est hereditas eorum sicut locutus est illis
इसलिए उनके भाइयों के साथ उनको मीरास न मिले; ख़ुदावन्द उनकी मीरास है, जैसा उसने ख़ुद उनसे कहा है।
3 hoc erit iudicium sacerdotum a populo et ab his qui offerunt victimas sive bovem sive ovem immolaverint dabunt sacerdoti armum ac ventriculum
और जो लोग गाय — बैल या भेड़ या बकरी की क़ुर्बानी गुज़रानते हैं उनकी तरफ़ से काहिनों का यह हक़ होगा, कि वह काहिन को शाना और कनपटियाँ और झोझ दें।
4 primitias frumenti vini et olei et lanarum partem ex ovium tonsione
और तू अपने अनाज और मय और तेल के पहले फल में से, और अपनी भेड़ों के बाल में से जो पहली दफ़ा' कतरे जाएँ उसे देना।
5 ipsum enim elegit Dominus Deus tuus de cunctis tribubus tuis ut stet et ministret nomini Domini ipse et filii eius in sempiternum
क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने उसको तेरे सब क़बीलों में से चुन लिया है, ताकि वह और उसकी औलाद हमेशा ख़ुदावन्द के नाम से ख़िदमत के लिए हाज़िर रहें।
6 si exierit Levites de una urbium tuarum ex omni Israhel in qua habitat et voluerit venire desiderans locum quem elegerit Dominus
और तेरी जो बस्तियाँ सब इस्राईलियों में हैं उनमें से अगर कोई लावी किसी बस्ती से जहाँ वह बूद — ओ — बाश करता था आए, और अपने दिल की पूरी चाहत से उस जगह हाज़िर हो जिसको ख़ुदावन्द चुनेगा:
7 ministrabit in nomine Dei sui sicut omnes fratres eius Levitae qui stabunt eo tempore coram Domino
तो अपने सब लावी भाइयों की तरह जो वहाँ ख़ुदावन्द के सामने खड़े रहते हैं, वह भी ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के नाम से ख़िदमत करे।
8 partem ciborum eandem accipiet quam et ceteri excepto eo quod in urbe sua ex paterna ei successione debetur
और उन सबको खाने को बराबर हिस्सा मिले, 'अलावा उस क़ीमत के जो उसके बाप — दादा की मीरास बेचने से उसे हासिल हो।
9 quando ingressus fueris terram quam Dominus Deus tuus dabit tibi cave ne imitari velis abominationes illarum gentium
जब तू उस मुल्क में जो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुमको देता है पहुँच जाओ, तो वहाँ की क़ौमों की तरह मकरूह काम करने न सीखना।
10 nec inveniatur in te qui lustret filium suum aut filiam ducens per ignem aut qui ariolos sciscitetur et observet somnia atque auguria ne sit maleficus
तुझमें हरगिज़ कोई ऐसा न हो जो अपने बेटे या बेटी को आग में चलवाए, या फ़ालगीर या शगुन निकालने वाला या अफ़सूँनगर या जादूगर
11 ne incantator ne pythones consulat ne divinos et quaerat a mortuis veritatem
या मंतरी या जिन्नात का आशना या रम्माल या साहिर हो।
12 omnia enim haec abominatur Dominus et propter istiusmodi scelera delebit eos in introitu tuo
क्यूँकि वह सब जो ऐसा काम करते हैं ख़ुदावन्द के नज़दीक मकरूह हैं, और इन ही मकरूहात की वजह से ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनको तेरे सामने से निकालने पर है।
13 perfectus eris et absque macula cum Domino Deo tuo
तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने कामिल रहना।
14 gentes istae quarum possidebis terram augures et divinos audiunt tu autem a Domino Deo tuo aliter institutus es
क्यूँकि वह क़ौमें जिनका तू वारिस होगा शगुन निकालने वालों और फ़ालगीर की सुनती हैं; लेकिन तुझको ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने ऐसा करने न दिया।
15 prophetam de gente tua et de fratribus tuis sicut me suscitabit tibi Dominus Deus tuus ipsum audies
ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे लिए तेरे ही बीच से, या'नी तेरे ही भाइयों में से मेरी तरह एक नबी खड़ा करेगा तुम उसकी सुनना;
16 ut petisti a Domino Deo tuo in Horeb quando contio congregata est atque dixisti ultra non audiam vocem Domini Dei mei et ignem hunc maximum amplius non videbo ne moriar
यह तेरी उस दरख़्वास्त के मुताबिक़ होगा जो तूने ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से मजमे' के दिन होरिब में की थी, 'मुझको न तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की आवाज़ फिर सुननी पड़े और न ऐसी बड़ी आग ही का नज़ारा हो, ताकि मैं मर न जाऊँ।
17 et ait Dominus mihi bene omnia sunt locuti
और ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा कि “वह जो कुछ कहते हैं इसलिए ठीक कहते हैं।
18 prophetam suscitabo eis de medio fratrum suorum similem tui et ponam verba mea in ore eius loqueturque ad eos omnia quae praecepero illi
मैं उनके लिए उन ही के भाइयों में से तेरी तरह एक नबी खड़ा करूँगा, और अपना कलाम उसके मुँह में डालूँगा, और जो कुछ मैं उसे हुक्म दूँगा वही वह उनसे कहेगा।
19 qui autem verba eius quae loquetur in nomine meo audire noluerit ego ultor existam
और जो कोई मेरी उन बातों की जिनकी वह मेरा नाम लेकर कहेगा न सुने, तो मैं उनका हिसाब उनसे लूँगा।
20 propheta autem qui arrogantia depravatus voluerit loqui in nomine meo quae ego non praecepi illi ut diceret aut ex nomine alienorum deorum interficietur
लेकिन जो नबी गुस्ताख़ बन कर कोई ऐसी बात मेरे नाम से कहे, जिसके कहने का मैंने उसको हुक्म नहीं दिया या और मा'बूदों के नाम से कुछ कहे, तो वह नबी क़त्ल किया जाए।
21 quod si tacita cogitatione responderis quomodo possum intellegere verbum quod non est locutus Dominus
और अगर तू अपने दिल में कहे कि 'जो बात ख़ुदावन्द ने नहीं कही है, उसे हम क्यूँ कर पहचानें?'
22 hoc habebis signum quod in nomine Domini propheta ille praedixerit et non evenerit hoc Dominus non locutus est sed per tumorem animi sui propheta confinxit et idcirco non timebis eum
तो पहचान यह है, कि जब वह नबी ख़ुदावन्द के नाम से कुछ कहे और उसके कहे कि मुताबिक़ कुछ वाक़े' या पूरा न हो, तो वह बात ख़ुदावन्द की कही हुई नहीं; बल्कि उस नबी ने वह बात ख़ुद गुस्ताख़ बन कर कही है, तू उससे ख़ौफ़ न करना।