< Psalmorum 71 >
1 Psalmus David, filiorum Jonadab, et priorum captivorum. In te, Domine, speravi; non confundar in æternum.
ऐ ख़ुदावन्द तू ही मेरी पनाह है; मुझे कभी शर्मिन्दा न होने दे!
2 In justitia tua libera me, et eripe me: inclina ad me aurem tuam, et salva me.
अपनी सदाक़त में मुझे रिहाई दे और छुड़ा; मेरी तरफ़ कान लगा, और मुझे बचा ले।
3 Esto mihi in Deum protectorem, et in locum munitum, ut salvum me facias: quoniam firmamentum meum et refugium meum es tu.
तू मेरे लिए ठहरने की चट्टान हो, जहाँ मैं बराबर जा सकूँ; तूने मेरे बचाने का हुक्म दे दिया है, क्यूँकि मेरी चट्टान और मेरा क़िला' तू ही है।
4 Deus meus, eripe me de manu peccatoris, et de manu contra legem agentis, et iniqui:
ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे शरीर के हाथ से, नारास्त और बेदर्द आदमी के हाथ से छुड़ा।
5 quoniam tu es patientia mea, Domine; Domine, spes mea a juventute mea.
क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तू ही मेरी उम्मीद है; लड़कपन से मेरा भरोसा तुझ ही पर है।
6 In te confirmatus sum ex utero; de ventre matris meæ tu es protector meus; in te cantatio mea semper.
तू पैदाइश ही से मुझे संभालता आया है तू मेरी माँ के बतन ही से मेरा शफ़ीक़ रहा है; इसलिए मैं हमेशा तेरी सिताइश करता रहूँगा।
7 Tamquam prodigium factus sum multis; et tu adjutor fortis.
मैं बहुतों के लिए हैरत की वजह हूँ। लेकिन तू मेरी मज़बूत पनाहगाह है।
8 Repleatur os meum laude, ut cantem gloriam tuam, tota die magnitudinem tuam.
मेरा मुँह तेरी सिताइश से, और तेरी ता'ज़ीम से दिन भर पुर रहेगा।
9 Ne projicias me in tempore senectutis; cum defecerit virtus mea, ne derelinquas me.
बुढ़ापे के वक़्त मुझे न छोड़; मेरी ज़ईफ़ी में मुझे छोड़ न दे।
10 Quia dixerunt inimici mei mihi, et qui custodiebant animam meam consilium fecerunt in unum,
क्यूँकि मेरे दुश्मन मेरे बारे में बातें करते हैं, और जो मेरी जान की घात में हैं वह आपस में मशवरा करते हैं,
11 dicentes: Deus dereliquit eum: persequimini et comprehendite eum, quia non est qui eripiat.
और कहते हैं, कि ख़ुदा ने उसे छोड़ दिया है; उसका पीछा करो और पकड़ लो, क्यूँकि छुड़ाने वाला कोई नहीं।
12 Deus, ne elongeris a me; Deus meus, in auxilium meum respice.
ऐ ख़ुदा, मुझ से दूर न रह! ऐ मेरे ख़ुदा, मेरी मदद के लिए जल्दी कर!
13 Confundantur et deficiant detrahentes animæ meæ; operiantur confusione et pudore qui quærunt mala mihi.
मेरी जान के मुख़ालिफ़ शर्मिन्दा और फ़ना हो जाएँ; मेरा नुक़्सान चाहने वाले मलामत और रुस्वाई से मुलब्बस हो।
14 Ego autem semper sperabo, et adjiciam super omnem laudem tuam.
लेकिन मैं हमेशा उम्मीद रख्खूंगा, और तेरी ता'रीफ़ और भी ज़्यादा किया करूँगा।
15 Os meum annuntiabit justitiam tuam, tota die salutare tuum. Quoniam non cognovi litteraturam,
मेरा मुँह तेरी सदाक़त का, और तेरी नजात का बयान दिन भर करेगा; क्यूँकि मुझे उनका शुमार मा'लूम नहीं।
16 introibo in potentias Domini; Domine, memorabor justitiæ tuæ solius.
मैं ख़ुदावन्द ख़ुदा की क़ुदरत के कामों का इज़हार करूँगा; मैं सिर्फ़ तेरी ही सदाक़त का ज़िक्र करूँगा।
17 Deus, docuisti me a juventute mea; et usque nunc pronuntiabo mirabilia tua.
ऐ ख़ुदा, तू मुझे बचपन से सिखाता आया है, और मैं अब तक तेरे 'अजायब का बयान करता रहा हूँ।
18 Et usque in senectam et senium, Deus, ne derelinquas me, donec annuntiem brachium tuum generationi omni quæ ventura est, potentiam tuam,
ऐ ख़ुदा, जब मैं बुड्ढा और सिर सफ़ेद हो जाऊँ तो मुझे न छोड़ना; जब तक कि मैं तेरी क़ुदरत आइंदा नसल पर, और तेरा ज़ोर हर आने वाले पर ज़ाहिर न कर दूँ।
19 et justitiam tuam, Deus, usque in altissima; quæ fecisti magnalia, Deus: quis similis tibi?
ऐ ख़ुदा, तेरी सदाक़त भी बहुत बलन्द है। ऐ ख़ुदा, तेरी तरह कौन है जिसने बड़े बड़े काम किए हैं?
20 Quantas ostendisti mihi tribulationes multas et malas! et conversus vivificasti me, et de abyssis terræ iterum reduxisti me.
तू जिसने हम को बहुत और सख़्त तकलीफ़ें दिखाई हैं फिर हम को ज़िन्दा करेगा; और ज़मीन की तह से हमें फिर ऊपर ले आएगा।
21 Multiplicasti magnificentiam tuam; et conversus consolatus es me.
तू मेरी 'अज़मत को बढ़ा, और फिर कर मुझे तसल्ली दे।
22 Nam et ego confitebor tibi in vasis psalmi veritatem tuam, Deus; psallam tibi in cithara, sanctus Israël.
ऐ मेरे ख़ुदा, मैं बरबत पर तेरी, हाँ तेरी सच्चाई की हम्द करूँगा; ऐ इस्राईल के पाक! मैं सितार के साथ तेरी मदहसराई करूँगा।
23 Exsultabunt labia mea cum cantavero tibi; et anima mea quam redemisti.
जब मैं तेरी मदहसराई करूँगा, तो मेरे होंट बहुत ख़ुश होंगे; और मेरी जान भी जिसका तूने फ़िदिया दिया है।
24 Sed et lingua mea tota die meditabitur justitiam tuam, cum confusi et reveriti fuerint qui quærunt mala mihi.
और मेरी ज़बान दिन भर तेरी सदाक़त का ज़िक्र करेगी; क्यूँकि मेरा नुक़्सान चाहने वाले शर्मिन्दा और पशेमान हुए हैं।