< Psalmorum 33 >

1 Psalmus David. Exsultate, justi, in Domino; rectos decet collaudatio.
ऐ सादिक़ो, ख़ुदावन्द में ख़ुश रहो। हम्द करना रास्तबाज़ों की ज़ेबा है।
2 Confitemini Domino in cithara; in psalterio decem chordarum psallite illi.
सितार के साथ ख़ुदावन्द का शुक्र करो, दस तार की बरबत के साथ उसकी सिताइश करो।
3 Cantate ei canticum novum; bene psallite ei in vociferatione.
उसके लिए नया गीत गाओ, बुलन्द आवाज़ के साथ अच्छी तरह बजाओ।
4 Quia rectum est verbum Domini, et omnia opera ejus in fide.
क्यूँकि ख़ुदावन्द का कलाम रास्त है; और उसके सब काम बावफ़ा हैं।
5 Diligit misericordiam et judicium; misericordia Domini plena est terra.
वह सदाक़त और इन्साफ़ को पसंद करता है; ज़मीन ख़ुदावन्द की शफ़क़त से मा'मूर है।
6 Verbo Domini cæli firmati sunt, et spiritu oris ejus omnis virtus eorum.
आसमान ख़ुदावन्द के कलाम से, और उसका सारा लश्कर उसके मुँह के दम से बना।
7 Congregans sicut in utre aquas maris; ponens in thesauris abyssos.
वह समन्दर का पानी तूदे की तरह जमा' करता है; वह गहरे समन्दरों को मख़ज़नों में रखता है।
8 Timeat Dominum omnis terra; ab eo autem commoveantur omnes inhabitantes orbem.
सारी ज़मीन ख़ुदावन्द से डरे, जहान के सब बाशिन्दे उसका ख़ौफ़ रख्खें।
9 Quoniam ipse dixit, et facta sunt; ipse mandavit et creata sunt.
क्यूँकि उसने फ़रमाया और हो गया; उसने हुक्म दिया और वाके' हुआ।
10 Dominus dissipat consilia gentium; reprobat autem cogitationes populorum, et reprobat consilia principum.
ख़ुदावन्द क़ौमों की मश्वरत को बेकार कर देता है; वह उम्मतों के मन्सूबों को नाचीज़ बना देता है।
11 Consilium autem Domini in æternum manet; cogitationes cordis ejus in generatione et generationem.
ख़ुदावन्द की मसलहत हमेशा तक क़ाईम रहेगी, और उसके दिल के ख़याल नसल दर नसल।
12 Beata gens cujus est Dominus Deus ejus; populus quem elegit in hæreditatem sibi.
मुबारक है वह क़ौम जिसका ख़ुदा ख़ुदावन्द है, और वह उम्मत जिसको उसने अपनी ही मीरास के लिए बरगुज़ीदा किया।
13 De cælo respexit Dominus; vidit omnes filios hominum.
ख़ुदावन्द आसमान पर से देखता है, सब बनी आदम पर उसकी निगाह है।
14 De præparato habitaculo suo respexit super omnes qui habitant terram:
अपनी सुकूनत गाह से वह ज़मीन के सब बाशिन्दों को देखता है।
15 qui finxit sigillatim corda eorum; qui intelligit omnia opera eorum.
वही है जो उन सबके दिलों को बनाता, और उनके सब कामों का ख़याल रखता है।
16 Non salvatur rex per multam virtutem, et gigas non salvabitur in multitudine virtutis suæ.
किसी बादशाह को फ़ौज की कसरत न बचाएगी; और किसी ज़बरदस्त आदमी को उसकी बड़ी ताक़त रिहाई न देगी।
17 Fallax equus ad salutem; in abundantia autem virtutis suæ non salvabitur.
बच निकलने के लिए घोड़ा बेकार है, वह अपनी शहज़ोरी से किसी को नबचाएगा।
18 Ecce oculi Domini super metuentes eum, et in eis qui sperant super misericordia ejus:
देखो ख़ुदावन्द की निगाह उन पर है जो उससे डरते हैं; जो उसकी शफ़क़त के उम्मीदवार हैं,
19 ut eruat a morte animas eorum, et alat eos in fame.
ताकि उनकी जान मौत से बचाए, और सूखे में उनको ज़िन्दा रख्खे।
20 Anima nostra sustinet Dominum, quoniam adjutor et protector noster est.
हमारी जान को ख़ुदावन्द की उम्मीद है; वही हमारी मदद और हमारी ढाल है।
21 Quia in eo lætabitur cor nostrum, et in nomine sancto ejus speravimus.
हमारा दिल उसमें ख़ुश रहेगा, क्यूँकि हम ने उसके पाक नाम पर भरोसा किया है।
22 Fiat misericordia tua, Domine, super nos, quemadmodum speravimus in te.
ऐ ख़ुदावन्द, जैसी तुझ पर हमारी उम्मीद है, वैसी ही तेरी रहमत हम पर हो।

< Psalmorum 33 >