< Psalmorum 7 >

1 Psalmus David, quem cantavit Domino pro verbis Chusi, filii Jemini. Domine Deus meus, in te speravi; salvum me fac ex omnibus persequentibus me, et libera me:
दावीद का शिग्गायोन जिसे दावीद ने बिन्यामिन गोत्र के कूश के संदर्भ में याहवेह के सामने गाया. याहवेह, मेरे परमेश्वर! मैं आपके ही आश्रय में आया हूं; उन सबसे मुझे बचा लीजिए, जो मेरा पीछा कर रहे हैं, उन सबसे मेरी रक्षा कीजिए,
2 nequando rapiat ut leo animam meam, dum non est qui redimat, neque qui salvum faciat.
अन्यथा वे मेरे प्राण को सिंह की नाई फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे, जबकि मुझे छुड़ाने के लिए वहां कोई भी न होगा.
3 Domine Deus meus, si feci istud, si est iniquitas in manibus meis,
याहवेह, मेरे परमेश्वर, यदि मैंने वह किया है, जैसा वे कह रहे हैं, यदि मैं किसी अनुचित कार्य का दोषी हूं,
4 si reddidi retribuentibus mihi mala, decidam merito ab inimicis meis inanis.
यदि मैंने उसकी बुराई की है, जिसके साथ मेरे शान्तिपूर्ण संबंध थे, अथवा मैंने अपने शत्रु को अकारण ही मुक्त कर दिया है,
5 Persequatur inimicus animam meam, et comprehendat; et conculcet in terra vitam meam, et gloriam meam in pulverem deducat.
तो शत्रु मेरा पीछा करे और मुझे पकड़ ले; वह मुझे पैरों से कुचलकर मार डाले और मेरी महिमा को धूल में मिला दे.
6 Exsurge, Domine, in ira tua, et exaltare in finibus inimicorum meorum: et exsurge, Domine Deus meus, in præcepto quod mandasti,
याहवेह, कोप में उठिए; मेरे शत्रुओं के विरुद्ध अत्यंत झुंझलाहट के साथ उठिये. अपने निर्धारित न्याय-दंड के अनुरूप मेरे पक्ष में सहायता कीजिए.
7 et synagoga populorum circumdabit te: et propter hanc in altum regredere:
आपके चारों ओर विश्व के समस्त राष्ट्र एकत्र हों और आप पुनः उनके मध्य अपने निर्धारित उच्चासन पर विराजमान हो जाइए,
8 Dominus judicat populos. Judica me, Domine, secundum justitiam meam, et secundum innocentiam meam super me.
याहवेह ही राष्ट्रों के न्यायाध्यक्ष हैं. याहवेह, मेरी सच्चाई, एवं ईमानदारी के कारण मेरा न्याय करें,
9 Consumetur nequitia peccatorum, et diriges justum, scrutans corda et renes, Deus.
दुष्ट के दुष्कर्म समाप्‍त हो जाएं आप ईमानदारी को स्थिर करें, आप ही युक्त परमेश्वर हैं. आप ही हैं, जो मन के विचारों एवं मर्म की विवेचना करते हैं.
10 Justum adjutorium meum a Domino, qui salvos facit rectos corde.
परमेश्वर मेरी सुरक्षा की ढाल हैं, वही सीधे मनवालों को बचाते हैं.
11 Deus judex justus, fortis, et patiens; numquid irascitur per singulos dies?
परमेश्वर युक्त न्यायाध्यक्ष हैं, ऐसे परमेश्वर, जो सदैव ही बुराई से क्रोध करते हैं.
12 Nisi conversi fueritis, gladium suum vibrabit; arcum suum tetendit, et paravit illum.
यदि मनुष्य पश्चात्ताप न करे, परमेश्वर अपनी तलवार की धार तीक्ष्ण करते हैं; वह अपना धनुष साध बाण डोरी पर चढ़ा लेते हैं.
13 Et in eo paravit vasa mortis, sagittas suas ardentibus effecit.
परमेश्वर ने अपने घातक शस्त्र तैयार कर लिए हैं; उन्होंने अपने बाणों को अग्निबाण बना लिया है.
14 Ecce parturiit injustitiam; concepit dolorem, et peperit iniquitatem.
दुष्ट जन विनाश की योजनाओं को अपने गर्भ में धारण किए हुए हैं, वे झूठ का जन्म देते हैं.
15 Lacum aperuit, et effodit eum; et incidit in foveam quam fecit.
उसने भूमि खोदी और गड्ढा बनाया और वह अपने ही खोदे हुए गड्ढे में जा गिरा.
16 Convertetur dolor ejus in caput ejus, et in verticem ipsius iniquitas ejus descendet.
उसकी विनाशक युक्तियां लौटकर उसी के सिर पर आ पड़ेंगी; उसकी हिंसा उसी की खोपड़ी पर आ उतरेगी.
17 Confitebor Domino secundum justitiam ejus, et psallam nomini Domini altissimi.
मैं याहवेह को उनके धर्म के अनुसार धन्यवाद दूंगा; मैं सर्वोच्च याहवेह के नाम का स्तवन करूंगा.

< Psalmorum 7 >