< Lucam 11 >

1 Et factum est: cum esset in quodam loco orans, ut cessavit, dixit unus ex discipulis ejus ad eum: Domine, doce nos orare, sicut docuit et Joannes discipulos suos.
एक दिन यीशु कोयी दूसरी जागा म प्रार्थना कर रह्यो होतो। जब ऊ प्रार्थना कर लियो, त ओको चेलावों म सी एक न ओको सी कह्यो, “हे प्रभु, जसो बपतिस्मा देन वालो यूहन्ना न अपनो चेलावों ख प्रार्थना करनो सिखायो वसोच हम्ख भी तय सिखाय दे।”
2 Et ait illis: Cum oratis, dicite: Pater, sanctificetur nomen tuum. Adveniat regnum tuum.
यीशु न उन्को सी कह्यो, “जब तुम प्रार्थना करो त कहो: ‘हे हमरो पिता: तोरो नाम पवित्र मान्यो जाय; तोरो राज्य आय।’
3 Panem nostrum quotidianum da nobis hodie.
‘हमरी दिन भर की रोटी हर दिन हम्ख दियो कर,’
4 Et dimitte nobis peccata nostra, siquidem et ipsi dimittimus omni debenti nobis. Et ne nos inducas in tentationem.
‘अऊर हमरो पापों ख माफ कर, कहालीकि हम भी अपनो हर एक अपराधियों ख माफ करजे हंय, अऊर हम्ख परीक्षा म मत लाव।’”
5 Et ait ad illos: Quis vestrum habebit amicum, et ibit ad illum media nocte, et dicet illi: Amice, commoda mihi tres panes,
तब यीशु न उन्को सी कह्यो, “तुम म सी कौन आय कि ओको एक संगी हो, अऊर ऊ अरधी रात ख ओको जवर जाय क ओको सी कह्य, ‘हे संगी; मोख तीन रोटी दे।
6 quoniam amicus meus venit de via ad me, et non habeo quod ponam ante illum,
कहालीकि मोरो एक संगी यात्रा करतो हुयो मोरो जवर आयो हय, अऊर मोरो जवर ओख खिलावन लायी कुछ भी नहाय।’
7 et ille de intus respondens dicat: Noli mihi molestus esse, jam ostium clausum est, et pueri mei mecum sunt in cubili: non possum surgere, et dare tibi.
अऊर ऊ अन्दर सी उत्तर दे क कह्यो, ‘मोख मत सताव; अब त दरवाजा बन्द भय गयो हय अऊर मोरो बच्चा मोरो बिस्तर पर हंय, मय उठ क तोख कुछ भी नहीं दे सकू?’
8 Et si ille perseveraverit pulsans: dico vobis, etsi non dabit illi surgens eo quod amicus ejus sit, propter improbitatem tamen ejus surget, et dabit illi quotquot habet necessarios.
मय तुम सी कहू हय, यदि ओको संगी होन पर भी ओख उठ क नहीं दे, फिर भी ओको खुशामत करन पर ऊ उठ क ओकी जितनी भी जरूरत होना देयेंन।
9 Et ego dico vobis: Petite, et dabitur vobis; quærite, et invenietis; pulsate, et aperietur vobis.
अऊर मय तुम सी कहू हय: कि मांगो, त तुम्ख दियो जायेंन; ढूंढो, त तुम पावों; खटखटावों, त तुम्हरो लायी खोल्यो जायेंन।
10 Omnis enim qui petit, accipit: et qui quærit, invenit: et pulsanti aperietur.
कहालीकि जो कोयी मांगय हय, ओख मिलय हय; अऊर जो ढूंढय हय, ऊ पावय हय; अऊर जो खटखटावय हय, ओको लायी खोल्यो जायेंन।
11 Quis autem ex vobis patrem petit panem, numquid lapidem dabit illi? aut piscem, numquid pro pisce serpentem dabit illi?
तुम म सी असो कौन बाप होनो, कि ओको बेटा मच्छी मांगय त ओख सांप देयेंन?
12 aut si petierit ovum, numquid porriget illi scorpionem?
यां अंडा मांगेंन त ओख बिच्छू देयेंन?
13 Si ergo vos, cum sitis mali, nostis bona data dare filiis vestris: quanto magis Pater vester de cælo dabit spiritum bonum petentibus se?
येकोलायी जब तुम बुरो होय क अपनो बच्चां ख अच्छी चिजे देनो जानय हय, त तुम्हरो स्वर्गीय बाप अपनो मांगन वालो ख पवित्र आत्मा कहाली नहीं देयेंन।”
14 Et erat ejiciens dæmonium, et illud erat mutum. Et cum ejecisset dæmonium, locutus est mutus, et admiratæ sunt turbæ.
तब यीशु न मुक्की दुष्ट आत्मा ख निकाल्यो। जब वा दुष्ट आत्मा निकल गयी त मुक्का बोलन लग्यो; अऊर लोगों ख अचम्भा भयो।
15 Quidam autem ex eis dixerunt: In Beelzebub principe dæmoniorum ejicit dæmonia.
पर उन्म सी कुछ न कह्यो, “यो त बालजबूल नाम को दुष्ट आत्मावों को मुखिया हय ओकी सामर्थ सी दुष्ट आत्मावों ख निकालय हय।”
16 Et alii tentantes, signum de cælo quærebant ab eo.
दूसरों कुछ लोगों न यीशु की परीक्षा करन लायी परमेश्वर को तरफ सी स्वर्ग को एक चिन्ह मांग्यो।
17 Ipse autem ut vidit cogitationes eorum, dixit eis: Omne regnum in seipsum divisum desolabitur, et domus supra domum cadet.
पर ओन उन्को मन की बाते जान क उन्को सी कह्यो, “जो जो राज्य म फूट पड़य हय, ऊ राज्य उजड़ जावय हय; अऊर जो घर म फूट पड़य हय, ऊ नाश होय जावय हय।
18 Si autem et Satanas in seipsum divisus est, quomodo stabit regnum ejus? quia dicitis in Beelzebub me ejicere dæmonia.
यदि शैतान अपनोच विरोधी होय जाये, त ओको राज्य कसो बन्यो रहेंन? कहालीकि तुम मोरो बारे म त कह्य हय कि बालजबूल की सामर्थ सी दुष्ट आत्मा निकालय हय।
19 Si autem ego in Beelzebub ejicio dæmonia: filii vestri in quo ejiciunt? ideo ipsi judices vestri erunt.
भलो यदि मय शैतान की मदत सी दुष्ट आत्मावों ख निकालू हय, त तुम्हरो मानन वालो कौन्की मदत सी निकालय हय? येकोलायी हिच तुम्हरो न्याय चुकायेंन।
20 Porro si in digito Dei ejicio dæmonia: profecto pervenit in vos regnum Dei.
पर यदि मय परमेश्वर की सामर्थ सी दुष्ट आत्मा ख निकालू हय, त परमेश्वर को राज्य तुम्हरो जवर आय गयो हय।
21 Cum fortis armatus custodit atrium suum, in pace sunt ea quæ possidet.
“जब ताकतवर आदमी अवजार समेत अपनो घर की रखवाली करय हय, त ओकी जायजाद बची रह्य हय।
22 Si autem fortior eo superveniens vicerit eum, universa arma ejus auferet, in quibus confidebat, et spolia ejus distribuet.
पर जब ओको सी बढ़ क कोयी अऊर ताकतवर चढ़ायी कर क् ओख जीत लेवय हय, त ओको हि हथियार जेक पर ओको भरोसा होतो, छीन लेवय हय अऊर ओकी जायजाद लूट क बाट देवय हय।
23 Qui non est mecum, contra me est: et qui non colligit mecum, dispergit.
“जो मोरो संग नहाय ऊ मोरो विरोध म हय, अऊर जो मोरो संग नहीं ऊ जमा करय हय अऊर बिखरावय हय।
24 Cum immundus spiritus exierit de homine, ambulat per loca inaquosa, quærens requiem: et non inveniens dicit: Revertar in domum meam unde exivi.
“जब दुष्ट आत्मा आदमी म सी निकल जावय हय त सूखी जागा म आराम ढूंढती फिरय हय, अऊर जब नहीं पावय त कह्य हय, ‘मय अपनो उच घर म जित सी निकली होती लौट जाऊं।’
25 Et cum venerit, invenit eam scopis mundatam, et ornatam.
अऊर आय क घर ख झाड़्यो हुयो अऊर सज्यो सजायो पावय हय।
26 Tunc vadit, et assumit septem alios spiritus secum, nequiores se, et ingressi habitant ibi. Et fiunt novissima hominis illius pejora prioribus.
तब वा जाय क अपनो सी बुरी सात अऊर आत्मावों ख अपनो संग ले आवय हय, अऊर हि ओको म घुस क वाश करय हंय, अऊर ऊ आदमी की पिछली दशा पहिलो सी भी बुरी होय जावय हय।”
27 Factum est autem, cum hæc diceret: extollens vocem quædam mulier de turba dixit illi: Beatus venter qui te portavit, et ubera quæ suxisti.
जब यीशु या बाते कहतच रह्यो होतो त भीड़ म सी कोयी बाई न ऊचो आवाज सी कह्यो, “धन्य हय ऊ गर्भ जेको म तय रह्यो अऊर हि स्तन जो तय न पीयो।”
28 At ille dixit: Quinimmo beati, qui audiunt verbum Dei et custodiunt illud.
यीशु न कह्यो, “हां; पर धन्य हि हंय जो परमेश्वर को वचन सुनय अऊर मानय हंय।”
29 Turbis autem concurrentibus cœpit dicere: Generatio hæc, generatio nequam est: signum quærit, et signum non dabitur ei, nisi signum Jonæ prophetæ.
जब बड़ी भीड़ जमा होत जात होती त यीशु कहन लग्यो, “यो युग को लोग बुरो हंय; हि चिन्ह ढूंढय हंय; पर योना को चिन्ह ख छोड़ कोयी अऊर चिन्ह उन्ख नहीं दियो जायेंन।
30 Nam sicut fuit Jonas signum Ninivitis, ita erit et Filius hominis generationi isti.
जसो योना नीनवे को लोगों लायी चिन्ह बन्यो, वसोच आदमी को बेटा भी यो युग को लोगों लायी ठहरेंन।
31 Regina austri surget in judicio cum viris generationis hujus, et condemnabit illos: quia venit a finibus terræ audire sapientiam Salomonis: et ecce plus quam Salomon hic.
दक्षिन की रानी न्याय को दिन यो समय को आदमियों को संग उठ क उन्ख दोषी ठहरायेंन, कहालीकि ऊ सुलैमान को ज्ञान सुनन ख धरती को छोर सी आयी, अऊर देखो, इत ऊ हय जो सुलैमान सी भी बड़ो हय।
32 Viri Ninivitæ surgent in judicio cum generatione hac, et condemnabunt illam: quia pœnitentiam egerunt ad prædicationem Jonæ, et ecce plus quam Jonas hic.
नीनवे को लोग न्याय को दिन यो समय को लोगों को संग खड़ो होय क, उन्ख दोषी ठहरायेंन; कहालीकि उन्न योना को प्रचार सुन क पाप करनो छोड़ दियो; अऊर देखो, इत ऊ हय जो योना सी भी बड़ो हय।
33 Nemo lucernam accendit, et in abscondito ponit, neque sub modio: sed supra candelabrum, ut qui ingrediuntur, lumen videant.
“कोयी आदमी दीया जलाय क लूकावय नहीं यां बर्तन को खल्लो नहीं रखय, पर दीवट पर रखय हय कि अन्दर आवन वालो प्रकाश देखेंन।
34 Lucerna corporis tui est oculus tuus. Si oculus tuus fuerit simplex, totum corpus tuum lucidum erit: si autem nequam fuerit, etiam corpus tuum tenebrosum erit.
तोरो शरीर को दीया तोरी आंखी हय, येकोलायी जब तोरी आंखी पवित्र हय त तोरो पूरो शरीर भी प्रकाश जसो हय; पर जब ऊ बुरी हय त तोरो शरीर भी अन्धारो जसो हय।
35 Vide ergo ne lumen quod in te est, tenebræ sint.
येकोलायी चौकस रहजो कि जो प्रकाश तोरो म हय ऊ अन्धारो नहीं होय जाये।
36 Si ergo corpus tuum totum lucidum fuerit, non habens aliquam partem tenebrarum, erit lucidum totum, et sicut lucerna fulgoris illuminabit te.
येकोलायी यदि तोरो पूरो शरीर प्रकाश हय अऊर ओको कोयी भाग अन्धारो म नहीं रहेंन त सब को सब असो प्रकाश होयेंन, जसो ऊ समय होवय हय जब दीया अपनी चमक सी तोख प्रकाश देवय हय।”
37 Et cum loqueretur, rogavit illum quidam pharisæus ut pranderet apud se. Et ingressus recubuit.
जब यीशु बात कर चुक्यो होतो त कोयी फरीसी न ओको सी बिनती करी कि मोरो इत जेवन कर। ऊ अन्दर जाय क जेवन करन बैठ्यो।
38 Pharisæus autem cœpit intra se reputans dicere, quare non baptizatus esset ante prandium.
फरीसी ख यो देख क अचम्भा भयो कि ओन जेवन करन सी पहिले यहूदियों को अनुसार हाथ नहीं धोयो।
39 Et ait Dominus ad illum: Nunc vos pharisæi, quod deforis est calicis et catini, mundatis: quod autem intus est vestrum, plenum est rapina et iniquitate.
प्रभु न ओको सी कह्यो, “हे फरीसियों, तुम कटोरा अऊर थारी ख ऊपर ऊपर सी त मांजय हय, पर तुम्हरो अन्दर अन्धारो अऊर बुरायी भरी हय।
40 Stulti! nonne qui fecit quod deforis est, etiam id quod deintus est fecit?
हे मूर्खो, जेन बाहेर को भाग बनायो, का ओन अन्दर को भाग नहीं बनायो?
41 Verumtamen quod superest, date eleemosynam: et ecce omnia munda sunt vobis.
पर हां, जो तुम्हरो जवर हय ओख गरीबों ख दान कर दे, त देखो, सब कुछ तुम्हरो लायी शुद्ध होय जायेंन।
42 Sed væ vobis, pharisæis, quia decimatis mentham, et rutam, et omne olus, et præteritis judicium et caritatem Dei: hæc autem oportuit facere, et illa non omittere.
“पर हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम पदीना अऊर मसाला को अऊर सब तरह को साग पात को दसवा अंश देवय हय, पर न्याय ख अऊर परमेश्वर को प्रेम ख टाल देवय हय; पर असो भी त होतो कि इन्क भी करतो रहतो अऊर उन्ख भी नहीं छोड़तो।
43 Væ vobis, pharisæis, quia diligitis primas cathedras in synagogis, et salutationes in foro.
“हे फरीसियों, तुम पर हाय! तुम आराधनालयों म मुख्य मुख्य आसन अऊर बजारों म आदर सत्कार चाहवय हय।
44 Væ vobis, quia estis ut monumenta, quæ non apparent, et homines ambulantes supra, nesciunt.
हाय तुम पर! कहालीकि तुम उन लूकी कब्रो को जसो हय, जेक पर लोग चलय हंय पर नहीं जानय।”
45 Respondens autem quidam ex legisperitis, ait illi: Magister, hæc dicens etiam contumeliam nobis facis.
तब एक व्यवस्थापक न ओख उत्तर दियो, “हे गुरु, इन बातों ख कहन सी तय हमरी निन्दा करय हय।”
46 At ille ait: Et vobis legisperitis væ: quia oneratis homines oneribus, quæ portare non possunt, et ipsi uno digito vestro non tangitis sarcinas.
यीशु न कह्यो; “हे व्यवस्थापकों, तुम पर भी हाय! तुम असो बोझा जिन्ख उठावनो कठिन हय, आदमियों पर लादय हय पर तुम खुद उन बोझा ख अपनो एक बोट सी भी नहीं छूवय।
47 Væ vobis, qui ædificatis monumenta prophetarum: patres autem vestri occiderunt illos.
हाय तुम पर! तुम उन भविष्यवक्तावों की कब्र बनावय हय, जिन्ख तुम्हरोच बाप दादो न मार डाल्यो होतो।
48 Profecto testificamini quod consentitis operibus patrum vestrorum: quoniam ipsi quidem eos occiderunt, vos autem ædificatis eorum sepulchra.
येकोलायी तुम गवाह हय, अऊर अपनो बाप दादो को कामों सी सहमत हय; कहालीकि उन्न उन्ख मार डाल्यो अऊर तुम उन्की कब्रें बनावय हय।
49 Propterea et sapientia Dei dixit: Mittam ad illos prophetas, et apostolos, et ex illis occident, et persequentur:
येकोलायी परमेश्वर की बुद्धि न भी कह्यो हय, ‘मय उन्को जवर भविष्यवक्तावों अऊर प्रेरितों ख भेजूं, अऊर हि उन्म सी कुछ ख मार डालेंन, अऊर कुछ ख सतायेंन।’
50 ut inquiratur sanguis omnium prophetarum, qui effusus est a constitutione mundi a generatione ista,
ताकि जितनो भविष्यवक्तावों को खून जगत की उत्पत्ति सी बहायो गयो हय, सब को लेखा यो युग को लोगों सी लियो जाये:
51 a sanguine Abel, usque ad sanguinem Zachariæ, qui periit inter altare et ædem. Ita dico vobis, requiretur ab hac generatione.
हाबील की हत्या सी ले क जकर्याह की हत्या तक, जो वेदी अऊर मन्दिर को बीच म घात करयो गयो। मय तुम सी सच कहू हय, इन सब को लेखा योच समय को लोगों सी लियो जायेंन।
52 Væ vobis, legisperitis, quia tulistis clavem scientiæ: ipsi non introistis, et eos qui introibant, prohibuistis.
“हाय तुम व्यवस्थापकों पर! तुम न ज्ञान की कुंजी ले त ली, पर तुम खुदच सिर नहीं सक्यो, अऊर सिरन वालो ख भी रोक दियो।”
53 Cum autem hæc ad illos diceret, cœperunt pharisæi et legisperiti graviter insistere, et os ejus opprimere de multis,
जब यीशु उत सी निकल्यो, त धर्मशास्त्री अऊर फरीसी बुरी तरह ओको पीछू पड़ गयो अऊर छेड़न लग्यो कि ऊ बहुत सी बातों की चर्चा करे,
54 insidiantes ei, et quærentes aliquid capere de ore ejus, ut accusarent eum.
अऊर मारन म लग्यो रह्यो कि ओको मुंह की कोयी बात पकड़े।

< Lucam 11 >