< Iudicum 21 >

1 Juraverunt quoque filii Israël in Maspha, et dixerunt: Nullus nostrum dabit filiis Benjamin de filiabus suis uxorem.
इस्राएल वंशजों ने मिज़पाह में यह संकल्प लिया था, “हममें से कोई भी अपनी पुत्री बिन्यामिन वंशज को विवाह में नहीं देगा.”
2 Veneruntque omnes ad domum Dei in Silo, et in conspectu ejus sedentes usque ad vesperam, levaverunt vocem, et magno ululatu cœperunt flere, dicentes:
इसलिये प्रजा के लोग बेथेल जाकर शाम तक परमेश्वर के सामने बैठे रहे, और ऊंची आवाज में रोते रहे.
3 Quare, Domine Deus Israël, factum est hoc malum in populo tuo, ut hodie una tribus auferretur ex nobis?
वे इसी विषय पर विचार करते रहे थे, “याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, इस्राएल में क्यों ऐसी स्थिति आ गई, कि आज इस्राएल में से एक गोत्र मिट गया है?”
4 Altera autem die diluculo consurgentes, exstruxerunt altare: obtuleruntque ibi holocausta, et pacificas victimas, et dixerunt:
दूसरे दिन लोगों ने तड़के उठकर एक वेदी बनाई तथा उस पर होमबलि तथा मेल बलि भेंट की.
5 Quis non ascendit in exercitu Domini de universis tribubus Israël? grandi enim juramento se constrinxerant, cum essent in Maspha, interfici eos qui defuissent.
इस्राएल वंशजों ने यह पूछताछ की, “इस्राएल के सारे गोत्रों में से ऐसा कौन है, जो इस सभा में याहवेह के सामने नहीं आया है?” क्योंकि उन्होंने बड़ी गंभीरता पूर्वक यह शपथ ली थी, “जो कोई मिज़पाह में याहवेह के सामने उपस्थित न होगा, उसे निश्चित ही प्राण-दंड दिया जाएगा.”
6 Ductique pœnitentia filii Israël super fratre suo Benjamin, cœperunt dicere: Ablata est tribus una de Israël:
इस्राएल वंशज अपने बंधु बिन्यामिन वंशजों के लिए खेदित होकर यही विचार कर रहे थे, “आज इस्राएल में से एक गोत्र मिटा दिया गया है.
7 unde uxores accipient? omnes enim in commune juravimus, non daturos nos his filias nostras.
अब वे, जो बाकी रह गए हैं, उनकी पत्नियों के लिए हम क्या करें, क्योंकि हमने याहवेह के सामने यह शपथ ले रखी है, कि हममें से कोई भी विवाह के लिए उन्हें अपनी पुत्रियां नहीं देगा?”
8 Idcirco dixerunt: Quis est de universis tribubus Israël, qui non ascendit ad Dominum in Maspha? Et ecce inventi sunt habitatores Jabes Galaad in illo exercitu non fuisse.
जब वे पूछताछ कर रहे थे, “इस्राएल के गोत्रों में वह कौन है, जो मिज़पाह में याहवेह के सामने उपस्थित नहीं हुआ है?” यह पाया गया कि याबेश-गिलआद से इस सभा के लिए शिविर में कोई भी उपस्थित न हुआ था.
9 (Eo quoque tempore cum essent in Silo, nullus ex eis ibi repertus est.)
क्योंकि जब गिनती की गई, यह मालूम हुआ कि याबेश-गिलआद का एक भी निवासी वहां न था.
10 Miserunt itaque decem millia viros robustissimos, et præceperunt eis: Ite, et percutite habitatores Jabes Galaad in ore gladii, tam uxores quam parvulos eorum.
इसलिये इस सभा के द्वारा बारह हज़ार वीर योद्धाओं के दल को वहां भेजा गया. उनके लिए आदेश था, “जाओ, और याबेश-गिलआदवासियों को स्त्रियों और बालकों सहित तलवार से मार डालो.
11 Et hoc erit quod observare debebitis: omne generis masculini, et mulieres quæ cognoverunt viros, interficite; virgines autem reservate.
तुम्हें करना यह होगा: तुम्हें हर एक पुरुष को मार गिराना है और हर एक उस स्त्री को भी, जो पुरुष से संबंध बना चुकी है.”
12 Inventæque sunt de Jabes Galaad quadringentæ virgines, quæ nescierunt viri thorum: et adduxerunt eas ad castra in Silo, in terram Chanaan.
उन्हें याबेश-गिलआद निवासियों में चार सौ ऐसी कुंवारी कन्याएं मिलीं जिनका किसी पुरुष से संबंध नहीं हुआ था. इन्हें वे शीलो की छावनी में ले आए, यह कनान देश में था.
13 Miseruntque nuntios ad filios Benjamin, qui erant in petra Remmon, et præceperunt eis, ut eos susciperent in pace.
तब सारी सभा ने उन बिन्यामिन वंशजों को, जो रिम्मोन चट्टान के क्षेत्र में आसरा लिए हुए थे, संदेश भेजा और उनके साथ शांति की घोषणा की.
14 Veneruntque filii Benjamin in illo tempore, et datæ sunt eis uxores de filiabus Jabes Galaad: alias autem non repererunt, quas simili modo traderent.
तब बिन्यामिन के वे वंशज लौट आए और उन्हें वे कन्याएं दे दी गईं, जिन्हें याबेश-गिलआद में सुरक्षित रखा गया था. फिर भी कन्याओं की संख्या उनके लिए पूरी न थी.
15 Universusque Israël valde doluit, et egit pœnitentiam super interfectione unius tribus ex Israël.
ये सभी बिन्यामिन गोत्र की स्थिति के लिए दुःखी थे, क्योंकि याहवेह ने इस्राएल के गोत्रों के बीच फूट पैदा कर दी थी.
16 Dixeruntque majores natu: Quid faciemus reliquis, qui non acceperunt uxores? omnes in Benjamin feminæ conciderunt,
तब सभा के प्रमुखों ने विचार-विमर्श किया, “बचे हुए पुरुषों के लिए पत्नियों का प्रबंध करने के लिए अब क्या किया जाए, क्योंकि बिन्यामिन प्रदेश से स्त्रियों को मारा जा चुका है?”
17 et magna nobis cura, ingentique studio providendum est, ne una tribus deleatur ex Israël.
उन्होंने विचार किया, “बिन्यामिन के बचे हुओं के लिए उत्तराधिकार का होना ज़रूरी है, कि इस्राएल का एक गोत्र मिट न जाए.
18 Filias enim nostras eis dare non possumus, constricti juramento et maledictione qua diximus: Maledictus qui dederit de filiabus suis uxorem Benjamin.
यह तो संभव नहीं है कि हम उन्हें विवाह में अपनी पुत्रियां दे दें. क्योंकि इस्राएल वंशजों ने यह शपथ ली थी, ‘शापित होगा वह, जो बिन्यामिन वंशजों को विवाह में अपनी पुत्री देगा.’
19 Ceperuntque consilium, atque dixerunt: Ecce solemnitas Domini est in Silo anniversaria, quæ sita est ad septentrionem urbis Bethel, et ad orientalem plagam viæ, quæ de Bethel tendit ad Sichimam, et ad meridiem oppidi Lebona.
इसलिये उन्होंने विचार किया, शीलो में, जो बेथेल के उत्तर में, याहवेह का सालाना उत्सव होनेवाला है. यह बेथेल से शेकेम जाते हुए राजमार्ग के पूर्वी ओर लेबोनाह के दक्षिण में है.”
20 Præceperuntque filiis Benjamin, atque dixerunt: Ite, et latitate in vineis.
उन्होंने बिन्यामिन वंशजों को आदेश दिया, “जाकर अंगूर के बगीचों में छिप जाओ.
21 Cumque videritis filias Silo ad ducendos choros ex more procedere, exite repente de vineis, et rapite ex eis singuli uxores singulas, et pergite in terram Benjamin.
इंतजार करते रहना. यह देखना कि जैसे ही शीलो की युवतियां नृत्य में शामिल होने आएं, तुम अंगूर के बगीचों से बाहर निकल आना, और तुममें से हर एक शीलो की इन नवयुवतियों में से अपनी पत्नी बनाने के लिए एक नवयुवती उठा लेना. फिर बिन्यामिन की भूमि पर लौट जाना.
22 Cumque venerint patres earum, ac fratres, et adversum vos queri cœperint atque jurgari, dicemus eis: Miseremini eorum: non enim rapuerunt eas jure bellantium atque victorum: sed rogantibus ut acciperent, non dedistis, et a vestra parte peccatum est.
फलस्वरूप उनके पिता और भाई हमारे पास शिकायत लेकर आएंगे. तब हम उन्हें उत्तर देंगे, ‘अब अपनी इच्छा से ही अपनी पुत्रियां उन्हीं के पास रहने दीजिए. युद्ध के समय हमने बिन्यामिन वंशजों के लिए कन्याएं नहीं छोड़ी, और न ही आपने अपनी पुत्रियां उन्हें दी, नहीं तो आप दोषी हो जाते.’”
23 Feceruntque filii Benjamin ut sibi fuerat imperatum: et juxta numerum suum, rapuerunt sibi de his quæ ducebant choros, uxores singulas: abieruntque in possessionem suam ædificantes urbes, et habitantes in eis.
बिन्यामिन वंशजों ने ऐसा ही किया. उन्होंने अपनी गिनती के अनुसार नृत्य करती युवतियों में से युवतियां उठा लीं और अपने साथ उन्हें ले गए. वे अपने तय किए गए विरासत में लौट गए. उन्होंने नगरों को दोबारा बनाया और वे उनमें बस गए.
24 Filii quoque Israël reversi sunt per tribus et familias in tabernacula sua.
इस समय शेष इस्राएल वंशज वहां से चले गए, हर एक अपने-अपने कुल और परिवार को, हर एक अपनी-अपनी मीरास को.
25 In diebus illis non erat rex in Israël: sed unusquisque quod sibi rectum videbatur, hoc faciebat.
उन दिनों इस्राएल देश में राजा नहीं होता था. हर एक व्यक्ति वही करता था, जो उसे सही लगता था.

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