< I Samuelis 23 >

1 et nuntiaverunt David dicentes ecce Philisthim obpugnant Ceila et diripiunt areas
दाऊद को यह समाचार मिला कि पलिश्ती लोग कीला नगर से युद्ध कर रहे हैं, और खलिहानों को लूट रहे हैं।
2 consuluit igitur David Dominum dicens num vadam et percutiam Philistheos istos et ait Dominus ad David vade et percuties Philistheos et salvabis Ceila
तब दाऊद ने यहोवा से पूछा, “क्या मैं जाकर पलिश्तियों को मारूँ?” यहोवा ने दाऊद से कहा, “जा, और पलिश्तियों को मार के कीला को बचा।”
3 et dixerunt viri qui erant cum David ad eum ecce nos hic in Iudaea consistentes timemus quanto magis si ierimus in Ceila adversum agmina Philisthinorum
परन्तु दाऊद के जनों ने उससे कहा, “हम तो इस यहूदा देश में भी डरते रहते हैं, यदि हम कीला जाकर पलिश्तियों की सेना का सामना करें, तो क्या बहुत अधिक डर में न पड़ेंगे?”
4 rursum ergo David consuluit Dominum qui respondens ei ait surge et vade in Ceila ego enim tradam Philistheos in manu tua
तब दाऊद ने यहोवा से फिर पूछा, और यहोवा ने उसे उत्तर देकर कहा, “कमर बाँधकर कीला को जा; क्योंकि मैं पलिश्तियों को तेरे हाथ में कर दूँगा।”
5 abiit David et viri eius in Ceila et pugnavit adversum Philistheos et abegit iumenta eorum et percussit eos plaga magna et salvavit David habitatores Ceilae
इसलिए दाऊद अपने जनों को संग लेकर कीला को गया, और पलिश्तियों से लड़कर उनके पशुओं को हाँक लाया, और उन्हें बड़ी मार से मारा। अतः दाऊद ने कीला के निवासियों को बचाया।
6 porro eo tempore quo fugiebat Abiathar filius Ahimelech ad David in Ceila ephod secum habens descenderat
जब अहीमेलेक का पुत्र एब्यातार दाऊद के पास कीला को भाग गया था, तब हाथ में एपोद लिए हुए गया था।
7 nuntiatum est autem Saul quod venisset David in Ceila et ait Saul tradidit eum Deus in manus meas conclususque est introgressus urbem in qua portae et serae
तब शाऊल को यह समाचार मिला कि दाऊद कीला को गया है। और शाऊल ने कहा, “परमेश्वर ने उसे मेरे हाथ में कर दिया है; वह तो फाटक और बेंड़ेवाले नगर में घुसकर बन्द हो गया है।”
8 et praecepit Saul omni populo ut ad pugnam descenderet in Ceila et obsideret David et viros eius
तब शाऊल ने अपनी सारी सेना को लड़ाई के लिये बुलवाया, कि कीला को जाकर दाऊद और उसके जनों को घेर ले।
9 quod cum rescisset David quia praepararet ei Saul clam malum dixit ad Abiathar sacerdotem adplica ephod
तब दाऊद ने जान लिया कि शाऊल मेरी हानि कि युक्ति कर रहा है; इसलिए उसने एब्यातार याजक से कहा, “एपोद को निकट ले आ।”
10 et ait David Domine Deus Israhel audivit famam servus tuus quod disponat Saul venire ad Ceila ut evertat urbem propter me
१०तब दाऊद ने कहा, “हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, तेरे दास ने निश्चय सुना है कि शाऊल मेरे कारण कीला नगर नष्ट करने को आना चाहता है।
11 si tradent me viri Ceila in manus eius et si descendet Saul sicut audivit servus tuus Domine Deus Israhel indica servo tuo et ait Dominus descendet
११क्या कीला के लोग मुझे उसके वश में कर देंगे? क्या जैसे तेरे दास ने सुना है, वैसे ही शाऊल आएगा? हे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, अपने दास को यह बता।” यहोवा ने कहा, “हाँ, वह आएगा।”
12 dixitque David si tradent viri Ceilae me et viros qui sunt mecum in manu Saul et dixit Dominus tradent
१२फिर दाऊद ने पूछा, “क्या कीला के लोग मुझे और मेरे जनों को शाऊल के वश में कर देंगे?” यहोवा ने कहा, “हाँ, वे कर देंगे।”
13 surrexit ergo David et viri eius quasi sescenti et egressi de Ceila huc atque illuc vagabantur incerti nuntiatumque est Saul quod fugisset David de Ceila quam ob rem dissimulavit exire
१३तब दाऊद और उसके जन जो कोई छः सौ थे, कीला से निकल गए, और इधर-उधर जहाँ कहीं जा सके वहाँ गए। और जब शाऊल को यह बताया गया कि दाऊद कीला से निकल भागा है, तब उसने वहाँ जाने का विचार छोड़ दिया।
14 morabatur autem David in deserto in locis firmissimis mansitque in monte solitudinis Ziph quaerebat tamen eum Saul cunctis diebus et non tradidit eum Deus in manus eius
१४तब दाऊद जंगल के गढ़ों में रहने लगा, और पहाड़ी देश के जीप नामक जंगल में रहा। और शाऊल उसे प्रतिदिन ढूँढ़ता रहा, परन्तु परमेश्वर ने उसे उसके हाथ में न पड़ने दिया।
15 et vidit David quod egressus esset Saul ut quaereret animam eius porro David erat in deserto Ziph in silva
१५और दाऊद ने जान लिया कि शाऊल मेरे प्राण की खोज में निकला है। और दाऊद जीप नामक जंगल के होरेश नामक स्थान में था;
16 et surrexit Ionathan filius Saul et abiit ad David in silva et confortavit manus eius in Deo dixitque ei
१६कि शाऊल का पुत्र योनातान उठकर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा करके उसको ढाढ़स दिलाया।
17 ne timeas neque enim inveniet te manus Saul patris mei et tu regnabis super Israhel et ego ero tibi secundus sed et Saul pater meus scit hoc
१७उसने उससे कहा, “मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू ही इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे होऊँगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल भी जानता है।”
18 percussit igitur uterque foedus coram Domino mansitque David in silva Ionathas autem reversus est in domum suam
१८तब उन दोनों ने यहोवा की शपथ खाकर आपस में वाचा बाँधी; तब दाऊद होरेश में रह गया, और योनातान अपने घर चला गया।
19 ascenderunt autem Ziphei ad Saul in Gabaa dicentes nonne David latitat apud nos in locis tutissimis silvae in colle Achilae quae est ad dexteram deserti
१९तब जीपी लोग गिबा में शाऊल के पास जाकर कहने लगे, “दाऊद तो हमारे पास होरेश के गढ़ों में, अर्थात् उस हकीला नामक पहाड़ी पर छिपा रहता है, जो यशीमोन के दक्षिण की ओर है।
20 nunc ergo sicut desideravit anima tua ut descenderes descende nostrum autem erit ut tradamus eum in manus regis
२०इसलिए अब, हे राजा, तेरी जो इच्छा आने की है, तो आ; और उसको राजा के हाथ में पकड़वा देना हमारा काम होगा।”
21 dixitque Saul benedicti vos a Domino quia doluistis vicem meam
२१शाऊल ने कहा, “यहोवा की आशीष तुम पर हो, क्योंकि तुम ने मुझ पर दया की है।
22 abite oro et diligentius praeparate et curiosius agite et considerate locum ubi sit pes eius vel quis viderit eum ibi recogitat enim de me quod callide insidier ei
२२तुम चलकर और भी निश्चय कर लो; और देख-भाल कर जान लो, और उसके अड्डे का पता लगा लो, और पता लगाओ कि उसको वहाँ किसने देखा है; क्योंकि किसी ने मुझसे कहा है, कि वह बड़ी चतुराई से काम करता है।
23 considerate et videte omnia latibula eius in quibus absconditur et revertimini ad me ad rem certam ut vadam vobiscum quod si etiam in terra se abstruserit perscrutabor eum in cunctis milibus Iuda
२३इसलिए जहाँ कहीं वह छिपा करता है उन सब स्थानों को देख देखकर पहचानो, तब निश्चय करके मेरे पास लौट आना। और मैं तुम्हारे साथ चलूँगा, और यदि वह उस देश में कहीं भी हो, तो मैं उसे यहूदा के हजारों में से ढूँढ़ निकालूँगा।”
24 at illi surgentes abierunt in Ziph ante Saul David autem et viri eius erant in deserto Maon in campestribus ad dextram Iesimuth
२४तब वे चलकर शाऊल से पहले जीप को गए। परन्तु दाऊद अपने जनों समेत माओन नामक जंगल में चला गया था, जो अराबा में यशीमोन के दक्षिण की ओर है।
25 ivit ergo Saul et socii eius ad quaerendum et nuntiatum est David statimque descendit ad petram et versabatur in deserto Maon quod cum audisset Saul persecutus est David in deserto Maon
२५तब शाऊल अपने जनों को साथ लेकर उसकी खोज में गया। इसका समाचार पाकर दाऊद पर्वत पर से उतर के माओन जंगल में रहने लगा। यह सुन शाऊल ने माओन जंगल में दाऊद का पीछा किया।
26 et ibat Saul ad latus montis ex parte una David autem et viri eius erant in latere montis ex parte altera porro David desperabat se posse evadere a facie Saul itaque Saul et viri eius in modum coronae cingebant David et viros eius ut caperent eos
२६शाऊल तो पहाड़ की एक ओर, और दाऊद अपने जनों समेत पहाड़ की दूसरी ओर जा रहा था; और दाऊद शाऊल के डर के मारे जल्दी जा रहा था, और शाऊल अपने जनों समेत दाऊद और उसके जनों को पकड़ने के लिये घेरा बनाना चाहता था,
27 et nuntius venit ad Saul dicens festina et veni quoniam infuderunt se Philisthim super terram
२७कि एक दूत ने शाऊल के पास आकर कहा, “फुर्ती से चला आ; क्योंकि पलिश्तियों ने देश पर चढ़ाई की है।”
28 reversus est ergo Saul desistens persequi David et perrexit in occursum Philisthinorum propter hoc vocaverunt locum illum petram Dividentem
२८यह सुन शाऊल दाऊद का पीछा छोड़कर पलिश्तियों का सामना करने को चला; इस कारण उस स्थान का नाम सेलाहम्म-हलकोत पड़ा।
29 ascendit ergo David inde et habitavit in locis tutissimis Engaddi
२९वहाँ से दाऊद चढ़कर एनगदी के गढ़ों में रहने लगा।

< I Samuelis 23 >