< Actuum Apostolorum 3 >

1 Petrus autem et Iohannes ascendebant in templum ad horam orationis nonam
एक दिन नवें घंटे पर, जो प्रार्थना का निर्धारित समय था, पेतरॉस और योहन मंदिर जा रहे थे.
2 et quidam vir qui erat claudus ex utero matris suae baiulabatur quem ponebant cotidie ad portam templi quae dicitur Speciosa ut peteret elemosynam ab introeuntibus in templum
उसी समय जन्म से अपंग एक व्यक्ति को भी वहां ले जाया जा रहा था, जिसे प्रतिदिन मंदिर के ओरियन अर्थात् सुंदर नामक द्वार पर छोड़ दिया जाता था कि वह वहां प्रवेश करते व्यक्तियों से भिक्षा विनती कर सके.
3 is cum vidisset Petrum et Iohannem incipientes introire in templum rogabat ut elemosynam acciperet
पेतरॉस और योहन को प्रवेश करते देख उसने उनसे भीख मांगी.
4 intuens autem in eum Petrus cum Iohanne dixit respice in nos
पेतरॉस तथा योहन ने उसकी ओर सीधे, एकटक देखते हुए कहा, “हमारी ओर देखो.”
5 at ille intendebat in eos sperans se aliquid accepturum ab eis
उनसे कुछ पाने की आशा में वह उन्हें ताकने लगा.
6 Petrus autem dixit argentum et aurum non est mihi quod autem habeo hoc tibi do in nomine Iesu Christi Nazareni surge et ambula
पेतरॉस ने उससे कहा, “चांदी और सोना तो मेरे पास है नहीं किंतु मैं तुम्हें वह देता हूं, जो मेरे पास है: नाज़रेथ के मसीह येशु के नाम में स्वस्थ हो जाओ और चलने लगो.”
7 et adprehensa ei manu dextera adlevavit eum et protinus consolidatae sunt bases eius et plantae
यह कहते हुए उन्होंने उसका दायां हाथ पकड़कर उसे उठाया. उसी क्षण उसके पांवों तथा टखनों में बल-संचार हुआ,
8 et exiliens stetit et ambulabat et intravit cum illis in templum ambulans et exiliens et laudans Dominum
वह उछलकर खड़ा हो गया और चलने लगा. उसने उनके साथ चलते, उछलते-कूदते, परमेश्वर का गुणगान करते हुए मंदिर में प्रवेश किया.
9 et vidit omnis populus eum ambulantem et laudantem Deum
वहां सभी ने उसे चलते फिरते और परमेश्वर का गुणगान करते हुए देखा.
10 cognoscebant autem illum quoniam ipse erat qui ad elemosynam sedebat ad Speciosam portam templi et impleti sunt stupore et extasi in eo quod contigerat illi
यह जानकर कि यह वही भिक्षुक है, जो मंदिर के सुंदर नामक द्वार पर बैठा करता था, वे उसमें यह परिवर्तन देख अचंभित और चकित रह गए.
11 cum teneret autem Petrum et Iohannem concurrit omnis populus ad eos ad porticum qui appellatur Salomonis stupentes
वह पेतरॉस और योहन का साथ छोड़ ही नहीं रहा था. वहां उपस्थित चकित भीड़ दौड़ती हुई उनके पास आकर शलोमोन के ओसारे में इकट्ठी होने लगी.
12 videns autem Petrus respondit ad populum viri israhelitae quid miramini in hoc aut nos quid intuemini quasi nostra virtute aut pietate fecerimus hunc ambulare
यह देख पेतरॉस, उन्हें संबोधित कर कहने लगे: “इस्राएली बंधुओं, आप इस व्यक्ति या हम पर इतने चकित क्यों हैं? हमें ऐसे क्यों देख रहे हैं मानो हमने ही इसे अपने सामर्थ्य और भक्ति के द्वारा चलने योग्य बनाया है?
13 Deus Abraham et Deus Isaac et Deus Iacob Deus patrum nostrorum glorificavit Filium suum Iesum quem vos quidem tradidistis et negastis ante faciem Pilati iudicante illo dimitti
अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब के परमेश्वर, हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने अपने सेवक मसीह येशु को गौरवान्वित किया, जिन्हें आप लोगों ने अस्वीकार करते हुए पिलातॉस के हाथों में सौंप दिया—जबकि पिलातॉस ने उन्हें छोड़ देने का निश्चय कर लिया था.
14 vos autem sanctum et iustum negastis et petistis virum homicidam donari vobis
आप लोगों ने एक पवित्र और धर्मी व्यक्ति को अस्वीकार कर एक हत्यारे को छुड़ा देने की विनती की.
15 auctorem vero vitae interfecistis quem Deus suscitavit a mortuis cuius nos testes sumus
तथा आपने जीवन के रचनेवाले को मार डाला, जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से जीवित कर दिया. हम इसके प्रत्यक्ष साक्षी हैं.
16 et in fide nominis eius hunc quem videtis et nostis confirmavit nomen eius et fides quae per eum est dedit integram sanitatem istam in conspectu omnium vestrum
मसीह येशु के नाम में विश्वास के कारण इस व्यक्ति में, जिसे आप जानते हैं, जिसे आप इस समय देख रहे हैं, बल-संचार हुआ है. यह व्यक्ति मसीह येशु के नाम में सशक्त किया गया और मसीह येशु में विश्वास के द्वारा पूरे रूप से स्वस्थ हुआ है, जैसा कि आप स्वयं देख सकते हैं.
17 et nunc fratres scio quia per ignorantiam fecistis sicut et principes vestri
“प्रियजन, मैं यह जानता हूं कि आपने मसीह येशु के विरुद्ध यह सब अज्ञानता के कारण किया है, ठीक जैसा आपके शासकों ने भी किया था.
18 Deus autem quae praenuntiavit per os omnium prophetarum pati Christum suum implevit sic
किंतु परमेश्वर ने सभी भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा यह पहले से ही घोषणा कर दी थी कि उनके मसीह के लिए यह यातना निर्धारित है. यह उसी की पूर्ति है.
19 paenitemini igitur et convertimini ut deleantur vestra peccata
इसलिये पश्चाताप कीजिए, परमेश्वर की ओर मन फिराइए कि आपके पाप मिटा दिए जाएं, जिसके फलस्वरूप प्रभु की ओर से आपके लिए विश्राम और शांति का समय आ जाए
20 ut cum venerint tempora refrigerii a conspectu Domini et miserit eum qui praedicatus est vobis Iesum Christum
और वह मसीह येशु को, जो आपके लिए पहले से ठहराए गए मसीह हैं, भेज दें,
21 quem oportet caelum quidem suscipere usque in tempora restitutionis omnium quae locutus est Deus per os sanctorum suorum a saeculo prophetarum (aiōn g165)
जिनका स्वर्ग के द्वारा स्वीकार किया जाना निश्चित है, जब तक परमेश्वर द्वारा हर एक वस्तु की पुनःस्थापना का समय न आ जाए, जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने प्राचीन काल में अपने भविष्यद्वक्ताओं के माध्यम से की थी. (aiōn g165)
22 Moses quidem dixit quia prophetam vobis suscitabit Dominus Deus vester de fratribus vestris tamquam me ipsum audietis iuxta omnia quaecumque locutus fuerit vobis
मोशेह ने यह घोषणा की थी: ‘प्रभु, तुम्हारे परमेश्वर, तुम्हारे बीच में, तुम्हारे ही लोगों में से तुम्हारे लिए मेरे समान एक भविष्यवक्ता को उठाएंगे. तुम उसी के आदेशों का पालन करोगे.
23 erit autem omnis anima quae non audierit prophetam illum exterminabitur de plebe
तथा हर एक, जो उसके आदेशों को अनसुना करे, तुम्हारे बीच से पूरी तरह नाश कर दिया जाए.’
24 et omnes prophetae a Samuhel et deinceps qui locuti sunt et adnuntiaverunt dies istos
“शमुएल भविष्यवक्ता से लेकर उनके बादवाले सभी भविष्यद्वक्ताओं द्वारा भी इन्हीं दिनों के विषय में घोषणा की गई है.
25 vos estis filii prophetarum et testamenti quod disposuit Deus ad patres vestros dicens ad Abraham et in semine tuo benedicentur omnes familiae terrae
तुम सब उन भविष्यद्वक्ताओं तथा उस वाचा की संतान हो, जिसकी स्थापना परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों के साथ अब्राहाम से यह कहते हुए की थी.
26 vobis primum Deus suscitans Filium suum misit eum benedicentem vobis ut convertat se unusquisque a nequitia sua
परमेश्वर ने अपने सेवक को मरे हुओं में से उठाकर सबसे पहले तुम्हारे पास भेज दिया कि वह तुममें से प्रत्येक को तुम्हारी बुराइयों से फेरकर आशीष प्रदान करें.”

< Actuum Apostolorum 3 >