< Job 5 >

1 Voca ergo, si est qui tibi respondeat, et ad aliquem sanctorum convertere.
ज़रा पुकार क्या कोई है जो तुझे जवाब देगा? और मुक़द्दसों में से तू किसकी तरफ़ फिरेगा?
2 Vere stultum interficit iracundia, et parvulum occidit invidia.
क्यूँकि कुढ़ना बेवक़ूफ़ को मार डालता है, और जलन बेवक़ूफ़ की जान ले लेती है।
3 Ego vidi stultum firma radice, et maledixi pulchritudini ejus statim.
मैंने बेवक़ूफ़ को जड़ पकड़ते देखा है, लेकिन बराबर उसके घर पर ला'नत की।
4 Longe fient filii ejus a salute, et conterentur in porta, et non erit qui eruat.
उसके बाल — बच्चे सलामती से दूर हैं; वह फाटक ही पर कुचले जाते हैं, और कोई नहीं जो उन्हें छुड़ाए।
5 Cujus messem famelicus comedet, et ipsum rapiet armatus, et bibent sitientes divitias ejus.
भूका उसकी फ़सल को खाता है, बल्कि उसे काँटों में से भी निकाल लेता है। और प्यासा उसके माल को निगल जाता है।
6 Nihil in terra sine causa fit, et de humo non oritur dolor.
क्यूँकि मुसीबत मिट्टी में से नहीं उगती। न दुख ज़मीन में से निकलता है।
7 Homo nascitur ad laborem, et avis ad volatum.
बस जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही को उड़ती हैं, वैसे ही इंसान दुख के लिए पैदा हुआ है।
8 Quam ob rem ego deprecabor Dominum, et ad Deum ponam eloquium meum:
लेकिन मैं तो ख़ुदा ही का तालिब रहूँगा, और अपना मु'आमिला ख़ुदा ही पर छोड़ूँगा।
9 qui facit magna et inscrutabilia, et mirabilia absque numero;
जो ऐसे बड़े बड़े काम जो बयान नहीं हो सकते, और बेशुमार 'अजीब काम करता है।
10 qui dat pluviam super faciem terræ, et irrigat aquis universa;
वही ज़मीन पर पानी बरसाता, और खेतों में पानी भेजता है।
11 qui ponit humiles in sublime, et mœrentes erigit sospitate;
इसी तरह वह हलीमों को ऊँची जगह पर बिठाता है, और मातम करनेवाले सलामती की सरफ़राज़ी पाते हैं।
12 qui dissipat cogitationes malignorum, ne possint implere manus eorum quod cœperant;
वह 'अय्यारों की तदबीरों को बातिल कर देता है। यहाँ तक कि उनके हाथ उनके मक़सद को पूरा नहीं कर सकते।
13 qui apprehendit sapientes in astutia eorum, et consilium pravorum dissipat.
वह होशियारों की उन ही की चालाकियों में फसाता है, और टेढ़े लोगों की मशवरत जल्द जाती रहती है।
14 Per diem incurrent tenebras, et quasi in nocte, sic palpabunt in meridie.
उन्हें दिन दहाड़े अँधेरे से पाला पड़ता है, और वह दोपहर के वक़्त ऐसे टटोलते फिरते हैं जैसे रात को।
15 Porro salvum faciet egenum a gladio oris eorum, et de manu violenti pauperem.
लेकिन मुफ़लिस को उनके मुँह की तलवार, और ज़बरदस्त के हाथ से वह बचालेता है।
16 Et erit egeno spes; iniquitas autem contrahet os suum.
जो ग़रीब को उम्मीद रहती है, और बदकारी अपना मुँह बंद कर लेती है।
17 Beatus homo qui corripitur a Deo: increpationem ergo Domini ne reprobes:
देख, वह आदमी जिसे ख़ुदा तम्बीह देता है ख़ुश क़िस्मत है। इसलिए क़ादिर — ए — मुतलक़ की तादीब को बेकार न जान।
18 quia ipse vulnerat, et medetur; percutit, et manus ejus sanabunt.
क्यूँकि वही मजरूह करता और पट्टी बाँधता है। वही ज़ख़्मी करता है और उसी के हाथ शिफ़ा देते हैं।
19 In sex tribulationibus liberabit te, et in septima non tanget te malum.
वह तुझे छ: मुसीबतों से छुड़ाएगा, बल्कि सात में भी कोई आफ़त तुझे छूने न पाएगी।
20 In fame eruet te de morte, et in bello de manu gladii.
काल में वह तुझ को मौत से बचाएगा, और लड़ाई में तलवार की धार से।
21 A flagello linguæ absconderis, et non timebis calamitatem cum venerit.
तू ज़बान के कोड़े से महफ़ूज़ “रखा जाएगा, और जब हलाकत आएगी तो तुझे डर नहीं लगेगा।
22 In vastitate et fame ridebis, et bestias terræ non formidabis.
तू हलाकत और ख़ुश्क साली पर हँसेगा, और ज़मीन के दरिन्दों से तुझे कुछ ख़ौफ़ न होगा।
23 Sed cum lapidibus regionum pactum tuum, et bestiæ terræ pacificæ erunt tibi.
मैदान के पत्थरों के साथ तेरा एका होगा, और जंगली जानवर तुझ से मेल रखेंगे।
24 Et scies quod pacem habeat tabernaculum tuum; et visitans speciem tuam, non peccabis.
और तू जानेगा कि तेरा ख़ेमा महफ़ूज़ है, और तू अपने घर में जाएगा और कोई चीज़ ग़ाएब न पाएगा।
25 Scies quoque quoniam multiplex erit semen tuum, et progenies tua quasi herba terræ.
तुझे यह भी मा'लूम होगा कि तेरी नसल बड़ी, और तेरी औलाद ज़मीन की घास की तरह बढ़ेगी।
26 Ingredieris in abundantia sepulchrum, sicut infertur acervus tritici in tempore suo.
तू पूरी उम्र में अपनी क़ब्र में जाएगा, जैसे अनाज के पूले अपने वक़्त पर जमा' किए जाते हैं।
27 Ecce hoc, ut investigavimus, ita est: quod auditum, mente pertracta.
देख, हम ने इसकी तहक़ीक़ की और यह बात यूँ ही है। इसे सुन ले और अपने फ़ायदे के लिए इसे याद रख।”

< Job 5 >