< Psalmorum 23 >

1 Psalmus David. Dominus regit me, et nihil mihi deerit:
दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह मेरे चरवाहा हैं, मुझे कोई घटी न होगी.
2 in loco pascuæ, ibi me collocavit. Super aquam refectionis educavit me;
वह मुझे हरी-हरी चराइयों में विश्रान्ति प्रदान करते हैं, वह मुझे शांत स्फूर्ति देनेवाली जलधाराओं के निकट ले जाते हैं.
3 animam meam convertit. Deduxit me super semitas justitiæ propter nomen suum.
वह मेरे प्राण में नवजीवन का संचार करते हैं. वह अपनी ही महिमा के निमित्त मुझे धर्म के मार्ग पर लिए चलते हैं.
4 Nam etsi ambulavero in medio umbræ mortis, non timebo mala, quoniam tu mecum es. Virga tua, et baculus tuus, ipsa me consolata sunt.
यद्यपि मैं भयानक अंधकारमय घाटी में से होकर आगे बढ़ता हूं, तौभी मैं किसी बुराई से भयभीत नहीं होता, क्योंकि आप मेरे साथ होते हैं, आपकी लाठी और आपकी छड़ी, मेरे आश्वासन हैं.
5 Parasti in conspectu meo mensam adversus eos qui tribulant me; impinguasti in oleo caput meum: et calix meus inebrians, quam præclarus est!
आप मेरे शत्रुओं के सामने मेरे लिए उत्कृष्ट भोजन परोसते हैं. आप तेल से मेरे सिर को मला करते हैं; मेरा प्याला उमड़ रहा है.
6 Et misericordia tua subsequetur me omnibus diebus vitæ meæ; et ut inhabitem in domo Domini in longitudinem dierum.
निश्चयतः कुशल मंगल और करुणा-प्रेम आजीवन मेरे साथ साथ बने रहेंगे, और मैं सदा-सर्वदा याहवेह के आवास में, निवास करता रहूंगा.

< Psalmorum 23 >