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1 Et ostendit mihi fluvium aquae vivae, splendidum tamquam crystallum, procedentem de sede Dei et Agni.
येको बाद ऊ स्वर्गदूत न मोख जीवन देन वालो पानी की नदी दिखायी। वा नदी स्फटिक को जसी उज्वल होती। ऊ परमेश्वर अऊर मेम्ना को सिंहासन सी निकलत होती
2 In medio plateae eius, et ex utraque parte fluminis lignum vitae, afferens fructus duodecim, per menses singulos reddens fructum suum, et folia ligni ad sanitatem Gentium.
ऊ नगर की सड़क को बीचो बीच सी बहत होती। नदी को यो पार अऊर ओन पार जीवन को झाड़ होतो; उन पर हर साल बारा बार फर लगत होतो हर महीना म एक बार, अऊर ऊ झाड़ियों को पाना सी राष्ट्रों को लोगों ख निरोगी करन लायी होतो।
3 Et omne maledictum non erit amplius: sed sedes Dei, et Agni in illa erunt, et servi eius servient illi.
अऊर नगर म कोयी भी परमेश्वर को श्राप म नहीं रहेंन, अऊर परमेश्वर को सिंहासन अऊर मेम्ना ऊ नगरी म रहेंन अऊर ओको सेवक ओकी सेवा करेंन।
4 Et videbunt faciem eius: et nomen eius in frontibus eorum.
हि ओको मुंह देखेंन, अऊर ओको नाम ओको हाथों पर लिख्यो हुयो होना।
5 Et nox ultra non erit: et non egebunt lumine lucernae, neque lumine solis, quoniam Dominus Deus illuminabit illos, et regnabunt in saecula saeculorum. (aiōn g165)
फिर रात नहीं होयेंन, अऊर उन्ख दीया अऊर सूरज को प्रकाश की जरूरत नहीं होयेंन, कहालीकि प्रभु परमेश्वर उन्को प्रकाश होयेंन, अऊर ऊ राजा को जसो हमेशा हमेशा शासन करेंन। (aiōn g165)
6 Et dixit mihi: Haec verba fidelissima sunt, et vera. Et Dominus Deus spirituum prophetarum misit Angelum suum ostendere servis suis quae oportet fieri cito.
फिर ऊ स्वर्गदूत न मोरो सी कह्यो, “या बाते सत्य अऊर विश्वास को लायक हंय। अऊर प्रभु परमेश्वर, जो भविष्यवक्तावों ख ओकी आत्मा देवय हय, अपनो स्वर्गदूत ख येकोलायी भेज्यो कि अपनो सेवकों ख हि बाते, जिन्को जल्दी पूरो होनो जरूरी हय, दिखाये।”
7 Et ecce venio velociter. Beatus, qui custodit verba prophetiae libri huius.
“देख, मय जल्दी आवन वालो हय! धन्य हय ऊ जो या किताब की भविष्यवानी की बाते पालन करय हय।”
8 Et ego Ioannes, qui audivi, et vidi haec. Et postquam audissem, et vidissem, cecidi ut adorarem ante pedes angeli, qui mihi haec ostendebat:
मय उच यूहन्ना आय, जो या बाते सुनत अऊर देखत होतो। जब मय न सुन्यो अऊर देख्यो, त जो स्वर्गदूत मोख या बाते दिखावत होतो, मय ओको पाय पर दण्डवत आराधना करन लायी गिर पड़्यो।
9 et dixit mihi: Vide ne feceris: conservus enim tuus sum, et fratrum tuorum prophetarum, et eorum, qui servant verba prophetiae libri huius: Deum adora.
पर ओन मोरो सी कह्यो, “देख, असो मत कर; कहालीकि मय तोरो, अऊर तोरो भाऊ भविष्यवक्तावों, अऊर या किताब की बातों को मानन वालो को संगी सेवक हय। परमेश्वर कि आराधना कर।”
10 Et dicit mihi: Ne signaveris verba prophetiae libri huius: tempus enim prope est.
फिर ओन मोरो सी कह्यो, “या किताब की भविष्यवानी की बातों ख गुप्त मत रख; कहालीकि या सब बातों को पूरो होन को समय बहुत जवर हय।
11 Qui nocet, noceat adhuc: et qui in sordibus est, sordescat adhuc: et qui iustus est, iustificetur adhuc: et sanctus, sanctificetur adhuc.
जो अधर्म करय हय, ऊ अन्याय करतो रहे; अऊर जो मलिन हय, ऊ मलिन बन्यो रहे; अऊर जो अच्छो हय, ऊ अच्छो बन्यो रहे; अऊर जो सच्चो हय; ऊ पवित्र बन्यो रहे।”
12 Ecce venio cito, et merces mea mecum est, reddere unicuique secundum opera sua.
“देख, मय जल्दी आवन वालो हय; अऊर हर एक को काम को अनुसार मोहबदला देन लायी प्रतिफल मोरो जवर हय।
13 Ego sum alpha, et omega, primus, et novissimus, principium, et finis.
मय अल्फा अऊर ओमेगा, पहिलो अऊर आखरी, आदि अऊर अन्त आय।
14 Beati, qui lavant stolas suas in sanguine Agni: ut sit potestas eorum in ligno vitae, et per portas intrent in civitatem.
“धन्य हि आय, जो अपनो कपड़ा धोय लेवय हंय, कहालीकि उन्ख जीवन को झाड़ को जवर आवन को अधिकार मिलेंन, अऊर हि द्वार सी होय क नगर म सिरेंन।
15 Foris canes, et venefici, et impudici, et homicidae, et idolis servientes, et omnis, qui amat, et facit mendacium.
पर कुत्ता, अऊर टोन्हा करन वालो, अऊर अनैतिक सम्बन्ध करन वालो, अऊर हत्यारों, अऊर मूर्तिपूजक, अऊर हर एक झूठ को चाहन वालो अऊर गढ़न वालो बाहेर रहेंन।
16 Ego Iesus misi Angelum meum, testificari vobis haec in Ecclesiis. Ego sum radix, et genus David, stella splendida, et matutina.
“यीशु न अपनो स्वर्गदूत ख येकोलायी भेज्यो कि तुम्हरो आगु मण्डलियों को बारे म इन बातों की गवाही दे। मय दाऊद को परिवार को वंशज आय, अऊर भोर को चमकतो हुयो तारा आय।”
17 Et spiritus, et sponsa dicunt: Veni. Et qui audit, dicat: Veni. Et qui sitit, veniat: et qui vult, accipiat aquam vitae, gratis.
आत्मा अऊर दुल्हिन दोयी कह्य हंय, “आव!” अऊर सुनन वालो भी कहे, “आव!” जो प्यासो हय ऊ आवो, अऊर जो कोयी चाहे ऊ जीवन को जल को ईनाम फुकट भाव सी ले।
18 Contestor enim omni audienti verba prophetiae libri huius: Si quis apposuerit ad haec, apponet Deus super illum plagas scriptas in libro isto.
मय यूहन्ना हर एक आदमी ख, जो या किताब की भविष्यवानी की बाते सुनय हय, चेतावनी देऊ हय: यदि कोयी आदमी इन बातों म कुछ बढ़ाये त परमेश्वर उन विपत्तियों ख, जो इन किताब म लिखी हंय, ओको शिक्षा पर बढ़ायेंन।
19 Et si quis diminuerit de verbis libri prophetiae huius, auferet Deus partem eius de libro vitae, et de civitate sancta, et de his, quae scripta sunt in libro isto.
यदि कोयी या भविष्यवानी की किताब की बातों म सी कुछ निकाल डाले, त परमेश्वर ऊ जीवन को झाड़ अऊर पवित्र नगर म सी, जेको वर्नन या किताब म हय, ओको भाग निकाल देयेंन।
20 dicit qui testimonium perhibet istorum. Etiam venio cito: Amen. Veni Domine Iesu.
यीशु जो इन बातों को गवाह हय, ऊ कह्य हय, “हव, मय जल्दी आय रह्यो हय।” आमीन। हे प्रभु यीशु आव!
21 Gratia Domini nostri Iesu Christi cum omnibus vobis. Amen.
प्रभु यीशु को अनुग्रह परमेश्वर को लोगों को संग रहे। आमीन।

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