< Jeremiæ 25 >

1 Verbum, quod factum est ad Ieremiam de omni populo Iuda in anno quarto Ioakim filii Iosiae regis Iuda, (ipse est annus primus Nabuchodonosor regis Babylonis.)
योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के चौथे वर्ष में जो बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर के राज्य का पहला वर्ष था, यहोवा का जो वचन यिर्मयाह नबी के पास पहुँचा,
2 Quod locutus est Ieremias propheta ad omnem populum Iuda, et ad universos habitatores Ierusalem, dicens:
उसे यिर्मयाह नबी ने सब यहूदियों और यरूशलेम के सब निवासियों को बताया, वह यह है:
3 A tertiodecimo anno Iosiae filii Amon regis Iuda usque ad diem hanc; iste tertius et vigesimus annus, factum est verbum Domini ad me, et locutus sum ad vos de nocte consurgens, et loquens, et non audistis.
“आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के राज्य के तेरहवें वर्ष से लेकर आज के दिन तक अर्थात् तेईस वर्ष से यहोवा का वचन मेरे पास पहुँचता आया है; और मैं उसे बड़े यत्न के साथ तुम से कहता आया हूँ; परन्तु तुम ने उसे नहीं सुना।
4 Et misit Dominus ad vos omnes servos suos prophetas, consurgens diluculo, mittensque et non audistis, neque inclinastis aures vestras ut audiretis
यद्यपि यहोवा तुम्हारे पास अपने सारे दासों अथवा भविष्यद्वक्ताओं को भी यह कहने के लिये बड़े यत्न से भेजता आया है
5 cum diceret: Revertimini unusquisque a via sua mala, et a pessimis cogitationibus vestris: et habitabitis in terra, quam dedit Dominus vobis, et patribus vestris a saeculo et usque in saeculum.
कि ‘अपनी-अपनी बुरी चाल और अपने-अपने बुरे कामों से फिरो: तब जो देश यहोवा ने प्राचीनकाल में तुम्हारे पितरों को और तुम को भी सदा के लिये दिया है उस पर बसे रहने पाओगे; परन्तु तुम ने न तो सुना और न कान लगाया है।
6 Et nolite ire post deos alienos ut serviatis eis, adoretisque eos: neque me ad iracundiam provocetis in operibus manuum vestrarum, et non affligam vos.
और दूसरे देवताओं के पीछे होकर उनकी उपासना और उनको दण्डवत् मत करो, और न अपनी बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाओ; तब मैं तुम्हारी कुछ हानि न करूँगा।’
7 Et non audistis me, dicit Dominus, ut me ad iracundiam provocaretis in operibus manuum vestrarum in malum vestrum.
यह सुनने पर भी तुम ने मेरी नहीं मानी, वरन् अपनी बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाते आए हो जिससे तुम्हारी हानि ही हो सकती है, यहोवा की यही वाणी है।
8 Propterea haec dicit Dominus exercituum: Pro eo quod non audistis verba mea:
“इसलिए सेनाओं का यहोवा यह कहता है: तुम ने जो मेरे वचन नहीं माने,
9 ecce ego mittam, et assumam universas cognationes Aquilonis, ait Dominus, et Nabuchodonosor regem Babylonis servum meum: et adducam eos super terram istam, et super habitatores eius, et super omnes nationes, quae in circuitu illius sunt: et interficiam eos, et ponam eos in stuporem et in sibilum, et in solitudines sempiternas.
इसलिए सुनो, मैं उत्तर में रहनेवाले सब कुलों को बुलाऊँगा, और अपने दास बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर को बुलवा भेजूँगा; और उन सभी को इस देश और इसके निवासियों के विरुद्ध और इसके आस-पास की सब जातियों के विरुद्ध भी ले आऊँगा; और इन सब देशों का मैं सत्यानाश करके उन्हें ऐसा उजाड़ दूँगा कि लोग इन्हें देखकर ताली बजाएँगे; वरन् ये सदा उजड़े ही रहेंगे, यहोवा की यही वाणी है।
10 Perdamque ex eis vocem gaudii et vocem laetitiae, vocem sponsi, et vocem sponsae, vocem molae, et lumen lucernae.
१०और मैं ऐसा करूँगा कि इनमें न तो हर्ष और न आनन्द का शब्द सुनाई पड़ेगा, और न दुल्हे या दुल्हन का, और न चक्की का भी शब्द सुनाई पड़ेगा और न इनमें दिया जलेगा।
11 Et erit universa terra haec in solitudinem, et in stuporem: et servient omnes gentes istae regi Babylonis septuaginta annis.
११सारी जातियों का यह देश उजाड़ ही उजाड़ होगा, और ये सब जातियाँ सत्तर वर्ष तक बाबेल के राजा के अधीन रहेंगी।
12 Cumque impleti fuerint septuaginta anni, visitabo super regem Babylonis, et super gentem illam, dicit Dominus, iniquitatem eorum, et super terram Chaldaeorum: et ponam illam in solitudines sempiternas.
१२जब सत्तर वर्ष बीत चुकें, तब मैं बाबेल के राजा और उस जाति के लोगों और कसदियों के देश के सब निवासियों को अधर्म का दण्ड दूँगा, यहोवा की यह वाणी है; और उस देश को सदा के लिये उजाड़ दूँगा।
13 Et adducam super terram illam, omnia verba mea, quae locutus sum contra eam, omne quod scriptum est in libro isto, quaecumque prophetavit Ieremias adversum omnes gentes:
१३मैं उस देश में अपने वे सब वचन पूरे करूँगा जो मैंने उसके विषय में कहे हैं, और जितने वचन यिर्मयाह ने सारी जातियों के विरुद्ध भविष्यद्वाणी करके पुस्तक में लिखे हैं।
14 Quia servierunt eis cum essent gentes multae, et reges magni: et reddam eis secundum opera eorum, et secundum facta manuum suarum.
१४क्योंकि बहुत सी जातियों के लोग और बड़े-बड़े राजा भी उनसे अपनी सेवा कराएँगे; और मैं उनको उनकी करनी का फल भुगतवाऊँगा।”
15 Quia sic dicit Dominus exercituum Deus Israel: Sume calicem vini furoris huius de manu mea: et propinabis de illo cunctis gentibus, ad quas ego mittam te.
१५इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझसे यह कहा, “मेरे हाथ से इस जलजलाहट के दाखमधु का कटोरा लेकर उन सब जातियों को पिला दे जिनके पास मैं तुझे भेजता हूँ।
16 Et bibent, et turbabuntur, et insanient a facie gladii, quem ego mittam inter eos.
१६वे उसे पीकर उस तलवार के कारण जो मैं उनके बीच में चलाऊँगा लड़खड़ाएँगे और बावले हो जाएँगे।”
17 Et accepi calicem de manu Domini, et propinavi cunctis gentibus, ad quas misit me Dominus:
१७इसलिए मैंने यहोवा के हाथ से वह कटोरा लेकर उन सब जातियों को जिनके पास यहोवा ने मुझे भेजा, पिला दिया।
18 Ierusalem, et civitatibus Iuda, et regibus eius, et principibus eius: ut darem eos in solitudinem, et in stuporem, et in sibilum, et in maledictionem, sicut est dies ista:
१८अर्थात् यरूशलेम और यहूदा के नगरों के निवासियों को, और उनके राजाओं और हाकिमों को पिलाया, ताकि उनका देश उजाड़ हो जाए और लोग ताली बजाएँ, और उसकी उपमा देकर श्राप दिया करें; जैसा आजकल होता है।
19 Pharaoni regi Aegypti, et servis eius, et principibus eius, et omni populo eius,
१९और मिस्र के राजा फ़िरौन और उसके कर्मचारियों, हाकिमों, और सारी प्रजा को;
20 et universis generaliter: cunctis regibus terrae Ausitidis, et cunctis regibus terrae Philisthiim, et Ascalonis, et Gazae, et Accaron, et reliquiis Azoti,
२०और सब विदेशी मनुष्यों की जातियों को और ऊस देश के सब राजाओं को; और पलिश्तियों के देश के सब राजाओं को और अश्कलोन, गाज़ा और एक्रोन के और अश्दोद के बचे हुए लोगों को;
21 et Idumaeae, et Moab, et filiis Ammon:
२१और एदोमियों, मोआबियों और अम्मोनियों के सारे राजाओं को;
22 Et cunctis regibus Tyri, et universis regibus Sidonis: et regibus terrae insularum, qui sunt trans mare.
२२और सोर के और सीदोन के सब राजाओं को, और समुद्र पार के देशों के राजाओं को;
23 Et Dedan, et Thema, et Buz, et universis qui attonsi sunt in comam.
२३फिर ददानियों, तेमाइयों और बूजियों को और जितने अपने गाल के बालों को मुँण्डा डालते हैं, उन सभी को भी;
24 Et cunctis regibus Arabiae, et cunctis regibus Occidentis, qui habitant in deserto.
२४और अरब के सब राजाओं को और जंगल में रहनेवाले दोगले मनुष्यों के सब राजाओं को;
25 Et cunctis regibus Zambri, et cunctis regibus Elam, et cunctis regibus Medorum:
२५और जिम्री, एलाम और मादै के सब राजाओं को;
26 cunctis quoque regibus Aquilonis de prope et de longe, unicuique contra fratrem suum: et omnibus regnis terrae, quae super faciem eius sunt: et rex Sesach bibet post eos.
२६और क्या निकट क्या दूर के उत्तर दिशा के सब राजाओं को एक संग पिलाया, इस प्रकार धरती भर में रहनेवाले जगत के राज्यों के सब लोगों को मैंने पिलाया। और इन सब के बाद शेशक के राजा को भी पीना पड़ेगा।
27 et dices ad eos: Haec dicit Dominus exercituum Deus Israel: Bibite, et inebriamini, et vomite: et cadite, neque surgatis a facie gladii, quem ego mittam inter vos.
२७“तब तू उनसे यह कहना, ‘सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, यह कहता है, पीओ, और मतवाले हो और उलटी करो, गिर पड़ो और फिर कभी न उठो, क्योंकि यह उस तलवार के कारण से होगा जो मैं तुम्हारे बीच में चलाऊँगा।’
28 Cumque noluerint accipere calicem de manu tua ut bibant, dices ad eos: Haec dicit Dominus exercituum: Bibentes bibetis:
२८“यदि वे तेरे हाथ से यह कटोरा लेकर पीने से इन्कार करें तो उनसे कहना, ‘सेनाओं का यहोवा यह कहता है कि तुम को निश्चय पीना पड़ेगा।
29 quia ecce in civitate, in qua invocatum est nomen meum, ego incipiam affligere, et vos quasi innocentes et immunes eritis? non eritis immunes: gladium enim ego voco super omnes habitatores terrae, dicit Dominus exercituum.
२९देखो, जो नगर मेरा कहलाता है, मैं पहले उसी में विपत्ति डालने लगूँगा, फिर क्या तुम लोग निर्दोष ठहरके बचोगे? तुम निर्दोष ठहरके न बचोगे, क्योंकि मैं पृथ्वी के सब रहनेवालों पर तलवार चलाने पर हूँ, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।’
30 Et tu prophetabis ad eos omnia verba haec, et dices ad illos: Dominus de excelso rugiet, et de habitaculo sancto suo dabit vocem suam: rugiens rugiet super decorem suum: celeuma quasi calcantium concinetur adversus omnes habitatores terrae.
३०“इतनी बातें भविष्यद्वाणी की रीति पर उनसे कहकर यह भी कहना, ‘यहोवा ऊपर से गरजेगा, और अपने उसी पवित्र धाम में से अपना शब्द सुनाएगा; वह अपनी चराई के स्थान के विरुद्ध जोर से गरजेगा; वह पृथ्वी के सारे निवासियों के विरुद्ध भी दाख लताड़नेवालों के समान ललकारेगा।
31 Pervenit sonitus usque ad extrema terrae: quia iudicium Domino cum gentibus: iudicatur ipse cum omni carne, impios tradidi gladio, dicit Dominus.
३१पृथ्वी की छोर तक भी कोलाहल होगा, क्योंकि सब जातियों से यहोवा का मुकद्दमा है; वह सब मनुष्यों से वाद-विवाद करेगा, और दुष्टों को तलवार के वश में कर देगा।’
32 Haec dicit Dominus exercituum: Ecce afflictio egredietur de gente in gentem: et turbo magnus egredietur a summitatibus terrae.
३२“सेनाओं का यहोवा यह कहता है: देखो, विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी, और बड़ी आँधी पृथ्वी की छोर से उठेगी!
33 Et erunt interfecti Domini in die illa a summo terrae usque ad summum eius: non plangentur, et non colligentur, neque sepelientur: in sterquilinium super faciem terrae iacebunt.
३३उस समय यहोवा के मारे हुओं की लोथें पृथ्वी की एक छोर से दूसरी छोर तक पड़ी रहेंगी। उनके लिये कोई रोने-पीटनेवाला न रहेगा, और उनकी लोथें न तो बटोरी जाएँगी और न कब्रों में रखी जाएँगी; वे भूमि के ऊपर खाद के समान पड़ी रहेंगी।
34 Ululate pastores, et clamate: et aspergite vos cinere optimates gregis: quia completi sunt dies vestri ut interficiamini: et dissipationes vestrae, et cadetis quasi vasa pretiosa.
३४हे चरवाहों, हाय-हाय करो और चिल्लाओ, हे बलवन्त मेढ़ों और बकरो, राख में लौटो, क्योंकि तुम्हारे वध होने के दिन आ पहुँचे हैं, और मैं मनोहर बर्तन के समान तुम्हारा सत्यानाश करूँगा।
35 Et peribit fuga a pastoribus, et salvatio ab optimatibus gregis.
३५उस समय न तो चरवाहों के भागने के लिये कोई स्थान रहेगा, और न बलवन्त मेढ़े और बकरे भागने पाएँगे।
36 Vox clamoris pastorum, et ululatus optimatum gregis: quia vastavit Dominus pascua eorum.
३६चरवाहों की चिल्लाहट और बलवन्त मेढ़ों और बकरों के मिमियाने का शब्द सुनाई पड़ता है! क्योंकि यहोवा उनकी चराई को नाश करेगा,
37 Et conticuerunt arva pacis a facie irae furoris Domini.
३७और यहोवा के क्रोध भड़कने के कारण शान्ति के स्थान नष्ट हो जाएँगे, जिन वासस्थानों में अब शान्ति है, वे नष्ट हो जाएँगे।
38 Dereliquit quasi leo umbraculum suum, quia facta est terra eorum in desolationem a facie irae columbae, et a facie irae furoris Domini.
३८युवा सिंह के समान वह अपने ठौर को छोड़कर निकलता है, क्योंकि अंधेर करनेवाली तलवार और उसके भड़के हुए कोप के कारण उनका देश उजाड़ हो गया है।”

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