< Actuum Apostolorum 16 >
1 pervenit autem in Derben et Lystram et ecce discipulus quidam erat ibi nomine Timotheus filius mulieris iudaeae fidelis patre gentili
तेबे से दिरबे और लुस्त्रा नगरो रे बी गया, और देखो, तेती तीमुथियुस नाओं रा एक चेला था, जो केसी विश्वासी यहूदिणिया रा पाऊ था, पर तेसरा पिता यूनान देशो रा रणे वाल़ा था।
2 huic testimonium reddebant qui in Lystris erant et Iconii fratres
से लुस्त्रा और इकुनियुम नगरो रे विश्वासी पाईया बीचे जाणेया-मानेया रा था।
3 hunc voluit Paulus secum proficisci et adsumens circumcidit eum propter Iudaeos qui erant in illis locis sciebant enim omnes quod pater eius gentilis esset
पौलुसो री इच्छा थी की ये बी मां साथे चलो और जो यहूदी लोक तिना जगा रे थे तिना री बजअ ते तेसरा खतना कित्तेया, कऊँकि सेयो सब जाणो थे कि एसरा पिता यूनान देशो रा रणे वाल़ा था।
4 cum autem pertransirent civitates tradebant eis custodire dogmata quae erant decreta ab apostolis et senioribus qui essent Hierosolymis
तेबे पौलुस और तिना रे साथी नगरो-नगरो रे जांदे ऊए तिना बिधिया खे, जो यरूशलेमो रे प्रेरिते और बुजुर्गे ठराई राखी थी, मानणे खे तिना खे पऊँछांदे जाओ थे।
5 et ecclesiae quidem confirmabantur fide et abundabant numero cotidie
ईंयां मण्डल़ी विश्वासो रे मजबूत ऊँदी रई और गिणतिया रे हर रोज बड़दी गयी।
6 transeuntes autem Frygiam et Galatiae regionem vetati sunt a Sancto Spiritu loqui verbum in Asia
तेबे सेयो फूगिया और गलातिया रे प्रदेशो रिये ऊँदे ऊए गये और पवित्र आत्मे तिना खे आसिया प्रदेशो रे वचन सुनाणे खे ना कित्ती।
7 cum venissent autem in Mysiam temptabant ire Bithyniam et non permisit eos Spiritus Iesu
तेबे तिने मूसिया प्रदेशो रे नेड़े पऊँछी की बितूनिया नगरो खे जाणा चाया, पर प्रभु यीशुए रे पवित्र आत्मे सेयो जाणे नि दित्ते।
8 cum autem pertransissent Mysiam descenderunt Troadem
तेबे सेयो मूसिया प्रदेशो रे ऊई की त्रोआसो नगरो खे आए।
9 et visio per noctem Paulo ostensa est vir macedo quidam erat stans et deprecans eum et dicens transiens in Macedoniam adiuva nos
तेबे पौलुसे राथियो खे दर्शन देखेया कि एक मकदुनी मर्द खड़े रा, तेसते बिनती करी की बोलोआ, “पार उतरी की मकिदुनिया खे आओ और आसा री मताद कर।”
10 ut autem visum vidit statim quaesivimus proficisci in Macedoniam certi facti quia vocasset nos Deus evangelizare eis
तेसरा ये दर्शन देखदे ई तिने फटाफट मकिदुनिया प्रदेशो खे जाणा चाया, ये समजी की कि परमेशरे सेयो सुसमाचार सुनाणे खे तेती बुलाई राखे।
11 navigantes autem a Troade recto cursu venimus Samothraciam et sequenti die Neapolim
तेबे त्रोआसो नगरो ते जाह्ज खोली की आसे सीदे सुमात्राके टापूए खे और दूजे दिने नियापुलिस नगरो खे आए।
12 et inde Philippis quae est prima partis Macedoniae civitas colonia eramus autem in hac urbe diebus aliquot conferentes
तेथा ते आसे फिलिप्पिया रे पऊँछे, जो मकिदुनिया प्रान्तो रा खास नगर और रोमिया री बस्ती थी और आसे तेस नगरो रे कई दिन तक रये।
13 die autem sabbatorum egressi sumus foras portam iuxta flumen ubi videbatur oratio esse et sedentes loquebamur mulieribus quae convenerant
आरामो रे दिने आसे नगरो रे फाटको ते बारे नदिया रे कनारे ये समजी की गये कि तेती प्रार्थना करने खे जगा ऊणी और बैठी की तिना जवाणसा साथे, जो कट्ठिया ऊईया थिया, गल्ला करने लगे।
14 et quaedam mulier nomine Lydia purpuraria civitatis Thyatirenorum colens Deum audivit cuius Dominus aperuit cor intendere his quae dicebantur a Paulo
लुदिया नाओं री थुआतीरा नगरो री, बैंगणी टाले बेचणे वाल़ी परमेशरो री एक भक्त जवाणस सुणने लगी री थी और प्रभुए तेसा रा मन खोलेया, ताकि से पौलुसो री गल्ला खे त्यान करी की सुणो।
15 cum autem baptizata esset et domus eius deprecata est dicens si iudicastis me fidelem Domino esse introite in domum meam et manete et coegit nos
जेबे तेसे आपणे कराने समेत बपतिस्मा लया, तेबे तेसे बिनती कित्ती, “जे तुसे माखे प्रभुए री विश्वासणी समजोए तो चली की मेरे कअरे रओ।”
16 factum est autem euntibus nobis ad orationem puellam quandam habentem spiritum pythonem obviare nobis quae quaestum magnum praestabat dominis suis divinando
जेबे सेयो प्रार्थना करने री जगा रे जाणे लगी रे थे, तेबे आसा खे एक दासी मिली, जेसा रे आऊणे वाल़े बखतो रे बारे रे बताणे वाल़ी दुष्टात्मा थी और जो एड़ा करने ते से आपणे स्वामिया खे बऊत कुछ कमाई की ली आओ थी।
17 haec subsecuta Paulum et nos clamabat dicens isti homines servi Dei excelsi sunt qui adnuntiant vobis viam salutis
से पौलुस और आसा पीछे आयी की चींगणे लगी कि, “यो मांणू परमप्रदान परमेशरो रे दास ए, जो आसा खे उद्धारो री कथा सुणाओए।”
18 hoc autem faciebat multis diebus dolens autem Paulus et conversus spiritui dixit praecipio tibi in nomine Iesu Christi exire ab ea et exiit eadem hora
से बऊत दिन तक एड़ा ई करदी रई। पर पौलुस दु: खी ऊईगा और मूँ फेरी की तेसा दुष्टात्मा खे बोलेया, “आऊँ ताखे प्रभु यीशु मसीह रे नाओं ते आज्ञा देऊँआ कि एसा बीचा ते निकल़ी जा और से तेसी बखते ई निकल़ी गी।”
19 videntes autem domini eius quia exivit spes quaestus eorum adprehendentes Paulum et Silam perduxerunt in forum ad principes
जेबे तेसा रे स्वामिए देखेया कि आसा री कमाईया री उम्मीद चली गी, तेबे सेयो पौलुस और सीलासो के पकड़ी की चौको रे प्रदाना गे खिंजी की लयी गे
20 et offerentes eos magistratibus dixerunt hii homines conturbant civitatem nostram cum sint Iudaei
और तिना खे यहूदिया रे हाकिमा गे लयी जाई की बोलेया, “यो लोक जो यहूदी ए, आसा रे नगरो रे बऊत जादा शोर-शराबा लगी रे करने।
21 et adnuntiant morem quem non licet nobis suscipere neque facere cum simus Romani
और एड़िया रवाजा बताणे लगी रे जिना खे ग्रहण करना या मानणा आसा रोमिया खे ठीक निए।”
22 et concurrit plebs adversus eos et magistratus scissis tunicis eorum iusserunt virgis caedi
तेबे पीड़ा रे लोक पौलुस और सीलासो रे बिरोदो रे कट्ठे ऊई की चढ़ी गे और हाकिमे तिना रे टाले फाड़ी की खोली ते और तिना खे डण्डे बाणे री आज्ञा दित्ती।
23 et cum multas plagas eis inposuissent miserunt eos in carcerem praecipientes custodi ut diligenter custodiret eos
तेबे तिना खे बऊत डण्डे बाई की सेयो जेला रे पाई ते और जेलरो खे आज्ञा दित्ती कि इना री चौकसी राखणी।
24 qui cum tale praeceptum accepisset misit eos in interiorem carcerem et pedes eorum strinxit in ligno
तिने एड़ी आज्ञा पाई की सेयो पीतरो री कोठरिया रे राखे और तिना रे पैर काठो रे ठोकी ते।
25 media autem nocte Paulus et Silas adorantes laudabant Deum et audiebant eos qui in custodia erant
तकरीबन आदी राथियो तक पौलुस और सीलास प्रार्थना करदे ऊए परमेशरो रे पजन लगी रे थे गाणे और बन्दुए तिना खे सुणने लगी रे थे।
26 subito vero terraemotus factus est magnus ita ut moverentur fundamenta carceris et aperta sunt statim ostia omnia et universorum vincula soluta sunt
तदुओ की एकदम बऊत बड़ा इल्लण ऊआ, एथो तक कि जेला री निऊँआ तक इल्ली गिया और फटाफट सब द्वार खुली गे और सबी रे बन्दन खुली गे।
27 expergefactus autem custos carceris et videns apertas ianuas carceris evaginato gladio volebat se interficere aestimans fugisse vinctos
तेबे जेलर जागी गा और जेला रे द्वार खुले देखी की समजेया कि बन्दुए नठीगे रे, तेबे तिने तलवार खिंजी की आपू खेई बाणी चायी।
28 clamavit autem Paulus magna voce dicens nihil feceris tibi mali universi enim hic sumus
पर तदुओ कि पौलुसे जोरे की बोलेया, “आपणे आपू खे कुछ बी नुकशाण नि पऊँचा, कऊँकि आसे सब एथी ए।”
29 petitoque lumine introgressus est et tremefactus procidit Paulo et Silae
तेबे जेलरे दिऊआ मंगवाई की पीतरो खे लमखणे लगेया और थरथरांदा ऊआ पौलुस और सीलासो रे आगे रूड़ेया।
30 et producens eos foras ait domini quid me oportet facere ut salvus fiam
तेबे तिने तिना खे बारे ल्याई की बोलेया, “ओ सज्जनो! उद्धार पाणे खे आऊँ क्या करुँ?”
31 at illi dixerunt crede in Domino Iesu et salvus eris tu et domus tua
तिने बोलेया, “प्रभु यीशुए पाँदे विश्वास कर, तेबे ताखे और तेरे कराने खे उद्धार मिलणा।”
32 et locuti sunt ei verbum Domini cum omnibus qui erant in domo eius
तेबे पौलुस और सिलासे तेसखे और तेसरे सारे कअरो रे लोका खे प्रभुए रा वचन सुणाया।
33 et tollens eos in illa hora noctis lavit plagas eorum et baptizatus est ipse et omnes eius continuo
तेबे राथियो खे तेसी कअड़िया रे जेलरे पौलुस और सिलास निए और तिना रे जख्म तोए और तिने आपणे लोका समेत फटाफट बपतिस्मा लया।
34 cumque perduxisset eos in domum suam adposuit eis mensam et laetatus est cum omni domo sua credens Deo
तेबे तिने सेयो आपणे कअरे निए और तिना खे रोटी खुल़ाई और सारा कराना परमेशरो पाँदे विश्वास करी की खुश ऊआ।
35 et cum dies factus esset miserunt magistratus lictores dicentes dimitte homines illos
जेबे दिन ऊआ, तेबे हाकिमे सिपाईया गे सन्देशा पेजेया, “तिना मांणूआ खे छाडी देओ।”
36 nuntiavit autem custos carceris verba haec Paulo quia miserunt magistratus ut dimittamini nunc igitur exeuntes ite in pace
जेलरे यो गल्ला पौलुसो गे बोलिया, “हाकिमे तुसा खे छाडणे खे बोली ता रा, तो एबे निकल़ी की बेफिकर ऊई की चली जाओ।”
37 Paulus autem dixit eis caesos nos publice indemnatos homines romanos miserunt in carcerem et nunc occulte nos eiciunt non ita sed veniant
पर पौलुसे तेसखे बोलेया, “तिने आसे, हालाँकि रोमी मांणू ए, दोषो ते बिना, लोका सामणे कुटे और जेला रे पाईते। एबे क्या चोरिए-चोरिए निकयाल़ी देओए? एड़ा नि ऊणा, पर सेयो आपू आयी की आसा खे बारे निकयाल़ी की लयी जाओ।”
38 et ipsi nos eiciant nuntiaverunt autem magistratibus lictores verba haec timueruntque audito quod Romani essent
सिपाईए ये गल्ल हाकिमा खे बोली ती और सेयो ये सुणी की सेयो कि रोमी ए, डरी गे।
39 et venientes deprecati sunt eos et educentes rogabant ut egrederentur urbem
तेबे तिने आयी की तिना ते माफी मांगी और बारे लयी जाई की बिनती कित्ती कि नगरो ते बारे चली जाओ।
40 exeuntes autem de carcere introierunt ad Lydiam et visis fratribus consolati sunt eos et profecti sunt
तेबे सेयो जेला ते निकल़ी की लुदिया रे कअरे गये और विश्वासी पाईया साथे मिली की तिना खे बोलेया तुसा खे शान्ति मिलो और चली गे।