< Psalmorum 23 >
1 Psalmus David. Dominus regit me, et nihil mihi deerit:
ख़ुदावन्द मेरा चौपान है, मुझे कमी न होगी।
2 in loco pascuæ ibi me collocavit. Super aquam refectionis educavit me:
वह मुझे हरी हरी चरागाहों में बिठाता है; वह मुझे राहत के चश्मों के पास ले जाता है;
3 animam meam convertit. Deduxit me super semitas iustitiæ, propter nomen suum.
वह मेरी जान को बहाल करता है। वह मुझे अपने नाम की ख़ातिर सदाकत की राहों पर ले चलता है।
4 Nam, et si ambulavero in medio umbræ mortis, non timebo mala: quoniam tu mecum es. Virga tua, et baculus tuus: ipsa me consolata sunt.
बल्कि चाहे मौत के साये की वादी में से मेरा गुज़र हो, मैं किसी बला से नहीं डरूंगा, क्यूँकि तू मेरे साथ है; तेरे 'असा और तेरी लाठी से मुझे तसल्ली है।
5 Parasti in conspectu meo mensam, adversus eos, qui tribulant me. Impinguasti in oleo caput meum: et calix meus inebrians quam præclarus est!
तू मेरे दुश्मनों के सामने मेरे आगे दस्तरख़्वान बिछाता है; तूने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा प्याला लबरेज़ होता है।
6 Et misericordia tua subsequetur me omnibus diebus vitæ meæ: et ut inhabitem in domo Domini, in longitudinem dierum.
यक़ीनन भलाई और रहमत उम्र भर मेरे साथ साथ रहेंगी: और मैं हमेशा ख़ुदावन्द के घर में सकूनत करूँगा।