< Psalmorum 100 >
1 Psalmus in confessione.
एक स्तोत्र. धन्यवाद के लिए गीत याहवेह के स्तवन में समस्त पृथ्वी उच्च स्वर में जयघोष करे.
2 Jubilate Deo, omnis terra; servite Domino in lætitia. Introite in conspectu ejus in exsultatione.
याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए; हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए.
3 Scitote quoniam Dominus ipse est Deus; ipse fecit nos, et non ipsi nos: populus ejus, et oves pascuæ ejus.
यह समझ लो कि स्वयं याहवेह ही परमेश्वर हैं. हमारी रचना उन्हीं ने की है, स्वयं हमने नहीं; हम पर उन्हीं का स्वामित्व है. हम उनकी प्रजा, उनकी चराई की भेड़ें हैं.
4 Introite portas ejus in confessione; atria ejus in hymnis: confitemini illi. Laudate nomen ejus,
धन्यवाद के भाव में उनके द्वारों में और स्तवन भाव में उनके आंगनों में प्रवेश करो; उनकी महिमा को धन्य कहो.
5 quoniam suavis est Dominus, in æternum misericordia ejus, et usque in generationem et generationem veritas ejus.
याहवेह भले हैं; उनकी करुणा सदा की है; उनकी सच्चाई का प्रसरण समस्त पीढ़ियों में होता जाता है.