< Exodus 27 >
1 Facies et altare de lignis setim, quod habebit quinque cubitus in longitudine, et totidem in latitudine, idest quadrum, et tres cubitos in altitudine.
“और तू कीकर की लकड़ी की क़ुर्बानगाह पाँच हाथ लम्बी और पाँच हाथ चौड़ी बनाना; वह क़ुर्बानगाह चौखुन्टी और उसकी ऊँचाई तीन हाथ हो।
2 Cornua autem per quattuor angulos ex ipso erunt: et operies illud aere.
और तू उसके लिए उसके चारों कोनों पर सींग बनाना, और वह सींग और क़ुर्बानगाह सब एक ही टुकड़े के हों और तू उनको पीतल से मंढ़ना।
3 Faciesque in usus eius lebetes ad suscipiendos cineres, et forcipes atque fuscinulas, et ignium receptacula. omnia vasa ex aere fabricabis.
और तू उसकी राख उठाने के लिए देगें और बेलचे और कटोरे और सीखें और अन्गुठियाँ बनाना; उसके सब बर्तन पीतल के बनाना।
4 Craticulamque in modum retis aeneam: per cuius quattuor angulos erunt quattuor annuli aenei,
और उसके लिए पीतल की जाली की झंजरी बनाना और उस जाली के चारों कोनों पर पीतल के चार कड़े लगाना।
5 quos pones subter arulam altaris: eritque craticula usque ad altaris medium.
और उस झंजरी को क़ुर्बानगाह की चारों तरफ़ के किनारे के नीचे इस तरह लगाना कि वह ऊँचाई में क़ुर्बानगाह की आधी दूर तक पहुँचे।
6 Facies et vectes altaris de lignis setim duos, quos operies laminis aeneis:
और तू क़ुर्बानगाह के लिए कीकर की लकड़ी की चोबें बनाकर उनको पीतल से मंढ़ना।
7 et induces per circulos, eruntque ex utroque latere altaris ad portandum.
और तू उन चोबों को कड़ों में पहना देना कि जब कभी क़ुर्बानगाह उठाई जाए, वह चोबें उसकी दोनों तरफ़ रहें।
8 Non solidum, sed inane et cavum intrinsecus facies illud, sicut tibi in Monte monstratum est.
तख़्तों से वह क़ुर्बानगाह बनाना और वह खोखली हो। वह उसे ऐसी ही बनाएँ जैसी तुझे पहाड़ पर दिखाई गई है।
9 Facies et atrium tabernaculi, in cuius australi plaga contra meridiem erunt tentoria de bysso retorta: centum cubitos unum latus tenebit in longitudine.
“फिर तू घर के लिए सहन बनाना, उस सहन की दाख्खिनी तरफ़ के लिए बारीक बटे हुए कतान के पर्दे हों जो मिला कर सौ हाथ लम्बे हों; यह सब एक ही रुख़ में हों।
10 Et columnas viginti cum basibus totidem aeneis, quae capita cum caelaturis suis habebunt argentea.
और उनके लिए बीस सुतून बनें और सुतूनों के लिए पीतल के बीस ही ख़ाने बनें और इन सुतूनों के कुन्डे और पट्टियाँ चाँदी की हों।
11 Similiter et in latere aquilonis per longum erunt tentoria centum cubitorum, columnae viginti, et bases aeneae eiusdem numeri, et capita earum cum caelaturis suis argentea.
इसी तरह उत्तरी रुख़ के लिए पर्दे सब मिला कर लम्बाई में सौ हाथ हों, उनके लिए भी बीस ही सुतून और सुतूनों के लिए बीस ही पीतल के ख़ाने बनें और सुतूनों के कुन्डे और पट्टियाँ चाँदी की हों।
12 In latitudine vero atrii, quod respicit ad occidentem, erunt tentoria per quinquaginta cubitos, et columnae decem, basesque totidem.
और सहन की पश्चिमी रुख़ की चौड़ाई में पचास हाथ के पर्दे हों, उनके लिए दस सुतून और सुतूनों के लिए दस ही ख़ाने बनें।
13 In ea quoque atrii latitudine, quae respicit ad orientem, quinquaginta cubiti erunt.
और पूर्वी रुख़ में सहन हो।
14 in quibus quindecim cubitorum tentoria lateri uno deputabuntur, columnaeque tres et bases totidem:
और सहन के दरवाज़े के एक पहलू के लिए पन्द्रह हाथ के पर्दे हों, जिनके लिए तीन सुतून और सुतून के लिए तीन ही ख़ाने बनें।
15 et in latere altero erunt tentoria cubitos obtinentia quindecim, columnae tres, et bases totidem.
और दूसरे पहलू के लिए भी पन्द्रह हाथ के पर्दे और तीन सुतून और तीन ही ख़ाने बनें।
16 In introitu vero atrii fiet tentorium cubitorum viginti ex hyacintho et purpura, coccoque bis tincto, et bysso retorta, opere plumarii: columnas habebit quattuor, cum basibus totidem.
और सहन के दरवाज़े के लिए बीस हाथ का एक पर्दा हो जो आसमानी, अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों और बारीक बटे हुए कतान का बना हुआ हो और उस पर बेल — बूटे कढ़े हों, उसके सुतून चार और सुतूनों के ख़ाने भी चार ही हों।
17 Omnes columnae atrii per circuitum vestitae erunt argenteis laminis, capitibus argenteis, et basibus aeneis.
और सहन के आस पास सब सुतून चाँदी की पट्टियों से जड़े हुए हों और उनके कुन्डे चाँदी के और उनके ख़ाने पीतल के हों।
18 In longitudine occupabit atrium cubitos centum, in latitudine quinquaginta, altitudo quinque cubitorum erit. fietque de bysso retorta, et habebit bases aeneas.
सहन की लम्बाई सौ हाथ और चौड़ाई हर जगह पचास हाथ और कनात की ऊँचाई पाँच हाथ ही, पर्दे बारीक बटे हुए कतान के और सुतूनों के ख़ाने पीतल के हों।
19 Cuncta vasa tabernaculi in omnes usus et ceremonias, tam paxillos eius quam atrii, ex aere facies.
घर के तरह तरह के काम के सब सामान और वहाँ की मेख़ें और सहन की मेख़े यह सब पीतल के हों।
20 Praecipe filiis Israel ut afferant tibi oleum de arboribus olivarum purissimum, piloque contusum: ut ardeat lucerna semper
'और तू बनी — इस्राईल को हुक्म देना कि वह तेरे पास कूट कर निकाला हुआ जैतून का ख़ालिस तेल रोशनी के लिए लाएँ ताकि चराग़ हमेशा जलता रहे।
21 in tabernaculo testimonii, extra velum quod oppansum est testimonio. Et collocabunt eam Aaron et filii eius, ut usque mane luceat coram Domino. Perpetuus erit cultus per successiones eorum coram filiis Israel.
ख़ेमा-ए-इजितमा'अ में उस पर्दे के बाहर, जो शहादत के सन्दूक के सामने होगा, हारून और उसके बेटे शाम से सुबह तक शमा 'दान को ख़ुदावन्द के सामने अरास्ता रख्खें, यह दस्तूर — उल'अमल बनी — इस्राईल के लिए नसल — दर — नसल हमेशा क़ाईम रहेगा।