< Psalmorum 119 >

1 Alleluja. Beati immaculati in via, qui ambulant in lege Domini.
कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.
2 Beati qui scrutantur testimonia ejus; in toto corde exquirunt eum.
कैसे धन्य हैं वे, जो उनके अधिनियमों का पालन करते हैं तथा जो पूर्ण मन से उनके खोजी हैं.
3 Non enim qui operantur iniquitatem in viis ejus ambulaverunt.
वे याहवेह के मार्गों में चलते हैं, और उनसे कोई अन्याय नहीं होता.
4 Tu mandasti mandata tua custodiri nimis.
आपने ये आदेश इसलिये दिए हैं, कि हम इनका पूरी तरह पालन करें.
5 Utinam dirigantur viæ meæ ad custodiendas justificationes tuas.
मेरी कामना है कि आपके आदेशों का पालन करने में मेरा आचरण दृढ़ रहे!
6 Tunc non confundar, cum perspexero in omnibus mandatis tuis.
मैं आपके आदेशों पर विचार करता रहूंगा, तब मुझे कभी लज्जित होना न पड़ेगा.
7 Confitebor tibi in directione cordis, in eo quod didici judicia justitiæ tuæ.
जब मैं आपकी धर्ममय व्यवस्था का मनन करूंगा, तब मैं निष्कपट हृदय से आपका स्तवन करूंगा.
8 Justificationes tuas custodiam; non me derelinquas usquequaque.
मैं आपकी विधियों का पालन करूंगा; आप मेरा परित्याग कभी न कीजिए.
9 In quo corrigit adolescentior viam suam? in custodiendo sermones tuos.
युवा अपना आचरण कैसे स्वच्छ रखे? आपके वचन पालन के द्वारा.
10 In toto corde meo exquisivi te; ne repellas me a mandatis tuis.
मैं आपको संपूर्ण हृदय से खोजता हूं; आप मुझे अपने आदेशों से भटकने न दीजिए.
11 In corde meo abscondi eloquia tua, ut non peccem tibi.
आपके वचन को मैंने अपने हृदय में इसलिये रख छोड़ा है, कि मैं आपके विरुद्ध पाप न कर बैठूं.
12 Benedictus es, Domine; doce me justificationes tuas.
याहवेह, आपका स्तवन हो; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
13 In labiis meis pronuntiavi omnia judicia oris tui.
जो व्यवस्था आपके मुख द्वारा निकली हैं, मैं उन्हें अपने मुख से दोहराता रहता हूं.
14 In via testimoniorum tuorum delectatus sum, sicut in omnibus divitiis.
आपके अधिनियमों का पालन करना मेरा आनंद है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई विशाल धनराशि पर आनंदित होता है.
15 In mandatis tuis exercebor, et considerabo vias tuas.
आपके नीति-सिद्धांत मेरे चिंतन का विषय हैं, मैं आपकी सम्विधियों की विवेचना करता रहता हूं.
16 In justificationibus tuis meditabor: non obliviscar sermones tuos.
आपकी विधियां मुझे मगन कर देती हैं, आपके वचनों को मैं कभी न भूलूंगा.
17 Retribue servo tuo, vivifica me, et custodiam sermones tuos.
अपने सेवक पर उपकार कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं, मैं आपके वचन का पालन करूंगा.
18 Revela oculos meos, et considerabo mirabilia de lege tua.
मुझे आपकी व्यवस्था की गहन और अद्भुत बातों को ग्रहण करने की दृष्टि प्रदान कीजिए.
19 Incola ego sum in terra: non abscondas a me mandata tua.
पृथ्वी पर मैं प्रवासी मात्र हूं; मुझसे अपने निर्देश न छिपाइए.
20 Concupivit anima mea desiderare justificationes tuas in omni tempore.
सारा समय आपकी व्यवस्था की अभिलाषा करते-करते मेरे प्राण डूब चले हैं.
21 Increpasti superbos; maledicti qui declinant a mandatis tuis.
आपकी प्रताड़ना उन पर पड़ती है, जो अभिमानी हैं, शापित हैं, और जो आपके आदेशों का परित्याग कर भटकते रहते हैं.
22 Aufer a me opprobrium et contemptum, quia testimonia tua exquisivi.
मुझ पर लगे घृणा और तिरस्कार के कलंक को मिटा दीजिए, क्योंकि मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं.
23 Etenim sederunt principes, et adversum me loquebantur; servus autem tuus exercebatur in justificationibus tuis.
यद्यपि प्रशासक साथ बैठकर मेरी निंदा करते हैं, आपका यह सेवक आपकी विधियों पर मनन करेगा.
24 Nam et testimonia tua meditatio mea est, et consilium meum justificationes tuæ.
आपके अधिनियमों में मगन है मेरा आनंद; वे ही मेरे सलाहकार हैं.
25 Adhæsit pavimento anima mea: vivifica me secundum verbum tuum.
मेरा प्राण नीचे धूलि में जा पड़ा है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
26 Vias meas enuntiavi, et exaudisti me; doce me justificationes tuas.
जब मैंने आपके सामने अपने आचरण का वर्णन किया, आपने मुझे उत्तर दिया; याहवेह, अब मुझे अपनी विधियां सिखा दीजिए.
27 Viam justificationum tuarum instrue me, et exercebor in mirabilibus tuis.
मुझे अपने उपदेशों की प्रणाली की समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपके अद्भुत कार्यों पर मनन कर सकूं.
28 Dormitavit anima mea præ tædio: confirma me in verbis tuis.
शोक अतिरेक में मेरा प्राण डूबा जा रहा है; अपने वचन से मुझमें बल दीजिए.
29 Viam iniquitatis amove a me, et de lege tua miserere mei.
झूठे मार्ग से मुझे दूर रखिए; और अपनी कृपा में मुझे अपनी व्यवस्था की शिक्षा दीजिए.
30 Viam veritatis elegi; judicia tua non sum oblitus.
मैंने सच्चाई के मार्ग को अपनाया है; मैंने आपके नियमों को अपना आदर्श बनाया है.
31 Adhæsi testimoniis tuis, Domine; noli me confundere.
याहवेह, मैंने आपके नियमों को दृढतापूर्वक थाम रखा है; मुझे लज्जित न होने दीजिए.
32 Viam mandatorum tuorum cucurri, cum dilatasti cor meum.
आपने मेरे हृदय में साहस का संचार किया है, तब मैं अब आपके आदेशों के पथ पर दौड़ रहा हूं.
33 Legem pone mihi, Domine, viam justificationum tuarum, et exquiram eam semper.
याहवेह, मुझे आपकी विधियों का आचरण करने की शिक्षा दीजिए, कि मैं आजीवन उनका पालन करता रहूं.
34 Da mihi intellectum, et scrutabor legem tuam, et custodiam illam in toto corde meo.
मुझे वह समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी व्यवस्था का पालन कर सकूं और संपूर्ण हृदय से इसमें मगन आज्ञाओं का पालन कर सकूं.
35 Deduc me in semitam mandatorum tuorum, quia ipsam volui.
अपने आदेशों के मार्ग में मेरा संचालन कीजिए, क्योंकि इन्हीं में मेरा आनंद है.
36 Inclina cor meum in testimonia tua, et non in avaritiam.
मेरे हृदय को स्वार्थी लाभ की ओर नहीं, परंतु अपने नियमों की ओर फेर दीजिए.
37 Averte oculos meos, ne videant vanitatem; in via tua vivifica me.
अपने वचन के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए; मेरी रुचि निरर्थक वस्तुओं से हटा दीजिए.
38 Statue servo tuo eloquium tuum in timore tuo.
अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा पूर्ण कीजिए, कि आपके प्रति मेरी श्रद्धा स्थायी रहे.
39 Amputa opprobrium meum quod suspicatus sum, quia judicia tua jucunda.
उस लज्जा को मुझसे दूर रखिए, जिसकी मुझे आशंका है, क्योंकि आपके नियम उत्तम हैं.
40 Ecce concupivi mandata tua: in æquitate tua vivifica me.
कैसी तीव्र है आपके उपदेशों के प्रति मेरी अभिलाषा! अपनी धार्मिकता के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
41 Et veniat super me misericordia tua, Domine; salutare tuum secundum eloquium tuum.
याहवेह, आपका करुणा-प्रेम मुझ पर प्रगट हो जाए, और आपकी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे आपका उद्धार प्राप्‍त हो;
42 Et respondebo exprobrantibus mihi verbum, quia speravi in sermonibus tuis.
कि मैं उसे उत्तर दे सकूं, जो मेरा अपमान करता है, आपके वचन पर मेरा भरोसा है.
43 Et ne auferas de ore meo verbum veritatis usquequaque, quia in judiciis tuis supersperavi.
सत्य के वचन मेरे मुख से न छीनिए, मैं आपकी व्यवस्था पर आशा रखता हूं.
44 Et custodiam legem tuam semper, in sæculum et in sæculum sæculi.
मैं सदा-सर्वदा निरंतर, आपकी व्यवस्था का पालन करता रहूंगा.
45 Et ambulabam in latitudine, quia mandata tua exquisivi.
मेरा जीवन स्वतंत्र हो जाएगा, क्योंकि मैं आपके उपदेशों का खोजी हूं.
46 Et loquebar in testimoniis tuis in conspectu regum, et non confundebar.
राजाओं के सामने मैं आपके अधिनियमों पर व्याख्यान दूंगा और मुझे लज्जित नहीं होना पड़ेगा.
47 Et meditabar in mandatis tuis, quæ dilexi.
क्योंकि आपका आदेश मेरे आनंद का उगम हैं, और वे मुझे प्रिय हैं.
48 Et levavi manus meas ad mandata tua, quæ dilexi, et exercebar in justificationibus tuis.
मैं आपके आदेशों की ओर हाथ बढ़ाऊंगा, जो मुझे प्रिय हैं, और आपकी विधियां मेरे मनन का विषय हैं.
49 Memor esto verbi tui servo tuo, in quo mihi spem dedisti.
याहवेह, अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा को स्मरण कीजिए, क्योंकि आपने मुझमें आशा का संचार किया है.
50 Hæc me consolata est in humilitate mea, quia eloquium tuum vivificavit me.
मेरी पीड़ा में मुझे इस बातों से सांत्वना प्राप्‍त होती है: आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे नवजीवन का स्रोत हैं.
51 Superbi inique agebant usquequaque; a lege autem tua non declinavi.
अहंकारी बेधड़क मेरा उपहास करते हैं, किंतु मैं आपकी व्यवस्था से दूर नहीं होता.
52 Memor fui judiciorum tuorum a sæculo, Domine, et consolatus sum.
याहवेह, जब प्राचीन काल से प्रगट आपकी व्यवस्था पर मैं विचार करता हूं, तब मुझे उनमें सांत्वना प्राप्‍त होती है.
53 Defectio tenuit me, pro peccatoribus derelinquentibus legem tuam.
दुष्ट मुझमें कोप उकसाते हैं, ये वे हैं, जिन्होंने आपकी व्यवस्था त्याग दी है.
54 Cantabiles mihi erant justificationes tuæ in loco peregrinationis meæ.
आपकी विधियां मेरे गीत की विषय-वस्तु हैं चाहे मैं किसी भी स्थिति में रहूं.
55 Memor fui nocte nominis tui, Domine, et custodivi legem tuam.
याहवेह, मैं आपकी व्यवस्था का पालन करता हूं, रात्रि में मैं आपका स्मरण करता हूं.
56 Hæc facta est mihi, quia justificationes tuas exquisivi.
आपके उपदेशों का पालन करते जाना ही मेरी चर्या है.
57 Portio mea, Domine, dixi custodire legem tuam.
याहवेह, आप मेरे जीवन का अंश बन गए हैं; आपके आदेशों के पालन के लिए मैंने शपथ की है.
58 Deprecatus sum faciem tuam in toto corde meo; miserere mei secundum eloquium tuum.
सारे मन से मैंने आपसे आग्रह किया है; अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए.
59 Cogitavi vias meas, et converti pedes meos in testimonia tua.
मैंने अपनी जीवनशैली का विचार किया है और मैंने आपके अधिनियमों के पालन की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं.
60 Paratus sum, et non sum turbatus, ut custodiam mandata tua.
अब मैं विलंब न करूंगा और शीघ्रता से आपके आदेशों को मानना प्रारंभ कर दूंगा.
61 Funes peccatorum circumplexi sunt me, et legem tuam non sum oblitus.
मैं आपकी व्यवस्था से दूर न होऊंगा, यद्यपि दुर्जनों ने मुझे रस्सियों से बांध भी रखा हो.
62 Media nocte surgebam ad confitendum tibi, super judicia justificationis tuæ.
आपकी युक्ति संगत व्यवस्था के प्रति आभार अभिव्यक्त करने के लिए, मैं मध्य रात्रि को ही जाग जाता हूं.
63 Particeps ego sum omnium timentium te, et custodientium mandata tua.
मेरी मैत्री उन सभी से है, जिनमें आपके प्रति श्रद्धा है, उन सभी से, जो आपके उपदेशों पर चलते हैं.
64 Misericordia tua, Domine, plena est terra; justificationes tuas doce me.
याहवेह, पृथ्वी आपके करुणा-प्रेम से तृप्‍त है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
65 Bonitatem fecisti cum servo tuo, Domine, secundum verbum tuum.
याहवेह, अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप अपने सेवक का कल्याण कीजिए.
66 Bonitatem, et disciplinam, et scientiam doce me, quia mandatis tuis credidi.
मुझे ज्ञान और धर्ममय परख सीखाइए, क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं पर भरोसा करता हूं.
67 Priusquam humiliarer ego deliqui: propterea eloquium tuum custodivi.
अपनी पीड़ाओं में रहने के पूर्व मैं भटक गया था, किंतु अब मैं आपके वचन के प्रति आज्ञाकारी हूं.
68 Bonus es tu, et in bonitate tua doce me justificationes tuas.
आप धन्य हैं, और जो कुछ आप करते हैं भला ही होता है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
69 Multiplicata est super me iniquitas superborum; ego autem in toto corde meo scrutabor mandata tua.
यद्यपि अहंकारियों ने मुझे झूठी बातों से कलंकित कर दिया है, मैं पूर्ण सच्चाई में आपके आदेशों को थामे हुए हूं.
70 Coagulatum est sicut lac cor eorum; ego vero legem tuam meditatus sum.
उनके हृदय कठोर तथा संवेदनहीन हो चुके हैं, किंतु आपकी व्यवस्था ही मेरा आनंद है.
71 Bonum mihi quia humiliasti me, ut discam justificationes tuas.
यह मेरे लिए भला ही रहा कि मैं प्रताड़ित किया गया, इससे मैं आपकी विधियों से सीख सकूं.
72 Bonum mihi lex oris tui, super millia auri et argenti.
आपके मुख से निकली व्यवस्था मेरे लिए स्वर्ण और चांदी की हजारों मुद्राओं से कहीं अधिक मूल्यवान हैं.
73 Manus tuæ fecerunt me, et plasmaverunt me: da mihi intellectum, et discam mandata tua.
आपके हाथों ने मेरा निर्माण किया और मुझे आकार दिया; मुझे अपने आदेशों को समझने की सद्बुद्धि प्रदान कीजिए.
74 Qui timent te videbunt me et lætabuntur, quia in verba tua supersperavi.
मुझे देख आपके भक्त उल्‍लसित हो सकें, क्योंकि आपका वचन ही मेरी आशा है.
75 Cognovi, Domine, quia æquitas judicia tua, et in veritate tua humiliasti me.
याहवेह, यह मैं जानता हूं कि आपकी व्यवस्था धर्ममय है, और आपके द्वारा मेरा क्लेश न्याय संगत था.
76 Fiat misericordia tua ut consoletur me, secundum eloquium tuum servo tuo.
अब अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा के अनुरूप, आपका करुणा-प्रेम ही मेरी शांति है!
77 Veniant mihi miserationes tuæ, et vivam, quia lex tua meditatio mea est.
आपकी व्यवस्था में मेरा आनन्दमग्न है, तब मुझे आपकी मनोहरता में जीवन प्राप्‍त हो.
78 Confundantur superbi, quia injuste iniquitatem fecerunt in me; ego autem exercebor in mandatis tuis.
अहंकारियों को लज्जित होना पड़े क्योंकि उन्होंने अकारण ही मुझसे छल किया है; किंतु मैं आपके उपदेशों पर मनन करता रहूंगा.
79 Convertantur mihi timentes te, et qui noverunt testimonia tua.
आपके श्रद्धालु, जिन्होंने आपके अधिनियमों को समझ लिया है, पुनः मेरे पक्ष में हो जाएं,
80 Fiat cor meum immaculatum in justificationibus tuis, ut non confundar.
मेरा हृदय पूर्ण सिद्धता में आपकी विधियों का पालन करता रहे, कि मुझे लज्जित न होना पड़े.
81 Defecit in salutare tuum anima mea, et in verbum tuum supersperavi.
आपके उद्धार की तीव्र अभिलाषा करते हुए मेरा प्राण बेचैन हुआ जा रहा है, अब आपका वचन ही मेरी आशा का आधार है.
82 Defecerunt oculi mei in eloquium tuum, dicentes: Quando consolaberis me?
आपकी प्रतिज्ञा-पूर्ति की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं; मैं पूछ रहा हूं, “कब मुझे आपकी ओर से सांत्वना प्राप्‍त होगी?”
83 Quia factus sum sicut uter in pruina; justificationes tuas non sum oblitus.
यद्यपि मैं धुएं में संकुचित द्राक्षारस की कुप्पी के समान हो गया हूं, फिर भी आपकी विधियां मेरे मन से लुप्‍त नहीं हुई हैं.
84 Quot sunt dies servi tui? quando facies de persequentibus me judicium?
और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी आपके सेवक को? आप कब मेरे सतानेवालों को दंड देंगे?
85 Narraverunt mihi iniqui fabulationes, sed non ut lex tua.
अहंकारियों ने मेरे लिए गड्ढे खोद रखे हैं, उनका आचरण आपकी व्यवस्था के विपरीत है.
86 Omnia mandata tua veritas: inique persecuti sunt me, adjuva me.
विश्वासयोग्य हैं आपके आदेश; मेरी सहायता कीजिए, झूठ बोलनेवाले मुझे दुःखित कर रहे हैं.
87 Paulominus consummaverunt me in terra; ego autem non dereliqui mandata tua.
उन्होंने मुझे धरती पर से लगभग मिटा ही डाला था, फिर भी मैं आपके नीति सूत्रों से दूर न हुआ.
88 Secundum misericordiam tuam vivifica me, et custodiam testimonia oris tui.
मैं आपके मुख से बोले हुए नियमों का पालन करता रहूंगा, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मेरे जीवन की रक्षा कीजिए.
89 In æternum, Domine, verbum tuum permanet in cælo.
याहवेह, सर्वदा है आपका वचन; यह स्वर्ग में दृढतापूर्वक बसा है.
90 In generationem et generationem veritas tua; fundasti terram, et permanet.
पीढ़ी से पीढ़ी आपकी सच्चाई बनी रहती है; आपके द्वारा ही पृथ्वी की स्थापना की गई और यह स्थायी बनी हुई है.
91 Ordinatione tua perseverat dies, quoniam omnia serviunt tibi.
आप के नियम सभी आज तक अस्तित्व में हैं, और सभी कुछ आपकी सेवा कर रहे हैं.
92 Nisi quod lex tua meditatio mea est, tunc forte periissem in humilitate mea.
यदि आपकी व्यवस्था में मैं उल्लास मगन न होता, तो इन पीड़ाओं को सहते सहते मेरी मृत्यु हो जाती.
93 In æternum non obliviscar justificationes tuas, quia in ipsis vivificasti me.
आपके उपदेश मेरे मन से कभी नष्ट न होंगे, क्योंकि इन्हीं के द्वारा आपने मुझे जीवन प्रदान किया है,
94 Tuus sum ego; salvum me fac: quoniam justificationes tuas exquisivi.
तब मुझ पर आपका ही स्वामित्व है, मेरी रक्षा कीजिए; मैं आपके ही उपदेशों का खोजी हूं.
95 Me exspectaverunt peccatores ut perderent me; testimonia tua intellexi.
दुष्ट मुझे नष्ट करने के उद्देश्य से घात लगाए बैठे हैं, किंतु आपकी चेतावनियों पर मैं विचार करता रहूंगा.
96 Omnis consummationis vidi finem, latum mandatum tuum nimis.
हर एक सिद्धता में मैंने कोई न कोई सीमा ही पाई है, किंतु आपके आदेश असीमित हैं.
97 Quomodo dilexi legem tuam, Domine! tota die meditatio mea est.
आह, कितनी अधिक प्रिय है मुझे आपकी व्यवस्था! इतना, कि मैं दिन भर इसी पर विचार करता रहता हूं.
98 Super inimicos meos prudentem me fecisti mandato tuo, quia in æternum mihi est.
आपके आदेशों ने तो मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बना दिया है क्योंकि ये कभी मुझसे दूर नहीं होते.
99 Super omnes docentes me intellexi, quia testimonia tua meditatio mea est.
मुझमें तो अपने सभी शिक्षकों से अधिक समझ है, क्योंकि आपके उपदेश मेरे चिंतन का विषय हैं.
100 Super senes intellexi, quia mandata tua quæsivi.
आपके उपदेशों का पालन करने का ही परिणाम यह है, कि मुझमें बुजुर्गों से अधिक समझ है.
101 Ab omni via mala prohibui pedes meos, ut custodiam verba tua.
आपकी आज्ञा का पालन करने के लक्ष्य से, मैंने अपने कदम हर एक अधर्म के पथ पर चलने से बचा रखे हैं.
102 A judiciis tuis non declinavi, quia tu legem posuisti mihi.
आप ही के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण, मैं आपके नियम तोड़ने से बच सका हूं.
103 Quam dulcia faucibus meis eloquia tua! super mel ori meo.
कैसा मधुर है आपकी प्रतिज्ञाओं का आस्वादन करना, आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे मुख में मधु से भी अधिक मीठी हैं!
104 A mandatis tuis intellexi; propterea odivi omnem viam iniquitatis.
हर एक झूठा मार्ग मेरी दृष्टि में घृणास्पद है; क्योंकि आपके उपदेशों से मुझे समझदारी प्राप्‍त होती है.
105 Lucerna pedibus meis verbum tuum, et lumen semitis meis.
आपका वचन मेरे पांवों के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए प्रकाश है.
106 Juravi et statui custodire judicia justitiæ tuæ.
मैंने यह शपथ ली है और यह सुनिश्चित किया है, कि मैं आपके धर्ममय नियमों का ही पालन करता जाऊंगा.
107 Humiliatus sum usquequaque, Domine; vivifica me secundum verbum tuum.
याहवेह, मेरी पीड़ा असह्य है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
108 Voluntaria oris mei beneplacita fac, Domine, et judicia tua doce me.
याहवेह, मेरे मुख से निकले स्वैच्छिक स्तवन वचनों को स्वीकार कीजिए, और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
109 Anima mea in manibus meis semper, et legem tuam non sum oblitus.
आपकी व्यवस्था से मैं कभी दूर न होऊंगा, यद्यपि मैं लगातार अपने जीवन को हथेली पर लिए फिरता हूं.
110 Posuerunt peccatores laqueum mihi, et de mandatis tuis non erravi.
दुष्टों ने मेरे लिए जाल बिछाया हुआ है, किंतु मैं आपके उपदेशों से नहीं भटका.
111 Hæreditate acquisivi testimonia tua in æternum, quia exsultatio cordis mei sunt.
आपके नियमों को मैंने सदा-सर्वदा के लिए निज भाग में प्राप्‍त कर लिया है; वे ही मेरे हृदय का आनंद हैं.
112 Inclinavi cor meum ad faciendas justificationes tuas in æternum, propter retributionem.
आपकी विधियों का अंत तक पालन करने के लिए मेरा हृदय तैयार है.
113 Iniquos odio habui, et legem tuam dilexi.
दुविधा से ग्रस्त मन का पुरुष मेरे लिए घृणास्पद है, मुझे प्रिय है आपकी व्यवस्था.
114 Adjutor et susceptor meus es tu, et in verbum tuum supersperavi.
आप मेरे आश्रय हैं, मेरी ढाल हैं; मेरी आशा का आधार है आपका वचन.
115 Declinate a me, maligni, et scrutabor mandata Dei mei.
अधर्मियो, दूर रहो मुझसे, कि मैं परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सकूं!
116 Suscipe me secundum eloquium tuum, et vivam, et non confundas me ab exspectatione mea.
याहवेह, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे सम्भालिए, कि मैं जीवित रहूं; मेरी आशा भंग न होने पाए.
117 Adjuva me, et salvus ero, et meditabor in justificationibus tuis semper.
मुझे थाम लीजिए कि मैं सुरक्षित रहूं; मैं सदैव आपकी विधियों पर भरोसा करता रहूंगा.
118 Sprevisti omnes discedentes a judiciis tuis, quia injusta cogitatio eorum.
वे सभी, जो आपके नियमों से भटक जाते हैं, आपकी उपेक्षा के पात्र हो जाते हैं, क्योंकि निरर्थक होती है उनकी चालाकी.
119 Prævaricantes reputavi omnes peccatores terræ; ideo dilexi testimonia tua.
संसार के सभी दुष्टों को आप मैल के समान फेंक देते हैं; यही कारण है कि मुझे आपकी चेतावनियां प्रिय हैं.
120 Confige timore tuo carnes meas; a judiciis enim tuis timui.
आपके भय से मेरी देह कांप जाती है; आपके निर्णयों का विचार मुझमें भय का संचार कर देता है.
121 Feci judicium et justitiam: non tradas me calumniantibus me.
मैंने वही किया है, जो न्याय संगत तथा धर्ममय है; मुझे सतानेवालों के सामने न छोड़ दीजिएगा.
122 Suscipe servum tuum in bonum: non calumnientur me superbi.
अपने सेवक का हित निश्चित कर दीजिए; अहंकारियों को मुझ पर अत्याचार न करने दीजिए.
123 Oculi mei defecerunt in salutare tuum, et in eloquium justitiæ tuæ.
आपके उद्धार की प्रतीक्षा में, आपकी निष्ठ प्रतिज्ञाओं की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं.
124 Fac cum servo tuo secundum misericordiam tuam, et justificationes tuas doce me.
अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप अपने सेवक से व्यवहार कीजिए और मुझे अपने अधिनियमों की शिक्षा दीजिए.
125 Servus tuus sum ego: da mihi intellectum, ut sciam testimonia tua.
मैं आपका सेवक हूं, मुझे समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी विधियों को समझ सकूं.
126 Tempus faciendi, Domine: dissipaverunt legem tuam.
याहवेह, आपके नियम तोड़े जा रहे हैं; समय आ गया है कि आप अपना कार्य करें.
127 Ideo dilexi mandata tua super aurum et topazion.
इसलिये कि मुझे आपके आदेश स्वर्ण से अधिक प्रिय हैं, शुद्ध कुन्दन से अधिक,
128 Propterea ad omnia mandata tua dirigebar; omnem viam iniquam odio habui.
मैं आपके उपदेशों को धर्ममय मानता हूं, तब मुझे हर एक गलत मार्ग से घृणा है.
129 Mirabilia testimonia tua: ideo scrutata est ea anima mea.
अद्भुत हैं आपके अधिनियम; इसलिये मैं उनका पालन करता हूं.
130 Declaratio sermonum tuorum illuminat, et intellectum dat parvulis.
आपके वचन के खुलने से ज्योति उत्पन्‍न होती है; परिणामस्वरूप भोले पुरुषों को सबुद्धि प्राप्‍त होती है.
131 Os meum aperui, et attraxi spiritum: quia mandata tua desiderabam.
मेरा मुख खुला है और मैं हांफ रहा हूं, क्योंकि मुझे प्यास है आपके आदेशों की.
132 Aspice in me, et miserere mei, secundum judicium diligentium nomen tuum.
मेरी ओर ध्यान दीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, जैसी आपकी नीति उनके प्रति है, जिन्हें आपसे प्रेम है.
133 Gressus meos dirige secundum eloquium tuum, et non dominetur mei omnis injustitia.
अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मेरे पांव को स्थिर कर दीजिए; कोई भी दुष्टता मुझ पर प्रभुता न करने पाए.
134 Redime me a calumniis hominum ut custodiam mandata tua.
मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा लीजिए, कि मैं आपके उपदेशों का पालन कर सकूं.
135 Faciem tuam illumina super servum tuum, et doce me justificationes tuas.
अपने सेवक पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
136 Exitus aquarum deduxerunt oculi mei, quia non custodierunt legem tuam.
मेरी आंखों से अश्रुप्रवाह हो रहा है, क्योंकि लोग आपकी व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे.
137 Justus es, Domine, et rectum judicium tuum.
याहवेह, आप धर्मी हैं, सच्चे हैं आपके नियम.
138 Mandasti justitiam testimonia tua, et veritatem tuam nimis.
जो अधिनियम आपने प्रगट किए हैं, वे धर्ममय हैं; वे हर एक दृष्टिकोण से विश्वासयोग्य हैं.
139 Tabescere me fecit zelus meus, quia obliti sunt verba tua inimici mei.
मैं भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे शत्रु आपके वचनों को भूल गए हैं.
140 Ignitum eloquium tuum vehementer, et servus tuus dilexit illud.
आपकी प्रतिज्ञाओं का उचित परीक्षण किया जा चुका है, वे आपके सेवक को अत्यंत प्रिय हैं.
141 Adolescentulus sum ego et contemptus; justificationes tuas non sum oblitus.
यद्यपि मैं छोटा, यहां तक कि लोगों की दृष्टि में घृणास्पद हूं, फिर भी मैं आपके अधिनियमों को नहीं भूलता.
142 Justitia tua, justitia in æternum, et lex tua veritas.
अनंत है आपकी धार्मिकता, परमेश्वर तथा यथार्थ है आपकी व्यवस्था.
143 Tribulatio et angustia invenerunt me; mandata tua meditatio mea est.
क्लेश और संकट मुझ पर टूट पड़े हैं, किंतु आपके आदेश मुझे मगन रखे हुए हैं.
144 Æquitas testimonia tua in æternum: intellectum da mihi, et vivam.
आपके अधिनियम सदा-सर्वदा धर्ममय ही प्रमाणित हुए हैं; मुझे इनके विषय में ऐसी समझ प्रदान कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं.
145 Clamavi in toto corde meo: exaudi me, Domine; justificationes tuas requiram.
याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपको पुकार रहा हूं, मुझे उत्तर दीजिए, कि मैं आपकी विधियों का पालन कर सकूं.
146 Clamavi ad te; salvum me fac: ut custodiam mandata tua.
मैं आपको पुकार रहा हूं; मेरी रक्षा कीजिए, कि मैं आपके अधिनियमों का पालन कर सकूं.
147 Præveni in maturitate, et clamavi: quia in verba tua supersperavi.
मैं सूर्योदय से पूर्व ही जाग कर सहायता के लिये पुकारता हूं; मेरी आशा आपके वचन पर आधारित है.
148 Prævenerunt oculi mei ad te diluculo, ut meditarer eloquia tua.
रात्रि के समस्त प्रहरों में मेरी आंखें खुली रहती हैं, कि मैं आपकी प्रतिज्ञाओं पर मनन कर सकूं.
149 Vocem meam audi secundum misericordiam tuam, Domine, et secundum judicium tuum vivifica me.
अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरी पुकार सुनिए; याहवेह, अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
150 Appropinquaverunt persequentes me iniquitati: a lege autem tua longe facti sunt.
जो मेरे विरुद्ध बुराई की युक्ति रच रहे हैं, मेरे निकट आ गए हैं, किंतु वे आपकी व्यवस्था से दूर हैं.
151 Prope es tu, Domine, et omnes viæ tuæ veritas.
फिर भी, याहवेह, आप मेरे निकट हैं, और आपके सभी आदेश प्रामाणिक हैं.
152 Initio cognovi de testimoniis tuis, quia in æternum fundasti ea.
अनेक-अनेक वर्ष पूर्व मैंने आपके अधिनियमों से यह अनुभव कर लिया था कि आपने इनकी स्थापना ही इसलिये की है कि ये सदा-सर्वदा स्थायी बने रहें.
153 Vide humilitatem meam, et eripe me, quia legem tuam non sum oblitus.
मेरे दुःख पर ध्यान दीजिए और मुझे इससे बचा लीजिए, क्योंकि आपकी व्यवस्था को मैं भुला नहीं.
154 Judica judicium meum, et redime me: propter eloquium tuum vivifica me.
मेरे पक्ष का समर्थन करके मेरा उद्धार कीजिए; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
155 Longe a peccatoribus salus, quia justificationes tuas non exquisierunt.
कठिन है दुष्टों का उद्धार होना, क्योंकि उन्हें आपकी विधियों की महानता ही ज्ञात नहीं.
156 Misericordiæ tuæ multæ, Domine; secundum judicium tuum vivifica me.
याहवेह, अनुपम है आपकी मनोहरता; अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
157 Multi qui persequuntur me, et tribulant me; a testimoniis tuis non declinavi.
मेरे सतानेवाले तथा शत्रु अनेक हैं, किंतु मैं आपके अधिनियमों से दूर नहीं हुआ हूं.
158 Vidi prævaricantes et tabescebam, quia eloquia tua non custodierunt.
विश्वासघाती आपके आदेशों का पालन नहीं करते, तब मेरी दृष्टि में वे घृणास्पद हैं.
159 Vide quoniam mandata tua dilexi, Domine: in misericordia tua vivifica me.
आप ही देख लीजिए: कितने प्रिय हैं मुझे आपके नीति-सिद्धांत; याहवेह, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
160 Principium verborum tuorum veritas; in æternum omnia judicia justitiæ tuæ.
वस्तुतः सत्य आपके वचन का सार है; तथा आपके धर्ममय नियम सदा-सर्वदा स्थायी रहते हैं.
161 Principes persecuti sunt me gratis, et a verbis tuis formidavit cor meum.
प्रधान मुझे बिना किसी कारण के दुःखित कर रहे हैं, किंतु आपके वचन का ध्यान कर मेरा हृदय कांप उठता है.
162 Lætabor ego super eloquia tua, sicut qui invenit spolia multa.
आपकी प्रतिज्ञाओं से मुझे ऐसा उल्लास प्राप्‍त होता है; जैसा किसी को बड़ी लूट प्राप्‍त हुई है.
163 Iniquitatem odio habui, et abominatus sum, legem autem tuam dilexi.
झूठ से मुझे घृणा है, बैर है किंतु मुझे प्रेम है आपकी व्यवस्था से.
164 Septies in die laudem dixi tibi, super judicia justitiæ tuæ.
आपकी धर्ममय व्यवस्था का ध्यान कर मैं दिन में सात-सात बार आपका स्तवन करता हूं.
165 Pax multa diligentibus legem tuam, et non est illis scandalum.
जिन्हें आपकी व्यवस्था से प्रेम है, उनको बड़ी शांति मिलती रहती है, वे किसी रीति से विचलित नहीं हो सकते.
166 Exspectabam salutare tuum, Domine, et mandata tua dilexi.
याहवेह, मैं आपके उद्धार का प्रत्याशी हूं, मैं आपके आदेशों का पालन करता हूं.
167 Custodivit anima mea testimonia tua, et dilexit ea vehementer.
मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं, क्योंकि वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं.
168 Servavi mandata tua et testimonia tua, quia omnes viæ meæ in conspectu tuo.
मैं आपके उपदेशों तथा नियमों का पालन करता हूं, आपके सामने मेरा संपूर्ण आचरण प्रगट है.
169 Appropinquet deprecatio mea in conspectu tuo, Domine; juxta eloquium tuum da mihi intellectum.
याहवेह, मेरी पुकार आप तक पहुंचे; मुझे अपने वचन को समझने की क्षमता प्रदान कीजिए.
170 Intret postulatio mea in conspectu tuo; secundum eloquium tuum eripe me.
मेरा गिड़गिड़ाना आप तक पहुंचे; अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करते हुए मुझे छुड़ा लीजिए.
171 Eructabunt labia mea hymnum, cum docueris me justificationes tuas.
मेरे होंठों से आपका स्तवन छलक उठे, क्योंकि आपने मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दी है.
172 Pronuntiabit lingua mea eloquium tuum, quia omnia mandata tua æquitas.
मेरी जीभ आपके वचन का गान करेगी, क्योंकि आपके सभी आदेश आदर्श हैं.
173 Fiat manus tua ut salvet me, quoniam mandata tua elegi.
आपकी भुजा मेरी सहायता के लिए तत्पर रहे, मैंने आपके उपदेशों को अपनाया है.
174 Concupivi salutare tuum, Domine, et lex tua meditatio mea est.
आपसे उद्धार की प्राप्‍ति की मुझे उत्कंठा है, याहवेह, आपकी व्यवस्था में मेरा आनंद है.
175 Vivet anima mea, et laudabit te, et judicia tua adjuvabunt me.
मुझे आयुष्मान कीजिए कि मैं आपका स्तवन करता रहूं, और आपकी व्यवस्था मुझे संभाले रहे.
176 Erravi sicut ovis quæ periit: quære servum tuum, quia mandata tua non sum oblitus.
मैं खोई हुई भेड़ के समान हो गया था. आप ही अपने सेवक को खोज लीजिए, क्योंकि मैं आपके आदेशों को भूला नहीं.

< Psalmorum 119 >