< Deuteronomii 27 >
1 Praecepit autem Moyses et seniores Israel, populo dicentes: Custodite omne mandatum quod praecipio vobis hodie.
१फिर इस्राएल के वृद्ध लोगों समेत मूसा ने प्रजा के लोगों को यह आज्ञा दी, “जितनी आज्ञाएँ मैं आज तुम्हें सुनाता हूँ उन सब को मानना।
2 Cumque transieritis Iordanem in Terram, quam Dominus Deus tuus dabit tibi, eriges ingentes lapides, et calce levigabis eos,
२और जब तुम यरदन पार होकर उस देश में पहुँचो, जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, तब बड़े-बड़े पत्थर खड़े कर लेना, और उन पर चूना पोतना;
3 ut possis in eis scribere omnia verba legis huius, Iordane transmisso: ut introeas Terram, quam Dominus Deus tuus dabit tibi, terram lacte et melle manantem, sicut iuravit patribus tuis.
३और पार होने के बाद उन पर इस व्यवस्था के सारे वचनों को लिखना, इसलिए कि जो देश तेरे पूर्वजों का परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुझे देता है, और जिसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं, उस देश में तू जाने पाए।
4 Quando ergo transieritis Iordanem, erigite lapides, quos ego hodie praecipio vobis in monte Hebal, et levigabis eos calce:
४फिर जिन पत्थरों के विषय में मैंने आज आज्ञा दी है, उन्हें तुम यरदन के पार होकर एबाल पहाड़ पर खड़ा करना, और उन पर चूना पोतना।
5 et aedificabis ibi altare Domino Deo tuo de lapidibus, quos ferrum non tetigit,
५और वहीं अपने परमेश्वर यहोवा के लिये पत्थरों की एक वेदी बनाना, उन पर कोई औज़ार न चलाना।
6 et de saxis informibus et impolitis: et offeres super eo holocausta Domino Deo tuo,
६अपने परमेश्वर यहोवा की वेदी अनगढ़े पत्थरों की बनाकर उस पर उसके लिये होमबलि चढ़ाना;
7 et immolabis hostias pacificas, comedesque ibi, et epulaberis coram Domino Deo tuo.
७और वहीं मेलबलि भी चढ़ाकर भोजन करना, और अपने परमेश्वर यहोवा के सम्मुख आनन्द करना।
8 Et scribes super lapides omnia verba legis huius plane et lucide.
८और उन पत्थरों पर इस व्यवस्था के सब वचनों को स्पष्ट रीति से लिख देना।”
9 Dixeruntque Moyses et sacerdotes Levitici generis ad omnem Israelem: Attende, et audi Israel: Hodie factus es populus Domini Dei tui:
९फिर मूसा और लेवीय याजकों ने सब इस्राएलियों से यह भी कहा, “हे इस्राएल, चुप रहकर सुन; आज के दिन तू अपने परमेश्वर यहोवा की प्रजा हो गया है।
10 audies vocem eius, et facies mandata atque iustitias, quas ego praecipio tibi.
१०इसलिए अपने परमेश्वर यहोवा की बात मानना, और उसकी जो-जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूँ उनका पालन करना।”
11 Praecepitque Moyses populo in die illo, dicens:
११फिर उसी दिन मूसा ने प्रजा के लोगों को यह आज्ञा दी,
12 Hi stabunt ad benedicendum populo super montem Garizim, Iordane transmisso: Simeon, Levi, Iudas, Issachar, Ioseph, et Beniamin.
१२“जब तुम यरदन पार हो जाओ तब शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, यूसुफ, और बिन्यामीन, ये गिरिज्जीम पहाड़ पर खड़े होकर आशीर्वाद सुनाएँ।
13 Et e regione isti stabunt ad maledicendum in monte Hebal: Ruben, Gad, et Aser, et Zabulon, Dan et Nephthali.
१३और रूबेन, गाद, आशेर, जबूलून, दान, और नप्ताली, ये एबाल पहाड़ पर खड़े होकर श्राप सुनाएँ।
14 Et pronunciabunt Levitae, dicentque ad omnes viros Israel excelsa voce:
१४तब लेवीय लोग सब इस्राएली पुरुषों से पुकारके कहें:
15 Maledictus homo, qui facit sculptile et conflatile, abominationem Domini, opus manuum artificum, ponetque illud in abscondito. et respondebit omnis populus, et dicet: Amen.
१५‘श्रापित हो वह मनुष्य जो कोई मूर्ति कारीगर से खुदवाकर या ढलवा कर निराले स्थान में स्थापन करे, क्योंकि इससे यहोवा घृणा करता है।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
16 Maledictus qui non honorat patrem suum, et matrem. et dicet omnis populus: Amen.
१६‘श्रापित हो वह जो अपने पिता या माता को तुच्छ जाने।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
17 Maledictus qui transfert terminos proximi sui. et dicet omnis populus: Amen.
१७‘श्रापित हो वह जो किसी दूसरे की सीमा को हटाए।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
18 Maledictus qui errare facit caecum in itinere. et dicet omnis populus: Amen.
१८‘श्रापित हो वह जो अंधे को मार्ग से भटका दे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
19 Maledictus qui pervertit iudicium advenae, pupilli et viduae. et dicet omnis populus: Amen.
१९‘श्रापित हो वह जो परदेशी, अनाथ, या विधवा का न्याय बिगाड़े।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
20 Maledictus qui dormit cum uxore patris sui, et revelat operimentum lectuli eius. et dicet omnis populus: Amen.
२०‘श्रापित हो वह जो अपनी सौतेली माता से कुकर्म करे, क्योंकि वह अपने पिता का ओढ़ना उघाड़ता है।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
21 Maledictus qui dormit cum omni iumento. et dicet omnis populus: Amen.
२१‘श्रापित हो वह जो किसी प्रकार के पशु से कुकर्म करे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
22 Maledictus qui dormit cum sorore sua, filia patris sui, vel matris suae. et dicet omnis populus: Amen.
२२‘श्रापित हो वह जो अपनी बहन, चाहे सगी हो चाहे सौतेली, से कुकर्म करे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
23 Maledictus qui dormit cum socru sua. et dicet omnis populus: Amen.
२३‘श्रापित हो वह जो अपनी सास के संग कुकर्म करे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
24 Maledictus qui clam percusserit proximum suum. et dicet omnis populus: Amen.
२४‘श्रापित हो वह जो किसी को छिपकर मारे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
25 Maledictus qui accipit munera, ut percutiat animam sanguinis innocentis. et dicet omnis populus: Amen.
२५‘श्रापित हो वह जो निर्दोष जन के मार डालने के लिये घुस ले।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’
26 Maledictus qui non permanet in sermonibus legis huius, nec eos opere perficit. et dicet omnis populus: Amen.
२६‘श्रापित हो वह जो इस व्यवस्था के वचनों को मानकर पूरा न करे।’ तब सब लोग कहें, ‘आमीन।’