< Iohannis I 1 >
1 quod fuit ab initio quod audivimus quod vidimus oculis nostris quod perspeximus et manus nostrae temptaverunt de verbo vitae
हम उस जीवन देण आळे वचन कै बारें म्ह लिखण लागरे सां, जो शरु तै था, जिस ताहीं हमनै सुण्या, अर जिस ताहीं हमनै अपणी आँखां तै देख्या, बल्के जिस ताहीं हमनै ध्यान तै देख्या अर हाथ्थां तै छुआ।
2 et vita manifestata est et vidimus et testamur et adnuntiamus vobis vitam aeternam quae erat apud Patrem et apparuit nobis (aiōnios )
(यो जीवन दुनिया म्ह आया अर हमनै इस ताहीं देख्या, अर हम उसके गवाह सां, अर थमनै उस अनन्त जीवन की खबर देवां सां, जो पिता कै गैल था अर म्हारै पै जाहिर होया)। (aiōnios )
3 quod vidimus et audivimus adnuntiamus et vobis ut et vos societatem habeatis nobiscum et societas nostra sit cum Patre et cum Filio eius Iesu Christo
जो किमे हमनै यीशु मसीह के बारें म्ह देख्या अर सुण्या सै उसकी खबर थमनै भी देवा सां, इस करकै के थम भी म्हारै गैल संगति करो; अर म्हारी या संगति पिता अर उसकै बेट्टै यीशु मसीह कै गैल सै।
4 et haec scribimus vobis ut gaudium nostrum sit plenum
अर ये बात हम इस करकै लिखा सां ताके थम खुशी तै भर जाओ।
5 et haec est adnuntiatio quam audivimus ab eo et adnuntiamus vobis quoniam Deus lux est et tenebrae in eo non sunt ullae
जो खबर हमनै यीशु मसीह तै सुणी अर थमनै सुणावां सां, वो या सै के परमेसवर चाँदणे के समान पवित्र सै, अर उस म्ह कुछ भी अन्धकार के समान कोए बुराई कोनी।
6 si dixerimus quoniam societatem habemus cum eo et in tenebris ambulamus mentimur et non facimus veritatem
जै हम कहवां, के परमेसवर कै गैल म्हारी संगति सै पर फेर भी अन्धकार म्ह चाल्लां, तो हम झूठ्ठे सां अर सच की राह पै कोनी चाल्दे;
7 si autem in luce ambulemus sicut et ipse est in luce societatem habemus ad invicem et sanguis Iesu Filii eius mundat nos ab omni peccato
पर जिसा परमेसवर चाँदणे के समान सै, उसेए हम भी चान्दणा म्ह चाल्लां, तो एक-दुसरे तै संगति राक्खा सां, अर उसकै बेट्टै यीशु मसीह का लहू हमनै सारे पाप तै शुद्ध करै सै।
8 si dixerimus quoniam peccatum non habemus ipsi nos seducimus et veritas in nobis non est
जै हम कहवां के म्हारै म्ह कोए भी पाप कोनी, तो अपणे-आपनै धोक्खा देवा सां, अर म्हारै म्ह सच्चाई कोनी।
9 si confiteamur peccata nostra fidelis est et iustus ut remittat nobis peccata et emundet nos ab omni iniquitate
जै हम अपणे पाप नै परमेसवर के स्याम्ही मान ल्या, तो वो म्हारे पाप नै माफ करण म्ह भरोसेमन्द अर धर्मी सै, अर वो हमनै सारे अधर्म तै शुद्ध करै सै।
10 si dixerimus quoniam non peccavimus mendacem facimus eum et verbum eius non est in nobis
जै हम कहवां के हमनै पाप न्ही करया, तो परमेसवर नै झूठ्ठा बणावा सां, अर हम उसके वचन के मुताबिक जीवन कोनी जिन्दे।