< Mattheum 26 >

1 Et factum est: cum consummasset Jesus sermones hos omnes, dixit discipulis suis:
जब यीशु यो सब बाते कह्य चुक्यो त अपनो चेलावों सी कहन लग्यो,
2 Scitis quia post biduum Pascha fiet, et Filius hominis tradetur ut crucifigatur.
“तुम जानय हय कि दोय दिन को बाद फसह को पर्व हय, अऊर आदमी को बेटा क्रूस पर चढ़ायो जान लायी पकड़वायो जायेंन।”
3 Tunc congregati sunt principes sacerdotum, et seniores populi, in atrium principis sacerdotum, qui dicebatur Caiphas:
तब मुख्य याजकों अऊर प्रजा को बुजूर्गों कैफा नाम को महायाजक को भवन म जमा भयो,
4 et consilium fecerunt ut Jesum dolo tenerent, et occiderent.
अऊर आपस म बिचार करन लग्यो कि यीशु ख चुपचाप सी पकड़ क मार डालो।
5 Dicebant autem: Non in die festo, ne forte tumultus fieret in populo.
पर हि कहत होतो, “पर्व को समय नहीं, कहीं असो नहीं होय कि लोगों म दंगा होय जाये।”
6 Cum autem Jesus esset in Bethania in domo Simonis leprosi,
जब यीशु बैतनिय्याह म शिमोन कोढ़ी को घर म होतो,
7 accessit ad eum mulier habens alabastrum unguenti pretiosi, et effudit super caput ipsius recumbentis.
त एक बाई संगमरमर को बर्तन म बहुमूल्य अत्तर ले क ओको जवर आयी, अऊर जब ऊ जेवन करन बैठ्यो होतो त ओकी मुंड पर कुड़ाय दियो।
8 Videntes autem discipuli, indignati sunt, dicentes: Ut quid perditio hæc?
यो देख क ओको चेला गुस्सा भयो अऊर कहन लग्यो, “येको कहाली नाश करयो गयो?
9 potuit enim istud venundari multo, et dari pauperibus.
येख त अच्छो दाम पर बेच क गरीबों ख बाट्यो जाय सकत होतो।”
10 Sciens autem Jesus, ait illis: Quid molesti estis huic mulieri? opus enim bonum operata est in me.
यो जान क यीशु न उन्को सी कह्यो, “या बाई ख कहाली सतावय हय? ओन मोरो संग भलायी को काम करयो हय।
11 Nam semper pauperes habetis vobiscum: me autem non semper habetis.
गरीब त तुम्हरो संग हमेशा रह्य हंय, पर मय तुम्हरो संग हमेशा नहीं रहूं।
12 Mittens enim hæc unguentum hoc in corpus meum, ad sepeliendum me fecit.
ओन मोरो शरीर पर जो यो अत्तर कुड़ायो हय, ऊ मोरो गाड़्यो जान की तैयारी लायी करयो हय।
13 Amen dico vobis, ubicumque prædicatum fuerit hoc Evangelium in toto mundo, dicetur et quod hæc fecit in memoriam ejus.
मय तुम सी सच कहू हय, कि पूरो जगत म जित कहीं यो सुसमाचार प्रचार करयो जायेंन, उत ओको यो काम को वर्नन भी ओकी याद म करयो जायेंन।”
14 Tunc abiit unus de duodecim, qui dicebatur Judas Iscariotes, ad principes sacerdotum:
तब यहूदा इस्करियोती न, जो बारा चेलावों म सी एक होतो, मुख्य याजकों को जवर गयो,
15 et ait illis: Quid vultis mihi dare, et ego vobis eum tradam? At illi constituerunt ei triginta argenteos.
अऊर ओन कह्यो, “यदि मय ओख तुम्हरो हाथ म सौंप देऊ त मोख का देवो?” उन्न ओख तीस चांदी को सिक्का गिन क दे दियो।
16 Et exinde quærebat opportunitatem ut eum traderet.
अऊर ऊ उच समय सी ओख सौंपन को अच्छो मौका ढूंढन लग्यो।
17 Prima autem die azymorum accesserunt discipuli ad Jesum, dicentes: Ubi vis paremus tibi comedere Pascha?
अखमीरी रोटी को पर्व को पहिलो दिन, चेला यीशु को जवर आय क पूछन लग्यो, “तय कहां पर चाहवय हय कि हम तोरो लायी फसह खान की तैयारी करे?”
18 At Jesus dixit: Ite in civitatem ad quemdam, et dicite ei: Magister dicit: Tempus meum prope est, apud te facio Pascha cum discipulis meis.
ओन कह्यो, “नगर म अनजान आदमी को जवर जाय क ओको सी कहो, ‘गुरु कह्य हय कि मोरो समय जवर हय। मय अपनो चेलावों को संग तोरो इत फसह को पर्व मनाऊं।’”
19 Et fecerunt discipuli sicut constituit illis Jesus, et paraverunt Pascha.
येकोलायी चेलावों न यीशु की आज्ञा मानी अऊर फसह तैयार करयो।
20 Vespere autem facto, discumbebat cum duodecim discipulis suis.
जब शाम भयी त ऊ बारयी चेलावों को संग जेवन करन लायी बैठ्यो।
21 Et edentibus illis, dixit: Amen dico vobis, quia unus vestrum me traditurus est.
जब हि खाय रह्यो होतो त ओन कह्यो, “मय तुम सी सच कहू हय कि तुम म सी एक मोख पकड़वायेंन।”
22 Et contristati valde, cœperunt singuli dicere: Numquid ego sum Domine?
येको पर हि बहुत उदास भयो, अऊर हर एक चेला ओको सी पूछन लग्यो, “हे प्रभु, का ऊ मय आय?”
23 At ipse respondens, ait: Qui intingit mecum manum in paropside, hic me tradet.
यीशु न उत्तर दियो, “जेन मोरो संग थारी म हाथ डाल्यो हय, उच मोख पकड़वायेंन।
24 Filius quidem hominis vadit, sicut scriptum est de illo: væ autem homini illi, per quem Filius hominis tradetur! bonum erat ei, si natus non fuisset homo ille.
आदमी को बेटा त जसो ओको बारे म लिख्यो हय, पर ऊ आदमी लायी शोक हय जेको द्वारा आदमी को बेटा पकड़वायो जावय हय: यदि ऊ आदमी को जनमच नहीं होतो, त ओको लायी भलो होतो।”
25 Respondens autem Judas, qui tradidit eum, dixit: Numquid ego sum Rabbi? Ait illi: Tu dixisti.
तब ओको सौंपन वालो यहूदा न कह्यो, “हे गुरु, का ऊ मय आय?” ओन ओको सी कह्यो, “तय कह्य चुक्यो।”
26 Cœnantibus autem eis, accepit Jesus panem, et benedixit, ac fregit, deditque discipulis suis, et ait: Accipite, et comedite: hoc est corpus meum.
जब हि खाय रह्यो होतो त यीशु न रोटी ली, अऊर धन्यवाद कर क् तोड़ी, अऊर चेलावों ख दे क कह्यो, “लेवो, खावो; यो मोरो शरीर आय।”
27 Et accipiens calicem, gratias egit: et dedit illis, dicens: Bibite ex hoc omnes.
तब ओन कटोरा पकड़ क धन्यवाद करयो, अऊर उन्ख दे क कह्यो, “तुम सब येको म सी पीवो,
28 Hic est enim sanguis meus novi testamenti, qui pro multis effundetur in remissionem peccatorum.
कहालीकि यो वाचा को मोरो ऊ खून आय, जो पूरो लोगों लायी पापों की माफी लायी बहायो जावय हय।
29 Dico autem vobis: non bibam amodo de hoc genimine vitis usque in diem illum, cum illud bibam vobiscum novum in regno Patris mei.
मय तुम सी कहू हय कि अंगूर को यो रस ऊ दिन तक कभी नहीं पीऊ, जब तक तुम्हरो संग अपनो बाप को राज्य म नयो रस नहीं पी लेऊ।”
30 Et hymno dicto, exierunt in montem Oliveti.
तब हि भजन गाय क जैतून पहाड़ी पर गयो।
31 Tunc dicit illis Jesus: Omnes vos scandalum patiemini in me in ista nocte. Scriptum est enim: Percutiam pastorem, et dispergentur oves gregis.
तब यीशु न उन्को सी कह्यो, “तुम सब अजच रात ख मोरो बारे म ठोकर खावो, कहालीकि शास्त्र म लिख्यो हय: ‘मय चरवाहे ख मारू, अऊर झुण्ड की मेंढीं तितर-बितर होय जायेंन।’
32 Postquam autem resurrexero, præcedam vos in Galilæam.
पर मय जीन्दो होन को बाद तुम सी पहिले गलील ख जाऊं।”
33 Respondens autem Petrus, ait illi: Et si omnes scandalizati fuerint in te, ego numquam scandalizabor.
येको पर पतरस न यीशु सी कह्यो, “यदि सब तोरो वजह सी ठोकर खावय त खावय, पर मय कभी भी ठोकर नहीं खाऊ।”
34 Ait illi Jesus: Amen dico tibi, quia in hac nocte, antequam gallus cantet, ter me negabis.
यीशु न पतरस सी कह्यो, “मय तोरो सी सच कहू हय कि अजच रात ख मुर्गा को बाग देन सी पहिले, तय तीन बार मोरो इन्कार करजो।”
35 Ait illi Petrus: Etiamsi oportuerit me mori tecum, non te negabo. Similiter et omnes discipuli dixerunt.
पतरस न ओको सी कह्यो, “यदि मोख तोरो संग मरनो भी पड़ेंन, तब भी मय तोरो मय कभी इन्कार नहीं करूं।” अऊर असोच सब चेलावों न भी कह्यो।
36 Tunc venit Jesus cum illis in villam, quæ dicitur Gethsemani, et dixit discipulis suis: Sedete hic donec vadam illuc, et orem.
तब यीशु अपनो चेलावों को संग गतसमनी नाम को एक जागा म आयो अऊर अपनो चेलावों सी कहन लग्यो, “इतच बैठ्यो रहजो, जब तक मय उत जाय क प्रार्थना करूं।”
37 Et assumpto Petro, et duobus filiis Zebedæi, cœpit contristari et mœstus esse.
ऊ पतरस अऊर जब्दी को दोयी टुरावों ख संग ले गयो, अऊर उदास अऊर व्याकुल होन लग्यो।
38 Tunc ait illis: Tristis est anima mea usque ad mortem: sustinete hic, et vigilate mecum.
तब ओन उन्को सी कह्यो, “मोरो मन बहुत उदास हय, यहां तक कि मोरो जीव निकल्यो जाय रह्यो हय। तुम इतच ठहरो अऊर मोरो संग जागतो रहो।”
39 Et progressus pusillum, procidit in faciem suam, orans, et dicens: Pater mi, si possibile est, transeat a me calix iste: verumtamen non sicut ego volo, sed sicut tu.
तब ऊ थोड़ो अऊर आगु बढ़ क मुंह को बल गिरयो, अऊर यो प्रार्थना करी, “हे मोरो बाप, यदि होय सकय त यो दु: ख को कटोरा मोरो सी टल जाये, तब भी जसो मय चाहऊ हय वसो नहीं, पर जसो तय चाहऊ हय वसोच हो।”
40 Et venit ad discipulos suos, et invenit eos dormientes, et dicit Petro: Sic non potuistis una hora vigilare mecum?
तब ओन चेलावों को जवर आय क उन्ख सोतो देख्यो अऊर पतरस सी कह्यो, “का तुम मोरो संग एक घड़ी भी नहीं जाग सक्यो?
41 Vigilate, et orate ut non intretis in tentationem. Spiritus quidem promptus est, caro autem infirma.
जागतो रहो, अऊर प्रार्थना करतो रहो कि तुम परीक्षा म मत पड़ो: आत्मा त तैयार हय, पर शरीर कमजोर हय।”
42 Iterum secundo abiit, et oravit, dicens: Pater mi, si non potest hic calix transire nisi bibam illum, fiat voluntas tua.
तब ओन दूसरी बार जाय क यो प्रार्थना करी, “हे मोरो बाप, यदि यो कटोरा मोरो पीयो बिना नहीं हट सकय त तोरी इच्छा पूरी होय।”
43 Et venit iterum, et invenit eos dormientes: erant enim oculi eorum gravati.
तब ओन आय क उन्ख फिर सोतो पायो, कहालीकि उन्की आंखी नींद सी भरी होती।
44 Et relictis illis, iterum abiit, et oravit tertio, eumdem sermonem dicens.
उन्ख छोड़ क ऊ फिर चली गयो, अऊर उन्कोच शब्दों म फिर तीसरी बार प्रार्थना करी।
45 Tunc venit ad discipulos suos, et dicit illis: Dormite jam, et requiescite: ecce appropinquavit hora, et Filius hominis tradetur in manus peccatorum.
तब ओन चेलावों को जवर आय क उन्को सी कह्यो, “का तुम अब तक सोय रह्यो हय, देखो! घड़ी आय पहुंची हय, अऊर आदमी को बेटा पापियों को हाथ सौंप्यो जायेंन।
46 Surgite, eamus: ecce appropinquavit qui me tradet.
उठो, चलो; देखो, मोरो सौंपन वालो जवर आय गयो हय।”
47 Adhuc eo loquente, ecce Judas unus de duodecim venit, et cum eo turba multa cum gladiis et fustibus, missi a principibus sacerdotum, et senioribus populi.
यीशु यो कह्यच रह्यो होतो कि यहूदा जो बारयी म सी एक होतो, आयो, अऊर ओको संग मुख्य याजकों अऊर बुजूर्ग लोगों को तरफ सी बड़ी भीड़, तलवारे अऊर लाठियां पकड़ क आयो।
48 Qui autem tradidit eum, dedit illis signum, dicens: Quemcumque osculatus fuero, ipse est, tenete eum.
ओको सौंपन वालो न उन्ख यो इशारा दियो होतो: “जेक मय चुम्मा लेऊ उच आय; ओख पकड़ लेजो।”
49 Et confestim accedens ad Jesum, dixit: Ave Rabbi. Et osculatus est eum.
अऊर तुरतच यीशु को जवर आय क कह्यो, “हे गुरु, प्रनाम!” अऊर ओख बहुत चुम्मा लियो।
50 Dixitque illi Jesus: Amice, ad quid venisti? Tunc accesserunt, et manus injecerunt in Jesum, et tenuerunt eum.
यीशु न ओको सी कह्यो, “हे संगी, जो काम लायी तय आयो हय, ओख कर ले।” तब उन्न जवर आय क यीशु पर हाथ डाल्यो अऊर ओख पकड़ लियो।
51 Et ecce unus ex his qui erant cum Jesu, extendens manum, exemit gladium suum, et percutiens servum principis sacerdotum amputavit auriculam ejus.
यीशु को संगियों म सी एक न हाथ बढ़ाय क अपनी तलवार खीच ली अऊर महायाजक को सेवक पर चलाय क ओको कान काट डाल्यो।
52 Tunc ait illi Jesus: Converte gladium tuum in locum suum: omnes enim, qui acceperint gladium, gladio peribunt.
तब यीशु न ओको सी कह्यो, “अपनी तलवार म्यान म रख ले कहालीकि जो तलवार चलावय हंय हि सब तलवार सी नाश करयो जायेंन।
53 An putas, quia non possum rogare patrem meum, et exhibebit mihi modo plusquam duodecim legiones angelorum?
का तय नहीं जानय कि मय अपनो बाप सी बिनती कर सकू हय, अऊर ऊ स्वर्गदूतों की बारा पलटन सी जादा मोरो जवर अभी खड़ो कर देयेंन?
54 Quomodo ergo implebuntur Scripturæ, quia sic oportet fieri?
पर पवित्र शास्त्र की हि बाते असोच होनो जरूरी हय, कसो पूरी होयेंन?”
55 In illa hora dixit Jesus turbis: Tamquam ad latronem existis cum gladiis et fustibus comprehendere me: quotidie apud vos sedebam docens in templo, et non me tenuistis.
ऊ समय यीशु न भीड़ सी कह्यो, “का तुम तलवारे अऊर लाठियां धर क मोख डाकू को जसो पकड़न लायी निकल्यो हय? मय हर दिन मन्दिर म बैठ क उपदेश करत होतो, अऊर तुम न मोख नहीं पकड़्यो।”
56 Hoc autem totum factum est, ut adimplerentur Scripturæ prophetarum. Tunc discipuli omnes, relicto eo, fugerunt.
पर यो सब येकोलायी भयो हय कि भविष्यवक्तावों को वचन पूरो होय। तब सब चेला ओख छोड़ क भग गयो।
57 At illi tenentes Jesum, duxerunt ad Caipham principem sacerdotum, ubi scribæ et seniores convenerant.
तब यीशु को पकड़न वालो ओख कैफा नाम को महायाजक को जवर लिजायो, जहां धर्मशास्त्री अऊर बुजूर्गों जमा भयो होतो।
58 Petrus autem sequebatur eum a longe, usque in atrium principis sacerdotum. Et ingressus intro, sedebat cum ministris, ut videret finem.
पतरस दूरच दूर ओको पीछू-पीछू महायाजक को आंगन तक गयो, अऊर अन्दर जाय क यीशु को का होयेंन देखन सेवकों को संग बैठ गयो।
59 Principes autem sacerdotum, et omne concilium, quærebant falsum testimonium contra Jesum, ut eum morti traderent:
मुख्य याजक अऊर पूरी महासभा यीशु ख मार डालन लायी ओको विरोध म झूठी गवाही की खोज म होतो,
60 et non invenerunt, cum multi falsi testes accessissent. Novissime autem venerunt duo falsi testes,
पर बहुत सो झूठो गवाहों को आनो पर भी नहीं पायो आखरी म दोय लोग आयो,
61 et dixerunt: Hic dixit: Possum destruere templum Dei, et post triduum reædificare illud.
अऊर कह्यो, “येन कह्यो हय कि मय परमेश्वर को मन्दिर ख गिराय सकू हय अऊर ओख तीन दिन म बनाय सकू हय।”
62 Et surgens princeps sacerdotum, ait illi: Nihil respondes ad ea, quæ isti adversum te testificantur?
तब महायाजक न खड़ो होय क यीशु सी कह्यो, “का तय कोयी उत्तर नहीं देवय? हि लोग तोरो विरोध म का गवाही देवय हंय?”
63 Jesus autem tacebat. Et princeps sacerdotum ait illi: Adjuro te per Deum vivum, ut dicas nobis si tu es Christus Filius Dei.
पर यीशु चुप रह्यो। तब महायाजक न ओको सी कह्यो, “मय तोख जीन्दो परमेश्वर की कसम देऊ हय कि यदि तय परमेश्वर को बेटा मसीह आय, त हम सी कह्य दे।”
64 Dicit illi Jesus: Tu dixisti. Verumtamen dico vobis, amodo videbitis Filium hominis sedentem a dextris virtutis Dei, et venientem in nubibus cæli.
यीशु न ओको सी कह्यो, “तय न खुदच कह्य दियो; बल्की मय तुम सी यो भी कहू हय कि अब सी तुम केवल आदमी को बेटा ख सर्वशक्तिमान को दायो तरफ बैठ्यो, अऊर आसमान को बादलो पर आवतो देखो।”
65 Tunc princeps sacerdotum scidit vestimenta sua, dicens: Blasphemavit: quid adhuc egemus testibus? ecce nunc audistis blasphemiam:
येको पर महायाजक न अपनो कपड़ा फाड़्यो अऊर कह्यो, “येन परमेश्वर की निन्दा करी हय, अब हम्ख गवाहों की का जरूरत? देखो, तुम न अभी यो निन्दा सुनी हय!
66 quid vobis videtur? At illi respondentes dixerunt: Reus est mortis.
तुम का सोचय हय?” उन्न उत्तर दियो, “यो दोषी हय अऊर येख मरनो चाहिये।”
67 Tunc exspuerunt in faciem ejus, et colaphis eum ceciderunt, alii autem palmas in faciem ejus dederunt,
तब उन्न ओको मुंह पर थूक्यो अऊर ओख घूसा मारयो, दूसरों न थापड़ मार क,
68 dicentes: Prophetiza nobis Christe, quis est qui te percussit?
कह्यो, “हे मसीह, हम सी भविष्यवानी कर क् कह्य कि कौन न तोख मारयो?”
69 Petrus vero sedebat foris in atrio: et accessit ad eum una ancilla, dicens: Et tu cum Jesu Galilæo eras.
पतरस बाहेर आंगन म बैठ्यो हुयो होतो कि एक दासी ओको जवर आयी अऊर कह्यो, “तय भी यीशु गलीली को संग होतो।”
70 At ille negavit coram omnibus, dicens: Nescio quid dicis.
पतरस न सब को आगु यो कहतो हुयो इन्कार करयो, “मय नहीं जानु तय का कह्य रही हय।”
71 Exeunte autem illo januam, vidit eum alia ancilla, et ait his qui erant ibi: Et hic erat cum Jesu Nazareno.
जब ऊ बाहेर द्वार म गयो, त दूसरी सेविका न ओख देख क उन्को सी जो उत होतो कह्यो, “यो भी त यीशु नासरी को संग होतो।”
72 Et iterum negavit cum juramento: Quia non novi hominem.
पतरस न कसम खाय क फिर इन्कार करयो: “मय ऊ आदमी ख नहीं जानु।”
73 Et post pusillum accesserunt qui stabant, et dixerunt Petro: Vere et tu ex illis es: nam et loquela tua manifestum te facit.
थोड़ी देर बाद लोगों न जो उत खड़ो होतो, पतरस को जवर आय क ओको सी कह्यो, “सचमुच तय भी उन्म सी एक आय, कहालीकि तोरी बोली भाषा न तोरो भेद खोल दियो हय।”
74 Tunc cœpit detestari et jurare quia non novisset hominem. Et continuo gallus cantavit.
तब ऊ धिक्कारन अऊर कसम खान लग्यो: “मय ऊ आदमी ख नहीं जानु।” अऊर तुरतच मुर्गा न बाग दियो।
75 Et recordatus est Petrus verbi Jesu, quod dixerat: Priusquam gallus cantet, ter me negabis. Et egressus foras, flevit amare.
तब पतरस ख यीशु की कहीं हुयी बात याद म आयी: “मुर्गा को बाग देन सी पहिले तय तीन बार मोरो इन्कार करजो।” अऊर ऊ बाहेर जाय क फूट फूट क रोयो।

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